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हिंदी दिवस पर भाषण 2024 (Hindi Day Speech in Hindi) शिक्षकों और छात्रों के लिए

हिंदी दिवस पर भाषण 2024: हिंदी, हमारी सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल एक भाषा है, बल्कि एक ऐसा पुल है जो हमें हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य से जोड़ता है। हिंदी दिवस 2024 पर भाषण हिंदी में पाने के लिए इस लेख को पढ़ें।.

Akshita Jolly

Hindi Day Speech In Hindi 2024: हिंदी ने साहित्य, कला, संगीत, और फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हिंदी साहित्य की अनगिनत रचनाएँ, जैसे कि प्रेमचंद की कहानियाँ, हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ, और अनेक आधुनिक लेखकों की कृतियाँ, हमारे मन और आत्मा को छू जाती हैं। हिंदी भाषा ने हमें एक समान मंच प्रदान किया है जहां हम अपनी भावनाओं, विचारों और संस्कारों को साझा कर सकते हैं।

हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका केवल साहित्यिक या सांस्कृतिक संदर्भ में ही नहीं है, बल्कि यह हमारी सामाजिक और राष्ट्रीय एकता को भी सुदृढ़ करती है। भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में, हिंदी एक ऐसा साझा माध्यम है जो विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच समझ और संवाद का पुल तैयार करता है।

हिंदी दिवस पर 10 पंक्तियाँ

  • हिंदी दिवस पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी मातृभाषा का सही तरीके से उपयोग करें और इसे संजोएं।
  • शिक्षा, संचार और मीडिया के क्षेत्र में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका को समझना और अपनाना आवश्यक है।
  • हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी पहचान और गर्व का प्रतीक भी है।
  • हिंदी दिवस हमें अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व और सम्मान की भावना को जागरूक करता है।
  • हिंदी भाषा भारतीय संस्कृति और परंपराओं की वाहक है, जो हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ती है।
  • हिंदी साहित्य, कविता, और गीतों ने भारतीय समाज को एक नया दृष्टिकोण और आनंद प्रदान किया है।
  • हिंदी भाषा ने विभिन्न भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों के बीच एकता और समझ को बढ़ावा दिया है।
  • इस दिन को मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और संवर्धन को प्रोत्साहित करना है।
  • हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है, जो हिंदी भाषा की प्रमुखता और महत्व को दर्शाता है।
  • इस दिन को संविधान सभा द्वारा हिंदी को भारतीय गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार करने की खुशी में मनाया जाता है।

कक्षा 1 के लिए हिंदी दिवस पर भाषण ( Hindi Diwas Speech for Class 1)

नमस्कार बच्चों,

आज हम यहाँ हिंदी दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है।

हिंदी हमारी मातृभाषा है। इसका मतलब है कि यह हमारी भाषा है, जिसे हम अपने घर में बोलते हैं और समझते हैं। हिंदी भाषा बहुत सुंदर है और इसमें बहुत सारे प्यारे शब्द हैं।

हिंदी के माध्यम से हम अपनी बातें, कहानियाँ, और गाने एक-दूसरे के साथ साझा कर सकते हैं। यह हमें एक-दूसरे से जोड़ती है और हमारी पहचान बनाती है।

हमारे स्कूल में भी हम हिंदी में पढ़ते हैं, लिखते हैं और बातें करते हैं। हिंदी दिवस पर हमें अपनी भाषा को अच्छे से समझना और इसका उपयोग करना सीखना चाहिए।

हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए और इसे हमेशा प्यार करना चाहिए।

आप सभी को हिंदी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

कक्षा 3 के लिए हिंदी दिवस पर भाषण ( Hindi Diwas Speech for Class 3)

आज हम यहाँ हिंदी दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन खास है क्योंकि इसी दिन हिंदी को हमारी देश की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया था।

हिंदी हमारी मातृभाषा है। इसका मतलब है कि यह भाषा हमारी अपनी है, जिसे हम अपने परिवार के साथ घर पर बात करते हैं। हिंदी भाषा बहुत ही सुंदर और आसान है। इसमें बहुत सारे मजेदार शब्द और प्यारी कविताएँ हैं।

हिंदी के जरिए हम अपने विचार, भावनाएँ और कहानियाँ दूसरों के साथ बाँट सकते हैं। यह हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ती है। स्कूल में भी हम हिंदी में पढ़ते हैं, लिखते हैं और बातें करते हैं, जो हमें और भी अच्छा बनाता है।

हिंदी दिवस के दिन हमें अपनी मातृभाषा की महत्ता को समझना चाहिए और इसे अपने जीवन में उपयोग में लाना चाहिए। हमें हिंदी को प्यार करना चाहिए और इसे हमेशा सीखते रहना चाहिए।

आइए, हम सब मिलकर अपनी हिंदी भाषा को सजग और सशक्त बनाएँ।

आप सभी को हिंदी दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ!

कक्षा 5 के लिए हिंदी दिवस पर भाषण  ( Hindi Diwas Speech for Class 5)

नमस्कार साथियों,

आज हम सभी यहां हिंदी दिवस मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं। हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, और यह दिन खास है क्योंकि इसी दिन हिंदी को हमारे देश की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी।

हिंदी हमारी मातृभाषा है, जो न केवल हमारे परिवार और दोस्तों के बीच बातचीत का एक तरीका है, बल्कि हमारी संस्कृति और पहचान का भी हिस्सा है। हिंदी भाषा में लिखी गई कविताएँ, कहानियाँ, और गाने हमारी सोच और भावनाओं को बहुत अच्छे से व्यक्त करते हैं।

हिंदी भाषा ने हमारे साहित्य और कला को भी समृद्ध किया है। इसके माध्यम से हमें महान लेखकों और कवियों की रचनाएँ पढ़ने को मिलती हैं, जो हमें प्रेरित करती हैं और हमारे ज्ञान को बढ़ाती हैं। इसके अलावा, हिंदी भाषा का उपयोग हमें एकता और आपसी समझ को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।

हिंदी दिवस के दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी मातृभाषा को सही तरीके से समझें और इसका उपयोग अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में करें। हमें हिंदी को लेकर गर्व होना चाहिए और इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संजोना चाहिए।

आइए, हम सब मिलकर अपनी हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करें और इसे और भी मजबूत बनाएं।

कक्षा 10 के लिए हिंदी दिवस पर भाषण  ( Hindi Diwas Speech for Class 10) 

नमस्कार सभी को,

आज हम यहाँ हिंदी दिवस के अवसर पर एकत्रित हुए हैं। हिंदी दिवस, जो कि 14 सितंबर को मनाया जाता है, हमारी मातृभाषा हिंदी के महत्व और उसकी समृद्धि को मनाने का दिन है। आज के दिन हम हिंदी की उस भूमिका को याद करते हैं, जिसने हमारे सांस्कृतिक और राष्ट्रीय जीवन को गहराई से प्रभावित किया है।

हिंदी भाषा केवल एक संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा, और पहचान का अहम हिस्सा है। इसे भारतीय संविधान में 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी। हिंदी की विस्तृत इतिहास और इसका विकास हमारे साहित्य, कला और समाज की समृद्धि का गवाह है।

हमारी मातृभाषा हिंदी ने हमें एकता और अखंडता का संदेश दिया है। हिंदी में लिखे गए ग्रंथ, कविताएँ, और कहानियाँ न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोती हैं, बल्कि हमें सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण भी प्रदान करती हैं। इसने विभिन्न भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा दिया है।

आज के आधुनिक युग में, जब वैश्विककरण और तकनीकी विकास की गति तेज हो गई है, हमें अपनी मातृभाषा की महत्वपूर्ण भूमिका को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। हिंदी को शिक्षा, मीडिया, और रोजमर्रा की जिंदगी में सशक्त और प्रभावी तरीके से उपयोग करना आवश्यक है।

हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि भाषा के माध्यम से ही हम अपनी पहचान और संस्कृति को संरक्षित कर सकते हैं। हमें चाहिए कि हम हिंदी को प्रोत्साहित करें, इसे सिखाएँ, और इसका उपयोग समाज के हर क्षेत्र में करें।

इस अवसर पर, मैं आप सभी से अपील करता हूँ कि हम अपनी मातृभाषा हिंदी के प्रति गर्व और सम्मान बनाए रखें। हिंदी को हमारे जीवन का हिस्सा बनाकर हम न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजो सकते हैं, बल्कि इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक अमूल्य धरोहर बना सकते हैं।

हिंदी दिवस पर लंबा भाषण (Long Speech On Hindi Diwas)

सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ! आज हम यहाँ एक महत्वपूर्ण अवसर पर एकत्रित हुए हैं – हिंदी दिवस। यह दिन, 14 सितंबर, हिंदी भाषा की महिमा और उसकी भूमिका को मान्यता देने और उसे प्रोत्साहित करने का दिन है।

हिंदी का ऐतिहासिक महत्व:

14 सितंबर 1949 को, भारतीय संविधान सभा ने हिंदी को हमारे देश की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। तब से, यह दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी भाषा का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। इसे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। हिंदी ने भारतीय साहित्य, कविता, और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और हमारे समाज को एक नई दिशा दी है।

हिंदी की सांस्कृतिक भूमिका:

हिंदी भाषा भारतीय संस्कृति और परंपराओं की संवाहक है। हमारे अनेक महाकाव्य, धार्मिक ग्रंथ, लोककथाएँ और कविताएँ हिंदी में लिखी गई हैं। महाकवि सूरदास, तुलसीदास, और प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य को अमूल्य योगदान दिया है। उनके कार्यों ने न केवल साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि समाज के नैतिक और सामाजिक मूल्यों को भी प्रबल किया।

हिंदी की आधुनिक भूमिका:

आज के समय में, जब वैश्वीकरण और तकनीकी विकास ने तेजी से बदलाव किया है, हिंदी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। हिंदी भाषा ने न केवल साहित्य, बल्कि संचार और मीडिया के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। हिंदी सिनेमा, समाचार चैनल, और डिजिटल मीडिया ने हिंदी को वैश्विक मंच पर प्रमुखता दिलाई है। इससे हिंदी को एक नई पहचान मिली है और यह पूरी दुनिया में तेजी से फैल रही है।

हिंदी की शिक्षा और प्रसार:

हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी मातृभाषा को संजोना और उसका प्रसार करना चाहिए। शिक्षा प्रणाली में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमें बच्चों को हिंदी के महत्व के बारे में बताना चाहिए और उन्हें इसके प्रति जागरूक करना चाहिए। हिंदी की शिक्षा को बढ़ावा देने और इसकी विविधता को समझाने की आवश्यकता है।

हिंदी के प्रति गर्व और सम्मान: 

हिंदी दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व और सम्मान बनाए रखें। हमें हिंदी का उपयोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में करें और इसके प्रति प्रेम और लगाव बनाए रखें। यह हमारी सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे संजोए रखना हमारी जिम्मेदारी है।

इस अवसर पर, हम सभी को हिंदी के महत्व को समझने और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने का संकल्प लेना चाहिए। हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर, पहचान और एकता का प्रतीक है। आइए, हम सभी मिलकर हिंदी को प्रोत्साहित करें, इसे सशक्त बनाएं, और इसे हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर के रूप में संरक्षित करें।

हिंदी दिवस पर उद्धरण

  • “हिंदी भाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। इसे समझना और अपनाना, हमारी पहचान को संजोना है।”
  • “भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि यह हमारे भावनाओं, संस्कृति और सोच की अभिव्यक्ति है। हिंदी हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है।”
  • “हिंदी का अद्वितीय सौंदर्य उसकी सरलता और अभिव्यक्ति की शक्ति में निहित है। इसे समझना और सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है।”
  • “हिंदी हमारी मातृभाषा है, जो हमारे दिलों की आवाज है और हमारी संस्कृति का अमूल्य हिस्सा है।”
  • “भाषा का सम्मान, संस्कृति का सम्मान है। हिंदी को अपनाना, भारतीयता को गले लगाना है।”
  • “हिंदी का अध्ययन और प्रसार न केवल हमारी भाषा का सम्मान है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विविधता को भी संरक्षित करता है।”
  • “हिंदी की सुंदरता उसकी समृद्धि में है, उसकी विविधता में है और उसकी सरलता में है। आइए, हम इसे संजोएं और बढ़ावा दें।”
  • “जब आप अपनी मातृभाषा का सम्मान करते हैं, तब आप अपनी संस्कृति और पहचान को संजोते हैं। हिंदी का महत्व समझना और इसे अपनाना हमारी जिम्मेदारी है।”
  • “हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि हमारी पहचान और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है।”
  • “हिंदी भाषा, हमारी संस्कृति की धड़कन है, जो हमें एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का संदेश देती है।”

हिंदी दिवस पर रोचक तथ्य

  • संविधान में मान्यता: हिंदी को भारतीय संविधान द्वारा 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी। इसी दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • द्विभाषी परिवार: हिंदी और संस्कृत की जड़ें एक ही परिवार से आती हैं। हिंदी, संस्कृत की विकसित रूप है, जो इंडो-आर्यन भाषाओं के समूह में आती है।
  • विविधता का प्रतीक: हिंदी भाषा की कई बोलियाँ हैं, जैसे कि भोजपुरी, अवधी, मगही, और हरियाणवी। इन बोलियों की विविधता हिंदी के समृद्धि को दर्शाती है।
  • गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड: भारत के सबसे बड़े पुस्तक मेले, 'दिल्ली पुस्तक मेला', में हिंदी पुस्तकों की सबसे बड़ी संख्या प्रदर्शित की जाती है। यह मेला गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है।
  • अंतर्राष्ट्रीय भाषाएँ: हिंदी को विश्व की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक माना जाता है। इसके अलावा, यह भाषा विश्व के कई देशों में बोली जाती है, जैसे कि नेपाल, मोरीशस, फिजी और सुरिनाम।
  • कवि और लेखकों की भूमि: हिंदी साहित्य में अनेक महान कवि और लेखक हुए हैं, जैसे कि कवि सूरदास, तुलसीदास, माखनलाल चतुर्वेदी, और प्रेमचंद, जिन्होंने हिंदी को एक समृद्ध साहित्यिक धरोहर प्रदान की है।
  • उत्पत्ति: हिंदी भाषा का विकास प्राचीन इंडो-आर्यन भाषाओं से हुआ है। इसे "हिंदवी" या "खड़ी बोली" भी कहा जाता है और यह भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख भाषाओं में से एक है।
  • फिल्मों की भाषा: हिंदी सिनेमा, जिसे बॉलीवुड भी कहा जाता है, विश्वभर में सबसे अधिक देखी जाने वाली फिल्म इंडस्ट्री है। हिंदी फिल्मों का प्रभाव और लोकप्रियता वैश्विक स्तर पर है।
  • जनसंख्या में भागीदारी: हिंदी भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और देश की लगभग 44% जनसंख्या इसे अपनी पहली भाषा के रूप में प्रयोग करती है।
  • डिजिटल युग में वृद्धि: इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के कारण हिंदी भाषा का प्रसार और लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। हिंदी कंटेंट की संख्या और उपयोग में लगातार वृद्धि हो रही है।

इन तथ्यों के माध्यम से, आप हिंदी भाषा की व्यापकता, विविधता और सांस्कृतिक महत्व को समझ सकते हैं और इसका महत्व समझने में और भी मदद पा सकते हैं।

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10 Lines on Hindi Diwas: हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें? ये 300 शब्द लिखकर जीत लें इनाम

Hindi diwas par nibandh hindi me: 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर स्कूल, कॉलेजों में कई कार्यक्रम होते हैं, जिनमें से निबंध प्रतियोगिता भी एक है। अगर आपको भी हिंदी दिवस पर निबंध लिखना है, तो ये लेख आपके लिए ही है। इसके अलावा, इसमें बताई गई बातें आपको हिंदी दिवस पर भाषण देने में भी मदद करेंगी।.

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हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?

हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन 1949 में, भारतीय संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करना और उसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। यह दिन हमें हिंदी के महत्व और इसके प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है। हिंदी हमारी अखंडता को बनाए रखने का एक माध्यम भी है। (फोटो- Freepik)

हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है। यह हमें हमारे समृद्ध इतिहास, साहित्य और परंपराओं से जोड़ती है। हिंदी दुनिया भर में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाती है, जो इसे दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक बनाता है। हिंदी हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाती है और हमें विश्व में एक अलग पहचान दिलाती है।

हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को देवनागरी लिपि में राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी ने देश को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी। (फोटो- Freepik)

हमारे साहित्य में हिंदी का योगदान

हमारे साहित्य में हिंदी का योगदान

हिंदी ने भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हिंदी के कवियों में प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, भारतेंदु हरिश्चंद्र, तुलसीदास, सूरदास और मीराबाई जैसे प्रसिद्ध लेखक और कवि शामिल हैं। उनके कार्यों ने भारतीय समाज और संस्कृति की हमारी समझ को आकार दिया है। हिंदी साहित्य हमें जीवन के मूल्यों और आदर्शों की शिक्षा देता है। हिंदी देश के विभिन्न राज्यों, संस्कृतियों और धर्मों को जोड़ने वाली भाषा है। हिंदी साहित्य, कला, संगीत और सिनेमा का महत्वपूर्ण स्तंभ है। (फोटो- Freepik)

आधुनिक युग में हिंदी का प्रयोग

आधुनिक युग में हिंदी का प्रयोग

आज के डिजिटल युग में भी हिंदी फल-फूल रही है। हिंदी भाषा को विभिन्न देशों द्वारा भी अपनाया गया है, जिनमें नेपाल, भूटान और मॉरीशस शामिल हैं। हिंदी हमें विश्व में एक अलग पहचान दिलाती है और हमारी संस्कृति को पूरे विश्व में फैलाती है। हिंदी का इंटरनेट, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपयोग बढ़ता जा रहा है। हिंदी फिल्मों और गीतों के माध्यम से इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता मिल रही है। (फोटो- Freepik)

मिलकर मनाएं हिंदी दिवस

मिलकर मनाएं हिंदी दिवस

हिंदी दिवस मनाते हुए हमें अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। आइए, हम हिंदी को भविष्य की पीढ़ियों के लिए बढ़ावा देने का प्रयास करें। हिंदी दिवस हमें हमारी भाषा और संस्कृति की विरासत की याद दिलाता है। हमें हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान देना चाहिए। हिंदी में अधिक से अधिक लेखन, पठन-पाठन और संवाद करें। अपनी मातृभाषा को गर्व से अपनाएं और नई पीढ़ी को इससे जोड़ें। हमें हिंदी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। (फोटो- Freepik)

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हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Essay in Hindi)

हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दिन भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदू भाषा को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा घोषित किया था। भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया। हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को देश के संविधान द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में इस्तेमाल करने के विचार को मंजूरी दी गई। हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में इस्तेमाल करने के दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हिंदी दिवस पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Hindi Diwas in Hindi, Hindi Diwas par Nibandh Hindi mein)

हिंदी दिवस पर निबंध– 1 (250 – 300 शब्द).

