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भारत चीन सम्बन्ध पर निबंध | Essay On Relation Between India And China In Hindi

भारत चीन सम्बन्ध पर निबंध | Essay On Relation Between India And China In Hindi: Bharat china sambandh -नमस्कार फ्रेड्स आपका स्वागत हैं भारत चीन संबंध का निबंध, भाषण, अनुच्छेद, लेख, आर्टिकल यहाँ साझा कर रहे हैं. Indo-China Relationship पर यहाँ शोर्ट निबंध दिया गया हैं.

भारत चीन सम्बन्ध पर निबंध | Essay On India China Relation In Hindi

भारत और चीन के ऐतिहासिक संबंध हजारों साल पुराने हैं. चीन सहित अन्य कई एशिया के देश बौद्ध धर्म के अनुयायी रहे है, जिनकी जन्मभूमि भारत को माना जाता हैं.

तीसरी सदी में सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए विशेष प्रचार किए थे. यही से भारत चीन सम्बन्धों की शुरुआत मानी जाती हैं,

बौद्ध भिक्षु फाहियान   (४०५-४११) तथा चीनी  यात्री हेनसाग  (६३५-६४३)  ने भारत की यात्रा की थी. सातवी सदी में हम्बली व इतिसंग नामक चीनी यात्री भारत आए.

इसके अतिरिक्त अनेक तिब्बती व चीनी यात्रियों ने भारत की यात्रा की, जिससे दोनों देशों धार्मिक एवं सामाजिक सम्बन्धों  में वृद्धि हुई.

भारत चीन के ऐतिहासिक रिश्ते

चीन में प्रस्तर फलकों द्वारा मुद्रण का आविष्कार हो चूका था. किन्तु पत्थरों के भारी होने के कारण यह विधि पुस्तकों की छपाई के लिए विशेष उपयोगी नहीं थी, काष्ट पर उत्कीर्ण ठप्पों की छपाई विधि चीन में भारत से सुई काल में पहुंची.

इस विधि से 868 ई में सबसे पहले बौद्ध धर्म की पवित्र पुस्तक वज्रच्छेदिक प्रज्ञा पारमिता सूत्र मुद्रित हुई. इसे संसार की सबसे पहली मुद्रित पुस्तक माना जाता हैं.

चीन में आयुर्वेद भारत से पहुंचा. पांचवीं शताब्दी के मध्य चीनी बौद्ध सामंत किग शेंग द्वारा रचित चिकित्सा ग्रंथ चे चान पिंग पी याओ फा विविध भारतीय मूल ग्रंथों से संकलित किया गया हैं.

11 वीं शताब्दी ई में रावण कृत कुमारतंत्र नामक भारतीय आयुर्वेद ग्रंथ का चीनी भाषा में अनुवाद किया गया जो बाल रोग चिकित्सा का ग्रन्थ हैं.

520 ई में चीनी यात्री सांग युन ने भारत के उत्तरी पश्चिमी सीमान्त क्षेत्र के उद्यान राज्य में लाओ त्जे कृत उपनिषद ताओ तेह किग ग्रंथ का प्रवचन दिया जो कि चीनी रहस्यवाद और दर्शन शास्त्र की उत्कृष्ट रचना हैं.

सातवीं शताब्दी ई के पूर्वार्द्ध में प्राज्योतिष के राजा भास्करवर्मन ने इस ग्रंथ को संस्कृत में अनुवाद करवाने की उत्कंठा प्रकट की थी.

धर्मरक्ष ने बौद्ध महाकवि अश्वघोष के महाकाव्य बुद्धचरित का चीनी भाषा में अनुवाद किया. मो लांग की एक नायिका और दक्षिण पूर्व की ओर उड़ता हुआ मयूर जैसे प्रबंध काव्यों की रचना बौद्ध साहित्य की शैली में ही हुई.

तांग राज्यकाल में रचित एक तकिये का अभिलेख और सुंगकाल में लिखित लोकप्रिय उपन्यास स्वर्णिम बोतल का आलूचा भी इसी तरह के उदाहरण हैं.

चीन का लोकप्रिय तंतु वाद्ययंत्र कोन हो हान राज्यकाल में भारत आया. तांग राज्यकाल में प्रयुक्त होने वाला एक अन्य वाद्ययंत्र पि पा मिस्र अरब और भारत पंहुचा जो एक प्रकार का गिटार था.

ईसा की आठवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में राष्ट्रीय पंचाग को निश्चित करने के लिए कुछ भारतीय भिक्षुओं की नियुक्ति की गई. इनमें से प्रथम भिक्षु गौतम की गणना पद्धति कुआंग त्से ली नाम दिया गया.

उसका प्रयोग केवल तीन वर्ष के लिए हुआ जिसके बाद सिद्धार्थ नामक एक अन्य भिक्षु ने नया पंचाग बनाकर 718 ई में तांग सम्राट हुआन त्सुग को दिया. कियू चेली नामक यह पंचाग किसी भारतीय पंचाग का अनुवाद था,

जिसमें चन्द्रमा की गति और ग्रहणों की गणना का वर्णन था. 721 ई में यि हिंग नामक चीनी बौद्ध ने स्पष्टतया भारतीय पद्धति पर आधारित एक नई प्रणाली निकाली जिसमें भारतीय ज्योतिष की तरह नवग्रहों को मान्यता दी गई.

आधुनिक भारत चीन सम्बन्धों की शुरुआत 1947 में आजादी के बाद से शुरू हुई, जब चीन में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में साम्यवादी सरकार की स्थापना 1949 में हुई.

हमारे चीन के साथ रिश्ते प्रगाढ़ रहे हैं, चीन की संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में भारत द्वारा अनुशंसा की गईं थी, तथा उसे राजनितिक मान्यता दिलाने की शुरुआत करने वाला भारत पहला गैर साम्यवादी राष्ट्र था.

जबकि अब यही चीन भारत के uno की सिक्योरिटी कौंसिल के स्थाई सदस्य बनने में चीन अपने वीटों का उपयोग कर रहा हैं.

पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु तथा चीनी प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई के दोस्ताना रिश्ते थे. लाई नेहरु के बिच 1954 में हुआ ऐतिहासिक समझौता पंचशील सिद्धांत समझौता के नाम से प्रसिद्ध हैं.

1955 का दौर जब दोनों देश के नेता एक दूसरे देश में जाते तथा हिंदी चीनी भाई भाई के नारे बांडूरंग समझौते में भारत की यही कुटनीतिक भूल थी.

भारत चीन संबंध का इतिहास (History of india-China relations in Hindi)

चीन भारत से दोस्ती कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने में जुट गया, 1957 में भारत चीन व तिब्बत सीमा विवाद के चलते दोनों देशों के बिच रिश्तों में काफी गर्माहट रही.

1954 के पंचशील समझौते में भारत ने स्वीकार किया, कि तिब्बत पर चीन का अधिकार हैं, मगर भारत सरकार ने तिब्बत में चीनियों द्वारा तिब्बती नागरिकों के किये जा रहे दमन को मान्यता नही दी थी.

तिब्बत के आंतरिक विद्रोह को भारत की एक तरह से यह सहानुभूति थी. खम्पा क्षेत्र में बौद्ध धर्म के भिक्षु दलाई लामा उस विद्रोह के मुख्य नेता था.

चीनी सरकार ने इस विद्रोह को सैन्य ताकत का उपयोग करते हुए कुचल दिया, बतौर शरणार्थी दलाई लामा ने भारत में शरण ले ली. 31 मार्च 1959 को लामा के भारत पहुचते ही, चीनी सरकार ने इस पर भारत से आपत्ति जताई.

यही भारत चीन रिश्तों का सबसे कटुतापूर्ण समय था. चीन भारत का बदला लेने के लिए सैन्य अभ्यास में जुट गया, जबकि भारतीय नेता चीन की यात्रा पर हिंदी चीनी भाई भाई के नारों में मशगुल थे.

भारत चीन युद्ध 1961 (1961 india china war in hindi)

दलाई लामा को शरण देने के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को अपमानित करने के लिए 20 अक्टूबर 1962 को भारत के उत्तरी पूर्वी सीमान्त क्षेत्र में लद्दाख की सीमा पर आक्रमण कर चीन के कुछ क्षेत्रों पर कब्जा कर दिया, दलाई लामा को शरण देने का मात्र बहाना था, चीन इस आक्रमण के द्वारा अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहता था.

इस आक्रमण से वह भारत को कमजोर साबित करना चाहता था, इस तरह वह अपने मंसूबों में कामयाब भी हो गया. चीन के इस आक्रमण से जवाहरलाल नेहरु का गहरा आघात लगा और अन्तः 1964 में उनकी मृत्यु हो गईं.

ड्रेगन चीन ने यही तक बस नहीं किया, उसने 1965 व 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में पाक का परोक्ष समर्थन कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे.

भारत चीन सम्बन्धों में सुधार का दौर

वर्ष 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने चीन की यात्रा करके दोनों देशों के बीच की दरार को कम करने की कोशिश की. सन 1991 में चीनी प्रधानमंत्री ली पेंग भारत आए और आर्थिक सम्बन्धों को बढ़ाने का आश्वासन दिया.

वर्ष 1993-94 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने भी सीमा विवाद को समाप्त कर चीन के साथ अच्छे आर्थिक संबंध बनाने की पहल की.

2003 में भारत ने चीन का तिब्बत पर दावा भी स्वीकार कर लिया. 2005 में प्रधानमंत्री जियाबाओ ने भारत की यात्रा की तथा सिक्किम पर अपनी दावेदारी को नकारा.

नवम्बर 2006 में चीनी राष्ट्रपति हू जिन्ताओ की भारत यात्रा के दौरान भी दोनों देशों के बिच आर्थिक संबंध मजबूत बनाने तथा सीमा विवाद को सुलझाने जैसे अहम मुद्दों पर सार्थक बातचीत हुई.

वर्तमान में भारत चीन संबंध

इतिहास को उठाकर देख ले, चीन का भारत के प्रति रवैया कभी भी सकारात्मक नही रहा हैं. जब भी भारत ने अमेरिका या अन्य किसी पूंजीवादी मुल्क के साथ संबंध बनाए हैं.