हिंदी दिवस हमें देशभक्ति भावना के लिए प्रेरित करता है। आज के समय में अंग्रेजी की ओर एक झुकाव है जिसे समझा जा सकता है क्योंकि अंग्रेजी का इस्तेमाल दुनिया भर में किया जाता है और यह भी भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। यह दिन हमें यह याद दिलाने का एक छोटा सा प्रयास है कि हिंदी हमारी आधिकारिक भाषा है और बहुत अधिक महत्व रखता है।

हिंदी दिवस का इतिहास

भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी को 1950 के अनुच्छेद 343 के तहत देश की आधिकारिक भाषा के रूप में 1950 में अपनाया। इसके साथ ही भारत सरकार के स्तर पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाएं औपचारिक रूप से इस्तेमाल हुईं। 1949 में भारत की संविधान सभा ने देश की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया। वर्ष 1949 से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।

हिंदी दिवस का महत्व

हिंदी दिवस को उस दिन को याद करने के लिए मनाया जाता है जिस दिन हिंदी हमारे देश की आधिकारिक भाषा बन गई। यह हर साल हिंदी के महत्व पर जोर देने और हर पीढ़ी के बीच इसको बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है जो अंग्रेजी से प्रभावित है। यह युवाओं को अपनी जड़ों के बारे में याद दिलाने का एक तरीका है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कहाँ तक पहुंचे हैं और हम क्या करते हैं अगर हम अपनी जड़ों के साथ मैदान में डटे रहे और समन्वयित रहें तो हम अपनी पकड़ मजबूत बना लेंगे।

हम भारतीय हैं और हमें हमारी राष्ट्रीय भाषा का सम्मान करना चाहिए। आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाने से साबित होता है कि सत्ता में रहने वाले लोग अपनी जड़ों को पहचानते हैं और चाहते हैं कि लोगों द्वारा हिंदी को भी महत्व दिया जाए।

यूट्यूब पर देखें: Hindi Diwas par Nibandh

निबंध – 2 (400 शब्द)

हर साल 14 सितंबर को मनाया जाने वाला हिंदी दिवस भारतीय संस्कृति को संजोने और हिंदी भाषा को सम्मान देने का एक तरीका है। वर्ष 1949 में इस दिन भारत की संविधान सभा द्वारा हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था।

हिंदी दिवस – उत्सव

स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में मनाया जाने वाला हिंदी दिवस राष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाता है जिसमें देश के राष्ट्रपति उन लोगों को पुरस्कार देते हैं जिन्होंने हिंदी भाषा से संबंधित किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की है।

स्कूलों और कॉलेजों में प्रबंधन समिति हिंदी वाद-विवाद, कविता या कहानी बोलने की प्रतियोगिताएं आयोजित करती है। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं और शिक्षक हिंदी भाषा के महत्व पर जोर देने के लिए भाषण भी देते हैं। कई स्कूल इंटर स्कूल हिंदी वाद-विवाद और कविता प्रतियोगिताओं की मेजबानी करते हैं। इंटर-स्कूल हिंदी निबंध और कहानी लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। यह हिंदी भाषा को सम्मान देने का दिन है जो विशेषकर नई पीढ़ी के बीच अपना महत्व खो रही है।

यह दिन कार्यालयों और कई सरकारी संस्थानों में भी मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति को आनन्दित करने के लिए लोग भारतीय जातीय परिधान पहनते हैं। महिलाएं सूट और साड़ियाँ पहनती हैं और पुरुष इस दिन कुर्ता पजामा पहनते हैं। इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और लोग उत्साह से उसमें भाग लेते हैं। बहुत से लोग हिंदी कविता पढ़ना और हमारी संस्कृति के महत्व के बारे में बात करते हैं।

हिंदी – भारत में सबसे अधिक बोलने वाली भाषा

निस्संदेह भारत में हिंदी सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाला भाषा है। हालांकि अंग्रेजी के प्रति अभी भी भारतवासियों का झुकाव है और इसके महत्व पर स्कूलों और अन्य स्थानों पर जोर दिया जाता है परन्तु हिंदी हमारे देश की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा के रूप में मजबूत है। 2001 में आयोजित जनगणना में 422 लाख से अधिक लोगों ने अपनी मातृभाषा के रूप में हिंदी का उल्लेख किया। देश में किसी भी अन्य भाषा का कुल आबादी का 10% से अधिक उपयोग नहीं किया जाता है। हिंदी बोलने वाली अधिकांश आबादी उत्तर भारत में केंद्रित है।

हिंदी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड और झारखंड सहित कई भारतीय राज्यों की आधिकारिक भाषा है। बिहार देश का पहला राज्य था जिसने अपनी एकमात्र आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया। बंगाली, तेलुगु और मराठी देश की अन्य व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा हैं।

हिंदी दिवस हमारे सांस्कृतिक जड़ों को फिर से देखने और अपनी समृद्धता का जश्न मनाने का दिन है। हिंदी हमारी मातृभाषा है और हमें इसका आदर और उसका मूल्य समझना चाहिए।

निबंध – 3 (500 शब्द)

भारत पश्चिमी रीति-रिवाजों से बहुत प्रभावित हैं। भारतीय वहां के लोगों की तरह पोशाक पहनना चाहते हैं, उनकी जीवनशैली का पालन करना चाहते हैं, उनकी भाषा बोलना चाहते हैं और इसके अलावा हर चीज़ में उनके जैसा बनना चाहते हैं। वे यह नहीं समझना चाहते कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत और मूल्य पश्चिम की संस्कृति की तुलना में कहीं अधिक समृद्ध हैं। 14 सितंबर को मनाया जाने वाला हिंदी दिवस हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति को सम्मान देने का एक तरीका है।

हिंदी – विश्व में चौथी व्यापक रूप से बोली जानी वाली भाषा

हिंदी दुनिया की चौथी व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है जबकि भारत में ज्यादातर हिंदी बोलने वाली जनसंख्या है। अन्य देश जहां व्यापक रूप से हिंदी बोली जाती है वह है पाकिस्तान, नेपाल, मॉरीशस, फिजी, गुयाना और सूरीनाम।

दुनिया भर में लोग हिंदी गीतों और हिंदी फिल्मों को प्यार करते हैं जो स्पष्ट रूप से इस भाषा के प्रति स्नेह को परिभाषित करता है।

हिंदी को प्राथमिकता न मिलना

दुर्भाग्य से भले ही हिंदी दुनिया की चौथी व्यापक बोली जाने वाली भाषा है परन्तु इसके मूल देश में लोग इसको महत्व नहीं देते हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज, कॉर्पोरेट, कार्यालयों तक अंग्रेजी को अधिक प्राथमिकता दी जाती है और हिंदी अंग्रेजी से पिछड़ जाती है। माता-पिता, शिक्षकों और हर किसी को लिखित और मौखिक रूप से अंग्रेजी सीखने के महत्व पर जोर देना आम बात है क्योंकि इससे नौकरी हासिल करने में काफी मदद मिलती है। यह देखना दुखदाई है कि नौकरियों और शैक्षिक पाठ्यक्रमों के लिए भी लोगों को स्मार्ट होना पड़ता है क्योंकि नौकरी पर रखने वाले अधिकारी उन्हें उनके अंग्रेजी से संबंधित ज्ञान के आधार पर चुनते हैं। बहुत से लोग सिर्फ इसलिए काम करने का अवसर खो देते हैं क्योंकि वे अंग्रेजी को धाराप्रवाह नहीं बोल पाते भले ही वे काम के बारे में अच्छी जानकारी रखते हों।

हिंदी दिवस ऐसे लोगों को जगाने का प्रयास है और उनमें हिंदी भाषा के लिए सम्मान स्थापित करने का प्रयास है।

हिंदी की प्रतिष्ठा और महत्व से संबंधित विशेष घटनाएं

कई स्कूल और अन्य संस्थान हर साल हिंदी दिवस मनाते हैं। यहां इस दिन के सम्मान में विशेष समारोहों का आयोजन किया गया है:

  • भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिंदी से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए। हिंदी दिवस के सम्मान में विज्ञान भवन नई दिल्ली में एक समारोह आयोजित किया गया था।
  • इस दिवस पर विभागों, मंत्रालयों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और सार्वजनिक उपक्रमों को राजभाषा पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।
  • केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की वजह से हिंदी भाषा और हिंदी दिवसों को महत्व और मान्यता देने की दिशा में बढ़ोतरी हुई है।
  • भोपाल में आयोजित एक विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अंग्रेजी, हिंदी और चीनी डिजिटल दुनिया पर शासन करने जा रहे हैं ताकि भाषा के महत्व पर जोर दिया जा सके।
  • केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी संयुक्त राष्ट्र में हिंदी के लिए आधिकारिक भाषा का दर्जा लेने का मुद्दा उठाया था।

हिंदी दिवस को विभिन्न स्थानों पर बहुत उत्साह से मनाया जाता है हालांकि हमारे देश में बहुत से लोग इस दिन के बारे में अभी अवगत नहीं हैं और बहुत से लोग इसे महत्वपूर्ण भी नहीं मानते हैं। यह समय है कि लोगों को इस दिन के महत्व को पहचानना चाहिए क्योंकि यह हमारी राष्ट्रीय भाषा और हमारी सांस्कृतिक आधार को याद करने का दिन है।

Essay on Hindi Diwas in Hindi

निबंध – 4 (600 शब्द)

हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है और उसी दिन इसे भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक घोषित किया गया था। दुनिया की चौथी व्यापक बोली जाने वाली भाषा के रूप में इसके महत्व का जश्न मनाने के लिए एक खास दिन सम्मान देने के लिए निश्चित किया गया है। इस भाषा के बारे में कई दिलचस्प तथ्य हैं जो इसे अद्वितीय बनाते हैं।

हिंदी दिवस – एक महत्वपूर्ण कदम

भारत में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकृत करने का कदम स्वागत योग्य हैं हालांकि हर वर्ष हिंदी दिवस को मनाने का निर्णय वाकई काबिले तारीफ है। हिंदी दिवस एक अनुस्मारक है कि जहां ​भी ​हम जाएँ हमें अपने आदर्शों और संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। यही हमें परिभाषित करता है और हमें इसका आनंद उठाना चाहिए। यह दिन विभिन्न सरकारी संस्थानों में उत्साह से मनाया जाता है।

हिंदी भाषा के बारे में दिलचस्प तथ्य

हिंदी भाषा के बारे में कई दिलचस्प तथ्य हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • हिंदी नाम फारसी शब्द हिंद से बना है जिसका मतलब है कि सिंधु नदी का भूमि।
  • हिंदी मूलतः भाषाओं के इंडो-यूरोपियन परिवार के इंडो-आर्यन भाषाओं के सदस्यों में से एक है।
  • भाषा में कोई भी लेख शामिल नहीं है।
  • हिंदी में कई शब्द संस्कृत से प्रेरणा लेते हैं।
  • हिंदी को पूरी तरह ध्वन्यात्मक लिपि में लिखा गया है। इस भाषा के शब्दों को उसी तरह स्पष्ट किया जाता है जिस तरह से वे लिखे गए हैं।
  • दुनिया भर में ऐसे कई शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो लगता है कि अंग्रेजी के शब्द हैं परन्तु वास्तव में ये शब्द हिंदी भाषा से हैं। इनमें से कुछ शब्द जंगल, लूट, बंगला, योग, कर्म, अवतार और गुरु हैं।
  • हिंदी भाषा में सभी संज्ञाओं में लिंग हैं। ये या तो स्त्रीलिंग हैं या पुल्लिंग हैं। इस भाषा में विशेषण और क्रियाएँ लिंग के आधार पर भिन्न होती हैं।
  • यह उन सात भाषाओं में से एक है जो वेब एड्रेस बनाने के लिए उपयोग की जाती हैं।
  • दुनिया में हर ध्वनि हिंदी भाषा में लिखी जा सकती है।
  • हिंदी भाषा का प्रयोग सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के अन्य देशों में भी किया जाता है जिनमें पाकिस्तान, फिजी, नेपाल, श्रीलंका, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड अरब एमिरेट्स और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।

स्कूलों में हिंदी दिवस जरुर मनाया जाना चाहिए

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंदी भारत में सबसे अधिक व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है और इसे भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में स्वीकृत किया गया है परन्तु भारत में अधिकांश विद्यालयों को इसे महत्वहीन मानते हैं। अंग्रेजी को अधिक महत्व दिया जाता है और मौखिक और लिखित अंग्रेजी दोनों सीखने पर दबाव बनाया जाता है।

बच्चे इन दिनों एक अलग मानसिकता के साथ बड़े होते हैं। उनके हिसाब से जो व्यक्ति अंग्रेजी बोलता है वह सब कुछ जानता है और अन्य लोग, जो अंग्रेजी नहीं जानते, के मुकाबले बेहतर हैं। जो लोग साक्षात्कार या अन्य जगहों पर हिंदी बोलते हैं उन्हें कमतर आंका जाता है। इस मानसिकता को बदला जाना चाहिए। यह सच है कि अंग्रेजी एक वैश्विक भाषा है और इसे विशेष रूप से कॉर्पोरेट जगत में प्राथमिकता दी जाती है और छात्रों को मौखिक और लिखित रूप से प्रयोग में लाने वाली अंग्रेजी को सुधारना गलत नहीं है। हालांकि उन्हें यह नहीं समझना चाहिए कि हिंदी किसी भी वजह से अंग्रेजी से कम है। यह समय है कि विद्यार्थियों को दोनों भाषाओं, अंग्रेजी और हिंदी, को एक जैसा मानना ​​और सम्मान करना सिखाया जाना चाहिए।

जैसे विद्यालय दीवाली, स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी जैसे अन्य विशेष अवसरों पर मजेदार गतिविधियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं उसी तरह उन्हें अपनी मातृभाषा को सम्मान देने के लिए हिंदी दिवस को मनाना चाहिए।

हिन्दी दिवस हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी को सम्मान देने का एक शानदार तरीका है। नई पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति और अंग्रेजी भाषा से अधिक प्रभावित है और उनका आँख बंद करके पालन कर रही है। यह दिन उनकी संस्कृति की याद दिलाने का एक अच्छा तरीका है जो उनके चरित्र-निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।

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हिंदी दिवस पर ऐसे करें भाषण की शुरुआत, हर कोई हो जाएगा आपकी हिंदी से प्रभावित

हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए भाषण व निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. ऐसे में हम आपके लिए कुछ दमदार और सरल तरीके लेकर आए हैं, जिससे लोग आपके भाषण के मुरीद हो जाएंगे..

हिंदी दिवस पर ऐसे करें भाषण की शुरुआत, हर कोई हो जाएगा आपकी हिंदी से प्रभावित

Hindi diwas speech 2024 : दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जानी वाली भाषा हिंदी है. आपको बता दें कि पूरी दुनिया में लगभग 62 करोड़ लोग हिंदी में बात करते हैं. वहीं, 2011 की जनगणना के मुताबिक लगभग 53 करोड़ लोग हिंदी बोलते और लिखते हैं. बावजूद इसके आज भी समाज में हिंदी को लेकर लोगों के मन में थोड़ी सी हिचक रहती है. आज भी इंग्लिश बोलने वालों को ज्यादा तरजीह दी जाती है, उन्हें एलीट माना जाता है. पेरेंट्स भी अपने बच्चों को हिंदी माध्यम से पढ़ाने की बजाय अंग्रेजी शिक्षा देने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. इन्हीं पहलुओं को ध्यान में रखकर हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस दिन हिंदी भाषा के समृद्ध गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला जाता है.साथ ही हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए स्कूल, कॉलेजों व दफ्तरों में भाषण व निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. ऐसे में हम आपके लिए हिंदी दिवस पर भाषण देने के लिए कुछ सरल तरीके लेकर आए हैं, जिससे लोग आपके भाषण के मुरीद हो जाएंगे.

Hindi Diwas 2024 : हिन्दी दिवस से जुड़ी ये 8 इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स नहीं होगा पता, जानिए यहां

कैसे करें भाषण की शुरूआत

1- आप हिंदी दिवस पर भाषण दे रहे हैं, तो शुरूआत कोट्स के साथ करें, कुछ सुझाव यहां नीचे दिए गए हैं...

2- हिंदी दिवस पर हम सब मिलकर जश्न मनाएं, हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका को याद दिलाएं मेरा मान है हिंदी, मेरी शान है हिंदी देश की शान है हिंदी, देश की पहचान है हिंदी, क्योंकि हर भारतीय के दिल में विराजमान हैं हिंदी..

3- जैसे रंगों के मिलने से खिलता है बसंत, वैसे भाषाओं की मिश्री सी बोली है हिंदी

4- वक्ताओं की ताकत भाषा लेखक का अभिमान है भाषा भाषाओं के शीर्ष पर बैठी मेरी प्यारी हिंदी भाषा

कोट्स बोलने के बाद आप आदरणीय प्राधानाचार्य, अध्यापकगण व मेरे प्यारे साथियों आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं के साथ, अपने भाषण को आगे बढ़ाएं. सबसे पहले आप सभी का धन्यवाद इस अवसर पर मुझे अपने विचार व्यक्त करने का मौका दिया. हिंदी बोलना हमारे लिए गर्व की बात है.  यह भारत की अंखडता और एकता की पहचान है. आपको बता दें कि राष्ट्रीय हिंदी दिवस का इतिहास 14 सितंबर, 1949 से शुरू होता है. इस दिन, भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था और पहला हिंदी दिवस 1953 में मनाया गया था और तब से यह हिंदी भाषा को सम्मान देने और बढ़ावा देने के लिए एक उत्सव के रूप मनाया जाने लगा.

हिंदी देश में रहने वाले और विदेश में रहने वाले भारतीयों के दिल में बसती है. हिंदी ने भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति को समृद्ध करने में अहम भूमिका निभाई है. कवि सूरदास, तुलसीदास, और कबीर जैसे महान रचनाकारों ने हिंदी में अपनी  रचनाएं प्रस्तुत की हैं, जो न केवल हमारे साहित्यिक धरोहर को समृद्ध करती हैं बल्कि समाज की जड़ों से भी जोड़ती है. ऐसे में इस हिंदी दिवस पर हम यह प्रण लेते हैं कि हम अपनी हिंदी को प्राथमिकता पर रखेंगे. अन्य भाषाओं की चकाचौंध में अपनी हिंदी बोली को नहीं भूलेंगे.

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हिंदी दिवस पर ऐसे करें भाषण की शुरुआत, हर कोई हो जाएगा आपकी हिंदी से प्रभावित

हिन्दी दिवस पर भाषण Hindi Diwas Speech in Hindi (Short & Long)

हिन्दी दिवस पर भाषण Hindi Diwas Speech in Hindi

इस लेख में आप हिन्दी दिवस पर भाषण Hindi Diwas Speech in Hindi पढ़ेंगे। यह 2 भाषण राजभाषा हिन्दी के सम्मान में विद्यार्थी हिन्दी दिवस के अवसर पर उपयोग कर सकते हैं।

Table of Content

2021 हिन्दी दिवस पर भाषण Hindi Diwas Speech in Hindi

2018 हिन्दी दिवस पर भाषण Hindi Diwas Speech in Hindi | Hindi Diwas Par Bhashan

1. हिन्दी दिवस पर लघु भाषण (600 Words) Hindi Diwas Par Bhashan (Speech 1)

आज का दिन 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को हम अपने राजभाषा हिन्दी के सम्मान में मानते हैं। हमें इस दिन को उत्साह के साथ मनाना चाहिए जिससे की हमारे राजभाषा हिन्दी को और बढ़ावा मिले।

न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी हिन्दी भाषा को सिखाने और प्रोत्साहन देने के लिए कई प्रकार के बड़े क्लासेज लिए जाता हैं। अन्य कई देशों के लोग हिन्दी भाषा को सिखने के लिए बहुत ही उत्साहित है इसलिए वे विशेष तौर पर भुगतान करके हिंदी भाषा को सिखने के लिए क्लासेज जा रहे हैं।

अगर टेक्नोलॉजी की बात करें तो आज गूगल, फेसबुक से लेकर दुनिया की हर बड़ी से बड़ी कंपनी का वेबसाइट या एप्प हिन्दी में उपयोग किया जा सकता है। हिन्दी भाषा के महत्व को ना सिर्फ साधारण लोग बल्कि बड़े-बड़े टेक्नोलॉजी से जुडी कंपनियां भी समझ चुकी हैं और वह भी अपने परियोजनाओं को हिन्दी भाषा में भी विकसित  करने में लगे हुए हैं।

2. हिंदी दिवस पर भाषण (1000 Words) Hindi Diwas Long Speech in Hindi

14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया था। 1953 के बाद से इस दिन को लगातार “हिंदी दिवस” के रूप में मनाया जा रहा है।

“हिंदी दिवस” का इतिहास  History of Hindi Diwas in Hindi

1918 में महात्मा गांधी ने “हिंदी साहित्य सम्मेलन” में हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए सुझाव दिया था। इसे “जनमानस की भाषा” कहा था। 1947 में स्वतंत्रता पाने के बाद हिंदी का विकास तेजी से हुआ।

“हिंदी दिवस” के दिन होने वाले कार्यक्रम Celebration and Events on Hindi Diwas

भारत “हिंदी दिवस” का लक्ष्य aim of hindi diwas celebration.

भारतीय हिंदी दिवस का लक्ष्य इस प्रकार है-

विदेशी भाषाओं में “हिंदी” भाषा का स्थान Place and Ranking of Hindi Language in World

“हिंगलिश” भाषा की बढ़ती लोकप्रियता popularity of hindi language.

आज देश में हर बच्चा गुड मोर्निंग, सर, गुड ईवनिंग, गुड नाईट, हेलो, बाय, माँम डैड, सिटी, मीडिया, टीचर, वीडियो, मैसेज, क्लासरूम, कजन, मोबाइल,   जैसे शब्द बोल रहा है। अब हिंगलिश भाषा बहुत लोकप्रिय हो गयी है। अख़बार वाले भी हिंगलिश भाषा का खूब प्रयोग कर रहे हैं।

हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार Hindi Sahitya Academy Award

नासिरा शर्मा के “पारिजात” उपन्यास को 2016 का हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। रमेश कुंतल मेघ की साहित्यिक आलोचना “विश्व मिथक सरित सागर” को 2017 का हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।

विश्व हिंदी दिवस World Hindi Day in Hindi

हिंदी भाषा के सामने चुनौतियाँ challenges for hindi language.

आज हमे “हिंदी” भाषा पर बहुत गर्व है। देश में बहुत से साहित्यकार, पत्रकार, अनुवादक, निबंधकार हिंदी भाषा में निरंतर लिख रहे है। इसे समृद्ध बनाने की कोशिश कर रहे है, हिन्दी दिवस के रूप में इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

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हिंदी दिवस पर भाषण, निबंध, महत्व, कविता, स्लोगन | Hindi Diwas Nibandh(Essay), Speech

हिंदी दिवस महत्व, निबंध, कविता, भाषण, स्लोगन, कहानी, कब है, क्यों मनाते हैं (Hindi Diwas Nibandh (Essay) in Hindi) (Poem, Speech, Slogan, Kavita, Quotes, Date, Poster, World Hindi Day)

हिंदी दिवस कब मनाया जाता है : हिंदी, भारत देश की मातृभाषा. गर्व से स्वीकारते हैं कि हम हिंदी भाषी हैं. अनेकता में एकता का स्वर हिंदी के माध्यम से गूंजता हैं. जीवन में भाषा का सबसे अधिक महत्व होता हैं. एक भाषा ही हममे तहज़ीब का विकास करती हैं. इसी कारण सभी देशो की अपनी एक मूल भाषा होती है, जिसका सम्मान करना देशवासियों का कर्तव्य हैं. माना कि भाषा भावनाओं को व्यक्त करने का एक साधन मात्र हैं लेकिन इस साधन में वो बल हैं जो दुनियाँ को बदल सकता हैं. विभिन्नताओं के बीच एक भाषा ही है, जो एकता का आधार बनती हैं और हम सभी को इस एकता के साधन का सम्मान करना चाहिये. हिंदी हमारी मातृभाषा हैं जिसे सम्मान देना हमारा कर्तव्य हैं.

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हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Essay)

हिंदी दिवस भारत में हिंदी का विकास करने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. भारत एक ऐसा देश है, जहाँ पर बहुत अधिक संस्कृतियाँ पायी जाती हैं. इन सांस्कृतिक भिन्नता की वजह से कई तरह की भाषाएँ भी सम्मिलित होती है. चूँकि इतनी भाषाओँ के होने की वजह से यहाँ के औपचारिक कार्यों में यह तय कर पाना कठिन हो जाता है कि किस भाषा में सभी औपचारिक कार्य किये जाएँ. इस वजह से हिंदी को एक मुख्य भाषा के रूप में स्थापित करने की कोशिश की गयी. यहाँ पर हिंदी और हिंदी दिवस से सम्बंधित सभी विशेष बातों का वर्णन किया जा रहा है.

हिंदी दिवस का इतिहास (Hindi Diwas History in Hindi)

नामहिंदी दिवस
कब मनाया जाता है14 सितंबर
कब घोषित हुआसाल 1950 में
विश्व हिंदी दिवस10 जनवरी
कब घोषित किया सन 2006 में

भारत देश कई विधाओं का मिश्रण हैं. उनमे कई भाषाओँ का समावेश हैं. इन सभी भाषाओँ में हिंदी को देश की मातृभाषा का दर्जा दिया गया था. आज यह दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक हैं. इसे सम्मान देने के लिए प्रति वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस और राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता हैं. वास्तव में 14 सितम्बर 1949 के दिन आजादी के बाद हिंदी को देश की मातृभाषा का गौरव प्राप्त हुआ. उसी की याद में 1953 में निर्णय लिया गया, जिसके फलस्वरूप  प्रति वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

hindi divas sandesh nare

विश्व हिंदी दिवस कब मनाया जाता है (International Hindi Diwas Date)

14 सितम्बर को स्वदेश में हिंदी दिवस मनाया जाता हैं विश्व स्तर पर भी इस खास दिवस को मनाया जाता हैं. सर्वप्रथम 10 जनवरी 1975 को नागपुर महाराष्ट्र में विश्व हिंदी दिवस मनाया गया था. उसके बाद 2006 में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस (International Hindi Diwas) के रूप में मनाये जाने का ऐलान किया गया. खासतौर पर विदेशो में बने भारतीय दूतावास में 10 जनवरी को हिंदी दिवस बड़े शान-ओ-शोकत से मनाया जाता हैं. दुनिया में हिंदी के महत्व (Hindi Ka Mahtva) को समझाने के लिए यह दिन शुरू किया गया था.

हिंदी दिवस 14 सितंबर को क्यों मनाया जाता है

हिंदी दिवस क्यों मनाते हैं (Why Hindi Diwas is Celebrated)

भारत के संविधान में 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को देवनागरी लिपि के साथ भारतीय गणतंत्र का औपचारिक माना गया था. 26 जनवरी 1950 के दौरान भारत में संविधान पारित हुआ और हिंदी को औप्चारिक भाषा के रूप में स्थापित किया गया. इस बात का जिक्र भारतीय संविधान के आर्टिकल 343 में किया गया है. आज भी केंद्र सरकार के अधीन हिंदी और इंग्लिश दो ही औप्चारिक भाषाएँ हैं.

हिंदी दिवस मनाये जाने के कारण (Hindi Diwas Celebrate Reason)

हिंदी दिवस मनाना आज के समय में अनिवार्य हो गया है. दरअसल तात्कालिक समय में लोग केवल अंग्रेजी पर ही ध्यान देते हैं. लोगों के बीच केवल उन्हीं लोगों को पढ़ा लिखा माना जाता है जो अंग्रेजी बोल पाते हैं. कई स्थानों पर तो हिंदी बोलने से व्यक्ति के ‘स्टेटस’ पर फ़र्क पड़ने लगता है. इस कारण कई लोग हिंदी पर जरा भी ध्यान नहीं देते. यहाँ पर कुछ विशेष पहलुओं का वर्णन किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत यह पता चलता है कि तात्कालिक समय में लोगों को हिंदी के लिए जागरूक करने के लिए हिंदी दिवस मनाना क्यों आवश्यक है.

  • किसी भी भाषा के साथ उसकी संस्कृति जुडी हुयी होती है. भारत का सांस्कृतिक इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है. जो भी भारतीय इस सांस्कृतिक इतिहास की जानकारियों से अछूता रह जाता है अथवा इसे नहीं अपना पाता, वह पूर्ण रूप से भारतीय नहीं हो सकता है. अतः अपनी संस्कृति को समझने के लिए हिंदी को जानना अतिआवश्यक है.
  • देश में सभी लोगों को आज भी अंग्रेजी का ज्ञान पूर्ण रूप से नहीं हो सका है. लोग अक्सर अंग्रेजी बोलते हुए बीच बीच में हिंदी का सहारा लेने लगते हैं. अतः यदि किसी व्यक्ति को हिंदी बेहतर आती तो, तो वह किसी भी स्थान पर प्रतिष्ठित रूप से इसका प्रयोग कर सकता है. इसलिए हिंदी के महत्व को समझना बहुत आवश्यक है.
  • हिंदी में कई ऐसी रचनाएं हुईं है, जिसे पढ़ कर और जिस पर अमल करके व्यक्ति का जीवन बदल सकता है. इस तरह की रचानाओं को पढने समझने के लिए हिंदी का सीखना आवश्यक है. हिंदी दिवस के माध्यम से लोगों के बीच इन रचनाओं के प्रति जागरूकता लाने का प्रयत्न किया जाता है.
  • हिंदी की सहायता से देश की एकता और अखंडता को कायम रखा जा सकता है. अतः हिंदी दिवस को मनाते हुए देश के लोग एक साथ आगे आ पाते है, और देश में एकता का प्रसार होता है. इसलिए यह बहुत आवश्यक भाषा है.

कैसे मनाते हैं हिंदी दिवस (Hindi Diwas Celebration In India)

आमतौर पर 14 सितम्बर के दिन बच्चों को मातृभाषा का महत्व बताने के लिए स्कूल से प्रोजेक्ट दिए जाते हैं. हिंदी दिवस के उपलक्ष मे प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता हैं, जिसमे वाद विवाद, भाषण, कविता वाचन, निबंध आदि क्षेत्र आते हैं. इसके आलावा राजनीती गलियारों में हिंदी दिवस के लिए छोटे मोटे समारोह का आयोजन किया जाता हैं.

दुःख की बात तो यह हैं कि युवा वर्ग जो अपने जीवन की व्यस्तता में इतना लग्न हैं कि उसे यह दिन याद तक नहीं रहता हैं. वास्तव में हम सभी जानते हैं कि सर्वाधिक बोले जाने वाली इस भाषा को वो सम्मान प्राप्त नहीं हैं जो होना चाहिये हैं और इसका कारण हैं अपनी भाषा को तुच्छ समझना. जब तक हम स्वयं अपने देश की धरोहर हमारी मातृभाषा का सम्मान नहीं करेंगे तब तक हम इसे सम्मान दिला नहीं पायेंगे.

किसी भी तरह की भाषा को सिखना, उसे बोलना अपराध नहीं हैं पर अपनी भाषा के प्रति हिन् भावना रखना देश के प्रति गद्दारी के समान हैं. 

हिंदी का महत्व (Hindi Importance)

हिंदी का महत्व हमारे देश में बहुत अधिक है. भारत में हिंदी दरअसल एक तरह से एकता का प्रतीक है. अंग्रेजों से स्वतंत्रता की लड़ाई के समय भी लोगों को एकजुट होने में हिंदी ने अपना बहुत बड़ा योगदान दिया. इस समय पूरे भारत में हिंदी बोली जाती थी. महात्मा गाँधी ने भी हिंदी के प्रसार प्रचार पर जोर देने की बात कही थी. भारत की स्वतंत्रता के बाद इस भाषा के विकास के लिए कई विद्वानों ने कार्य किया.

राष्ट्रीय एकता में हिंदी का महत्व (Rashtriya Ekta Main Hindi Ka Mahtva)

यह पढ़कर अक्सर ही हम जो शहरो अथवा महानगरो में बैठे हैं उन्हें हँसी आती हैं. पढ़े लिखे लोग जो बड़ी-बड़ी कंपनी में जॉब कर रहे हैं उन्हें आज के समय में हिंदी का कोई भविष्य दिखाई नहीं देता. उनका मानना भी सही हैं क्यूंकि वे अपने आस-पास के दायरे में रहकर सोच रहे हैं. उन्हें एक सफल भविष्य जिसमे नौकरी, पैसा एवम एशो आराम हैं. उसके लिए हिंदी का होना जरुरी नहीं लगता. पर वही जब एक क्षितिज पर खड़े होकर एक व्यक्ति देश के भीतर झांकता हैं तो उसे लोगो के मध्य एक बहुत बड़ा मतभेद दिखाई देता हैं.और यह मतभेद इन पढ़े लिखे लोगो को ही अकेला कर रहा हैं क्यूंकि देश में आज भी हिंदी भाषी ज्यादा हैं. माना कि ये हिंदी भाषी तकनिकी ज्ञान से दूर हैं पर आज भी तकनिकी एकता से ज्यादा मानवीय एकता महत्व रखती हैं.मानवीय एकता तब ही आएगी जब सबमे समानता होगी. मतभेद कम होगा.

यह मतभेद भाषा का मतभेद हैं.  इंग्लिश आज की जरुरत हैं लेकिन क्या जरुरत के लिए नींव को छोड़ा जा सकता हैं ? अगर Hindi को इस तरह से प्रथक कर दिया जायेगा तो गाँव और शहरों में बढ़ता मतभेद और गहरा हो जायेगा जो कि देश के विकास में एक बड़ी बाधा हैं.

भाषा व्यक्ति को जोड़ती हैं व्यक्ति को जोड़ने से परिवार बनता हैं परिवारो के जुड़ने से समाज बनता हैं समाज से गाँव, गाँव से शहर, शहरों से महा नगर और महा नगरो से देश. इस प्रकार देश के विकास में इस  जुड़ाव का मजबूत होना आवश्यक हैं. खासतौर पर यह जुड़ाव भाषा के माध्यम से ही मजबूत हो सकता हैं क्यूंकि देश में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी हैं. जब तक इसका विकास नही होगा तब तक देश के विकास में बाधा पहुँचेगी. इसके लिए एक उदाहरण दे रही हूँ

आज डिजिटलाईजेशन को भारत में जोरो शोरो से लाया जा रहा हैं जिसमे सबसे पहले गाँव को टारगेट किया जा रहा हैं. इन्टरनेट को देश के हर कोने में लाने का काम हो रहा हैं लेकिन यह तब तक संभव नहीं हैं. जब तक यह काम Hindi में ना किया जाये. आप सोचे की हर एक व्यक्ति पहले इंग्लिश पढ़ना, लिखना सीखे फिर आकर इन्टरनेट पर गूगल करे तो इसमें कई सदिया बीत जायेगी. असंभव नहीं हैं पर इसमें बहुत वक्त लगेगा. हर एक छोटी ईकाई को इससे जोड़ने के लिए इसे हिंदी में लाना जरुरी हैं. तब ही पुरे देश को डिजिटलाइजेशन से जोड़ने का सपना सच हो सकेगा.

इसी प्रकार बहुत से कारण हैं जिनके लिए हम सभी को एक भाषा से जुड़ना जरुरी हैं. इन सबसे बढ़कर यह देश की मातृभाषा हैं उसे सम्मान देना और दिलाना हमारा कर्तव्य हैं.

हिंदी दिवस पर भाषण (Hindi Diwas Speech)

हिंदी दिवस के दिन देश के सभी स्कूलों एवं कॉलेज में हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है, और इस योजना में विभिन्न तरह के कार्यक्रम होते हैं. और साथ ही भाषण भी दिए हैं. ये भाषण हिंदी भाषा के महत्व को समझाने के लिए होते हैं. लोगों को ये बताने के लिए हिंदी का हमारे लिए कितना महत्व है.

हिंदी साहित्य सागर (Hindi Sahitya Sagar)

हिंदी एक बहुत ही सरल भाषा है. देवनागरी में लिखी जाने वाली यह भाषा अपने आप में काफ़ी समृद्ध है. इसके विकास के लिए कई कवियों और लेखकों ने अपनी रचानाओं से इसे समृद्ध किया. इन कवियों में मैथिलीशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा, निराला आदि बेहद प्रमुख है. तात्कालिक समय में भी कई कवि इसे अपनी रचनाओं से समृद्ध कर रहे हैं. इसके उपरान्त गद्य साहित्य में भी प्रेमचंद, निर्मल वर्मा, अज्ञेग, जैनेन्द्र जैसे रचनाकारों ने इस भाषा का विकास किया.

हिंदी दिवस स्लोगन सन्देश नारे (Hindi DiWas Slogan, Quotes)

  • एकता ही हैं देश का बल, जरुरी हैं हिंदी का संबल =====================================
  • हिंदी का विकास, देश का विकास =====================================
  • करो हिंदी का मान, तभी बढ़ेगी देश की शान =====================================
  • प्रेम का दूजा नाम हैं हिंदी. =====================================
  • ना करो हिंदी की चिंदी, हिंदी तो हैं देश की बिंदी

 ======================================

Hindi Diwas per Kavita Poem (हिंदी दिवस पर कविता)

Hindi Divas Kavita

=====================================

  • सबकी सखी हैं मेरी हिंदी जैसे माथे पर सजी हैं सुंदर बिंदी देवनागरी हैं इसकी लिपि संस्कृत हैं इसकी जननी हर साहित्य की हैं ये ज्ञाता सुंदर सरल हैं इसकी भाषा प्रेम अपनापन सौन्दर्य हैं इसका दिलाना सम्मान कर्तव्य हैं हम सबका

हिंदी दिवस शायरी (Hindi Divas Shayari)

  • हर कण में हैं हिंदी बसी मेरी माँ की इसमें बोली बसी मेरा मान हैं हिंदी मेरी शान हैं हिंदी ================================
  • हिंदी का करे सम्मान हैं यह प्रेम सौहाद्र का दूजा नाम हर देश का सम्मान हैं मातृभाषा गर्व से कहों हैं हमारी हिंदी भाषा

===================================

मातृभाषा देश की धरोहर होती हैं जिस तरह हम तिरंगे को सम्मान देते हैं वैसे ही हमारी भाषा भी सम्मानीय हैं. हम खुद जब तक इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे तब तक इसे दुसरो तक पहुँचाना मुश्किल हैं.

हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अमेरिका में जाकर मातृभाषा में भाषण दिया था. यह हमारे लिए एक गर्व की बात हैं. कई लोग कहते हैं कि उन्हें इंग्लिश नही आती इसलिए उनके पास विकल्प नहीं हैं. शायद सच भी होगा पर अगर आपने वो भाषण देखा हैं. तब श्री मोदी जी के हाव भाव को जरुर देखिएगा आपको एहसास होगा कि इंग्लिश नहीं आती यह प्रश्न का उनके दिलो दिमाग में हो ही नहीं सकता जिस सहजता से बुलंद आवाज के साथ उन्होंने अपनी बात रखी थी उसमे गर्व छिपा था. विदेशी धरती पर अपनी मातृभाषा में पुरे आत्मविश्वास के साथ वही एक मंच की शोभा बढ़ा सकता हैं जो सच्चा देशभक्त हैं.

हिंदी दिवस हिंदी दिवस को महज एक दिन ना समझे राष्ट्रीय एकता एवम देश विकास हम सबकी जरुरत हैं, जिसके लिए सभी को एक साथ आगे बढ़ना जरुरी हैं. और इस दिशा में हिंदी को वास्तविक सम्मान मिले यह अत्यंत आवश्यक हैं.

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Ans : 14 सितंबर

Ans : 10 जनवरी

Ans : सन 2006 में

Ans : हिंदी एवं अंग्रेजी

Ans : 26 जनवरी, 1950 को

अन्य पढ़े :

  • हिंदी भाषा का महत्त्व 
  • स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय एवम अनमोल वचन
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  • शिक्षक दिवस पर अनमोल वचन शायरी एवम भाषण

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हिंदी दिवस विशेष- हिंदी भाषा का महत्त्व, प्रसार और प्रासंगिकता.

  • 14 Sep, 2022 | संकर्षण शुक्ला

speech on hindi diwas ka mahatva

मानव जाति अपने सृजन से ही स्वयं को अभिव्यक्त करने के तरह-तरह के माध्यम खोजती रही है। आपसी संकेतों के सहारे एक-दूसरे को समझने की ये कोशिशें अभिव्यक्ति के सर्वोच्च शिखर पर तब पहुँच गई जब भाषा का विकास हुआ। भाषा लोगों को आपस मे जोड़ने का सबसे सरल और जरूरी माध्यम है। आज यानी 14 सितंबर को हिंदी दिवस के अवसर पर, इस आलेख में हिंदी भाषा पर चर्चा की गई है।

14 सितंबर को ही हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?

दरअसल इसी दिन संविधान सभा ने वर्ष 1949 में हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया था। आजादी के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के संबंध में तमाम बहस-मुहाबिसें हुईं। अहिंदी भाषी राज्य हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के पक्षधर नहीं थे। इनमें भी दक्षिण भारतीय राज्य जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश पश्चिम बंगाल प्रमुख थे। उनका तर्क था कि हिंदी उनकी मातृभाषा नहीं है और यदि इसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया जाएगा तो ये उनके साथ अन्याय सरीखा होगा। अहिंदी भाषी राज्यों के विरोध को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने मध्यमार्ग अपनाते हुए हिंदी को राजभाषा का दर्जा दे दिया, इसके साथ ही अंग्रेजी को भी राज्यभाषा का दर्जा दिया गया। वर्ष 1953 में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रस्ताव दिया तब से ये दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

हिंदी भाषा की विकास यात्रा

एक भाषा के रूप में अगर हिंदी भाषा की विकास यात्रा की बात करें तो यह एक लंबी और सतत प्रक्रिया है। एक भाषा के विकास में उस समाज और संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है जहाँ पर ये बोली जाती है। हिंदी भाषा के विकास में भी समाज और संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है; खासकर उत्तर भारतीय राज्यों की भूमिका। भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत रही है और इसी भाषा के विभिन्न काल खंडों में अलग-अलग स्वरूपों में हुए वियोजन से हिंदी का विकास हुआ है।

संस्कृत भाषा से पालि, पालि से प्राकृत, प्राकृत से अपभ्रंश, अपभ्रंश से अवहट्ट, अवहट्ट से पुरानी हिंदी और पुरानी हिंदी से आधुनिक हिंदी का विकास हुआ है जिसे आज हम बोलते है। हालांकि इसे लेकर मतभेद है कि अपभ्रंश से हिंदी का विकास हुआ है या पुरानी हिंदी से। मगर वर्तमान भाषाविज्ञानी इसे अपभ्रंश से ही विकसित हुआ मानते है।

अगर हिंदी भाषा के विकास के कालखंड की बात करें तो यह तीन कालों में विकसित हुई- पहला कालखंड 1100 ईस्वी - 1350 ईस्वी का माना जाता है, इसे प्राचीन हिंदी का काल कहा जाता है। दूसरा कालखंड मध्य काल (1350 ईस्वी - 1850 ईस्वी) कहा जाता है। इस काल में हिंदी भाषा की बोलियों अवधी और ब्रज में विपुल साहित्य रचा गया। तीसरा कालखंड 1850 ईस्वी से अब तक माना जाता है और इसे आधुनिक काल की संज्ञा दी जाती है। इस काल में हिंदी भाषा का स्वरूप बेहद तेजी से बदला है।

दरअसल इस काल में हिंदी जन-जन की भाषा बन गई। ये वो दौर था जब आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी और इस दौरान हिंदी का संपर्क भाषा के रूप में प्रचलन खूब बढ़ा। ये हिंदी भाषा का ही असर था कि उत्तर भारत ही नहीं दक्षिण भारत से भी आने वाले आजादी के नायकों ने इसे राष्ट्रभाषा के रूप मे स्वीकार किये जाने की पुरजोर वकालत की। हालांकि हिंदी भाषा को आज तक राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल सका है।

क्यों नहीं है हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा?