तब तब चीन के पेट में दर्द हुआ हैं. चीन एशिया में भारत को ही अपना प्रतिद्वंदी मानता हैं. वह पाकिस्तान के साथ अब आर्थिक और सैन्य समझौते करने के साथ अन्य एशियाई देशों के साथ श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, भूटान तथा नेपाल में भी भारत विरोधी कार्य कर रहा हैं.

पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादी को आर्थिक सहायता देकर जम्मू कश्मीर में अशांति का माहौल तैयार करने तथा पाकिस्तान को बार बार भारत के साथ सीमा पर गोलीबारी के लिए उकसाने का कार्य चींब हमेशा से करता आ रहा हैं.

भारत की कई सामरिक एवं आर्थिक परियोजनाओं में टांग अड़ाकर चीन अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी चला रहा हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के दावे को हर बार चीन ने पाकिस्तान के कहने पर वीटों का उपयोग कर इसे रोका हैं.

उत्तरी, पूर्व, पश्चिम तथा पूर्व आसमा से लेकर समुद्र तक चीन भारत को घेरने में लगा हैं. तथा पड़ौसी देशों को भारत के खिलाफ उकसा रहा हैं.

हाफिज सईद को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के निर्णय में एक बार फिर चीन भारत का रोड़ा बनकर विश्व के सामने आया हैं. भारत चीन के मध्य सीमा विवाद 1968 से चल रहा हैं. लेकिन चीन इस पर हल न चाहकर इसे निगलना चाहता हैं.

भारत चीन संबंध 2022

हाल के वर्षों में भारत के साथ चीन का सीमा विवाद लगातार मुखर होता गया है. पिछले साल तो सिक्किम क्षेत्र में डोकलाम में 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं. 

चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी के साथ 2018 की शुरुआत से ही अच्छे सबंध दिखाई पड़ते हैं. प्रधानमंत्री 4 बार चीन की यात्रा पर जा चुके हैं.

जिनपिंग दो बार भारत भी आए हैं. इनके अतिरिक्त विदेश मंत्री तथा भारत के राष्ट्रपति भी हाल ही में चीन यात्रा पर गये थे, जिससे दोनों देशों के बिच में राजनितिक विश्वास की बहाली होगी या फिर भारत एक बार फिर चीन के साथ नरमी बरत कर कोई गलती तो नहीं कर रहा हैं.

अक्टूबर 2019 में जिनपिंग की भारत यात्रा और महाबलीपुरम अध्याय ने दोनों देशों के बीच सदियों पुराने स्वर्णिम इतिहास को फिर से दोहराया हैं.

मोदी जिनपिंग की इस अनौपचारिक वार्ता पर समस्त दुनियां का ध्यान भारत ने अपनी ओर खीचने में सफलता अर्जित की हैं. 2020 में भारत चीन संबंध मधुरता के साथ एक दूसरे के प्रति गहरे विश्वास के साथ नई ऊँचाइयों पर पहुंचे हैं.

कोरोना काल और उसके बाद के विश्व में भारत और चीन के रिश्तों के बीच काफी तनातनी रही हैं. दक्षिण चीन सागर विवाद में भी भारत ने अमेरिका और उनके सहयोगी देशों का समर्थन जारी रखकर चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की कोशिश की हैं.

लद्दाख सीमा पर चल रहे LAC विवाद के बाद कई स्तरीय सैन्य बातचीत और चीनी विदेश मंत्री के भारत यात्रा से दोनों देशों के तल्ख पड़े रिश्तों में कुछ सुधार के अनुमान लगाएं जा सकते हैं.

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भारत-चीन संबंध: UPSC के लिए नोट्स

भारत-चीन संबंध जीएस पेपर II, यूपीएससी परीक्षा के अंतर्राष्ट्रीय संबंध परिप्रेक्ष्य से एक महत्वपूर्ण विषय है।

पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) की स्थापना 1 अक्टूबर 1949 को हुई थी और भारत पीआरसी में एक दूतावास स्थापित करने वाला पहला गैर-कम्युनिस्ट देश था। 1 अप्रैल 1950 को भारत और चीन ने राजनयिक संबंध स्थापित किए। 1954 में दोनों देशों ने संयुक्त रूप से पंचशील (शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांत) की व्याख्या की।

भारत और चीन ने 1 अप्रैल 2020 को उनके बीच 1950 से अब तक राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ के रूप में चिह्नित किया था।

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IAS परीक्षा के दृष्टिकोण से, भारत और चीन के बीच संबंध एक महत्वपूर्ण विषय है और उम्मीदवारों को दोनों देशों के बीच नवीनतम द्विपक्षीय विकास के बारे में पता होना चाहिए।

भारत-चीन संबंध – नवीनतम विकास

  • सेना प्रमुख जनरल मनोज नरवणे ने स्थिति की समीक्षा की और घोषणा की कि दोनों सेनाओं के जवानों से संयम बरतने की अपील करते हुए स्थिति को कम करने के लिए आगे कदम उठाए जाएंगे।
  • 15 जून 2020 की रात को लद्दाख में भारत और चीन के बीच गतिरोध में एक बड़ी घटना हुई थी। पूर्वी लद्दाख के गलवान इलाके में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के दौरान भारतीय सेना के एक कमांडिंग ऑफिसर और दो जवानों की जान चली गई थी। 1975 के बाद से विवादित सीमा पर ये पहली युद्ध मौत थी। कुल मिलाकर, 2o भारतीय सैनिक इस झड़प में शहीद हुए थे। भारतीय सेना ने चीनी सेना को करारा जवाब दिया था और विभिन्न भारतीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीनी सेना ने आगामी संघर्ष में अपने काफी संख्या में सैनिकों को खो दिया था।
  • भारतीय और चीनी दोनों सेनाओं के कमांडिंग अधिकारियों के एक उच्च-स्तरीय दौरे के बाद, चीनी सेना ने 9 जून, 2020 को विवादित क्षेत्र से लगभग 2-2.5 किमी दूर हटने पर सहमति व्यक्त की, भारतीय सेना भी कुछ स्थानों पर विघटन के लिए सहमत हुई। . आगे के विघटन के लिए बातचीत आने वाले दिनों में भी जारी रहनी है।
  • जून 2020 के शुरुआती हफ्तों में, एलएसी के दोनों ओर सैनिकों की बड़ी संख्या थी, जिसमें भारतीय और चीनी सेना दोनों ही ताकत के साथ बराबर थी
  • 10 मई 2020 को, चीनी और भारतीय सैनिक नाथू ला, सिक्किम (भारत) में भिड़ गए। 11 जवान घायल हो गए। सिक्किम में झड़प के बाद, दोनों देशों के बीच लद्दाख में कई स्थानों पर सैनिकों के निर्माण के साथ तनाव बढ़ गया।
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  • 11 अक्टूबर 2019 को, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत और चीन के बीच दूसरी अनौपचारिक बैठक के लिए महाबलीपुरम, तमिलनाडु, भारत में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
  • 2019 में, भारत ने दोहराया कि वह वन बेल्ट वन रोड पहल में शामिल नहीं होगा, यह कहते हुए कि वह ऐसी परियोजना को स्वीकार नहीं कर सकता है जो अपनी क्षेत्रीय अखंडता के बारे में चिंताओं की अनदेखी करती है।
  • मई 2018 में, दोनों देश स्वास्थ्य, शिक्षा और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में अफगानिस्तान में अपने विकास कार्यक्रमों के समन्वय के लिए सहमत हुए।
  • 18 जून 2017 को, लगभग 270 भारतीय सैनिकों ने हथियारों और दो बुलडोजर के साथ चीनी सैनिकों को सड़क बनाने से रोकने के लिए डोकलाम में प्रवेश किया। अन्य आरोपों के अलावा, चीन ने भारत पर अपने क्षेत्र में अवैध घुसपैठ का आरोप लगाया, जिसे पारस्परिक रूप से सहमत चीन-भारत सीमा कहा जाता है, और इसकी क्षेत्रीय संप्रभुता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है।
  • 28 अगस्त 2017 को, चीन और भारत सीमा गतिरोध को समाप्त करने के लिए आम सहमति पर पहुंचे। दोनों डोकलाम में गतिरोध से अलग होने पर सहमत हुए।
  • 16 जून 2017 को निर्माण वाहनों और सड़क निर्माण उपकरणों के साथ चीनी सैनिकों ने डोकलाम में दक्षिण की ओर एक मौजूदा सड़क का विस्तार करना शुरू कर दिया, जिस पर चीन और भारत के सहयोगी भूटान दोनों का दावा है।
  • सितंबर 2014 में रिश्ते तनावपूर्ण हो गए क्योंकि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने चुमार सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अंदर दो किलोमीटर की दूरी पर प्रवेश किया। अगले महीने, वीके सिंह ने कहा कि चीन और भारत पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे पर “विचारों के समझौते” पर आए थे।