यदि राष्ट्रभाषा और राजभाषा के अंतर की बात की जाए तो इनमें दो प्रमुख अंतर हैं। एक अंतर इन्हें बोलने वालों की संख्या से है और दूसरा अंतर इनके प्रयोग का है। राष्ट्रभाषा जहाँ जनसाधारण की भाषा होती है और लोग इससे भावात्मक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े होते हैं तो वही राजभाषा का सीमित प्रयोग होता है। राजभाषा का प्रयोग अक्सर सरकारी कार्यालयों और सरकारी कार्मिकों द्वारा किया जाता है। कुछ देश जैसे ब्रिटेन की इंग्लिश, जर्मनी की जर्मन और पाकिस्तान की उर्दू; की राष्ट्रभाषा और राजभाषा एक ही है। मगर बहुभाषी देशों के साथ यह समस्या है। यहाँ राष्ट्रभाषा और राजभाषा अलग-अलग होती है।

राष्ट्रभाषा किसी देश को एक करने के लिहाज से बेहद महत्त्वपूर्ण होती है। यही कारण है कि महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में गुजरात के भरूच में हुए गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की वकालत की थी-

"भारतीय भाषाओं में केवल हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है; यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है।"

हालांकि आजादी के बाद इसे लेकर तमाम तरह के विवाद हुए और अंततः अंग्रेजी के साथ इसे राजभाषा के रूप में ही स्वीकार किया गया। शुरूआत में तो यह प्रावधान 15 वर्षों के लिए ही था और साथ ही संसद को भी ये शक्ति दी गई थी कि वो अंग्रेजी के प्रयोग को बढ़ा सकता है। वर्ष 1965 में हिंदी को एकमात्र राजभाषा बनाए जाने के समय के पूर्व ही अहिंदी भाषी राज्यों का विरोध इस कदर तीव्र हो गया कि अंततः तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को अहिंदी भाषी राज्यों को ये आश्वासन देना पड़ा कि आपकी सहमति के बिना हिंदी को एकमात्र राजभाषा नहीं बनाया जाएगा।

इसीलिए वर्ष 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया। वर्ष 1967 में इसे संशोधित किया गया। इसमें किये गए प्रावधानों से अहिंदी भाषी राज्यों की तो चिंता खत्म हो गई मगर हिंदी को राष्ट्रीय एकता का प्रमुख तत्व मानने वाले लोगों की चिंताएं बढ़ गई। सरकार ने इन चिंताओं को संबोधित करते हुए त्रिभाषा फार्मूला दिया। इसके अंतर्गत पहली भाषा मातृभाषा होगी जिसमें प्रारंभिक शिक्षा दी जाएगी। दूसरी भाषा गैर हिन्दी भाषियों के लिए हिंदी और हिंदी भाषियों के लिए आठवीं अनुसूची में शामिल कोई भी भाषा होगी। तीसरी भाषा अंतर्राष्ट्रीय भाषा यानी अंग्रेजी होगी ताकि शिक्षित भारतीय विश्व से भी आसानी से जुड़ सकें।

हालांकि विभिन्न राज्यों की सहमति के अभाव में इसे लागू नहीं किया जा सका। इसी क्रम वर्ष 1976 में राजभाषा अधिनियम लाया गया और इसके अंतर्गत राजभाषा विभाग की स्थापना की गई। यह विभाग ही हिंदी के प्रचार-प्रसार से संबंधित विभिन्न समारोहों जैसे हिंदी दिवस, हिंदी पखवाड़ा और हिंदी सप्ताह का आयोजन करता है। इसी के तत्त्वाधान में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता है।

अगर हिंदी भाषा की संवैधानिक स्थिति की बात की जाए तो यह राजभाषा के रूप में संविधान के भाग 5, भाग 6, भाग 17 में समाविष्ट है। भाग 17 में राजभाषा शीर्षक के अंतर्गत 4 अध्याय है। इसमें संघ शासन, प्रादेशिक शासन, उच्चतम और उच्च न्यायालयों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष निर्देश दिए गए हैं।

भाग 5 के अनुच्छेद 120 में बताया गया है कि संसदीय कामकाज की भाषा हिंदी और अंग्रेजी होगी। यदि किन्हीं सदस्यो को इन्हें बोलने में दिक्कतें हैं तो वो अध्यक्ष की अनुमति लेकर अपनी भाषा में बात कह सकते हैं। भाग 6 के अंतर्गत अनुच्छेद 210 में राज्य विधानमंडल के लिए भी ऐसे प्रावधान हैं।

अगर हिंदी भाषा की वैश्विक स्थिति की बात की जाए तो यह विश्व के 150 से अधिक देशों में फैले 2 करोड़ भारतीयों द्वारा बोली जाती है। इसके अलावा 40 देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में पढाई जाती है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा मंदारिन है तो दूसरा स्थान हिंदी भाषा का है। इसके अलावा भारत और फिजी की यह राजभाषा है। ब्रिटिश भारत काल के दौरान बहुत से श्रमिको को भारत से बाहर ले जाया गया था। इनमें से अधिकांश देशों में हिंदी भाषा आज एक क्षेत्रीय भाषा है; ये देश है- मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिनाद, गुयाना आदि। मॉरीशस में तो विश्व हिंदी सचिवालय की भी स्थापना की गई है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा अभी भी हिंदी को नहीं मिल सका है।

अगर हिंदी भाषा की एक भाषा के तौर पर सामयिक स्थिति का विश्लेषण किया जाए तो इसके समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो इसे 'राष्ट्रभाषा की स्वीकार्यता' का न मिलना है। इसके अलावा एक उच्च शिक्षित अभिजात्य वर्ग ऐसा भी है जो हिंदी बोलने में शर्म और हिचकिचाहट महसूस करता है। हिंदी भारत की सार्वभौमिक संवाद भाषा भी नहीं है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की 41 फीसदी आबादी की ही मातृभाषा हिंदी है। इसके अलावा लगभग 75 फीसदी भारतीयों की दूसरी भाषा हिंदी है जो इसे बोल और समझ सकते हैं।

हिंदी भाषा के सामने एक प्रमुख चुनौती यह है कि यह अब तक रोजगार की भाषा नहीं बन पाई है। आज तमाम मल्टीनेशनल कंपनियों के दैनिक कामकाज से लेकर कार्य संचालन की भाषा अंग्रेजी है। इसके अलावा तमाम क्षेत्रीय राजनीतिक और सामाजिक संगठन भी अपने निहित स्वार्थों के लिए हिंदी का विरोध करते हैं। अभी भी भारत में उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा का माध्यम ज्यादातर अंग्रेजी ही रहता है। हिंदी भाषा की हालत आज ऐसी है कि इसके संबंध में जागरूकता सृजन के लिए विभिन्न सेमिनारों, समारोहों और कार्यक्रमों का सहारा लेना पड़ता है।

हालांकि इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल ने हिंदी भाषा के भविष्य के संबंध में भी नई राहें दिखाई है। गूगल के अनुसार भारत में अंग्रेजी भाषा में जहाँ विषयवस्तु निर्माण की रफ्तार 19 फीसदी है तो हिंदी के लिए ये आंकड़ा 94 फीसदी है। इसलिए हिंदी को नई सूचना-प्रौद्योगिकी की जरूरतों के मुताबिक ढाला जाए तो ये इस भाषा के विकास में बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के स्तर पर तो प्रयास किए ही जाने चाहिए, निजी स्तर पर भी लोगों को इसे खूब प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त हिंदी भाषियों को भी गैर हिंदी भाषियों को खुले दिल से स्वीकार करना होगा। उनकी भाषा-संस्कृति को समझना होगा तभी वो हिंदी को खुले मन से स्वीकार करने को तैयार होंगे।

संकर्षण शुक्ला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से हैं। इन्होने स्नातक की पढ़ाई अपने गृह जनपद से ही की है। इसके बाद बीबीएयू लखनऊ से जनसंचार एवं पत्रकारिता में परास्नातक किया है। आजकल वे सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के साथ ही विभिन्न वेबसाइटों के लिए ब्लॉग और पत्र-पत्रिकाओं में किताब की समीक्षा लिखते हैं।

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Hindi Diwas Speech 2023 हिंदी दिवस पर भाषण की तैयारी यहां से करें

Hindi diwas speech 2023 भारत में हिंदी दिवस 14 सितंबर को हर साल मनाया जाता है। दुनिया में हिंदी भाषा चौथी सबसे अधिक बोली जाने भाषा है।.

Hindi Diwas Speech In Hindi 2023 Hindi Diwas Par Bhashan Nibandh भारत में हिंदी दिवस 14 सितंबर को हर साल मनाया जाता है। दुनिया में हिंदी भाषा चौथी सबसे अधिक बोली जाने भाषा है। भारत में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा हिंदी भाषा बोली, लिखी व पढ़ी जाती है। 14 सितंबर 1953 को पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया, इस वर्ष हम 70वां हिंदी दिवस मना रहे हैं। हिंदी राष्ट्र होने की वजह से भारत को हिन्दुस्तान कहा जाता है। हिंदी दिवस पर लोग एक दूसरे को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं। हिंदी दिवस पर भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, स्कूल कॉलेज में भी हिंदी दिवस पर भाषण और हिंदी दिवस पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। ऐसे में अगर आपको भी हिंदी दिवस पर भाषण (Speech On Hindi Diwas 2023) या हिंदी दिवस पर निबंध (Essay On Hindi Diwas) लिखना है, तो हम आपके लिए सबसे बेस्ट हिंदी दिवस पर लेख लेकर आए हैं। हिंदी दिवस पर भाषण का ड्राफ्ट देखकर आप आसानी से हिंदी दिवस पर भाषण लिख सकते हैं। आइये जानते हैं हिंदी दिवस पर भाषण (How To Write Hindi Diwas Speech), हिंदी दिवस पर निबंध (How To Write Hindi Diwas Essay) और हिंदी दिवस पर लेख (How To Write Hindi Diwas Article) कैसे लिखें...

हिंदी दिवस पर भाषण 2023 (Speech On Hindi Diwas 2023)

हिंदी दिवस पर भाषण का ड्राफ्ट | Speech On Hindi Diwas 2023 यहां मौजूद सभी सम्माननीय माननीय अतिथिगण को मेरा प्रणाम, मैं लविश सांवरिया, हिंदी दिवस पर मुझे यह अवसर देकर मैं धन्य हो गया

साथियों जैसे की हम जानते हैं, हम सब यहां हिंदी दिवस के उपलक्ष में यहां उपस्तिथ हुए हैं, हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन के बाद हिंदी दुनिया में चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दिवस पर हर साल भारत के राष्ट्रपति दिल्ली में एक समारोह में हिंदी भाषा में अतुलनीय योगदान के लिए लोगों को राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित करते हैं।

हिंदी एक इंडो-आर्यन भाषा है, जिसे देवनागरी लिपि में भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में लिखा गया है। हिंदी दिवस आधिकारिक भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए समर्पित है। भारत में हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है, जिसे सबसे अधिक बोला, लिखा व पढ़ा जाता है।

हिंदी दिवस का इतिहास की बात करें तो 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी को नवगठित राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया। फिर निर्णय को स्वीकार कर लिया गया और यह 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान का हिस्सा बन गया। 1953 में पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया। लोग जैसे राजेंद्र सिंह, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त, और सेठ गोविंद दास गोविंद ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा बनाए जाने के पक्ष में कड़ी पैरवी की।

बहुत लोगों पता नहीं होता कि हिंदी दिवस कैसे मनाया जाता है? तो मैं आपको बता दूं इस दिन भारत में स्कूल और कॉलेज हिंदी में साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया। अधिकांश शिक्षण संस्थान की संगठित कविता, निबंध, और प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और छात्रों को भाग लेने और भाषा का जश्न मनाने और इस पर गर्व करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

हिंदी भाषा के बारे में मैं आपको बताना चाहूंगा कि हिंदी भाषाओं के इंडो-यूरोपीय परिवार की इंडो-आर्यन शाखा से संबंधित है। अंग्रेजी के साथ हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा है। अनुच्छेद 343 के अनुसार, संघ की आधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में हिंदी होगी। हिंदी वह भाषा थी जिसे स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान भारतीय नेताओं ने राष्ट्रीय पहचान के प्रतीक के रूप में अपनाया था। बारहवीं शताब्दी के बाद से हिंदी को साहित्यिक भाषा के रूप में उपयोग किया जाता है।

अंत में सभी का धन्यवाद करें जय हिंद, जय भारत, भारत माता की जय....

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हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Hindi Diwas Speech In Hindi

हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Hindi Diwas Speech In Hindi

27 सितम्बर 2014 को जब नरेन्द्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र की महासभा को हिन्दी में संबोधित किया तो राष्ट्र का हिन्दी प्रदेश खुशी से झूम उठा था। हालांकि उनके पहले 1977 में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी भी एक बार वहां अपना भाषण हिन्दी में दे चुके थे। लेकिन तब वे सिर्फ विदेश मंत्री थे। 27 सितम्बर के संबोधन के संबंध में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बताया था कि बतौर मंत्री एक बार उन्होंने भी वहां हिन्दी में संबोधन किया था। प्रधानमंत्री सहित पार्टी के इन वरिष्ठ नेताओं के हिन्दी प्रेम और पार्टी के अतीत ने लोगों के बीच एक नई आशा जगाई। लोगों को लगा कि यह है एक हिन्दीवादी सरकार जो राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी की पैठ मजबूत करेगी। वे संयुक्त राष्ट्र के उस संबोधन को ले कर बेहद उत्साहित थे। उनके लिए ऐतिहासिक क्षण था‚ जब हमारे प्रधानमंत्री ने पूरी दुनिया को संदेश दिया था कि देखो‚ यह है हमारी मातृ भाषा। यह है पचास करोड़ लोगों द्वारा बोली और समझी जाने वाली जुबान। और अपनी बात हम अपनी इसी जुबान में बोलेंगे। दुनिया वालो‚ अगर तुम्हें इतनी बड़ी आबादी से अपना संवाद स्थापित करना है‚ तो तुम्हें इसे सुनना होगा। हिन्दी प्रेमियों ने माना कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस भाषा का मान-सम्मान बढ़ा। और अब देश के सरकारी कामकाज में भी हिन्दी का प्रसार होगा। प्रधानमंत्री भी रु के नहीं। अगले ही हफ्ते 3 अक्टूबर से रेडियो पर उनका मशहूर कार्यक्रम 'मन की बात' शुरू हुआ जिसमें वे देशवासियों को नियमित संबोधित करते हैं। उनका यह संबोधन भी हिन्दी में ही होता है। प्रधानमंत्री के इन निजी प्रयासों के अलावा‚ हिन्दी को राजभाषा के रूप में और प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ी पहल की। पूरे देश को क‚ ख और ग तीन श्रेणियों में बांटा गया। क श्रेणी में वे दस राज्य रखे गए‚ जो मुख्य रूप से हिन्दीभाषी हैं- बिहार‚ छत्तीसगढ़‚ हरियाणा‚ हिमाचल प्रदेश‚ झारखंड‚ मध्य प्रदेश‚ मणिपुर‚ राजस्थान‚ उत्तराखंड तथा केंद्रशासित राज्य दिल्ली और अंडमान निकोबार। ख श्रेणी में वे राज्य रखे गए‚ जहां हिन्दी चलती है‚ लेकिन उनकी अपनी भी एक मजबूत भाषा है। इनमें महाराष्ट्र‚ गुजरात और पंजाब शामिल किए गए। उत्तर पूर्व तथा दक्षिण के जिन प्रदेशों को हिन्दी में सरकारी काम करने में ज्यादा मुश्किल होती है‚ उन्हें ग श्रेणी में रखा गया।

राजभाषा समिति के निर्देश राजभाषा समिति ने केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों को निर्देश जारी किया कि उनके या उनसे संबद्ध सभी केंद्रीय कार्यालयों से जारी होने वाली चिट्ठियां क और ख वर्ग के राज्यों के लिए शत प्रतिशत तथा ग वर्ग के राज्यों के लिए 65 प्रतिशत हिन्दी में होनी चाहिए। इसी तरह फाइलों पर की जाने वाली 75 प्रतिशत टिप्पणियां हिन्दी में होनी चाहिए। नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (निक) ने उन्हें बताया कि किस तरह कंप्यूटर पर हिन्दी में बोल कर वॉयस टाइपिंग संभव है। दो साल बाद 2016 में जब इन निर्देशों के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई‚ तो बहुत ही निराशाजनक तथ्य सामने आया। रक्षा‚ विदेश‚ वाणिज्य एवं व्यापार‚ न्याय और बैंकिंग जैसे मंत्रालयों और विभागों की बात तो छोड़ ही दीजिए‚ पंचायती राज जैसे मंत्रालय से ग श्रेणी के राज्यों को कुल 1 प्रतिशत चिट्ठियां भी हिन्दी में नहीं भेजी गई थीं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से सिर्फ 12 प्रतिशत और स्वास्थ्य मंत्रालय से सिर्फ 19 प्रतिशत चिट्ठियां हिन्दी में जारी की गई थीं। ये वो मंत्रालय हैं‚ जिनका काम जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ा हुआ है। जिस विभाग को राजभाषा के उन निर्देशों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी दी गई थी‚ उस विभाग के प्रमुख दो साल में पांच बार बदले गए। हर सचिव अपनी प्राथमिकता के साथ आया और अपनी प्राथमिकता के साथ विदा हो गया। निगरानी भी ठीक तरह से नहीं हो सकी।

अब आप 2019-20 के लिए राजभाषा क्रियान्वयन का वार्षिक कार्यक्रम देखिए। इसके अनुसार सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की वेबसाइट्स द्विभाषी होनी चाहिए। सभी कोड‚ मैनुअल‚ फार्म और रिपोर्ट शत प्रतिशत हिन्दी में उपलब्ध होनी चाहिए। क श्रेणी के राज्यों के बीच शत प्रतिशत पत्राचार हिन्दी में होने चाहिए। यहां तक कि ग श्रेणी के राज्यों की कम से कम 30 प्रतिशत‚ ख श्रेणी की 50 प्रतिशत और क श्रेणी की 75 प्रतिशत फाइल टिप्पणियां भी हिन्दी में होनी चाहिए। लेकिन व्यावहारिक स्तर पर इनकी जांच करें तो‚ पहले से आज की स्थिति में कोई ज्यादा बदलाव नजर नहीं आता। यदि आपको किसी मंत्रालय या विभाग की वेबसाइट हिन्दी में मिले‚ तो वहां राजभाषा के क्रियान्वयन के हासिल हुए लक्ष्य वाला भाग देखिए। वहां यह जानकारी मिलेगी कि इस साल इस संबंध में कितनी बैठकें हुईं‚ कितनी कार्यशालाएं आयोजित की गई‚ कितने प्रोत्साहन पुरस्कार दिए गए और कितने द्विभाषी कंप्यूटर खरीदे गए। लेकिन यह जानकारी नहीं मिलेगी कि कितना पत्राचार हिन्दी में हुआ‚ कितने सर्कुलर और रिपोर्ट मूल रूप से हिन्दी में लिखी गई और कितनी फाइलों पर टिप्पणियां राजभाषा के निर्देशों के अनुसार की गई। इसका जवाब तो दैनिक जीवन के अनुभवों से ही मिलेगा।

लोकतंत्र में सरकार का मतलब लोकतंत्र में सरकार का मतलब सिर्फ चुनी हुई पार्टी के नेताओं से बना मंत्रिमंडल ही नहीं होता। उसमें सरकारी साहिबों-मुसाहिबों से बनी अफसरशाही भी होती है‚ जिसे चुनाव का कोई भय नहीं होता। इसलिए चुनी हुई सरकार की काबिलियत की पहचान सिर्फ इससे नहीं होती कि वह कितनी अच्छी या लोकप्रिय नीतियां बनाती है। उसकी उपलब्धियों की जांच इस बात से होती है कि इस शासकीय तंत्र से अपनी नीतियों पर किस तरह अमल करवाती है‚ कितना लक्ष्य हासिल करती है। मौजूदा सरकार भी वह लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई है‚ जिसका सपना लोगों ने 2014 में देखा था॥। राजभाषा के रूप में हिन्दी के प्रयोग के प्रभावी रूप से नहीं लागू होने के लिए हमेशा दक्षिणी राज्यों के विरोध को कारण के रूप में पेश किया जाता है। यह राजनीतिक स्टंट है। पिछले साल केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति का मसविदा ले कर आई। उसमें हिन्दी को अनिवार्य भाषा बनाया गया था। दक्षिण के राज्यों ने इसका विरोध किया। सरकार ने हिन्दी की अनिवार्यता का वह प्रावधान हटा दिया लेकिन इससे सरकारी कामकाज राजभाषा में करने की नीति किस हद तक बाधित होती हैॽ दक्षिण के वे राज्य पहले से ही ग श्रेणी में हैं। उन्हें तो यों भी सिर्फ 30 प्रतिशत फाइल टिप्पण हिन्दी में करने का लक्ष्यपाना है। लेकिन क श्रेणी के जिन हिन्दीभाषी राज्यों के साथ 100 प्रतिशत पत्र व्यवहार और 75 प्रतिशत फाइल टिप्पण हिन्दी में होना है‚ वहां यह लक्ष्य क्यों नहीं हासिल हो रहा हैॽ इसलिए दक्षिणी राज्यों के विरोध की चर्चा तो सिर्फ इधर के राज्यों में मिली असफलता को छुपाने का बहाना जैसा ही है। असली वजह इच्छाशक्ति की कमी है। हिन्दीवादी सरकार ने हिन्दी को सरकारी कामकाज की भाषा बनाने का वह संकल्प और प्रतिबद्धता नहीं दिखाई जिससे वह वांछित लक्ष्य हासिल कर पाती और इसका वह हिन्दी प्रेम लोकतंत्र की राजनीति में सिर्फ हिन्दी पट्टी तक पहुंचने वाली पुलिया बन कर रह गया।

हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Hindi Diwas Speech In Hindi

राज्यों की नीतियों और उनके क्रियान्वयन में विसंगति होना कोई अचरज की बात नहीं। दुनिया भर की व्यवस्थाओं में इस बीमारी को पचाकर शक्तिशाली हो जाने का हुनर है। इतना ही नहीं व्यवस्थाएं तो इतनी लचीली होती हैं कि उनकी ही दो नीतियों में से एक उत्तर की ओर जाती है‚ तो दूसरे का संधान दक्षिण दिशा की ओर होता है। भारतीय संदर्भ में देखें तो राज्य की भाषायी नीति इसका शास्त्रीय उदाहरण है।आजादी के बाद से ही राज्य ने इस बात का नैतिक आवरण ओढ़ा कि वो भारतीय भाषाओं के जीवित बचे रहने की व्यवस्था करेगा लेकिन प्राणवायु का मुंह दूसरी ओर मोड़ दिया। तब से भारतीय भाषाएं इधर-उधर से कुछ ऑक्सीजन लेकर हांफती-उपसती अपना अस्तित्व बचाने में लगी हैं। हां‚ इतना जरूर है कि कुछ सरकारों में वाचिक स्तर पर यह भाषायी नीति पहले से थोड़ी उदार हो जाती है‚ तो कुछ में इतनी भी राहत की आवश्यकता नहीं समझी जाती।

वर्तमान में देखें तो भारत सरकार ने नये भारत की कल्पना करते हुए जिस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पेश किया है‚ उसमें भाषायी विविधता को अपनाने पर जोर दिया गया है‚ लेकिन ठीक इसी समय देश चलाने वाले प्रशासकों में यह भाषायी विविधता लगभग शून्य है। हमारे लगभग सभी प्रशासक गैर-भारतीय भाषाओं से चुन लिए गए हैं‚ और यही रीति भी रही है। यह ऐसा गंभीर विरोधाभास है‚ जिसे समय रहते ठीक नहीं किया गया तो फिर इसका दुष्परिणाम झेलना काफी भयावह होगा। एक बार फिर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ओर लौटते हैं। यह दस्तावेज इस बात को लेकर आश्वस्त है कि मातृ भाषा में शिक्षा 'बेहतर शिक्षण' के लिए अनिवार्य है‚ इसलिए इस नीति को अधिक से अधिक बढ़ावा देना चाहिए। यह बात ठीक है और दुनियाभर के विद्वानों की इस बात पर सहमति रही है कि अपनी भाषा में पढ़ना और नये समय को गढ़ना एक सहज प्रक्रिया है।

भाषा और जीवित समाज दरअसल‚ भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम भर नहीं होती‚ बल्कि उसमें एक जीवित समाज सांस ले रहा होता है। एक समाज की बेहतर समझ उस समाज की भाषा ही दे सकती है‚ अन्य कोई भी भाषा‚ चाहे वो कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो‚ उस समाज का अधूरा सच ही बता सकती है। यहीं से विरोधाभास का दूसरा सिरा खुलता है। राज्य की जिस इकाई पर समाज को समझ कर नीति बनाने और उसे लागू कराने की जिम्मेदारी होती है‚ वो भाषा के इस बुनियादी उपयोग से ही दूर है अर्थात भारत के सिविल सेवक‚ जिन पर नीति निर्माण और उसके क्रियान्वयन की बड़ी जिम्मेदारी है‚ में भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व नाममात्र है। क्या ऐसी प्रशासनिक संरचना के समाजोन्मुख होने की कल्पना की जा सकती हैॽ और वो ऐसा होने का दावा भी करे को क्या ऐसा करने में सक्षम हैॽ इसका उत्तर 'ना' में देने पर शायद ही किसी को आश्चर्य हो!

दिलचस्प है कि सिविल सेवा में जिस नीति के कारण भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व लगातार कम होता चला गया‚ उसे इस व्यवस्था के हितचिंतकों ने 'योग्यतम के चयन' का नाम दिया अर्थात चूंकि भारत को 'श्रेष्ठ' प्रशासक चाहिए इसलिए चयन प्रणाली ऐसी हो जिसमें योग्यतम लोग ही चुने जाएं। अब योग्यता के दबी जा रही इस व्यवस्था से कौन पूछे कि आखिर‚ यह विशिष्ट खोज उसने की कहां से जो सिर्फ अंग्रेजी में ही प्रतिभा खोज पा रही है और भारतीय भाषाओं को नकारों के समूह मात्र के रूप में देख रहीॽ जब तमाम विद्वान और स्वयं सरकार का शिक्षा दस्तावेज मातृभाषा में आगे बढ़ने का ख्वाब देख रहे हैं‚ तब प्रशासकों की यह भर्ती प्रणाली उल्टी दिशा में क्यों चल रही हैॽ

योग्यता का पैमाना दूसरी बात यह कि योग्यता कोई ऐसी विशिष्टता नहीं है‚ जो किसी खास भाषा में ही निवास करती है। हां‚ अगर किसी खास भाषा की जानकारी को ही योग्यता का पैमाना बना लिया जाए तब जरूर यह विशिष्ट नजर आने लगती है। सिविल सेवा के मामले में ऐसा ही हुआ है। यहां अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को ही योग्यता का अंतिम निर्धारक मान लिया गया है। इसलिए कहने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि योग्यता का यह दावा न केवल गलत‚ बल्कि अश्लील भी है। खासकर भाषायी विविधता वाले समाज से जुड़कर कार्य करने वाले अधिकारियों के लिए योग्यता का यह निर्धारक अश्लील ही है।

हमें यह बात समझनी होगी कि वही शासन व्यवस्था सबसे बेहतर कही जाएगी जिसमें पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व हो। खासकर एक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को इसका पालन जरूर करना चाहिए। इसका अभाव लोकतंत्र को कुलीनतंत्र में तब्दील कर देगा। वस्तुतः शासन व्यवस्था में लोक का भरोसा ही उसके बने रहने की गारंटी होता है किंतु निरंतर जानबूझकर एक बड़े वर्ग को नीचा दिखाया जाए और शासन में भागीदारी से वंचित किया जाए तो यह भरोसा कम होने लगता है। यह खतरनाक स्थिति है और इसे यथाशीघ्र बदल देना चाहिए। कई बार पुरानी व्यवस्था में लौटना संभव नहीं होता लेकिन गलत व्यवस्था को समाप्त कर नई न्यायपूर्ण व्यवस्था का निर्माण करना हमेशा हमारे हाथ में होता है। हम जितनी जल्दी शासन व्यवस्था में भारतीय भाषाओं का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेंगे हमारा लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा। लोहिया के हवाले से यह कि किसी भाषा का विरोध करना बुरा है पर उसके आधिपत्य को चुनौती देना कहीं से गलत नहीं है।

अंत में फिर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दर्शन पर लौटते हैं और सरकार के समक्ष विचार के लिए यह प्रश्न छोड़ देते हैं कि क्या भारतीय भाषाओं को दोयम मानने वाली प्रशासनिक व्यवस्था मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देगीॽ और अगर नहीं देगी तो फिर शिक्षा नीति किस प्रकार लागू होगीॽ भाषा को लेकर इस सरकार से एक उम्मीद बंधती है। शायद इस उम्मीद को सांस भी मिल जाए!

हिंदी दिवस पर लंबा भाषण |  हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Long Hindi Diwas Speech | Hindi Diwas Speech In Hindi

हिंदी दिवस पर लंबा भाषण | हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Long Hindi Diwas Speech | Hindi Diwas Speech In Hindi

हिंदी दिवस भाषण का यह रूप तब उपयोगी होता है जब वक्ता भीड़ को संबोधित कर रहा हो और इस दिन के इतिहास और महत्व को विस्तार से जान सकता है।

सुप्रभात और इस महत्वपूर्ण दिन के उत्सव के लिए यहां एकत्र हुए सभी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत है। यह 14 सितंबर 1949 को था, जब बोहर राजेंद्र सिंह, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास जैसे कई साहित्यिक इतिहासकारों के प्रयास सफल हुए। इस दिन, हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था। 14 सितंबर 1949 को महान साहित्यकार बेहर राजेंद्र सिंह का 50वां जन्मदिवस भी था जिनका योगदान उल्लेखनीय है। इस संशोधन को आधिकारिक तौर पर भारत के संविधान द्वारा अगले वर्ष के गणतंत्र दिवस, यानी 26 जनवरी 1950 को प्रलेखित किया गया था।

हिंदी में, "दिवस" ​​का अर्थ है दिन। इसलिए इस दिन को ऐसे कई इतिहासकारों के सम्मान और सम्मान के लिए हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने ऐसे उल्लेखनीय परिवर्तन किए हैं जिन्होंने इतिहास के पाठ्यक्रम को बदल दिया है।

इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में भी मनाया जाता है और इस राष्ट्रीय भाषा दिवस- हिंदी दिवस दिवस को मनाने की भावना से सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं।

संसदीय कार्यालय भी जश्न मनाने से पीछे नहीं हटते हैं। देश के राष्ट्रपति उन व्यक्तियों को प्रशंसा पुरस्कार प्रदान करते हैं जिन्होंने हिंदी के क्षेत्र में अत्यधिक योगदान दिया है और हमारे देश को गौरवान्वित किया है। इस कार्यक्रम को देखना सभी देशवासियों के लिए गर्व का क्षण है।

इसलिए यह दिन स्कूल और कॉलेज दोनों के छात्रों द्वारा समान उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इस दिन के महत्व को ध्यान में रखते हुए समारोह आयोजित किए जाते हैं। स्वागत भाषण हिन्दी में दिए जाते हैं। विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इंटर-हाउस और इंटर-स्कूल दोनों कार्यक्रम होते हैं। समारोह में कई छात्र बहुत उत्साह से भाग लेते हैं। विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिंदी में कविता पाठ, निबंध लेखन, भाषण और भाषण और गायन प्रतियोगिताएं सभी हिंदी में शामिल हैं। आइए अपनी विविधता पर गर्व करें और एक दूसरे को मनाकर अपने मतभेदों का जश्न मनाएं। धन्यवाद ।

हिंदी दिवस पर छोटा भाषण |  हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Short Hindi Diwas Speech | Hindi Diwas Speech In Hindi

हिंदी दिवस पर छोटा भाषण | हिंदी दिवस स्पीच | हिंदी दिवस पर भाषण | Short Hindi Diwas Speech | Hindi Diwas Speech In Hindi

लघु हिंदी दिवस भाषण हिंदी दिवस में भाषण का यह रूप स्पीकर के लिए उपयोगी है कि दर्शकों को समझने के लिए स्पष्ट भाषा का उपयोग करके इसे छोटा और सरल रखा जा सके।

सुप्रभात और यहां एकत्रित सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है। मैं एबीसी (अपने नाम का उल्लेख करें) इस ऐतिहासिक दिन के महत्व के बारे में बोलने का अवसर पाकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। 14 सितंबर 1949 को महान साहित्यकार बेहर राजेंद्र सिंह का 50वां जन्मदिन है। उनके प्रयासों और कई अन्य लोगों के परिणामस्वरूप हिंदी को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया। भारत के संविधान द्वारा आधिकारिक दस्तावेज 26 जनवरी 1950 को किया गया था।

हिंदी भारत के उत्तरी क्षेत्रों में बोली जाने वाली सबसे प्रमुख भाषाओं में से एक है और कई लोग इस ऐतिहासिक दिन पर अपनी मातृभाषा मनाते हैं। यह देश के सभी लोगों के बीच मनाया जाता है क्योंकि इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। हमारे देश के राष्ट्रपति उन नागरिकों को भी पुरस्कार देते हैं जिन्होंने हिंदी भाषा में योगदान दिया है।

हमारे पूर्वजों के प्रयास काबिले तारीफ है और यह दिन उसी की याद में और उनके योगदान का जश्न मना रहा है। देश भर के स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं और बच्चे भी इन आयोजनों में उत्साह से भाग लेते हैं।

हम 22 आधिकारिक भाषाओं वाले देश में रहते हैं और सभी देश के विभिन्न राज्यों में बोली जाती हैं। हम सभी धर्मों के सभी त्योहार मनाते हैं। विविधता का यह मिश्रण अद्वितीय है और दुनिया में कहीं नहीं देखा जाता है। हिंदी दिवस या हिंदी दिवस उन सभी त्योहारों की तरह एक उत्सव है, जो हमारे इतिहास का सम्मान करते हैं। ऐसे दिनों में यह एकता अधिक प्रमुख होती है। आइए अपने देश और अपने देशवासियों के मूल्यों और विश्वासों पर गर्व करें। शुक्रिया।

हिंदी दिवस पर 10 लाइन का भाषण (10 Lines On Hindi Diwas Speech) भाषण का यह रूप दर्शकों को विषय के बारे में सरल प्रारूप में बताने के लिए उपयोगी है।

हिंदी दिवस को हिंदी दिवस भी कहा जाता है क्योंकि "दिवस" ​​शब्द का अर्थ दिन होता है।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है और इसे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है।

यह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण अवसर है। 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था।

हिंदी देश भर में और विशेष रूप से भारत के उत्तर में बोली जाने वाली सबसे आम भाषाओं में से एक है।

एक ऐसी भाषा को अपनाना जो इतनी व्यापक रूप से एक आधिकारिक भाषा के रूप में बोली जाती है, हमारे इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यही कारण है कि लोग इसे बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं।

हिंदी भाषा में अविश्वसनीय योगदान देने वाले नागरिकों के योगदान को राष्ट्रपति राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार देते हैं।

हर कोई, चाहे वह बच्चे हो या वयस्क, इस दिन को याद करें और हमारे पूर्वजों के प्रयासों और योगदानों को याद करें।

स्कूल और कॉलेज भी समारोह आयोजित करते हैं और अंतर-विद्यालय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

गायन, वाक्, भाषण, निबंध लेखन और कविता पाठ जैसी सभी प्रतियोगिताएं हिंदी में होती हैं।

हिन्दी एक सुंदर भाषा है। इस दिन, लोग इसे आज की आधुनिक भाषाओं में से एक बनाने के इतिहास को याद करते हैं और हमारे देश की संस्कृति पर गर्व करते हैं।

Hindi Diwas 2023 : अपने परिजनों को भेजें हिंदी दिवस संदेश

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हिंदी दिवस पर भाषण (Speech On Hindi Diwas In Hindi): हिंदी मात्र एक भाषा ही नहीं है बल्कि हिंदी हिंदुस्तान की पहचान भी है। ये सच है कि हिंदी भाषा अभी भी अन्य दूसरी भाषाओं से बहुत पीछे है लेकिन इसके बावजूद हिंदी भाषा ने पूरी दुनिया में हिंदुस्तान को एक अलग पहचान दिलाई है। आज विदेशी नागरिक भी हिंदी सीखना, पढ़ना, लिखना और बोलना पसंद करते हैं। भारत ही नहीं बल्कि भारत के बाहर के लोगों में भी हिंदी के प्रति एक नई रुचि जागृत हुई है। ये तो हम सभी जानते हैं कि हर साल 14 सितंबर (14 September) को हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है।

भाषण की शुरुआत में क्या बोलें?

आदरणीय प्रधानाध्यापक जी को, सभी अध्यापकों को, आज के हमारे मुख्य अतिथियों को, निर्णायक मंडल को, आयोजकों को और मेरे सभी मित्रों को मेरा प्रणाम। सबसे पहले मैं आप सभी का आभार प्रकट करना चाहता हूं कि आपने मुझे आज इस मंच पर बोलने और अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर दिया। मेरा नाम ______ है और मैं कक्षा _____ का छात्र हूं। हिंदी मेरा प्रिय विषय है और आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं अपने कुछ विचार आपके सामने रखूंगा और कोशिश करूंगा कि आपका ज़्यादा समय न लेते हुए अपनी बात को स्पष्ट रूप से कह सकूं। मैं आप सभी से भी उम्मीद करता हूं कि मुझे सुनने में आप भी मेरा पूरा साथ देंगे।

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भाषण में क्या बोलें?

आज का दिन हम सभी भारतीयों और हिन्दी प्रेमियों के लिए बेहद की खास है क्योंकि आज पूरे भारत और पूरी दुनिया में हिन्दी दिवस मनाया जा रहा है। हिन्दी दिवस मनाने की शुरुआत इस उद्देश्य के साथ की गई थी कि संसार में हिन्दी भाषा को बढ़ावा मिल सके। आज पूरे विश्व में छः हजार से भी ज़्यादा भाषाएं हैं और न जाने कितनी बोलियां हैं, जो हमारे देश में बोली जाती हैं। उन सभी अनगिनत भाषाओं और बोलियों में से एक भाषा हिन्दी भी है। हिन्दी हिन्दुस्तान की नहीं बल्कि पूरे संसार की दूसरी बड़ी भाषा है। हिंदी भाषा का उपयोग आज सर्वाधिक आबादी द्वारा किया जा रहा है। अन्य दूसरी भाषाओं के मुकाबले में हिंदी सबसे सरल भाषा है जिसे कोई भी आसानी से पढ़ सकता है, समझ सकता है, सीख सकता है, बोल सकता है और लिख सकता है।

भारत में ज़्यादातर लोग हिंदी भाषा ही बोलते हैं। 14 सितम्बर सन् 1949 को हिन्दी भाषा को हमारे देश की ‘राजभाषा’ का दर्जा मिला था। हिन्दी भाषा को हिन्दुस्तान की जननी भी कहते हैं। आज देश के कोने-कोने में हिन्दी भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। आम बोलचाल के साथ-साथ छोटे-बड़े कामों में, कार्यक्रमों में, भाषणों में, समाचार पत्रों में, सरकारी कामकाज में, शिक्षा में, मनोरंजन आदि कई क्षेत्रों में हिन्दी भाषा को अधिक महत्व दिया जा रहा है। हिन्दी भाषा की वजह से ही आज हमारा देश एकता के सूत्र में बंधा हुआ है। आज देश का हर नागरिक फिर चाहे वह किसी भी धर्म, समुदाय या जाति का हो, हिंदी भाषा का उपयोग पूरे सम्मान के साथ कर रहा है।

हमारे देश की एकता में हिन्दी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। हमें समाज के लोगों से बातचीत करने के लिए और संचार करने के लिए किसी एक विशेष भाषा या बोली की ज़रूरत होती है। हम सभी के जीवन में भाषा बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। हम जिस किसी भी भाषा या बोली में बातचीत करते हैं, हमें उस भाषा का ज्ञान होना भी बहुत ज़रूरी है। भाषा के माध्यम से ही समाज में एक-दूसरे से विचारों का आदान-प्रदान करना संभव हो पाया है। अगर आज हम अपने विचारों को आपस में साझा करने के लिए हिंदी भाषा का ज़्यादा से ज़्यादा प्रयोग करें, तो हमारा समाज और भी मजबूती के साथ एकता के सूत्र में बंध सकता है।

आज हम देख रहे हैं कि हमारे देश के स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में भी हिन्दी का प्रयोग किया जा रहा है। स्कूल का सिलेबस हो या प्रश्न पत्र, अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी को भी वरीयता दी जा रही है। धीरे-धीरे सभी पाठ्यक्रमों में हिन्दी को अनिवार्य किया जा रहा है। इतना ही नहीं, अब तो सभी संस्थानों, कार्यालयों, सरकारी आफिसों आदि सभी जगहों पर हिन्दी भाषा के प्रयोग पर ज़ोर दिया जा रहा है। इसके अलावा हिंदी समाचार पत्र, हिंदी पत्रिकाएं, हिंदी न्यूज़ चैनल भी हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। हिंदी फिल्म जगत के क्षेत्र में भी हिंदी का वर्चस्व बढ़ा हुआ नज़र आ रहा है। हिन्दी भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी कामयाबी की तरफ अपने कदम बढ़ा रही है।

हमें इस बात पर भी गौर करना होगा कि हमारे देश के विकास के लिए एक राष्ट्र एक भाषा यानी कि एक राष्ट्रभाषा का होना बहुत ज़रूरी है। भारत के विकास में आज़ादी से पहले, आज़ादी के दौरान और आज़ादी के बाद हिन्दी भाषा का योगदान सर्वोच्च रहा है। हिन्दी से ही हमारे समाज और हमारे देश का निर्माण हुआ है। हिन्दी हमारे देश की राष्ट्रभाषा न सही लेकिन राजभाषा ज़रूर है, जिसपर हमें हमेशा गर्व होना चाहिए। हिन्दी हमारे देश का गौरव है और हम सभी देशवासियों को इसे बरकरार रखने में कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।

भाषण के समापन में क्या बोलें?

हिन्दी हमारे देश की आन, बान और शान है। हिंदी हम हिंदुस्तानियों के दिल की भाषा है, जो हर देशवासी के दिल पर राज करती है। शायद हिंदी इसीलिए नायाब है। इन्हीं विचारों के साथ अब मैं अपनी वाणी को यहीं पर विराम देना चाहूंगा। आशा करता हूं कि आपको मेरे विचार ज़रूर पसंद आए होंगे। मेरी ओर से आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

हिंदी दिवस पर 10 लाइनें

1. हिंदी हमारी मातृभाषा है।

2. हर साल राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर को और विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है।

3. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया।

4. पहला आधिकारिक हिन्दी दिवस 14 सितंबर सन् 1953 को मनाया गया था।

5. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।

6. हिंदी को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है।

7. इस दिन हिंदी साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जैसे हिंदी कहानी प्रतियोगिता, हिंदी कवि सम्मेलन आदि।

8. हिन्दी दुनिया में बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे नंबर पर है।

9. हिंदी दिवस ऐसे लोगों को जगाने का प्रयास है जो अंग्रेजी को ज्यादा अहमियत देते हैं।

10. हमें अपनी मातृभाषा यानी हिंदी भाषा में बोलने में गर्व महसूस करना चाहिए।

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प्रश्न- हिंदी दिवस पर भाषण कैसे दे?

उत्तरः हिंदी दिवस पर भाषण देने के लिए सबसे पहले अपने शब्दों और विचारों के साथ भाषण को लिख लें। उसके बाद उसी भाषण को पढ़कर बोलने का अभ्यास करें।

प्रश्न- हिंदी दिवस का महत्व क्या है?

उत्तरः हिंदी दिवस का महत्व हमें बताता है कि हिंदी हिंदुस्तान के सम्मान की भाषा है, जिसपर हर भारतवासी को गर्व होना चाहिए।

प्रश्न- हिंदी दिवस क्यों मनाते हैं अपने शब्दों में लिखिए?

उत्तरः हिंदी दिवस इसलिए मनाते हैं क्योंकि 14 सितंबर 1949 को हिंदी को हमारे देश की राजभाषा का दर्जा मिला था। इसके अलावा हिंदी हमारी मातृभाषा भी है, इसलिए हिंदी के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने के लिए भी हिंदी दिवस मनाया जाता है।

प्रश्न- हिंदी में भाषण कैसे लिखा जाता है?