भारत-चीन संबंधों की पृष्ठभूमि

  • चीनी प्रधान मंत्री झोउ एनलाई ने जून 1954 में भारत का दौरा किया और प्रधान मंत्री नेहरू ने अक्टूबर 1954 में चीन का दौरा किया। प्रधान मंत्री झोउ एनलाई ने जनवरी 1957 और अप्रैल 1960 में फिर से भारत का दौरा किया।
  • 1962 में 20 अक्टूबर को हुए भारत-चीन संघर्ष ने द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर झटका दिया। अगस्त 1976 में भारत और चीन ने राजदूत संबंधों को बहाल किया।
  • फरवरी 1979 में तत्कालीन विदेश मंत्री ए बी वाजपेयी की यात्रा से उच्च राजनीतिक स्तर के संपर्कों को पुनर्जीवित किया गया।
  • चीनी विदेश मंत्री हुआंग हुआ ने जून 1981 में भारत की वापसी यात्रा की। प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने दिसंबर 1988 में चीन का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान, दोनों पक्ष सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को विकसित और विस्तारित करने पर सहमत हुए। सीमा प्रश्न पर एक निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए – और एक संयुक्त आर्थिक समूह (जेईजी) – एक संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) स्थापित करने पर भी सहमति हुई।
  • चीनी पक्ष से, प्रीमियर ली पेंग ने दिसंबर 1991 में भारत का दौरा किया। प्रधान मंत्री नरसिम्हा राव ने सितंबर 1993 में चीन का दौरा किया। भारत-चीन सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ शांति और शांति बनाए रखने पर समझौता हुआ। इस यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए, दोनों पक्षों को सीमा पर यथास्थिति का सम्मान करने के लिए प्रदान करना, एलएसी को स्पष्ट करना जहां संदेह है और सीबीएम शुरू करना
  • राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन ने मई 1992 में चीन की राजकीय यात्रा की। यह भारत की ओर से चीन की पहली राष्ट्र स्तरीय यात्रा थी।
  • नवंबर 1996 में राष्ट्रपति जियांग जेमिन की भारत की राजकीय यात्रा इसी तरह पीआरसी के किसी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा भारत की पहली यात्रा थी। उनकी यात्रा के दौरान जिन चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, उनमें एलएसी के साथ सैन्य क्षेत्र में सीबीएम पर एक समझौता शामिल था, जिसमें दोनों सेनाओं के बीच आदान-प्रदान बढ़ाने और सहयोग और विश्वास को बढ़ावा देने के लिए ठोस उपायों को अपनाना शामिल था।
  • भारत और चीन के राजनीतिक संबंध विभिन्न तंत्रों द्वारा और मजबूत होते हैं। रणनीतिक और विदेश नीति थिंक-टैंक के बीच एक करीबी और नियमित संवाद है।

परमाणु परीक्षण के बाद संबंध

11 मई 1998 को परमाणु परीक्षणों के बाद, संबंधों को मामूली झटके का सामना करना पड़ा। विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने जून 1999 में चीन का दौरा किया और दोनों पक्षों ने दोहराया कि कोई भी देश दूसरे देश के लिए खतरा नहीं है। राष्ट्रपति के. आर. मई-जून 2000 में नारायणन की चीन यात्रा ने उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान का मार्ग प्रशस्त किया। प्रधानमंत्री झू रोंगजी ने जनवरी 2002 में भारत का दौरा किया। प्रधान मंत्री ए.बी. वाजपेयी ने जून 2003 में चीन का दौरा किया था, जिसके दौरान संबंधों और व्यापक सहयोग के सिद्धांतों पर एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह भारत और चीन के बीच उच्चतम स्तर पर द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर पहला व्यापक दस्तावेज था। भारत और चीन ने सिक्किम और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के बीच सीमा पार करने के लिए एक सीमा व्यापार प्रोटोकॉल का समापन किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने समग्र द्विपक्षीय संबंधों के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से सीमा समझौते की रूपरेखा के बारे में जानने के लिए विशेष प्रतिनिधियों की नियुक्ति की।

चीन में भारतीय कंपनियां

पिछले कुछ वर्षों में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि के साथ, कई भारतीय कंपनियों ने चीन में अपने भारतीय और बहुराष्ट्रीय ग्राहकों दोनों की सेवा के लिए चीनी परिचालन स्थापित करना शुरू कर दिया है। चीन में प्रतिनिधि कार्यालयों, पूर्ण स्वामित्व वाले विदेशी उद्यमों या चीनी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम के रूप में काम कर रहे भारतीय उद्यम विनिर्माण (फार्मास्युटिकल्स, रिफ्रैक्टरीज, लैमिनेटेड ट्यूब, ऑटो-कंपोनेंट्स, पवन ऊर्जा, आदि), आईटी और आईटी-सक्षम सेवाओं (सहित) में हैं। आईटी शिक्षा, सॉफ्टवेयर समाधान, और विशिष्ट सॉफ्टवेयर उत्पाद), व्यापार, बैंकिंग और संबद्ध गतिविधियां।

जबकि भारतीय व्यापारिक समुदाय मुख्य रूप से ग्वांगझू और शेनझेन जैसे प्रमुख बंदरगाह शहरों तक ही सीमित है, वे बड़ी संख्या में उन जगहों पर भी मौजूद हैं जहां चीनियों ने गोदामों और थोक बाजारों जैसे कि यिवू की स्थापना की है। अधिकांश भारतीय कंपनियों की उपस्थिति शंघाई में है, जो चीन का वित्तीय केंद्र है; जबकि कुछ भारतीय कंपनियों ने बीजिंग की राजधानी में कार्यालय स्थापित किए हैं। चीन में कुछ प्रमुख भारतीय कंपनियों में डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज, अरबिंदो फार्मा, मैट्रिक्स फार्मा, एनआईआईटी, भारत फोर्ज, इंफोसिस, टीसीएस, एपीटेक, विप्रो, महिंद्रा सत्यम, एस्सेल पैकेजिंग, सुजलॉन एनर्जी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, सुंदरम फास्टनर, महिंद्रा और शामिल हैं। महिंद्रा, टाटा संस, बिनानी सीमेंट्स, आदि। बैंकिंग के क्षेत्र में, दस भारतीय बैंकों ने चीन में परिचालन स्थापित किया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (शंघाई), बैंक ऑफ इंडिया (शेन्ज़ेन), केनरा बैंक (शंघाई) और बैंक ऑफ बड़ौदा (गुआंगज़ौ) के शाखा कार्यालय हैं, जबकि अन्य (पंजाब नेशनल बैंक, यूको बैंक, इलाहाबाद बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन) बैंक ऑफ इंडिया, आदि) के प्रतिनिधि कार्यालय हैं। पीएसयू बैंकों के अलावा, एक्सिस, आईसीआईसीआई जैसे निजी बैंकों के भी चीन में प्रतिनिधि कार्यालय हैं।

भारत में चीनी कंपनियां

भारतीय दूतावास के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, लगभग 100 चीनी कंपनियों ने भारत में कार्यालय/संचालन स्थापित किए हैं। मशीनरी और बुनियादी ढांचे के निर्माण के क्षेत्र में कई बड़ी चीनी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों ने भारत में परियोजनाएं जीती हैं और भारत में परियोजना कार्यालय खोले हैं। इनमें सिनोस्टील, शौगांग इंटरनेशनल, बाओशन आयरन एंड स्टील लिमिटेड, सैनी हेवी इंडस्ट्री लिमिटेड, चोंगकिंग लाइफन इंडस्ट्री लिमिटेड, चाइना डोंगफैंग इंटरनेशनल, चीन हाइड्रो कॉर्पोरेशन आदि शामिल हैं। कई चीनी इलेक्ट्रॉनिक, आईटी और हार्डवेयर निर्माण कंपनियां भी भारत में परिचालन करती हैं। इनमें हुआवेई टेक्नोलॉजीज, जेडटीई, टीसीएल, हायर आदि शामिल हैं। बड़ी संख्या में चीनी कंपनियां बिजली क्षेत्र में ईपीसी परियोजनाओं में शामिल हैं।

इनमें शंघाई इलेक्ट्रिक, हार्बिन इलेक्ट्रिक, डोंगफैंग इलेक्ट्रिक, शेनयांग इलेक्ट्रिक आदि शामिल हैं। चीनी ऑटोमोबाइल प्रमुख बीजिंग ऑटोमोटिव इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (BAIC) ने हाल ही में पुणे में एक ऑटो प्लांट में 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की योजना की घोषणा की है। झिंजियांग स्थित ट्रांसफार्मर निर्माता टीबीईए ने गुजरात में एक विनिर्माण सुविधा में निवेश करने की योजना बनाई है। प्रीमियर वेन की भारत यात्रा के दौरान, हुआवेई ने चेन्नई में एक दूरसंचार उपकरण निर्माण सुविधा में निवेश करने की योजना की घोषणा की।

भारत-चीन आर्थिक संबंध दोनों देशों के बीच रणनीतिक और सहयोगात्मक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण तत्व है। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने और मजबूत करने के लिए कई संस्थागत व्यवस्थाएं स्थापित की गई हैं। आर्थिक संबंधों और व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी (जेईजी) और भारत-चीन रणनीतिक और आर्थिक संवाद (एसईडी) पर भारत-चीन संयुक्त आर्थिक समूह के अलावा, 2006 से दोनों देशों के बीच एक वित्तीय वार्ता भी हो रही है।

भारत-चीन वित्तीय वार्ता

अप्रैल 2005 में चीनी प्रधान मंत्री वेन जियाबाओ की भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित भारत और चीन के बीच वित्तीय वार्ता के शुभारंभ पर समझौता ज्ञापन के अनुसार, दोनों पक्षों ने तब से सफलतापूर्वक वित्तीय वार्ता आयोजित की है। संवाद के अंत में एक संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए गए और उसे जारी किया गया। बातचीत के दौरान, दोनों पक्षों ने वैश्विक वृहद आर्थिक स्थिति और नीतिगत प्रतिक्रियाओं पर विचारों का आदान-प्रदान किया, जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए वर्तमान जोखिमों और संकट के बाद रिकवरी चरण में भारत और चीन की भूमिका का विशेष उल्लेख किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा प्रणाली में सुधार और मजबूत, टिकाऊ और संतुलित विकास के लिए रूपरेखा सहित जी20 मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

बैंकिंग लिंक

कई भारतीय बैंकों ने पिछले कुछ वर्षों में चीन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। चार भारतीय बैंकों, भारतीय स्टेट बैंक (शंघाई), केनरा बैंक (शंघाई), बैंक ऑफ बड़ौदा (गुआंगज़ौ), और बैंक ऑफ़ इंडिया (शेन्ज़ेन) के शाखा कार्यालय चीन में हैं। वर्तमान में, भारतीय स्टेट बैंक एकमात्र भारतीय बैंक है जिसके पास शंघाई में अपनी शाखा में स्थानीय मुद्रा (आरएमबी) कारोबार करने का अधिकार है। अधिक भारतीय बैंक चीन में अपने प्रतिनिधि कार्यालयों को शाखा कार्यालयों में अपग्रेड करने की योजना बना रहे हैं और मौजूदा शाखा कार्यालय आरएमबी लाइसेंस के लिए आवेदन कर रहे हैं। दोनों देशों के विभिन्न सरकारी संस्थान और एजेंसियां कराधान, मानव संसाधन विकास, और रोजगार, स्वास्थ्य, शहरी विकास और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक दूसरे के साथ बातचीत कर रही हैं। आर्थिक थिंक टैंक और विद्वानों के बीच भी घनिष्ठ आदान-प्रदान और बातचीत होती है।

चीनी राष्ट्रपति XI जिनपिंग की यात्रा (सितंबर 2014 में)

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा पांच प्रमुख पहलुओं में इतिहास में जाएगी।

यात्रा का परिणाम

  • राज्य/सरकार के प्रमुखों के स्तर पर वार्षिक दौरे।
  • स्मार्ट सिटी प्रदर्शन परियोजना के लिए प्रत्येक देश में एक शहर की पहचान की गई
  • मौजूदा लाइन पर चेन्नई से मैसूर तक बैंगलोर के रास्ते गति में वृद्धि
  • भारतीय रेलवे के 100 अधिकारियों के लिए भारी भरकम प्रशिक्षण
  • मौजूदा रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास और भारत में एक रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना
  • 2015 को चीन में ‘विजिट इंडिया ईयर’ और 2016 को भारत में ‘विजिट चाइना ईयर’ के रूप में मनाया गया
  • भारत में पर्यटन उत्पादों और मार्गों को बढ़ावा देना जो 7वीं शताब्दी ईस्वी में चीनी-मोनक विद्वान शुआन झांग की ऐतिहासिक यात्रा पर आधारित है
  • दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला 2016 में चीन भागीदार देश होगा
  • भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2014 में चीन अतिथि देश होगा
  • फिल्मों, प्रसारण और टेलीविजन कार्यक्रमों में आदान-प्रदान को मजबूत करना
  • इस वर्ष समुद्री सहयोग वार्ता का पहला दौर आयोजित किया जाएगा।

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भारत-चीन संबंध पर निबन्ध | Essay on Indo-China Relationship in Hindi

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भारत-चीन संबंध पर निबन्ध | Essay on Indo-China Relationship in Hindi!

भारत व चीन एक लम्बी अवधि से एक-दूसरे को सामरिक, आर्थिक एवं कूटनीतिक दृष्टि से पीछे करने के लिए प्रयत्न करते आ रहे हैं तथा एशिया में अपने वर्चस्व को लेकर उलझ रहे हैं । आज के राजनीति में चल रहे संक्रमण काल में भारत-चीन संबंधों की नई पहल का महत्व दोनों देशों के हितों के लिए ही नहीं, अपितु तृतीय विश्व के विकासशील देशों के हितों के लिए भी आवश्यक है ।

1954 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु तथा तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई द्वारा सह अस्तित्व के लिए प्रतिपादित पंचशील सिद्धांत दोनों देशों के बीच सहयोग एवं सम्मान हेतु स्थापित किया गया । पंचशील के पाँच सिद्धांतों में एक-दूसरे की अखण्डता व सम्प्रभुता का सम्मान, अनाक्रमण, समानता, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व तथा एक-दूसरे के आतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना शामिल था ।

भारतीय प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी की चीन यात्रा के समय चीनी प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ के साथ हुई बातचीत के बाद सरहदी रारत्ते से व्यापार बढ़ाने की एक सहमति के साथ-साथ आपसी संबंधों को व्यापक बनाने वाला एक साझा घोषणा-पत्र जारी किया गया, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को गति मिलने पर आपसी विश्वास का एक नया परिवेश पनपेगा ।

दोनों देशों ने व्यापार सम्बन्धी सहमति एमओयू और नौ समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए । वास्तविकता यह है कि दोनों देशों का आर्थिक व व्यापारिक भविष्य राजनीतिक व राजनयिक वातावरण के द्वारा सही सही अर्थों में तय होगा ।

अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सम्बर्द्धन परिषद (सी.सी.पी.आई.टी.) ने भारत के शीर्ष उद्योग संगठन फिक्की के साथ मिलकर एक-दूसरे के बाजार में यथाशीघ्र प्रवेश पाने व समझने के लिए गाइड बुक तथा बेवसाईट लांच किया है । इसके साथ ही व्यापारिक सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए क्षेत्रानुसार मार्गों के मानचित्र (रोड-मैप) भी तैयार किए गए हैं ।

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई आपसी बातचीत के बाद सरहदी रास्ते से व्यापार बढ़ाने की सहमति के साथ-साथ आपसी सम्बन्धों को व्यापक बनाने पर भी बल दिया गया और एक संयुक्त घोषणा-पत्र भी जारी किया गया । आशा है कि अब आर्थिक सम्बन्धों को एक नया आयाम मिलेगा ।

भारत-चीन सम्बन्ध एक नये युग में प्रवेश कर रहे हैं, जो कि व्यापारिक व आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं सामयिक पहल है, चीन ने भारत में ढाँचागत विकास और संसाधन के क्षेत्र में 50 करोड़ डॉलर के निवेश की इच्छा व्यक्त की है ।

दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग हेतु एक कार्यवाही योजना तय करने पर भी सहमति हुई है, सीमा व्यापार हेतु सिक्किम आने हेतु चीन ने ‘नाथू दर्रा’ खोलने पर भी स्वीकृति दे दी है तथा सिक्किम के ‘छांगू’ में चीन का व्यापार केन्द्र तथा तिब्बत के ‘रेनिगगौग’ में भारतीय व्यापार चौकी स्थापित करने में सहमति हुई है ।

ADVERTISEMENTS:

भारत का चीन रो व्यापार (आयात-निर्यात) 1999-2000 में 1825 मिलियन डॉलर था, जो 2002-03 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जिसके निरन्तर बढ़ते रहने कई सम्भावना है । इसके साथ ही व्यापारिक वीजा की अवधि भी बढ़ाई गई है, यद्यपि व्यापारिक सम्बन्धों को लेकर आपसी मतभेद रहा है कि अपने सस्ते माल से भारत के बाजार को भर रहा है, किन्तु भारत ने इसकी परवाह करते हुए भूमण्डलीकरण के इस दौर का एक अभिन्न अंग मानते हुए इसे भी सहर्ष स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं किया ।

दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी वाले दोनों देशों के बीच बाजार व व्यापार की संभावनाएं इतनी विशाल हैं कि आगामी कुछ वर्षों में साझा बाजार स्थापित हो सकता लेकिन इस व्यापार को साझा बाजार के रुप में विकसित करने के लिए संयुक्त रुप से समझदारी व संयम के साथ काम लेने की आवश्यकता है ।

यह उल्लेखनीय है कि इस भारत का वस्त्र उद्योग इस स्थिति के लिए स्वयं को तैयार कर रहा है जब 2005 इसका निर्यात कोटा समाप्त हो जाएगा । अत: ऐसी स्थिति में चीन के वस्त्र उद्योग के थ सहयोगी उद्यम के माध्यम से इस उत्पादन का एक बड़ा स्तर सुनिश्चित किया जा सकता है ।

इसके साथ ही भारत अनेक वर्षों से लगभग 5 करोड़ टन अतिरिक्त अनाज का भार वहन करता रहा है, जबकि अनाज का एक बड़ा भाग सहयोग एवं कं के साथ आसानी से चीन को निर्यात किया जा सकता है । प्रतिस्पर्धा के इस युग दोनों देशों को जर्मनी, फ्रांस व ब्रिटेन से सबक सीखते हुए साझा बाजार स्थापित करना हितकारी होगा ।

चीन के साथ भारत का सीमा विवाद एक पुराना रोग है, जिसका उपचार किसी भी प्रति में तुरन्त सम्भव नहीं है । विगत 22 वर्षों के दौरान 14 बार किए गए प्रयासों के सीमा विदा समाप्त करने के सन्दर्भ में कोई भी सार्थक एवं स्पष्ट नीति अभी तक नहीं बन पायी है ।

यह भी उल्लेखनीय है कि चीन ने पाकिस्तान, नेपाल, भूटान एवं म्यांमार से अपने सीमा विवाद समाप्त कर दिए और रुस, कजाकिस्तान व वियतनाम से भूमि व विवादों को भी विराम दिया जा चुका है । एकमात्र भारत के साथ चीन का सीमा बरकरार बना हुआ है ।

भारत व चीन के बीच की सर्श्वा सीमा जो लगभग 4056 किलोमीटर है, तीन क्षेत्रों-पूर्वी क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश में म्यांमार से भूटान तक है, मध्य नेपा के शिपकी दर्रा में लिपुलेख दर्रा तक तथा पश्चिमी क्षेत्र जम्मू-कश्मीर में लद्दाख से कराकोरम दर्रा तक है ।

पूर्वी क्षेत्र के एक बडे भू-भाग पर चीन ने 1962 के युद्ध के दौरान कब्जा कर लिया । किन्तु युद्ध विराम के बाद वह पहले वाली रथति पर तो चला गया, लेकिन उसने प्रदेश में लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर के सम्पूर्ण क्षेत्र पर अपने दावे की लगायी हुई है ।

पूर्वी क्षेत्र में 1100 किलोमीटर लम्बी सीमा है, जिसे मैकमोहन रेखा कहा जाता है, जो अरुणाचल को तिबत से अलग करती है । इसके अन्तर्गत लगभग 5000 किलोमीटर भू-भाग विवादग्रस्त है, पश्चिमी क्षेत्र में दोनों देशों के मध्य स्थित 1600 किलोमीटर लम्बी जम्मू-कश्मीर सीमा रेखा चीन को सिक्यांग तथा तिब्बत के क्षेत्रों से करती है ।

इसमें लगभग 25,000 वर्ग किलोमीटर भू-भाग विवादित है जिसमें पेमोंग के निकटवर्ती अक्साई चीन तथा चिंग झील के निकटवर्ती अक्साई चिन तथा चिंग हेनम घाटी सम्मिलित हैं । पाकिस्तान ने तथाकथित चीन-पाक समझौते के तहत् पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हमारा 5180 वर्ग किलोमीटर भू-भाग गैर-कानूनी राप से चीन को दे दिया है ।