उत्तरः हिंदी में भाषण लिखने के लिए आपको सबसे पहले उसकी एक रूपरेखा तैयारी करनी चाहिए। उसके बाद आप जिस भी विषय पर हिंदी में भाषण लिखना चाहते हैं, आपको उसकी अच्छी जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा हिंदी में भाषण लिखने के लिए आपकी हिंदी भाषा में भी अच्छी पकड़ होनी चाहिए।

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Hindi Diwas Par Nibandh : हिंदी दिवस पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंध

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  • Updated on  
  • सितम्बर 10, 2024

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भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह भारत की राजभाषा हिंदी के सम्मान और महत्व को उजागर करने का विशेष अवसर है। 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। हिंदी दिवस का उद्देश्य न केवल हिंदी भाषा की समृद्धि को पहचान दिलाना है, बल्कि इसे राष्ट्र की एकता और सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक के रूप में भी बढ़ावा देना है। इस दिवस के महत्व को और बढ़ाने के लिए स्कूल में बच्चों को निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Par Nibandh) के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं।

This Blog Includes:

हिंदी दिवस पर निबंध 100 शब्दों में, हिंदी दिवस पर निबंध 200 शब्दों में, प्रस्तावना , हिंदी का महत्व – hindi diwas ka mahatva essay in hindi, हिंदी भाषा का योगदान , हिंदी दिवस पर हम क्या कर सकते हैं, निष्कर्ष , हिंदी दिवस पर निबंध कैसे तैयार करें .

100 शब्दों में Hindi Diwas Par Nibandh कुछ इस प्रकार है –

हिंदी दिवस, हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, जब भाषा के महत्व को याद दिलाने का अवसर मिलता है। हिंदी, भारत की राष्ट्रीय भाषा है और हमारे देश की विविधता का प्रतीक है। यह भाषा हमारे समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है।

हिंदी दिवस के मौके पर हमें अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पित रहना चाहिए। हिंदी हमारे संविधान का अधिकार है और यह हमें अपने राष्ट्रीय एकता की ओर बढ़ाता है। हिंदी को सीखना और उसे सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है, ताकि हमारे समृद्ध भाषा धरोहर को बचाया और बढ़ावा दिया जा सके।

इस दिन, हमें हिंदी के महत्व को समझना और बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि हमारी भाषा हमें हमेशा गर्वित और जुड़े रहने का अवसर दे।

Hindi Diwas Par Nibandh 200 शब्दों में कुछ इस प्रकार है –

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है और यह एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उत्सव है। इस दिन को मनाकर हम अपनी मातृभाषा हिंदी के महत्व को याद करते हैं और इसका सम्मान करते हैं।

हिंदी, भारत की एकता और विविधता का प्रतीक है। यह भाषा देशभक्ति, संस्कृति, और समृद्धि का प्रतीक है। हिंदी हमारे संविधान की अधिकारिक भाषा है और हमारी राष्ट्रीय भाषा के रूप में महत्वपूर्ण है।

हिंदी दिवस के अवसर पर, हमें अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पित रहना चाहिए। हमें इसे सीखना, उसका सदुपयोग करना, और उसका संरक्षण करना चाहिए। हमें हिंदी की बढ़ती उपयोगिता को समझना चाहिए, ताकि हम अपने विचारों को सही ढंग से व्यक्त कर सकें।

हिंदी दिवस के मौके पर हमें हमारे देश की एकता को और मजबूत बनाने के लिए हिंदी के महत्व को प्रमोट करना चाहिए, ताकि हम सभी भारतीय एक होकर आगे बढ़ सकें।

हिंदी दिवस के मौके पर, हमें यह भी याद दिलाना चाहिए कि हमारी भाषा हमारी संस्कृति, गाथाएँ, और इतिहास का प्रतीक है। हिंदी का सही ज्ञान हमें हमारे देश की धरोहर को समझने में मदद करता है और हमारे बच्चों को हमारे संस्कृति के मूल मूल्यों को सीखने में मदद करता है।

हिंदी के महत्व को समझकर हमें इसे बचाने और बढ़ावा देने का प्रतिबद्ध रहना चाहिए। हमें विद्यालयों और समाज में हिंदी का उचित प्रयोग करना चाहिए ताकि यह भाषा हमें हमेशा जोड़े रहे और हमारी राष्ट्रीय भाषा के रूप में आगे बढ़ सके।

इसी तरह, हिंदी दिवस हमें हमारे देश के सांस्कृतिक धरोहर के प्रति समर्पित और जागरूक बनाता है, और हमें यह याद दिलाता है कि हमारी मातृभाषा हमारी गर्व और पहचान का प्रतीक है।

हिंदी दिवस पर निबंध 500 शब्दों में

हिंदी भाषा का विकास पर निबंध 500 शब्दों में इस प्रकार है :

हिंदी दिवस भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण और गौरवशाली दिन होता है, जो हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमारी मातृभाषा हिंदी के महत्व को याद दिलाने और प्रमोट करने के लिए होता है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जो भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में बोली जाती है, और यह देश की एकता का प्रतीक है।

हिंदी के महत्व (Hindi Diwas ka Mahatva Essay in Hindi) को समझने के लिए, हमें इसके ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की ओर देखना चाहिए। हिंदी का उद्भव संस्कृत से हुआ है और यह एक इंदो-आर्य भाषा है। हिंदी के विकास के साथ ही वेदों, उपनिषदों, और महाभारत के जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे गए, जिनमें भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान का भंडार है।

हिंदी का महत्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय भी बढ़ा, जब विभाजन और असहमति के बावजूद, हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के प्रयास हुए। गांधीजी और अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने हिंदी का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया और इसका समर्थन किया।

हिंदी का स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान रहा है, और यह दिखाता है कि हमारी भाषा हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण हिस्से थे।

हिंदी की भाषा विविधता और रंगमंच का एक अद्वितीय भाषा है, जो भाषा कला, साहित्य, संगीत, और विभिन्न कलाओं के माध्यम से हमारे जीवन को सुंदर बनाती है। हिंदी की साहित्यिक धरोहर में गोस्वामी तुलसीदास, सूरदास, प्रेमचंद, और महादेवी वर्मा जैसे महान लेखकों का महत्वपूर्ण योगदान है।

हिंदी दिवस के मौके पर, हमें अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व और समर्पण का प्रतीक बनना चाहिए। हमें इसे सीखना, पढ़ना, और बोलना चाहिए, ताकि हम हिंदी का सही और सुंदर उपयोग कर सकें। हिंदी को अपनी दैनिक जीवन में बढ़ेगा देना चाहिए, और इसका समर्थन करना चाहिए।

इसके अलावा, हमें विद्यालयों और समाज में हिंदी के महत्व को प्रमोट करने का काम करना चाहिए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी इसे महत्वपूर्ण रूप से समझें और उसके महत्व को बढ़ावा दें।

हिंदी दिवस हमें हमारी मातृभाषा के महत्व को याद दिलाने और उसका समर्थन करने का अवसर प्रदान करता है। हिंदी हमारे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है और हमें इसका समर्थन करने का दायित्व है, ताकि हमारी भाषा हमें हमेशा गर्वित और जुड़े रहने का अवसर दे।

इस दिन के अवसर पर, हमें अपनी मातृभाषा को सिर पर बिठाने का आशीर्वाद देते हैं। हमें इसे बचाने और बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि हमारी भाषा हमें हमेशा गर्वित और जुड़े रहने का अवसर दे।

हिंदी भाषा हमारी संविधान की भी अधिकारिक भाषा है और हमारे सभी आधिकारों को यहाँ तक कि न्यायपालिका के कामकाज में इसका महत्वपूर्ण रोल है। हिंदी का प्रयोग शिक्षा, सरकारी दस्तावेज़, और सार्वजनिक जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी होता है।

हिंदी दिवस के अवसर पर, हमें हमारे युवाओं को हिंदी के महत्व को समझने और समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हमें उन्हें हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में शिक्षा देनी चाहिए, ताकि वे अपनी भाषा का सही और सुंदर उपयोग कर सकें।

हिंदी को न केवल एक भाषा, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर भी मानना चाहिए। हमें इसके साहित्य, संगीत, कला, और विभिन्न धार्मिक तथा सांस्कृतिक अधिकार को समझने और प्रसारित करने का प्रयास करना चाहिए।

इस प्रकार, हिंदी दिवस हमें हमारे देश की सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर के प्रति समर्पित रहने का मौका प्रदान करता है। हमें इसका समर्थन करके और हिंदी को प्रमोट करके हमारे देश की एकता को मजबूती देने का काम करना चाहिए, ताकि हम सभी भारतीय एक होकर आगे बढ़ सकें।

हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas ka Mahatva Essay in Hindi) कैसे लिखें, इसके बारे में नीचे बताया गया है-

  • निबंध (Hindi Diwas ka Mahatva Essay in Hindi) लिखने के लिए सबसे पहले एक स्ट्रक्चर बनाएं।
  • उसी तय स्ट्रक्चर के अनुसार जानकारी एकत्र करें।
  • कोई भी जानकारी निबंध में लिखने से पहले उसकी अच्छी तरह से पुष्टि कर लें।
  • निबंध लिखने से पहले ध्यान रखें कि भाषा का उपयोग सरल हों।
  • अपने निबंध के शीर्षक को आकर्षक बनाएं।
  • निबंध की शुरुआत प्रस्तावना से करें और निबंध का अंत निष्कर्ष से।
  • निबंध में शब्द चिन्ह का खास ध्यान रखें।
  • अलग-अलग अनुच्छेद को एक-दूसरे से जोड़े रखें।

हिंदी दिवस का आयोजन पहली बार 1953 में हुआ था। यह हिंदी भाषा के संवैधानिक रूप से आधिकारिक भाषा का दर्जा पाने के उपलक्ष्य में मनाया गया था।

हिंदी दिवस का महत्व यह है कि इसके माध्यम से हम अपनी राष्ट्रीय भाषा के महत्व को समझते हैं और इसे प्रोत्साहित करते हैं। यह भाषा भारतीय समाज की विविधता को दर्शाती है और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।

हिंदी दिवस के मौके पर विभिन्न स्कूल, कॉलेज, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि कविता पाठ, भाषण, साहित्यिक प्रस्तुतियां और गीत-नृत्य।

सम्बंधित आर्टिकल्स 

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Par Nibandh) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य  ट्रेंडिंग आर्टिकल्स  पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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हिंदी दिवस के महत्व पर निबंध-Hindi Diwas Essay In Hindi

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भूमिका : हमारा भारत पश्चिमी रीती-रिवाजों से बहुत प्रभावित है। भारतीय लोग वहां के लोगों की तरह पोशाक पहनते हैं। भरतीय वहां की जीवन शैली का पालन करते हैं, उनकी ही भाषा को बोलना चाहते हैं और हर एक चीज में उनके जैसा बनना चाहते हैं। वे इस बात को समझना ही नहीं चाहते हैं कि भारतीय संस्कृतिक विरासत और मूल्य पश्चिमी संस्कृति की तुलना में अधिक समृद्ध है।

1949 में भारत की संविधान सभा ने हिंदी भाषा की देश की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था। भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में लिखी हुई हिंदी भाषा को 1950 में अनुच्छेद 343 के तहत देश की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था। इसके साथ-साथ भारत सरकार के स्तर पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओँ का औपचारिक रूप से प्रयोग किया जाने लगा।

साल 1949 में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा था। हिंदी भाषा का सम्मान करना हर भारतीय का कर्तव्य होता है। हिंदी दिवस भारत में हिंदी का विकास करने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर बहुत अधिक संस्कृतियाँ पाई जाती हैं।

इन संस्कृतिक भिन्नता की वजह से कई तरह की भाषाएँ भी सम्मिलित होती है। इतनी भाषाओँ के होने की वजह से यहाँ के औपचारिक कार्यों में यह तय कर पाना कठिन हो जाता है कि किस भाषा में सभी औपचारिक कार्य किये जाएँ। इसी वजह से हिंदी को एक मुख्य भाषा के रूप में स्थापित करने की कोशिश की गई है।

इतिहास : हमारा देश कई विधाओं का मिश्रण हैं। उनमें कई भाषाओँ का समावेश है। भारत देश की इन सभी भाषाओँ में हिंदी को देश की मातृभाषा का दर्जा दिया गया है। आज हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओँ में से एक है। हिंदी भाषा का सम्मान देने के लिए हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस और राष्ट्रिय एकता दिवस मनाया जाता है।

हिंदी भाषा को 14 सितम्बर 1949 के दिन आजादी के बाद देश की मातृभाषा का गौरव प्राप्त हुआ था। उसी दिन को याद करने में 1953 में निर्णय लिया गया , जिसके फलस्वरूप हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा था।

14 सितम्बर को स्वदेश में हिंदी दिवस को मनाया जाता है विश्व स्तर पर भी इस खास दिवस को मनाया जाता है। सबसे पहले 10 जनवरी 1975 को नागपुर महाराष्ट्र में विश्व हिंदी दिवस मनाया गया था। उसके बाद 10 जनवरी 2006 को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाये जाने का ऐलान किया गया था।

हिंदी दिवस का महत्व : हिंदी दिवस हर साल हमें हमारी असली पहचान को याद दिलाता है और देश के सभी लोगों को एक जुट करता है। हम जहाँ भी जाते हैं हमारी भाषा , संस्कृति और मूल्य हमारे साथ रहने चाहिए और यह अनुश्मार्क के रूप में काम करता है। हिंदी दिवस हमें देशभक्ति की भावना के लिए प्रेरित करता है।

आज के समय में लोग हिंदी से ज्यादा अंग्रेजी सीखना पसंद करते हैं क्योंकि अंग्रेजी को पूरी दुनिया में बोला जाता है। अंग्रेजी भी भारत की अधिकारिक भाषाओँ में से एक है। हिंदी दिवस का यह बहुत अधिक महत्व है कि यह हमें हमेशा यह याद दिलाता रहता है कि हिंदी हमारी अधिकारिक भाषा है और यह बहुत अधिक महत्व रखती है।

हिंदी दिवस उत्सव : हिंदी दिवस को स्कूलों , कॉलेजों , और कार्यालयों के साथ-साथ राष्ट्रिय स्तर पर भी मनाया जाता है। इस दिवस पर देश के राष्ट्रपति उन लोगों को पुरस्कार देते हैं जिन्होंने हिंदी भाषा के किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की है। स्कूलों व कॉलेजों में प्रबन्धन समिति के द्वारा हिंदी वाद-विवाद , कविता , कहानी बोलने की प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं।

संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और शिक्षक भी हिंदी दिवस के महत्व को समझाने के लिए भाषण देते हैं। बहुत से स्कूल और इंटर स्कूल भी हिंदी वाद-विवाद , हिंदी निबन्ध , कानी लेखन और कविता प्रतियोगिताएं का आयोजन करते हैं। यह दिन हिंदी भाषा को सम्मान देने का होता है जो नई पीढ़ी में लुप्त होता जा रहा है।

हिंदी दिवस को कई कार्यालयों और सरकारी संस्थानों में भी मनाया जाता है। आज के समय में लोग भारतीय संस्कृति को आनन्दित करने के लिए भारतीय जातीय परिधान को पहनते हैं। हिंदी दिवस पर महिलाएं सूट और साड़ियाँ पहनती हैं तो पुरुष कुर्ता पजामा पहनते हैं।

हिंदी दिवस के दिन संस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और लोग भी उनमे बहुत ही उत्साह के साथ भाग लेते हैं। इस दिन बहुत से लोग हिंदी कविता पढ़ते हैं और हिंदी के महत्व के बारे में भी समझाते हैं।

सबसे अधिक बुलने वाली भाषा : हिंदी भाषा भारत में सबसे व्यापक रूप से प्रयोग की जाने वाली भाषा है। हालाँकि लोग अंग्रेजी भाषा के प्रति आकर्षित होते हैं बहुत से स्कूलों और अन्य जगहों पर इस पर जोर दिया जाता है लेकिन फिर भी हिंदी भाषा हमारे देश में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा के रूप में बनी हुई है।

जब वर्ष 2001 में जनगणना का आयोजन किया गया था तब 422 लाख से भी ज्यादा लोगों ने हिंदी का अपनी मातृभाषा के रूप में उल्लेख किया था। देश में किसी भी अन्य भाषा का कुल आबादी का 10% से अधिक उपयोग नहीं किया जाता है। उत्तर भारत की अधिकांश आबादी हिंदी बोलने वाली है।

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश , बिहार , झारखंड , छत्तीसगढ़ , हरियाणा , राजस्थान , उत्तराखंड, और झारखण्ड सहित कई भारतीय राज्यों में हिंदी भाषा को अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। बिहार देश का पहला राज्य था जिसने अपनी एकमात्र अधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया था। बंगाली , तेलुगु और मराठी देश की एनी व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है।

संसार में व्यापक रूप से बोली जाने वाली चौथी भाषा : हिंदी भाषा दुनिया की चौथी व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। भारत में ज्यादातर जनसंख्या हिंदी बोलने वाली है। अन्य देश जहाँ पर व्यापक रूप से हिंदी बोली जाती है वे देश हैं – पाकिस्तान , नेपाल , मॉरिशस , फिजी , गुयाना और सूरीनाम आदि। पूरी दुनिया भर में लोग हिंदी गीतों और फिल्मों को बहुत पसंद करते है। जो स्पष्ट रूप से हिंदी भाषा के प्रति प्रेम को परिभाषित करते हैं।

हिंदी को प्राथमिकता न मिलना : दुर्भाग्य से भले ही हिंदी भाषा चौथी व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है लेकिन इसके मूल देश में ही लोग इसे कुछ महत्व नहीं देते हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज, कार्यलयों तक सभी जगह अंग्रेजी को ही प्राथमिकता दी जाती है और हिंदी को अंग्रेजी से पिछाड दिया जाता है। आज के समय में माता-पिता, शिक्षकों और हर व्यक्ति द्वारा लिखित और मौखिक दोनों रूप से ही अंग्रेजी भाषा को सीखने के महत्व पर जोर दिया जाना मानो एक आम बात हो गयी है क्योंकि इससे रोजगार प्राप्त करने में बहुत मदद मिलती है।

यह देखकर बहुत दुःख होता है कि नौकरियों और पाठ्यक्रमों के लिए भी लोगों को स्मार्ट होने की जरूरत पडती है क्योंकि नौकरी पर रखने वाले अधिकारी भी उनका अग्रेजी के संबंधित ज्ञान के आधार पर ही चुनाव करते हैं। बहुत से लोग सिर्फ इस वजह से काम करने के मौके को छोड़ देते हैं क्योंकि वे अंग्रेजी को धाराप्रवाह नहीं बोल पाते हैं भले ही वे काम के बारे में पूरी तरह से जानते हों।

महत्व और प्रतिष्ठा से संबंधित घटनाएँ : बहुत से स्कूल और अन्य संस्थान हर वर्ष हिंदी दिवस मानते हैं। यहाँ पर इस दिन के सम्मान में विशेष समारोहों का आयोजन भी किया जाता है। भारत के पर्व पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने हिंदी से संबंधित बहुत से क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए बहुत से श्रेणियों में पुरस्कार भी प्रदान किये हैं।

हिंदी दिवस के सम्मान में भी विज्ञानं भवन नई दिल्ली में एक समारोह भी आयोजित किया गया था। हिंदी दिवस पर विभागों , मंत्रालयों , राष्ट्रीयकृत बैंकों और सार्वजनिक उपक्रमों को राजभाषा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

भोपाल में आयोजित होने वाले एक विश्व हिंदी सम्मेलन में भी प्रधामंत्री जी ने कहा कि अंग्रेजी , हिंदी और चीनी डिजिटल दुनिया पर शासन करने जा रहे हैं ताकि भाषा के महत्व पर जोर दिया जा सके। हमारे केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने भी संयुक्त राष्ट्र में हिंदी के लिए अधिकारिक भाषा का दर्जा लेने का भी मुद्दा उठाया था।

हिंदी का योगदान : भारत देश में हिंदी को अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकृत करने का कदम स्वागत योग्य है हालाँकि हर साल हिंदी दिवस को मनाने का फैसला वाकई काबिले तारीफ है। हिंदी दिवस एक अनुस्मारक है कि जहाँ भी जाएँ हमें अपने आदर्शों और संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। यही हमें परिभाषित करता है और हमें इसका अंड उठाना चाहिए।

यह दिन विभिन्न सरकारी संस्थानों में उत्साह से मनाया जाता है। बहुत से भारतीयों की कोशिशों की वजह से हिंदी के प्रचार-प्रसार बड़ी तेजी से हो रहा है। पूरी दुनिया में अपने मेहनत और बुद्धिमानी से भारतियों ने उन्नति का मगर खोला है उसे सभी देश ये मानने लगे हैं भारतियों से संबंध अच्छे बनाने के लिए हिंदी एक बेहतरीन माध्यम है।

आज के समय में करोड़ों लोग हिंदी भाषा में कंप्यूटर का प्रयोग कर रहे हैं जी हिंदी के वर्चस्व के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आज का दौर डिजिटलाईजेशन का है जिसमें भारत के गांवों को भी इससे जोड़ा जा रहा है इंटरनेट को हर कोने तक पहुंचने की पूरी कोशिश की जा रही है। इन सब के लिए हिंदी माध्यम का जरिया पूरी तरह बन गया सके इसके प्रयास लगतार जारी हैं। इन कदमों को उठाने में काफी सफलता भी हासिल हुई है।

हिंदी दिवस मनाने का कारण : हिंदी दिवस को मनाना आज के समय में बहुत अनिवार्य हो गया है। आज के समय में लोग सिर्फ अंग्रेजी पर ही ध्यान देतें हैं। लोगों के बीच सिर्फ उन्हीं लोगों को पढ़ा लिखा माना जाता है जो लोग अंग्रेजी बोल पाते हैं और लिख पाते हैं।

कई जगहों पर तो हिंदी बोलने वाले व्यक्तियों के स्टेट्स पर बहुत फर्क पड़ने लगता है। किसी भी भाषा के साथ उसकी संस्कृति जुडी होती है। हमारे भारत की संस्कृति का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है। जो भी भारतीय इस सांस्कृतिक इतिहास को पूर्ण रूप से नहीं अपनाता है वह भी पूर्ण रूप से भारतीय नहीं होता है।

अत: हमें अपनी संस्कृति को समझने के लिए हिंदी को जानना बहुत जरूरी होता है। देश के लोगों को आज तक अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं किया है। कई बार लोग अंग्रेजी भाषा को बोलते समय हिंदी का सहारा लेते हैं। अगर किसी व्यक्ति को हिंदी अच्छी तरह से आती है तो वह किसी भी स्थान पर हिंदी का प्रतिष्ठित रूप से प्रयोग कर सकता है।

हिंदी में ऐसी बहुत सी रचनाएँ हुयी हैं जिन्हें पढकर और उन पर अम्ल करके व्यक्ति के जीवन को बदला जा सकता है। इस तरह की रचनाओं को पढने और समझने के लिए हिंदी को सीखना बहुत जरूरी होता है। हिंदी भाषा से राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखा जा सकता है।

हिंदी दिवस उस दिन को याद करने के लिए मनाया जाता है जिस दिन हिंदी भाषा हमारे देश की अधिकारिक भाषा बनी थी। हिंदी दिवस को जो अंग्रेजी भाषा से प्रभावित हैं उनके बीच हिंदी भाषा के महत्व पर जोर देने और हर पीढ़ी के बीच में इसको बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।

इससे युवाओं को अपने पूर्वजों के इतिहास को याद दिलाया जा सकता है। इस बात से किसी भी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ता है कि हम कहाँ तक पहुंच गये हैं और हम क्या करते हैं। अगर हम अपने देश के इतिहास को जान लेंगे तो हम देश की पकड़ को मजबूत बना सकते हैं। हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाने से भारतीय संस्कृति को संजोया जा सकता है और हिंदी भाषा का सम्मान भी किया जा सकता है।

उपसंहार : अंग्रेजी एक दुनिया भर में बोली जाने वाली भाषा है लेकिन इसके महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम एक भारतीय हैं और हमें अपनी राष्ट्र भाषा का सम्मान करना चाहिए। हिंदी भाषा को अधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने से यह सिद्ध होता है कि जो लोग सत्ता में रहते हैं वो सभी हिंदी के महत्व को पहचानते हैं और यह इच्छा करते हैं कि लोग हिंदी भाषा को भी महत्व दें।

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हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध Essay On Hindi Bhasha Ka Mahatva In Hindi

हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध Essay On Hindi Bhasha Ka Mahatva In Hindi :- हिंदी हमारी मातृभाषा होने के साथ साथ भारत की राष्ट्रभाषा बनने की प्रबल दावेदार एवं योग्य हैं.