मध्य क्षेत्र में लगभग 650 किलोमीटर लम्बी सीमा रेखा है, जो हिमालय में स्पीति वाराहोती तथा नीलांग के पहाड़ी क्षेत्रों को अलग करती है । इसके अन्तर्गत 1600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र विवादित है । पूर्वी क्षेत्र की सीमा रेखा को लेकर चीन को जितनी पेरशानी हो रही है, उससे कहीं अधिक समस्या वास्तव में वास्तविक नियन्त्रण रेखा को लेकर बनी हुई है ।

आश्चर्य किन्तु सत्य है कि चीन सेना ने अरुणाचल प्रदेश में उस दौरान भी जबरन प्रवेश करने का प्रयास किया जब भारत-चीन वार्ता हेतु वाजपेयी चीन यात्रा पर थे । इस घटनाक्रम में सीमित समर्पण के बाद भारत ने 15 चौकियाँ पीछे हटाई, चीन सैनिकों ने अर्द्धसैनिक बल के जवानो एवं खुफिया ब्यूरो के कर्मचारियों को घेरा, ललकारा व हथियार रखवाकर समर्पण की वीडिया फिल्म भी बनाई जिससे चीन की नीयत पर सन्देह होना स्वाभाविक है ।

सिक्किम के सन्दर्भ में भी चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि इसको भारत का अंग मानने की मान्यता उसने परोक्ष राप में भी नहीं दी है । सीमा विवाद के साथ ही चीन का पाकिस्तान के प्रति सामरिक लगाव भारत-चीन विश्वास में भटकाव उत्पन करता रहा है ।

चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए जा रहे आधुनिक हथियारों को लेकर उपजी सुरक्षा चिन्ता अविश्वास की असली समस्या है । पाकिस्तान में चीन ने न केवल काराकोरम राजमार्ग निर्माण करके अपनी सेना के लिए अरब सागर तक मार्ग बना चुका है, बल्कि इसके साथ ही नेपाल सीमा को राजमार्ग से जोड़ने का भी चीन द्वारा अनूठा प्रयास किया गया है ।

चीन की ओर से सुरक्षा की दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील राज्य के रुप में सिक्किम गिना जा रहा है क्योंकि पूर्वोत्तर राज्यों से सटा हुआ है । पूर्वोतर के उग्रवादियों को चीन से हथियार व प्रशिक्षण मिलता रहा है । अत: सिक्किम में सीमा व्यापार के नाम पर चीन के प्रवेश करते ही भारतीय सुरक्षा तन्त्र पर अतिरिक्त बोझ बढ़ने की आशंका से कदापि इनार नहीं किया जा सकता है ।

भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर दोनों की दोस्ती के बीच बहुत अवरोध है । चीन जान-बूझकर भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने की उपेक्षा करता जा रहा है जो कि सम्बन्धों के सन्दर्भ में शुभ संकेत नहीं है ।

यही चीन दूसरी ओर अन्य पड़ोसियों विशेषकर रुस के साथ सीमा विवाद सौहार्दपूर्वक सुलझा चुका है । इतना ही नहीं भारत पर लगाम लगाने व नकेल डालने की एक योजनाबद्ध रणनीति के तहत चीन अपने आधुनिक हथियारों एवं विकसित नाभिकीय प्रौद्योगिकी की आपूर्ति पाकिस्तान को करता रहा है ।

पाकिस्तान का सहयोग और चीन की भारत के चारों ओर जारी सामरिक व रणनीतिक गतिविधियाँ हमें निरन्तर सतर्क रहने के लिए रयष्ट संकेत देती हैं । कुछ भी हो भारत व चीन को सीमा सम्बन्धी विवाद हर हाल में सुलझाना होगा और उनके सह-अस्तित्व के लिए शर्तों पर, सहमत होना ही होगा ।

भारत ने इस दृष्टि से तत्परता दिखा दी है और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव बृजेश मिश्र को इस कार्य हेतु विशेष दूत बनाया गया है । अब देखना है कि सीमा विवाद सुलझाने में चीन कितनी रुचि लेगा उसी से नये सम्बन्धों के मीकरण सही अर्थो मे सुनिश्चित हो सकेंगे ।

भारत-चीन के व्यापारिक एवं व्यावहारिक कदम जिस गर्मजोश के साथ उठाए गए उससे भारत-चीन रिश्तों की खाइयाँ आहिस्ता-आहिस्ता पटती जा रही है । इसके लिए ल दोनों ओर से हुई है । सीमा विवाद के अलावा दोनों देशों ने वाजपेयी के इस दौरे व्यापार, शिक्षा, वीजा व सूचना तकनीकी आदि को लेकर भी अनेक महत्युपर्ण समझौते किए हैं, इस समझौतों से भी अधिक महत्युपर्ण एवं प्राथमिक कदम यह होगा कि भारत व न इस बात का विश्वास बनाए कि अब दोनों एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं बनेंगे ।

62 के आकस्मिक युद्ध के बाद यह प्रश्न प्रत्येक भारतीय के मन में उभरता है कि क्या चीन पर विश्वास किया जा सकता है ? इसका उत्तर तुरन्त देना सम्भव नहीं है, यह समय के साथ ही पता लग सकेगा यद्यपि चीन अब प्रत्यक्ष रुप से किसी भी देश के साथ युद्ध नहीं करना चाहता है, किन्तु इसके बावजूद अप्रत्यक्ष रुप से चीन अपने गेधियों को लामबन्द करने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ता रहा है ।

चूँकि इस समय गया में भारत चीन का प्रबलतम प्रतिद्वन्द्वी प्रमाणित हो रहा है जिससे वह भारत को भी तें ओर से अप्रत्यक्ष रुप से घेरने का भी हर सम्भव प्रयास कर रहा है । चीन का भारत के प्रति आकस्मिक लगाव उसके हृदय परिवर्तन के कारण नहीं पनपा बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में आए बदलाव और उससे उत्पन्न आवश्यकताओं के रण हुआ है ।

अमरीका के एशिया में नये समीकरणों की तलाश के कारण चीन को नी बड़ी है । चूँकि अमरीका अपनी दूरगामी रणनीति के तहत् चीन को घेरने के प्रयास लगा है और अपनी दादागिरी के बल पर चीन पर अपना अंकुश लगाना चाहता है ।

प्रस्थिति यह है कि चीन इस समय एशिया की एक महान शक्ति के रुप में उभरा है, को यदि भारत का सहयोग एवं समर्थन मिल जाता है तो उसके द्वारा अमरीका के स्व को सीधी चुनौती सरलता एवं सहजता से दी जा सकती है ।

भारत-चीन सम्बन्धों में सुधार करने के लिए आवश्यक है कि दोनों देश अतीत के पदों को भूलकर एक नए अध्याय का आरम्भ व्यापार, व्यवहार एवं विश्वास के साथ करें, आशंकाओं एवं सन्देहों को दर-किनार कर सामरिक सतर्कता के साथ सम्बन्धों को परने पर बल देने की सामयिक आवश्यकता है, यद्यपि हमारे चीन के साथ अनेक मुद्‌दों विरोधाभास है, जैसे-भारत में सिक्किम विलय को मान्यता न देना, दोनों देशों के बीच घणु अप्रसार सन्धि, दलाईलामा का भारत में प्रवास, पाकिस्तान के प्रति उसका विशेष व हथियारों की आपूर्ति तथा सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता के सन्दर्भ वर्तमान परिप्रेक्ष्य में दक्षिण एशिया में जो स्थिति है, इसमें दोनों देशों को अपने क्रियावादी रुख का परित्याग करना होगा और सम्बन्धों के सन्दर्भ में ठोस पहल करनी होगी ।

यद्यपि सीमा विवाद बेहद जटिल है, किन्तु अमरीका के बढ़ते वर्चस्व एवं गान समन्वित परिवेश की दृष्टि से भारत-चीन के साथ एक समुचित सौहार्दपूर्ण वातावरण का विकास एक आवश्यकता बन गई है ।

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भारत - चीन सीमा विवाद

  • 07 Mar 2017

गौरतलब है कि हाल ही में बीजिंग की एक मैगज़ीन के लिये दिये गए अपने एक इंटरव्यू में भारतीय सीमाओं के संबंध में चीन के पूर्व विशेष प्रतिनिधि दाई बिंग्गुओ (Dai Bingguo) ने कहा कि यदि भारत चाहे तो वह चीन के साथ विद्यमान सीमा विवाद का हल निकाल सकता है| दाई ने स्पष्ट किया कि यदि भारत देश के पूर्वी छोर पर स्थित तवांग (Tawang) क्षेत्र को चीन को सौंपने के लिये राजी हो जाता है तो चीन भी भारत के पश्चिमी छोर पर स्थित अक्साई चीन (Aksai China) में भारत को कुछ छूट देगा| प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा विवाद के संबंध में दाई का यह बयान उस समय आया है जब दोनों देशों के मध्य आतंकी मसूद अज़हर, एनएसजी (Nuclear Suppliers Group) में भारत की सदस्यता तथा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan Economic Corridor) जैसे विषय प्रमुख विचार - विमर्श का मुद्दा बने हुए हैं|
  • हालाँकि यहाँ स्पष्ट कर देना अत्यंत आवश्यक है कि दाई का यह बयान भारत तथा चीन सीमा विवाद का हल निकालने के बजाय सीमा विवाद के मुद्दे पर बीजिंग के रुख को दृष्टिगत करता  है| 
  • वस्तुतः चीन के साथ सीमा विवाद के समाधान हेतु तवांग क्षेत्र को चीन को सौंपे जाने की शर्त स्वीकार करना भारत के लिये कोई आसान बात नहीं है क्योंकि यह क्षेत्र भारत की पूर्ण सम्प्रभुता वाला क्षेत्र है|
  • सर्वप्रथम तो यह क्षेत्र भारत के संविधान को पूरी तरह से आत्मसात करते हुए भारत की दोनों विधायिकाओं (प्रदेश विधायिका तथा राष्ट्रीय संसद) के लिये अपना प्रतिनिधित्व प्रदान करता है| 
  • दूसरा, सीमा विवाद के समाधान हेतु प्रस्तुत किया गया यह सुझाव पूर्णतया अनुचित है| ध्यातव्य है कि इससे पहले भी तीन बार ऐसा हुआ है जब चीन के द्वारा इस तरह के बेबुनियादी सुझाव पेश किये गए हैं और हमेशा की भाँति भारत इन सुझावों को नकारता आया है|
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 1960 में चीन के प्रीमियर ज़्होऊ एनलाई द्वारा एक “पैकेज” सौदा पेश किया गया जिसके अंतर्गत अरुणाचल प्रदेश पर भारत की सम्प्रभुता तथा अक्साई चीन पर चीन के कब्ज़े को मान्यता प्रदान की गई थी|
  • हालाँकि इस बेहतरीन प्रस्ताव को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा ठुकरा दिया गया| वस्तुतः उस समय इस संबंध में नेहरू की चिंता का मुख्य  कारण यह था कि देश का पश्चिमी छोर, जो कि न तो रणनीतिक रूप से भारत के लिये कुछ खास महत्त्वपूर्ण था और न ही भारत को यह जानकारी ही थी कि यह क्षेत्र भारत की सम्प्रभुता वाला क्षेत्र है भी अथवा नहीं|
  • नेहरू के इस रुख का ही परिणाम था जिसने इस प्रस्ताव के पेश किये जाने के ठीक दो साल बाद न केवल चीन के समक्ष भारत की निर्णय लेने संबंधी कमज़ोरी को उज़ागर किया वरन् चीन को भारत पर आक्रमण करने के लिये भी आमंत्रित किया|  
  • हालाँकि जैसे-जैसे भारत में विकास की लहर तेज़ हुई इसने अपनी पश्चिमी सीमा को भारतीय क्षेत्र के रूप में अंकित करना आरंभ कर दिया जिसे मैकमोहन रेखा (McMahon Line) के रूप में जाना जाता है| ध्यातव्य है कि इसी मैकमोहन रेखा के निर्धारण के फलस्वरूप देश के उत्तर-पूर्व में स्थित अरुणाचल प्रदेश को भारत के एक अभिन्न हिस्से के रूप में दृष्टिगत किया गया|
  • भारत-चीन सीमा विवाद का समाधान निकालने हेतु पेश किये गए दूसरे प्रस्ताव को “एलएसी प्लस सोलुशन” (LAC Plus Solution) के रूप में जाना जाता है| विदित हो कि एलएसी (Line of Actual Control) भारत तथा चीन के मध्य सीमा निर्धारण के लिये खिंची गई एक अंतर्राष्ट्रीय रेखा है
  • उल्लेखनीय है कि इस प्रस्ताव की पेशकश उस समय की गई जब भारत के तत्कालीन राजदूत ए.पी. वेंकटेश्वरन (A.P. Venkateswaran) तथा तत्कालीन चीनी प्रीमियर ज़्होऊ ज़ियांग (Chinese Premier Zhao Ziyang) के मध्य बेकचैनल टॉक (Backchannel Talk) हो रही थी|
  • ध्यातव्य है कि इस प्रस्ताव में पहले की अपेक्षा कुछ नरमी बरतते हुए भारत के पूर्वी क्षेत्र की स्थिति को यथावत बने रहने देने तथा पश्चिमी क्षेत्र में चीन के कब्ज़े वाले क्षेत्र में कुछ रियायत देने का प्रस्ताव किया गया| यह और बात है कि भारत द्वारा इस प्रस्ताव को भी सिरे से नकार दिया गया|
  • तत्पश्चात् चीन ने अपने पुराने रुख की ओर वापसी करते हुए सीमा विवाद के संबंध में कड़ा रुख अपना लिया| 
  • वस्तुतः हमेशा से चीन की नज़र भारत के तवांग क्षेत्र पर रही है, अलग-अलग समय पर अलग-अलग रूप से यह भारत को तवांग क्षेत्र से पीछे हटने तथा इसके बदले देश के पश्चिमी क्षेत्र में हिस्सा लेने जैसे प्रस्ताव पेश करता रहा है|
  • हालाँकि इस संबंध में भारत के रुख से स्पष्ट होता है कि चीन के साथ सीमा विवाद का हल निकालने में भारत की अभी कोई विशेष रुचि नहीं है|

निष्कर्ष स्पष्ट है कि इस संबंध में समाधान निकालने हेतु “एलएसी प्लस सोलुशन” सबसे अच्छा विकल्प होता| परन्तु एक ऐसे क्षेत्र के लोगों के भविष्य का निर्णय करना, जिनकी भारत के संविधान तथा इसकी व्यवस्था में पूर्ण आस्था है, सर्वथा अनुचित होगा| विदित हो कि भारत के संविधान में भी देश के किसी भी हिस्से को इससे पृथक किये जाने के सिद्धांत को पूर्णतया नकारा गया है| भारत किसी अन्य क्षेत्र का अधिग्रहण तो कर सकता है परन्तु अपने किसी क्षेत्र को मुख्य क्षेत्र से पृथक नहीं कर सकता है| साथ ही यह इसलिये भी मुमकिन नहीं है क्योंकि अरुणाचल प्रदेश का क्षेत्रफल अक्साई चीन की तुलना में दोगुना अधिक है| ऐसे में ज़मीन की अदला-बदली का निणर्य भारत के लिये तो घाटे का सौदा ही साबित होगा|

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Blog / 31 Aug 2019

(Global मुद्दे) भारत-चीन संबंध (India China Relation)

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एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): पिनाक रंजन चक्रवर्ती (पूर्व राजदूत), प्रो. हर्ष पंत (सामरिक तथा विदेशी मामलों के जानकर)

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चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन की तीन दिवसीय विदेश यात्रा पर रहे। इस दौरान विदेश मंत्री ने चीन के उपराष्ट्रपति और अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की और भारत-चीन संबंधों के सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा की। इसके बाद मीडिया को दिए अपने साक्षात्कार में जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन को एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान करना चाहिए और मतभेदों को दूर करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि एशिया के दो बड़े देशों के बीच संबंध इतने विशाल हो गए हैं कि उसने वैश्विक आयाम हासिल कर लिए हैं।

क्यों अहम थी ये बैठक?

भारत द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने चीन का समर्थन हासिल करने के लिए चीन दौरा किया था। ऐसी हालत में, भारतीय विदेश मंत्री की यह चीन यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। यात्रा के दौरान भारत और चीन के बीच रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए 100 कार्यक्रम आयोजन करने का भी फैसला लिया गया। इसके अलावा इन दोनों देशों के बीच 4 एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए गए।

ये यात्रा इस नज़रिए से भी खास है कि आगामी अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन होना प्रस्तावित है। ऐसे में, विदेश मंत्री की चीन यात्रा इस अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए ज़मीन तैयार करने के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, अप्रैल 2018 में वुहान शिखर सम्मेलन के बाद भारत-चीन संबंधों में सुधार के आसार दिख रहे थे।

अनुच्छेद 370 को लेकर चीन की प्रतिक्रिया

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 ख़त्म करने के भारत सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ चीन ने अपनी चिंताएँ जाहिर की थी। चीन का विरोध विशेष तौर पर लद्दाख क्षेत्र को जम्मू-कश्मीर से हटाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने का था। वांग यी के साथ अपनी बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया कि जम्मू कश्मीर पर भारत का फैसला देश का आंतरिक मामला है। इसका भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं और चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा के लिए कोई कोई मायने नहीं है।

भारत चीन विवाद

सीमा विवाद: भारत और चीन के बीच करीब 4000 किलोमीटर की सीमा लगती है। चीन के साथ इस सीमा विवाद में भारत और भूटान दो ऐसे मुल्क हैं, जो उलझे हुए हैं। भूटान में डोकलाम क्षेत्र को लेकर विवाद है तो वहीं भारत में लद्दाख से सटे अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को लेकर विवाद जारी है।

दलाई लामा और तिब्बत: ड्रैगन देश को इस बात से भी चिढ़ है कि भारत तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को शरण दिए हुए है।

स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स: ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ भारत को घेरने के लिहाज से चीन द्वारा अपनाई गई एक अघोषित नीति है। इसमें चीन द्वारा भारत के समुद्री पहुंच के आसपास के बंदरगाहों और नौसेना ठिकानों का निर्माण किया जाना शामिल है।

नदी जल विवाद: ब्रह्मपुत्र नदी के जल के बँटवारे को लेकर भी भारत और चीन के बीच में विवाद है। चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी इलाके में कई बांधों का निर्माण किया गया है। हालांकि जल बंटवारे को लेकर भारत और चीन के बीच में कोई औपचारिक संधि नहीं हुई है।

भारत को एनएसजी का सदस्य बनने से रोकना: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनने में भी चीन भारत की मंसूबों पर पानी फेर रहा है। नई दिल्ली ने जून 2016 में इस मामले को जोरदार तरीके से उठाया था। तत्कालीन विदेश सचिव रहे एस जयशंकर ने एनएसजी के प्रमुख सदस्य देशों के समर्थन के लिए उस समय सियोल की यात्रा भी की थी।

भारत के खिलाफ आतंकवाद का समर्थन: एशिया में, चीन भारत को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी मानता है और साथ ही OBOR प्रॉजेक्ट में चीन को पाक की जरूरत है। पाकिस्तान में चीन ने बड़े पैमाने पर निवेश कर रखा है। चीन-पाक आर्थिक गलियारा और वन बेल्ट वन रोड जैसे उसके मेगा प्रॉजेक्ट एक स्तर पर आतंकी संगठनों की दया पर निर्भर हैं। ऐसे में चीन कहीं ना कहीं भारत के खिलाफ आतंकवाद का पोषक बना हुआ है। मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने में चीन की रोड़ेबाजी इसी का एक मिसाल कही जा सकती है। हालंकि बाद में भारत को इस मामले में सफलता मिल गई थी।