14 सितम्बर 2023 को हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के अवसर पर आपके लिए अपनी भाषा हिंदी के महत्व, आधुनिक भारत के विकास में हिंदी का महत्व व योगदान जैसे विषयों पर बात करने जा रहे हैं.

हमें भाषा के महत्व की समझ होनी चाहिए. मात्र पढने लिखने एवं बोलने की भाषा होने के अतिरिक्त राष्ट्र की प्रतीक, राष्ट्रीय एकता, अंतर्राष्ट्रीय पहचान के रूप में भी हिंदी भारत का सम्मान बढ़ा सकती हैं.

हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध

हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध Essay On Hindi Bhasha Ka Mahatva In Hindi

Hindi Bhasha के महत्व को इस छोटी कविता से समझा जा सकता है, यानि जीवन की परिभाषा ही हिंदी है. एक हिंदी भाषी के लिए दुनियां तभी सजीव है जब उसे कोई समझने एवं बात का जवाब देने वाला हो.

हिंदी हमारे देश को एकता के सूत्र में पिरोए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. Hindi Diwas मनाने का इतिहास संविधान के उस प्रावधान से जुड़ा हुआ है,

जब 14 सितम्बर 1949 के दिन भारतीय संविधान द्वारा औपचारिक रूप से हिंदी को भारत की राष्ट्र भाषा का दर्जा प्रदान किया गया था.

पहली बार  Hindi Bhasha के सम्मान में राष्ट्रीय हिंदी दिवस 1953 को मनाया गया था. उसके बाद हर साल इसी दिन देशभर में हिंदी डे मनाया जाता हैं.

इस अवसर पर विद्यालयों, कॉलेजों एवं अन्य सरकारी दफ्तरों में हिंदी दिवस पर निबंध, भाषण, नाटक, कविता, शायरी, कवि सम्मेलन प्रतियोगिताओं का आयोजन होता हैं.

हमारी सोशल मिडिया पर भी  Hindi Bhasha के महत्व को लोग बखूबी समझते हैं. बहुत से लोग इस दिन अपने स्टेट्स हिंदी में ही पोस्ट करते हैं तथा हिंदी दिवस विशेस शायरी कोट्स से सारा माहोल हिन्दीमय रूप ले लेता हैं.

Essay On Hindi Bhasha Ka Mahatva In Hindi

आज हिंदी का इन्टरनेट पर निरंतर विकास हो रहा हैं. गूगल ने भी हिंदी में टाइपिंग के लिए ऐसे टूल विकसित किए हैं. जिनसे अंग्रेजी में टाइप करने पर स्वतः हिंदी के वर्ण आ जाते हैं.

हिंदी के विकास में इसका अहम योगदान रहा हैं. जिसकी बदौलत आज इन्टरनेट के युग में हम विभिन्न वेबसाइटों पर हिंदी में कंटेट पढने को मिल रहे हैं.

भारत के बहुत से दक्षिणी एवं पूर्वी राज्यों में आज हिंदी को समझा जाने लगा हैं. भले ही कहने को हम गर्व करते है कि हमारी मातृभाषा हिंदी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा हैं.

मगर हम इसका अपमान स्वयं करते हैं. पहली क्लाश में एडमिशन लेने वाले बच्चे को यस सर और मे आई कम इन सर जैसे अंग्रेजी शब्दों के साथ लाते है. जिसका मतलब स्वयं उस बालक को भी पता नही होता हैं.

हम भी अपनी बोलचाल की भाषा में अंग्रेजी के शब्दों को बोलना गर्व की बात समझते है. हमें कब समझ आएगा. एक गुलामी की प्रतीक अंग्रेजी भाषा को टूटी फूटी बोलकर हम कब तक उन्हें अपमानित करते रहेगे.

क्या दोष है हमारी हिंदी में जो हम अंग्रेजी के दीवाने होते जा रहे हैं. सबसे बड़ी प्रशासनिक नौकरियों में आज भी हिंदी माध्यम की सरकारी स्कूलों में पढ़े बच्चें आगे आ रहे हैं.

हमारी न्याय व्यवस्था हो या सरकारी सिस्टम इन्होने भी हिंदी भाषा का बढ़ चढकर अपमान किया हैं. आज भी हमारे लोगों की यह मानसिकता बनी हुई है कि दो चार अंग्रेजी की स्पेलिंग, ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार कविता और अंग्रेजी वर्णमाला क्या सीख लेते पूरे मोहल्ले में ढिढोरा पीटने लग जाते हैं.

16 वीं एवं 17 वीं सदी का युग जब भारत में पुनर्जागरण एवं सुधारवाद का काल ऐसा था. जब भारत के उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम चारों दिशाओं में  Hindi Bhasha   को बोला जाता था.

बस लार्ड मेकाले की बदनीयती ने भारत पर अंग्रेजी थोपने की तमन्ना ने भारत की सांस्कृतिक एकता को ही ध्वस्त नही किया बल्कि आज की युवा पीढ़ी को अंग्रेजी के गुलाम बनाकर रख दिया.

आज भी हमारे शासन की भाषा का माध्यम अंग्रेजी बनी बैठी हैं. हिंदी कुछ ही मातृभाषा प्रेमियों, कवियों एवं साहित्यकारों तक सिमट कर रह गई हैं.

हिंदी की दुर्दशा के लिए जितने जिम्मेदार अन्य कारक है उससे कही अधिक फिल्म जगत ने हिंदी को अपमानित करने में कोई कसर नही छोड़ी हैं.

हिंदी भाषा की फिल्म बनाने वाले अभिनेता सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी में ही इन्टरव्यू देते नजर आएगे. उन्हें यह एहसास नही है हम जिसकी वजह से आज स्टार बने है वह हिंदी ही हैं. मगर खुद को साना दिखाने के लिए वो अंग्रेजी बोलते है.

उनके लाखों अंध भक्त उनकों फॉलो करते हैं. हिंदी दिवस के अवसर पर हमें स्वयं जागना होगा तथा हिंदी का अपमान करने वालों को सबक सिखाना होगा. तभी इस देश की राष्ट्र भाषा के पद पर हिंदी भाषा स्थापित हो सकेगी.

हमारे युवा वर्ग को चाहिए कि वो अपनी मातृभाषा हिंदी के महत्व को समझे, अपने ह्रदय में इसे सजोकर रखे और इसकी दुर्दशा होने से केवल हम और आप ही बचा सकते हैं. आज जरुरी नही उच्च पदों के लिए हमें हिंदी को छोड़ना पड़ेगा.

यदि ऐसा किसी नौकरी के लिए करना भी पड़े तो हमें हिंदी से दूरी बनाने की बजाय इसे अपनी भाषा ही बनाकर रखना चाहिए. जब भारत के प्रधानमन्त्री हिंदी से ही विश्व भर में अपना काम चला सकते हैं. फिर हम क्यों नही.

हिंदी का महत्व पर निबंध। Essay on Hindi ka Mahatva

निजभाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को सूल।

एक आजाद मुल्क के प्रतीक उनका क्षेत्रफल, राष्ट्र ध्वज, राष्ट्र गान, राष्ट्रीय चिह्न जितने मायने रखते हैं. उतनी ही महत्वपूर्ण उस देश की राष्ट्रभाषा होती हैं. देश की एकता, अखंडता एवं स्थायित्व के लिए एक राष्ट्रभाषा होना परिहार्य हैं.

भारत के स्वतंत्रता सैनानियों का सपना था, कि हम विषम भाषा परिस्थतियों से गुजरे है वो आजाद भारत के नागरिकों को नही झेलनी पड़े. इसके लिए उन्होंने हिंदी को भारत की राष्ट्र भाषा बनाने की बात कही थी.

इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमारी संविधान सभा द्वारा 14 सितम्बर 1949 को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया था.

सर्वव्यापकता, प्रचुर साहित्य रचना, बनावट की दृष्टि से सरलता और वैज्ञानिकता ये वो गुण है जो किसी देश की आधुनिक भाषा में होने चाहिए. जो राष्ट्रभाषा बनने का दावा करती हैं. हिंदी भाषा इन सम्पूर्ण गुणों से परिपूर्ण हैं. अतः अब समय आ चूका है. गुलामी की निशानी अंग्रेजी को उखाड़ फेककर हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनानी चाहिए.

आज भारत में ऐसा कोई राज्य नही हैं. जहाँ के लोग बिलकुल भी हिंदी से अपरिचित हैं. अहिन्दी भाषी राज्यों में बड़ी संख्या में लोग मिल जाएगे जो हिंदी को अच्छी तरह समझते हैं.

इसके उल्ट भारत के 1 या 2 प्रतिशत ही लोग ऐसे है जो अंग्रेजी को ठीक से समझते हैं अथवा आम बोलचाल में उसका उपयोग करते हैं.

  • हिंदी भाषी राज्य- उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली
  • द्वितीय भाषा हिंदी वाले राज्य- पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और अंडमान निकोबार
  • अहिन्दी भाषी राज्य- तमिल नाडु, पाण्डिचेरी, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, मेघालय (इन राज्यों में 1 से 2 प्रतिशत लोग ही हिंदी जानते हैं)

हिंदी भाषा के महत्व को राष्ट्र विकास एवं एकता के सन्दर्भ में कभी भी नकारा नही जा सकता हैं. तुलसी जैसे कवियों की याद आती है. जब लोग हिंदी के हश्र की बात करते हैं. विदेशी आक्रान्ताओं के आक्रमण से त्रस्त भारतीय जनता को भक्ति मार्ग से बांधने वाली भाषा हिंदी ही थी.

14th September Hindi Day  के दिन मातृभाषा हिंदी के इतिहास, महत्व, भविष्य एवं साहित्य का समाज में योगदान को देखा जाता हैं.

हिंदी भाषा का महत्व Hindi Bhasha Ka Mahatva Essay Slogan In Hindi

हिंदी हमारी मातृभाषा हैं. जिसे भारत की राष्ट्रभाषा होने का गर्व प्राप्त होना चाहिए. बिना राष्ट्र भाषा के राष्ट्र गूंगा कहलाता हैं. ठीक वैसी ही स्थति हमारे यहाँ हैं.

100 करोड़ जनता की बोली, विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा, विश्व का सबसे समृद्ध साहित्य एवं शब्दकोश वाली हिंदी अपने ही वतन भारत में अपमानित हैं. Hindi Diwas  के लिए यहाँ हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध, भाषण कविता आदि प्रस्तुत की गई हैं.

इस लेख में हम बात करने वाले है Hindi Bhasha के महत्व, इसके इतिहास, विकास, राष्ट्र के विकास में योगदान एवं हिंदी शब्द की उत्पत्ति के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करने वाले हैं.

14 सितम्बर को हर साल राष्ट्रीय हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता हैं. इस दिन को मनाने का उद्देश्य  Hindi Bhasha  के इतिहास वर्तमान एवं भविष्य के बारे में चर्चा करने के साथ ही किस तरह हिंदी को देश की मुख्य भाषा बनाई जाए.

आदि विषयों पर स्कुल एवं कॉलेजों में हिंदी दिवस का महत्व, कविता, भाषण, निबंध एवं कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाता हैं.

Hindi Bhasha के Mahatva के इस आर्टिकल में हम आपकों Hindi Language Essay & Slogans के द्वारा मातृभाषा के महत्व के बारे में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं.

Essay & Slogans On Hindi – हिंदी का महत्व

हिंदी शब्द की उत्पत्ति व विकास (Origin and development of Hindi word)

हिंदी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से मानी जाती हैं. यह सिन्धु शब्द से बना हैं. माना जाता है कि सिंध नदी के आस-पास रहने वाले लोगों को सिन्धु कहा जाने लगा.

उसी काल में ईरानियों की भाषा में स वर्ण का उच्चारण ह के समान किया जाता था. उदाहरण के लिए इरानी लोग असुर को अहुर कहा करते थे.

इसी प्रकार अफगान के पार भारतवर्ष के क्षेत्र को ‘हिन्द’, ‘हिन्दुश कहा जाने लगा. यह सिन्धु शब्द पहले ह के गलत उच्चारण के चलते हिन्दू बना फिर हिंदी और कालान्तर में हिन्द हो गया.

उस समय के अरबी एवं फ़ारसी साहित्य में भारत के क्षेत्र के लोगों की भाषा के लिए ज़बान-ए-हिंदी शब्द का प्रयोग किया जाता था.

यह क्षेत्र दिल्ली और आगरा के पास का था. जिसे आज की खड़ी बोली हिंदी की जन्मस्थली भी माना जाता हैं. हिंदी भाषा को हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में माना जाता हैं. इसकी मुख्य लिपि देवनागरी है, जिनमें संस्कृत के शब्दों की बहुतायत है.

अवहट्ठ जो अपभ्रश का रूप था, इसके बाद हिंदी का जन्म हुआ. लगभग एक हजार वर्ष पुराना हिंदी इतिहास हैं. मध्यकाल व इससे पूर्व के हिंदी साहित्य को ब्रज एवं अवधि में लिखा गया था.

कबीरदास, सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, मलिक मुहम्मद जायसी, बोधा, आलम, ठाकुर जैसे कालजयी हिंदी कवियों की रचनाओं ने हिंदी साहित्य को विस्तृत रूप प्रदान किया हैं.

अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली, बघेली, भोजपुरी, हरियाणवी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, झारखंडी, कुमाउँनी, मगही भिन्न भिन्न राज्यों में बोली जाने वाली हिंदी की उपभाषाएँ अथवा बोलियाँ हैं.

राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का महत्व (Importance of Hindi language)

आज कोई भी देश को ले लीजिए उनकी अपनी एक राष्ट्र भाषा होती हैं. जिस पर सम्पूर्ण देशवासियों को गर्व होता हैं. देश की जनता, राजनेता, अभिनेता हर कोई उसी भाषा में ही बात करता हैं. एक देश की राष्ट्र भाषा उन्हें एकता एवं स्थायित्व प्रदान करती हैं.

यदि हम हिंदी भाषा को देखे तो संविधान द्वारा 14 सितम्बर 1949 को भारत की राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया गया. भारतीय संविधान में 22 भाषाओं को यह दर्जा प्राप्त हैं.

वर्ष 1953 में इसी दिन को ऐतिहासिक बनाने के लिए राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितम्बर के दिन ही मनाने का निश्चय किया गया था.

सर्वव्यापकता, प्रचुर साहित्य रचना, बनावट की दृष्टि से सरलता और वैज्ञानिकता ये वों गुण है जो एक राजभाषा में होने पर ही उन्हें एक आधुनिक भाषा होने का दर्जा दिया जाता हैं.

हिंदी भाषा में ये सभी गुण विद्यमान हैं. चूँकि हिंदी अभी तक भारत की राजभाषा हैं. जिसका अर्थ यह है कि सरकारी कामकाज की भाषा आम लोग सरकार के कार्यों एवं नीतियों को समझ सके इसलिए ही राजभाषा का प्रावधान किया जाता हैं.

इंग्लैंड, अमेरिका, जापान, कोरिया, चीन, पकिस्तान, नेपाल, मॉरिशस, बंगलादेश, सूरीनाम भारत के अतिरिक्त ये वो देश है जहाँ बड़ी संख्या में लोग हिंदी भाषा को बोलते और समझते हैं. भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली आदि की मुख्य भाषा हिंदी हैं.

पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और अंडमान निकोबार ये वों क्षेत्र है जहाँ प्रथम भाषा वहां की स्थानीय भाषा है. सैकड भाषा का दर्जा हिंदी को दिया गया हैं. आज हिंदी का महत्व इस कदर बढ़ गया है कि इसने आधुनिक तकनीकी को भी अपना लिया है.

हिन्दी दिवस पर स्लोगन ! Hindi Slogans On Hindi Divas

Slogan 1: हिंदी में बात है क्योंकि हिन्दी में जज्बात है

Slogan 2: हिन्दी हमारी शान है, देश का अभिमान है

Slogan 3: हिन्दी का सम्मान करे, देश का मान करे

Slogan 4: चलो मिलकर मुहीम चलाये, आज ही से हिन्दी अपनाए

Slogan 5: जन – जन से करो पुकार, हिंदी ने किया हमपे उपकार

Slogan 6: हिन्दी बनती हमें महान, देश की है यह शान

Slogan 7: अंग्रेजी को पछाड़ दो, हिन्दी को आकार दो

हिंदी दिवस का महत्व 

आशा करता हूँ आपको यहाँ Hindi Bhasha का Mahatva पर एस्से स्लोगन्स आपकों पसंद आए होंगे. इस लेख को आप Hindi Diwas पर बोलने के लिए भाषण में उपयोग कर सकते हैं.

हिंदी के महत्व को नकारा नही जुआ सकता, यह देश के विभिन्न भागो को एकता के धागें में बांधकर रखती हैं. तथा सभी हिंदी भाषियों के दिल में अपनत्व का भाव जगाती हैं. साथ ही हिंदी का साहित्य सागर विस्तृत होने के कारण यह समाज को सही राह बताने में सक्षम हैं.

आज के हिंदी दिवस पर लेख में आप हिंदी भाषा के इतिहास, शब्द की उत्पत्ति विकास एवं वर्तमान भारत में महत्व पर प्रकाश डाल सकते हैं. आपकों बता दे हर साल 14 सितम्बर को हिंदी डे उस ऐतिहासिक निर्णय के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं. जब संविधान में 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया था.

यदि आप हिंदी भाषा अथवा Hindi Diwas के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यहाँ पर निचे दिए गये आर्टिकल को रीड कर अपने भाषण अथवा निबंध की अच्छी तैयारी कर सकते हैं.

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11 सितंबर 2024

Hindi Diwas 2024 पर जानें कहां से आया 'हिंदी' शब्द?

- प्रियंबदा यादव

Image Courtesy: news24online

हिंदी हमारे देश की मातृभाषा ही नहीं बल्कि देश के गौरव का प्रतीक भी है. इसलिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. 

Image Courtesy: bambrew_in/instagram

आज के समय में हर जगह अंग्रेजी लिखने और बोलने की मांग की वजह से हिंदी का महत्व कम होता जा रहा है, इसलिए हर साल हिंदी के महत्व को बताने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है. 

Image Courtesy: navbharattimes

हिंदी को अभी तक राष्ट्रभाषा का दर्जा न मिल पाने की वजह से, हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि मातृभाषा है.

हिंदी को हिंदी नाम फारसी शब्द ‘हिंद’ से मिला है. जानकारी के लिए बता दें, 11वीं शताब्दी के आसपास सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को फारसी बोलने वाले लोगों ने हिंदी नाम दिया था.   

Image Courtesy: navbharattimes/instagram.

हिंदी दुनिया की चौथी सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा है.

Image Courtesy: thecaravanmagazine/instagram

हिंदी को राजभाषा के रूप में साल 1949 में संविधान सभा द्वारा चुनने के बाद,14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पास किया था, जिसके बाद 1953 में पहली बार हिंदी दिवस मनाया गया था. 