भारत के उत्तर-पूर्व में भी चीन पहले कई आतंकवादी संगठनों की मदद करता रहा है। बीबीसी फीचर्स की एक ख़बर के मुताबिक कुछ अर्से पहले पूर्वोत्तर भारत में नगा विद्रोही गुट एनएससीएन (यू) के अध्यक्ष खोले कोनयाक ने ये दावा किया था। बक़ौल खोले “यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम यानी उल्फा प्रमुख परेश बरुआ पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय चरमपंथी संगठनों को चीनी हथियार और ट्रेनिंग मुहैया करा रहें है।”

व्यापार असंतुलन: वैसे तो चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, लेकिन दोनों देशों के बीच एक बड़ा व्यापारिक असंतुलन भी है, और भारत इस व्यापारिक घाटे का बुरी तरह शिकार है। पिछले साल चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 57.86 अरब डॉलर का था, जबकि साल 2017 में यह घाटा 61.72 अरब डॉलर का था।

BRI परियोजना भी विवाद का एक अहम बिंदु

BRI - बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव परियोजना चीन की सालों पुरानी 'सिल्क रोड' से जुड़ा हुआ है। इसी कारण इसे 'न्यू सिल्क रोड' और One Belt One Road (OBOR) नाम से भी जाना जाता है। BRI परियोजना की शुरुआत चीन ने साल 2013 में की थी। इस परियोजना में एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई देश बड़े देश शामिल हैं। इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, गल्फ कंट्रीज़, अफ्रीका और यूरोप के देशों को सड़क और समुद्री रास्ते से जोड़ना है।

भारत चीन की इस परियोजना का शुरू से ही विरोध करता है। साल 2017 में हुए पहले 'BRI सम्मेलन' में भी भारत ने भाग नहीं लिया था। भारत के BRI परियोजना का विरोध के चलते चीन ने 2019 के 'BRI सम्मेलन’ में BCIM यानी बांग्लादेश - चीन - भारत - म्यांमार गलियारे को अपनी अहम परियोजनाओं से हटा दिया है। चीन अब दक्षिण एशिया में CMEC - चीन - म्यांमार आर्थिक गलियारे, नेपाल - चीन गलियारे (Nepal-China Trans Himalayan Multi-Dimensional Connectivity) और चीन पकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर पर ही काम करेगा।

भारत और चीन के बीच आपसी सहयोग

भारत और चीन दोनों ही देश उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स (BRICS) के सदस्य हैं। ब्रिक्स द्वारा औपचारिक रूप से कर्ज देने वाली संस्था ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ की स्थापना की गई है।

  • भारत एशिया इन्फ्राट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) का एक संस्थापक सदस्य है। गौरतलब है कि चीन भी इस बैंक का एक समर्थक देश है।
  • भारत और चीन दोनों ही देश शंघाई सहयोग संगठन के तहत एक दूसरे के साथ कई क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। चीन ने शंघाई सहयोग संगठन में भारत की पूर्ण सदस्यता का स्वागत भी किया था।
  • दोनों ही देश विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र और आईएमएफ जैसी संस्थाओं के सुधार और उसमें लोकतांत्रिक प्रणाली के समर्थक हैं। संयुक्त राष्ट्र के मामलों और उसके प्रशासनिक ढांचे में विकासशील देशों की भागीदारी में बढ़ोत्तरी बहुत जरूरी है। इस मामले में दोनों देशों का ऐसा मानना है कि इससे संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली में और बेहतरी आएगी।
  • डब्ल्यूटीओ वार्ताओं के दौरान भारत और चीन ने कई मामलों पर एक जैसा रुख अपनाया है जिसमें डब्ल्यूटीओ की दोहा वार्ता भी शामिल है।
  • भारत और चीन दोनों ही देश जी-20 समूह के सदस्य हैं।
  • पर्यावरण को लेकर अमेरिका और उसके मित्र देशों द्वारा भारत और चीन दोनों की आलोचना की जाती है। इसके बावजूद दोनों ही देशों ने पर्यावरणीय शिखर सम्मेलनों में अपनी नीतियों का बेहतर समन्वयन (coordination) किया है।

आगे क्या किया जाना चाहिए?

एक हाथ दे तो एक हाथ ले: भारत और चीन दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कुछ ऐसे मौकों की तलाश करनी होगी जो दोनों के लिए फ़ायदेमंद साबित हो। साल 2017 में, जब चीन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का उपाध्यक्ष बनना चाहता था तो उसे भारत के समर्थन की ज़रूरत थी। भारत ने समर्थन के लिए हामी तो भरी लेकिन बदले में पाकिस्तान के 'ग्रे लिस्टिंग' के लिए बीजिंग का समर्थन माँगा। यानी एक हाथ दे तो एक हाथ ले वाली बात। भारत को अगले नौ महीनों में कुछ इसी तरह के मौके की तलाश करनी होगी।

चीनी बाज़ारों पर निर्भरता कम करे भारत: डब्लूटीओ यानी विश्व व्यापार संधि के कारण भारत के हाथ बंधे हुए हैं, और वो चीन से आयातित वस्तुओं पर प्रतिबन्ध या हैवी टैक्स नहीं लगा सकता। डब्लूटीओ किसी भी देश को आयात पर भारी-भरकम प्रतिबंध लगाने से रोकता है। लेकिन भारत को स्वनिर्माण के क्षेत्र में ज़्यादा से ज़्यादा निवेश के ज़रिए चीनी बाजारों पर से अपनी निर्भरता को कम करना चाहिए। भारत का स्वदेशी बाजार यदि मजबूत होगा तो बिना किसी प्रतिबंध के चीनी उत्पादों का बाजार देश में सिमटता जाएगा।

आने वाला वक़्त एशिया का होगा: भारत और चीन समेत एशिया के तमाम बड़े देशों को यह समझना होगा कि आने वाला वक्त एशिया का ही होगा। एक आंकड़े के मुताबिक, आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था में एशिया की हिस्सेदारी लगभग 50% होने के आसार हैं। ऐसे में, इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का तनाव और आपसी वैमनस्य विकास और वृद्धि को नुकसान ही पहुँचाएगा। इस हालत को बेहतर बनाने में इस क्षेत्र के सबसे बड़े ताकतों भारत और चीन को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

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चीन की दीवार का इतिहास व जानकारी Great Wall Of China In Hindi

चीन की दीवार Great Wall Of China In Hindi विश्व की सबसे लम्बी दीवार है। चीन की दीवार (Cheen Ki Deewar) का इतिहास और जानकारी इस पोस्ट में है। इसे ग्रेट वॉल ऑफ चाइना भी कहते है। यह चीन देश के उत्तर में मौजूद है। चीन की दीवार खुद में एक स्वर्णिम इतिहास समेटे हुए है। इस महान दीवार को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। ग्रेट वाल ऑफ चाइना के बारे में रोचक जानकारी देने का प्रयास इस आर्टिकल “Great Wall Of China History In Hindi” में है

चीन की दीवार का इतिहास Great Wall Of China History In Hindi

1. चीन की दीवार ( Cheen Ki Deewar ) विश्व के 7 अजूबों में भी शामिल है। चीन की दीवार केवल मिट्टी, ईट और पत्थर से बनी हुई है। ईंटों को चावल के पाउडर से आपस में चिपकाया गया था जैसे वर्तमान में सीमेंट का उपयोग किया जाता है। आज कई सदियों बाद भी यह मजबूती से जमी हुई है।

2. इस महान दीवार को बनाने में कई सौ वर्ष लगे थे। 5 वीं सदी ईसा पूर्व से 16 वीं सदी तक चीन की दीवार को बनाया गया था। इस दौरान कई राजवंशों का शासन आया और चला गया। ग्रेट वाल ऑफ चाइना को निर्मित करने में उस समय के सभी चीनी शासकों का योगदान था।

3. चीन के शासकों ने दीवार को विदेशी उत्तरी हमलावरों से बचाने के लिए बनाया था। खासकर मंगोल आक्रमणकारियों से बचाव के लिए चीन की दीवार बनाई गई थी। बाद के वर्षों में यह दीवार केवल परिवहन का जरिया बनकर रह गई थी।

4.   चीन की दीवार किसने बनाई – चीनी शासक किन शी हुआंग ने चीन की दीवार की कल्पना की थी। इस कल्पना को साकार करने में करीब 2 हजार वर्ष लग गए थे। किन शी हुआंग के द्वारा बनाई गयी दीवार का कुछ ही हिस्सा बाकी है। इस दीवार का ज्यादातर भाग मिग राजवंश के शासकों ने 13 वीं सदी से 16 वीं सदी तक निर्मित किया था।

5. इस दीवार को बनाने में लाखों सैनिक, मजदूरों और कारीगरों ने मिलकर काम किया था। दीवार निर्माण के दौरान हजारों लोग मारे गए। इसका सबसे बड़ा कारण पहाड़ो की चोंटीयो पर पत्थरों को लाना था। इन मारे गए लोगो को दीवार में ही दफना दिया जाता था। इसलिए ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को दुनिया का सबसे लम्बा कब्रिस्तान भी कहते है।

Cheen Ki Deewar In Hindi चीन की दीवार की जानकारी –

6. मजबूत और विशाल दीवार होने के बावजूद कई आक्रमणकारियों ने इसे तोड़ा था। वर्ष 1211 में मंगोल चंगेज खान ने चीन की दीवार को तोड़ा था। इतिहास में आता है कि चंगेज खान दीवार को तोड़कर चीन में घुस गया था और वहां के राज्यों पर कब्जा कर लिया था।

7. ग्रेट वॉल ऑफ चाइना की ऊंचाई हर जगह एक सी नही है। कही पर इस दीवार की ऊंचाई 35 फुट है तो कही पर केवल 8 फुट ही है।

8. चीन की दीवार की चौड़ाई इतनी ज्यादा है कि आसानी से 10 पैदल सैनिक एक साथ दीवार पर निकल सकते है। इस दीवार पर कई जगह सीढ़ियां भी बनी हुई है। यह दीवार कई जगहों पर पुल के रूप में भी है।