Image Courtesy: Crafts A2Z/youtube

भारत के अलावा हिंदी पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार, इंडोनेशिया, सिंगापुर, बांग्लोदश, फिजी, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड,श्रीलंका, मालदीव, थाईलैंड, चीन, जापान, ब्रिटेन, मॉरीशस, यमन, युगांडा और त्रिनाड एंड टोबैगो,  दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में भी बोली जाती है.

Image Courtesy: business-standard

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फिजी में हिंदी बोलने वालों की संख्या ज्यादा होने की वजह से हिन्दी को फिजी में आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला हुआ है.

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Hindi Diwas Speech : 14 सितंबर हिंदी दिवस पर छोटा और आसान भाषण

Hindi diwas speech 2024: हिंदी दिवस के दिन स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालयों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्‍कूलों और कॉलेजों में कई प्रतियोगतों का आयोजन होता है। भाषण प्रतियोगिता के लिए स्पीच का उदाहरण यहां से ले सकते हैं।.

Hindi Diwas Speech : 14 सितंबर हिंदी दिवस पर छोटा और आसान भाषण

Hindi Diwas Speech 2024: भारत में हर साल 14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व करने का दिन है। 14 सितंबर का दिन पूरे भारतवर्ष को जोड़ने वाली भाषा हिंदी को समर्पित है। यह दिन हिंदी के सम्मान और उसे बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। हिंदी हमारे देश की खासियत विविधता में एकता को दर्शाती है। हिंदी भाषा विदेशों में भी भारत को एक अलग पहचान देती है और देश में विभिन्न भाषा बोलने वाले हम भारतीयों को एकरुपता के धागे में पिरोती है। हिंदी जनमानस की भाषा है और ज्यादातर भारतीय अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में इसी का इस्तेमाल करते हैं। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई देशों में हिंदी बोली जाती है। अंग्रेजी और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है। यही वजह है आज हिंदी को पूरे विश्व में बेहद सम्मान दिया जाता है। हिंदी दिवस के दिन स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालयों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्‍कूलों और कॉलेजों में कविता पाठ, निबंध, भाषण, वाद-विवाद आदि प्रतियोगतों का आयोजन होता है।

यहां स्कूली छात्रों की मदद के लिए एक भाषण का उदाहरण दे रहे हैं। स्टूडेंट्स यहां से अपनी स्पीच का आइडिया ले सकते हैं। 

हिंदी दिवस भाषण  ( Hindi Diwas Speech 2024)

आदरणीय मुख्य अतिथि, शिक्षकों और मेरे प्यारे साथियों... .

आज हम सभी यहां हिंदी दिवस के अवसर पर एकत्रित हुए हैं। आज हिंदी भाषा की अहमियत व इसके महत्व को समझने और इसके भविष्य की चुनौतियों को जानने का दिन है। हिंदी भाषा हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का एक सुंदर माध्यम हैं। हर वर्ष 14 सितंबर के दिन देश में हिंदी दिवस ( Hindi Diwas ) मनाया जाता है। आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितबंर 1949 को हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। इसके बाद हिंदी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के कहने पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया। 

हर भारतीय नागरिक के लिए हिंदी दिवस का बेहद खास महत्व है। भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां अलग अलग धर्म व जाति के लोग रहते हैं। अलग अलग भाषाएं, बोलियां बोलने वाले, अलग अलग वेश-भूषा, खानपान व संस्कृति के लोग रहते हैं। ये हिंदी भाषा ही है जो देश के सभी लोगों एकता के सूत्र में पिरोती है। देश को एक रखने में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था।  हिंदी ने हमें दुनियाभर में पहचान दिलाई है। आज के समय में लोग अंग्रेजी भाषा को अपने जीवन के हर हिस्सा में उतारने में लगे हुए हैं, लेकिन यह भी सच है कि हिंदी भाषा का अपना महत्व बना हुआ है।

दोस्तों, आजादी के करीब 8 दशक बाद भी स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की इच्छा अधूरी है। हिंदी भाषा देश की राजभाषा ही बन पाई है। आज पूरे देश में हर राज्य में हिंदी बोलने समझने वाले लोग रहते हैं। गैर हिंदी भाषा राज्यों में भी लोग कामचलाऊ हिन्दी जानते हैं। भले ही आधिकारिक तौर पर हिन्दी देश की राष्ट्रभाषा न हो, केवल राजभाषा हो, व्यावाहरिक तौर पर वो इस देश की यह सर्वव्यापी भाषा है। ऐसे में जरूरत है आज हिन्दी को उसका वाजिब हक दिलाने के लिए एकजुट होने की जरूरत है। साथियों देश को एकता के सूत्र में बांधने वाली हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि भावों की अभिव्यक्ति है।

आज के इस विशेष अवसर पर हम सबको हिंदी भाषा के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। हमें न केवल इस भाषा को बोलने और लिखने में गर्व महसूस करना चाहिए बल्कि इसे बढ़ावा देने और इसके प्रचार-प्रसार में भी योगदान देना चाहिए। हिंदी भाषा को सम्मान देना और इसे संरक्षण देना हमारी सांस्कृतिक जिम्मेदारी है। हिंदी दिवस के इस पावन अवसर पर हम सबको मिलकर यह संकल्प लेना चाहिए कि हम हिंदी भाषा की समृद्धि और विकास में सहयोग करेंगे और इसे आने वाली पीढ़ियों तक गर्व के साथ पहुंचाएंगे। आइये हम सब मिलकर इसको अधिक से अधिक बोलचाल की भाषा में उपयोग में लाएं।

अंत में मैं अपने भाषण की समाप्ति कुछ लाइनों के साथ करना चाहूंगा- 

हिंदी हैं हम

वतन है हिन्दुस्तान हमारा – हमारा।

सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।

जय हिन्द, जय भारत।

हिन्दुस्तान एजुकेशन

इंजीनियरिंग के टॉप कॉलेज

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मेडिकल के टॉप कॉलेज

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लॉ के टॉप कॉलेज

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speech on hindi diwas ka mahatva

हिन्दी दिवस पर भाषण हिंदी में (Hindi Diwas Speech In Hindi): इस पेज से पढ़ें

speech on hindi diwas ka mahatva

हमारे देश में साल भर अलग-अलग दिवस मनाए जाते हैं जैसे शिक्षक दिवस, बाल दिवस, स्वतंत्रता दिवस, मजदूर दिवस, मातृ दिवस, पितृ दिवस आदि। इसी तरह से भारत में हर साल 14 सितंबर के दिन हिन्दी दिवस मनाया जाता है। आज ही के दिन वर्ष 1949 में विधानसभा में हिंदी को एक मत से राजभाषा घोषित किया गया था। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर हर क्षेत्र में हिंदी का प्रसार करने के लिए, 1953 से,हर साल 14 सितंबर को पूरे भारत में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता था। इसके अलावा हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हिन्दी हमारी मातृभाषा है और यह देश में बोली जाने वाली अन्य सभी भाषाओं में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। हिन्दी दिवस के दिन स्कूल, कॉलेजों, ऑफिस में हिन्दी निबंध लेखन , हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हिन्दी दिवस के दिन शिक्षक अपने विद्यार्थियों को हिन्दी के प्रति सम्मान और उपयोग करने की शिक्षा के साथ हिन्दी दिवस पर भाषण देते हैं और हिन्दी दिवस का महत्व समझाते हैं। अगर आप Hindi Diwas Speech पढ़ना चाहते हैं तो इस पेज को देख सकते हैं और हिन्दी दिवस स्पीच का प्रयोग आप अलग-अलग हिंदी दिवस कार्यक्रम में कर सकते हैं।

हिन्दी दिवस पर भाषण हिंदी में (Hindi Diwas Speech In Hindi)

हिन्दी दिवस पर भाषण -1 (300 शब्द में)

आदरणीय मुख्य अतिथि, शिक्षकों और मेरे सभी मित्रों को मेरा नमस्कार!

आज का दिन हम हिन्दी दिवस के रूप में मनाने जा रहे हैं। सबसे पहले आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और आप सभी का धन्यवाद की आपने मुझे इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत करने का मौका दिया। हर साल पूरे भारत में 14 सितंबर का दिन हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी ने हिंदी को आमजन की भाषा बताया था, इसलिए इसे राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया गया। वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था और 14 सितंबर 1949 के दिन विधानसभा ने एक मत से यह निर्णय लिया की हिन्दी भारत की राजभाषा होगी।

हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में भारत की कार्यकारी और राजभाषा का दर्जा आधिकारिक रूप में दिया गया। गांधी जी ने हिन्दी भाषा को जनमानस की भाषा भी कहा है। भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में हिन्दी को संघ की राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हिंदी दिवस 14 सितंबर का दिन वह है जब हम सभी अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार और प्रसार करते हैं। हिंदी पूरी दुनिया में सबसे अधिक बोली जानें वाली मूल भाषा है। 2011 सेन्सस रिपोर्ट के अनुसार भारत की सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा हिंदी है। 2001 में 41.03 % मातृभाषा हिंदी बोलने वाले लोग थे वहीं 2011 में यह प्रतिशत बढ़ कर 43.63% हो गया। हिन्दी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है और भारत में 1949 से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।

हम सबके लिए हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का बहुत महत्त्व है। हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। आज के आधुनिक युग में हमें अंग्रेजी भाषा भी सीखना जरूरी है लेकिन हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमें “हिंदी है हम वतन है” नारे का सम्मान करना चाहिए। आप सभी को एक बार फिर हिंदी दिवस की बहुत बहुत बधाई।

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हिन्दी दिवस पर भाषण -2 (200 शब्द में)

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, सभी गुरुजनों और मेरे सभी साथियों को मेरा नमस्कार।

आप सभी को 14 सितंबर हिन्दी दिवस की अनेक अनेक बधाई। आज का दिन हम सबके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि आज के दिन यानी 14 सितंबर 1949 को ही हमारी हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ था। हिन्दी को दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह हम सब के लिए बहुत ही गर्व की बात है। आज के दिन हम सभी लोगों में हिन्दी के प्रति जागरूकता फैलाने और हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं।

आज का युग आधुनिक का युग बन गया है और हम सब यह कोशिश करते हैं कि सोशल मीडिया के माध्यम से सभी लोगों तक यह संदेश पहुंचा सके कि हिंदी भाषा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। इस दिन कई सेमिनार, हिन्दी दिवस समारोह आदि कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। मेरे विचार से हिंदी दिवस के दिन सभी स्कूल, कॉलेज, ऑफिस में अलग अलग प्रतियोगिताओं जैसे कविता लेखन, कथा-पटकथा लेखन, निबंध लेखन आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है ताकि अन्य लोगों के साथ युवा पीढ़ी भी हिंदी भाषा से जुड़ी रहे। आज के दिन हम सभी लोगों को हिंदी गीत सुनने चाहिए और तुलसीदास, मुंशी प्रेमचंद, हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी कहानियां और कविताएं भी पढ़नी चाहिए।

मेरा आप सभी से निवेदन है कि हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने का गौरव प्रदान करें। किसी भी देश की पहचान उसकी मातृभाषा से होती है। इस सत्र का हिस्सा बनने और मुझे सुनने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद। जय हिंद जय भारत।

हिन्दी दिवस लेखन हिंदी में

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मातृ दिवस कविता – Mother’s Day Poem in Hindi 

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Hindi Divas Ka Mahatva – हिंदी दिवस का महत्त्व

Hindi Divas Ka Mahattv

हिंदी दिवस (Hindi Divas) प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर (14 September) को मनाया जाता है। भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को अपनाया। हिंदी भाषा को 26 जनवरी 1950 को देश के संविधान द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में उपयोग करने की स्वीकृत प्रदान किया गया था।

इसलिए आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने के लिए आज हम लोग हिंदी दिवस के रूप में मनाते है। इस दिवस पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली में विज्ञान भवन में लोगों से हिंदी से संबंधित क्षेत्रों में उनके बेहतर योगदान के लिए पुरस्कार दिए जाते जाते हैं।

कुछ महत्त्व पूर्ण बातें – Some important things

  • 26 जनवरी 1950 को देश के संविधान द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में उपयोग करने का विचार स्वीकृत किया गया था।
  • गांधी जी ने 14 सितंबर 1949 को हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा (Hindi Language) को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था।
  • इस दिन हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में भारत की कार्यकारी और राजभाषा का दर्जा आधिकारिक रूप में दिया गया था।
  • भारतीय संविधान (Constitution of India) की धारा 343 में हिन्दी को संघ की राजभाषा और लिपि देवनागरी लिपि का उल्लेख मिलता है।
  • हिंदी दिवस पर हिन्दी दिवस समारोह आदि कार्यक्रम का आयोजन होता है और पुरस्कार भी दिए जाते जाते हैं।
  • इस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा हिंदी भाषा में योगदान के लिए लोगो को पुरस्कार भी दिए जाते जाते हैं।
  • यह दिवस राष्ट्रभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
  • हम सबको अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए।

Hindi Diwas Par Kavitayen – हिंदी दिवस पर कविताएं

राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार – National Language Kirti Award

इस योजना के तहत कुल 39 पुरस्कार दिये जाते हैं। यह पुरस्कार किसी भी विभाग, समिति, मण्डल आदि को उसके द्वारा हिन्दी में दिए गए श्रेष्ठ योगदान के लिए दिया जाता है।

राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार – National Language Gaurav Award

यह पुरस्कार तकनीकी के क्षेत्र में लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में अपनी मातृभाषा “हिन्दी” को आगे बढ़ाना है।

भारत की कुछ जानने योग्य बातें

– अनमोल ज्ञान इंडिया –

Hindi Divas Ka Mahatva

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speech on hindi diwas ka mahatva

Hindi Diwas Speech in Hindi 2024: हिंदी दिवस पर भाषण की तैयारी कैसे करें? स्वतंत्रता आंदोलन में इसके महत्व को ऐसे समझाएं

Specialty: Lifestyle

Hindi Diwas Speech in Hindi Bhashan for student in 100 Word 200 word 500 Word

Hindi Diwas Speech in Hindi 2024, Hindi Diwas Par 100 Word, 200 word, 500 Word Bhashan: हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, जो हमें हमारी मातृभाषा हिंदी की समृद्धि और गरिमा की याद दिलाता है। यह दिन हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।

हिंदी ना सिर्फ एक भाषा है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और एकता का प्रतीक है। यह दिन हमें हमारे इतिहास, साहित्य, और समाज को जोड़ने वाली इस भाषा की महत्ता को समझने का मौका देता है। इस दिन का उद्देश्य न केवल हिंदी भाषा की समृद्धि को मान्यता देना है, बल्कि उसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भूमिका को भी उजागर करना है।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधीजी, नेहरू, पटेल, और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं ने हिंदी को एकता और राष्ट्रीय जागरूकता के माध्यम के रूप में अपनाया। महात्मा गांधी ने हिंदी को जनसाधारण के बीच एकजुटता और समरसता का प्रतीक मानते हुए इसे स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बनाया। उनकी अपील पर, हिंदी ने एक महत्वपूर्ण संचार और विचारों के आदान-प्रदान के साधन के रूप में कार्य किया, जिससे भारत के विभिन्न हिस्सों के लोगों को एक साझा मंच मिला।

speech on hindi diwas

हिंदी के प्रचार-प्रसार में कई महापुरुषों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई और इसके प्रचार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। इसके अलावा, मुंशी प्रेमचंद और सुभद्राकुमारी चौहान जैसे साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और उसे आम जनता के बीच लोकप्रिय बनाया।

इसलिए, हिंदी दिवस पर स्कूलों में बच्चों, सरकारी कार्यलयों में अधिकारियों और सदस्यों के भाषणा के रूप में इसकी महत्ता और जरूरत को बताया जा सकता है। लेकिन इसके लिए अच्छे भाषणा की आवश्यकता पड़ती है। इसी को देखते हुए हमने आपके लिए यहां हिंदी दिवस पर 100 शब्दों, 200 शब्दों और 500 शब्दों में भाषणा लेकर आए हैं। इसकी सहायता से हिंदी दिवस पर अच्छे भाषणा की तैयारी कर सकते हैं।

भाषणों के जरिए हम हिंदी की उपयोगिता, इसके विकास की संभावनाओं और इसे भविष्य में प्रासंगिक बनाए रखने के तरीकों पर चर्चा कर सकते हैं। यह दिन हिंदी के प्रति गर्व और उसकी सुरक्षा का संकल्प लेने का भी है।

Table of Contents

हिंदी दिवस स्पीच (100 शब्द) hindi diwas speech 2024

सभी को नमस्कार!

आज हम हिंदी दिवस मना रहे हैं, जो हमारे देश की राजभाषा हिंदी के महत्व को समझने और उसे सम्मान देने का अवसर है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। हिंदी दिवस हर साल हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने और उसकी समृद्धि का उत्सव मनाने के लिए मनाया जाता है। हिंदी हमारी संस्कृति, साहित्य और विचारों की अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण साधन है। आइए, हम सभी मिलकर हिंदी को अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में और अधिक स्थान दें और इसे विश्व स्तर पर प्रसारित करने में योगदान दें।

हिंदी दिवस पर भाषण (200 शब्द) speech on hindi diwas 2024

सभी सम्मानित अतिथियों को नमस्कार!

आज हम हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एकत्रित हुए हैं। 14 सितंबर 1949 को हमारे देश की संविधान सभा ने हिंदी को देवनागरी लिपि में भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकृत किया था, और तब से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें हमारी भाषा की समृद्धि, इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर की याद दिलाता है।

हिंदी न केवल भारत में, बल्कि विश्व भर में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाती है। यह हमारे समाज, साहित्य और सांस्कृतिक विचारों की प्रमुख अभिव्यक्ति है। मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' जैसे महान लेखकों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है।

हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता फैलाना और उसकी विकास यात्रा को बढ़ावा देना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी मातृभाषा को रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाना चाहिए और उसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखना चाहिए।

आइए हम सब मिलकर हिंदी को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें।

हिंदी दिवस भाषण (500 शब्द) hindi diwas par bhashan

माननीय मुख्य अतिथि, अध्यापकगण और मेरे प्रिय मित्रों,

आप सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं! आज हम यहाँ 14 सितंबर के इस विशेष अवसर पर एकत्रित हुए हैं, जो कि हमारी राजभाषा हिंदी के महत्व और उसकी गरिमा को मान्यता देने का दिन है।

हिंदी दिवस मनाने की परंपरा 14 सितंबर 1949 से शुरू हुई, जब संविधान सभा ने हिंदी को देवनागरी लिपि में भारत की राजभाषा के रूप में मान्यता दी। इसे हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने औपचारिक रूप से 1953 से हिंदी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। यह दिन हमें हिंदी भाषा की महत्ता, उसकी समृद्धि और उसके विकास को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना और गौरवशाली है। इसका विकास संस्कृत, पाली और प्राकृत भाषाओं से हुआ है। भारत की आजादी के आंदोलन में हिंदी ने एकता का प्रतीक बनकर कार्य किया और देश के विभिन्न हिस्सों में विचारों का आदान-प्रदान करने का महत्वपूर्ण माध्यम बनी। हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर, साहित्य और आत्मीयता की पहचान है। मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त, महादेवी वर्मा, और हरिवंश राय बच्चन जैसे महान लेखकों और कवियों ने हिंदी साहित्य को अमूल्य योगदान दिया है। उनके साहित्य ने समाज को नई दिशा दी और जनमानस को जागरूक किया।

हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित करना है। यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और हमें अपने इतिहास, संस्कृति और सभ्यता की याद दिलाता है। आज के वैश्विक दौर में, जबकि अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं का महत्व बढ़ा है, हमें हिंदी की महत्ता को नहीं भूलना चाहिए। हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए और उसे संरक्षित रखना चाहिए।

हिंदी केवल भारत की ही नहीं, बल्कि विश्व की एक महत्वपूर्ण भाषा है। यह दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी ने विश्व मंच पर भी अपनी पहचान बनाई है। इसके बावजूद, हमें इसे और अधिक प्रचलित करने और तकनीकी और व्यावसायिक क्षेत्रों में भी इसका उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।

हिंदी दिवस हमें यह अवसर देता है कि हम भाषा के प्रति अपने कर्तव्यों को याद करें और इसे अपने जीवन में और अधिक समाहित करें। हमें हिंदी को सिर्फ सरकारी भाषा तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे विज्ञान, तकनीक, व्यापार और अन्य सभी क्षेत्रों में बढ़ावा देना चाहिए।

आइए, हम सभी मिलकर संकल्प लें कि हम अपनी भाषा हिंदी का मान बढ़ाएंगे, इसे विश्व स्तर पर ले जाएंगे और इसकी समृद्धि को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाएंगे।

हिंदी दिवस: इतिहास और महत्व

हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व को समझना और उसे प्रोत्साहित करना है। यह दिन 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में मान्यता दिए जाने की स्मृति में मनाया जाता है। हिंदी की उत्पत्ति संस्कृत से हुई, और इसका विकास प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं से हुआ। हिंदी ने भारतीय साहित्य, संस्कृति और समाज को गहराई से प्रभावित किया है।

हिंदी दिवस का महत्व इस बात में है कि यह हमें हमारी मातृभाषा की अहमियत और उसकी समृद्धि को समझने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक योगदान और हिंदी की भूमिका को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने का अवसर देता है।

हिंदी दिवस पर भाषण देना और हिंदी के महत्व को समझाना इस तथ्य को उजागर करता है कि हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। यह दिन हमें अपने महापुरुषों के योगदान को याद करने और हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।

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