9. इस विशाल दीवार में जगह जगह करीब 7 हजार मीनारें भी बनाई गई है जिनका काम सीमा पर आए दुश्मनों पर नजर रखना था। देखा जाए तो चीन की दीवार किलेबंदीनुमा संरचना है।

10. चीन की विशाल दीवार हुशान प्रान्त से जियागुआन प्रान्त तक फैली हुई है। यह विशाल दीवार कई पहाड़ों, नदियों और जंगलो से होकर गुजरती है। यह दीवार सीधी ना होकर घूमी हुई है।

11. चीन की दीवार की लम्बाई –  6400 किलोमीटर है। यह दीवार अलग अलग खंडों में बनी हुई है। इसका अर्थ यह है कि चीन की दीवार में कई हिस्से है जिन्हें मिलाकर ग्रेट वॉल ऑफ चाइना बनी है। अगर इन खंडों के बीच की जगह को भी दीवार में शामिल करें तो दीवार की कुल लम्बाई 8848 किलोमीटर पड़ती है।

ग्रेट वॉल ऑफ चाइना Great Wall Of China In Hindi –

12. चीन की दीवार ( Great Wall Of China ) के कई हिस्से क्षतिग्रस्त हो चुके है जिसका कारण रखरखाव ना रखना और चोरी है। वहां के स्थानीय लोग इस दीवार की ईंट चुराकर घर का निर्माण करते है। इस कारण चीन की दीवार को खतरा है।

13. यूनेस्को ने ग्रेट वॉल ऑफ चाईना को वर्ष 1987 में विश्व धरोहर में शामिल किया था। विश्व के 7 अजूबों में यह दीवार आती है क्योंकि मानव निर्मित यह सबसे उम्दा और विशाल कलाकृति है। हर वर्ष करोडों पर्यटक चीन की दिवार को देखने आते है। वर्ष 1970 में ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को आम पर्यटकों के लिए खोला गया था।

14. अगर आप चीन की दीवार  (Great Wall Of China) की यात्रा करना चाहते है तो मई से अक्टूबर का समय सबसे उत्तम है। सर्दियों में दीवार बर्फ से ढक जाती है जिससे यात्रा करना सम्भव नही है। चीनी भाषा में चीन की दीवार को “वान ली छांग छंग” कहा जाता है। इसका अर्थ दुनिया की सबसे लम्बी दीवार होता है।

यह भी पढ़े – 

  • 7 अजूबों के नाम व जानकारी
  • ताजमहल का इतिहास
  • लाल किला का इतिहास

नोट – इस पोस्ट Great Wall Of China In Hindi में चीन की दीवार (Cheen Ki Deewar) का इतिहास और ग्रेट वॉल ऑफ चाइना की जानकारी आपको कैसी लगी। यह आर्टिकल “Great Wall Of China History In Hindi” अच्छा लगा हो तो इसे शेयर भी करे।

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दुनिया की सबसे लंबी दीवार “दी ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना”

The Great Wall of China in Hindi 

चीन की विशाल दीवार मनुष्यों द्धारा निर्मित एक महान संरचना है, जिसका इतिहास 2 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। यह अपनी अद्भुत वास्तुकला और भव्यता की वजह से विश्व के सात अजूबों में से एक है।

इस विशाल दीवार को ”छांग छंग” के नाम से भी जाना जाता है। करीब 6400 किलोमीटर लंबी इस विशाल दीवार का निर्माण किसी एक सम्राज्य और एक शासक ने नहीं करवाया है, बल्कि इस निर्माण चीन के अलग-अलग शासकों द्धारा किया गया है।

आपको बता दें कि अलग-अलग सम्राज्यों के शासकों ने अपने क्षेत्रीय इलाकों की रक्षा के लिए इस विशाल दीवार का निर्माण करवाया था। उस दौरान ”द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना” का इस्तेमाल माल की हेरा-फेरी के लिए किया जाता था। विश्व के सात अजूबों में से एक यह चीन की विशाल दीवार चीन के करीब 15 इलाकों में फैली हुई है।

यह विशाल दीवार बीजिंग से शुरु होती है, और जिययुगुआन तक फैली हुई है। वहीं एक पुरातात्विक सर्वेक्षण के मुताबिक यह दीवार 15 प्रांतों को पार करती हुई और उत्तर-पश्चिम में शिजियांग से एवं पूर्व में कोरिया की सीमा तक फैली हुई है।

आपको बता दें कि द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना सिर्फ एक ही दीवार नहीं है, बल्कि यह कई दीवारों का संग्रह हैं। 17वीं सदी के बाद से 20 से भी ज्यादा सम्राज्यों ने इन विशाल दीवार के निर्माण काम की जिम्मा बेहद गंभीरता से संभाला था।

बैडलिंग, इस दीवार का सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला हिस्सा है, यहां से सबसे ज्यादा आर्कषक एवं आश्चर्यजनक सीन देखने को मिलते हैं।

चाइना की इस महान दीवार के निर्माण को लेकर सबसे अधिक हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस दीवार को बनाने में ज्यादा मेहनत न करने वाले हजारों मजदूरों को मौत के घाट उतार दिया गया था और उनकी लाशों को इस दीवार के नीचे ही दफन कर दी जाती थी, शायद इसलिए चीन की इस विशाल संरचना को दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है।

इसके अलावा लाखों मजदूरों को जबरन कैद कर सजा के रुप में इस दीवार का निर्माण काम करवाया गया था। इस दीवार के निर्माण में करीब 20 से 30 लाख लोगों ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था, तब जाकर इस विशाल संरचना का निर्माण हुआ था। आइए जानते हैं, चीन की इस महान दीवार के बारे में –

दुनिया की सबसे लंबी दीवार “दी ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना” – The Great Wall of China

चीन की विशाल दीवार का निर्माण – great wall of china history in hindi.

मनुष्य द्धारा निर्मित दुनिया की सबसे विशाल संरचना द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना का निर्माण किसी एक राजवंश और शासक ने नहीं करवाया बल्कि इसके निर्माण में बहुत सारे सम्राज्य और सम्राटों का योगदान है।

इतिहास में उल्लेखित तथ्यों के मुताबिक 720 से 221 ईसा पूर्व के दौरान चीन की महान दीवार का निर्माण काम झोऊ राजवंश की देखरेख में हुआ। इसके बाद चीन की उत्तरी सीमा पर करीब 221 ईसा पूर्व से 207 ईसा पूर्व तक किन राजवंश द्धारा चीन की इस विशाल दीवार का निर्माण किया गया।

इसके बाद हान राजवंश ने इस विशाल दीवार के निर्माण काम में अपना सहयोग दिया, इस दौरान इस महान दीवार को सिल्क रोड व्यापार की रक्षा के लिए बढ़ाया गया था।

और फिर इसके बाद 1368 ईसवी से 1644 के बीच मिग राजवंश ने इस दीवार के निर्माण काम को आगे बढ़ाया, इस अवधि के दौरान इस दीवार का अधिकांश हिस्से का निर्माण किया गया।

इस दीवार के निर्माण में चावल के आटे समेत रेती, पत्थर, ईट और मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है।

चीन की महान दीवार का निर्माण करने का मुख्य मकसद – Main Purpose Of Great Wall Of China

विश्व की इस सबसे विशाल मानव निर्मित संरचना का निर्माण मूल रूप से एक युद्धकालीन रक्षा के रूप में अर्थात दुश्मनों के हमलों से बचने के लिए एवं चीन को एकजुट करने एवं रेशम मार्ग के रुप में इसका इस्तेमाल करने के लिए किया गया था।

इसके अलावा इस रुट का इस्तेमाल माल की हेरा-फेरी के लिए अर्थात व्यापार और परिवहन के उद्देश्य से भी किया गया था।

आपको बता दें कि उस दौरान मंगोलियाईओं से चीन को खतरा था, वे अक्सर चीन पर आक्रमण करने की फिराक में रहते थे, इसलिए इस विशाल दीवार को खासकर मंगोलियाई हमलों और दुश्मनों के हमलों से रक्षा के लिए किया गया था।

आपको बता दें कि चीन की इस विशाल दीवार में चीन की सीमा पर निगरानी रखने के लिए कई लुक आउट टॉवर भी बनाए गए हैं। वहीं जब चीन के पहले शासक किन शी हुआंग ने पहली बार विश्व की इस सबसे विशाल संरचना का  प्रस्ताव रखा था, उस दौरान उत्तरी हमलावर जनजातियों से चीनी राज्यों की रक्षा करना उनका एकमात्र उद्देश्य था।

दुनिया के सात अजूबों में से एक है चीन की महान दीवार – 7 Wonders Of The World Great Wall Of China

द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, विश्व की सबसे विशाल मानव निर्मित संरचना है, जो कि सिर्फ एक लंबी दीवार ही नहीं है, बल्कि कई दीवारों और किलों की एक श्रंखला है। इस महान दीवार को लाखों मजदूरों द्धारा 2 हजार से भी ज्यादा सालों में बनाया गया है।

अपनी अद्भुत बनावट और भव्यता के लिए मशहूर इस दीवार को दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है। दुश्मनों के हमलों से रक्षा के लिए बनाई गई इस विशाल दीवार में कई वॉच टॉवर समेत आग, धुएं आदि का संकेत देने के लिए सिंग्नल की सुविधाएं भी है।

इसके अलावा इस महान दीवार में सेना बैरकों समेत अन्य नियंत्रण तंत्र का भी निर्माण किया गया है।

कई हजार साल पहले बनी द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना का निर्माण इस तरह किया गया है कि यह विशाल दीवार, कोई एक सामान्य दीवार नहीं बल्कि किलेबंदी एवं कई दीवारों का एक विशाल संग्रह है, जिनमें से कुछ एक-दूसरे के समानांतर बनी हुई हैं, जबकि अन्य कुछ परिपत्र की तरह हैं।

लाखों कारीगरों द्धारा निर्मित इस विशाल दीवार को बनाने का ज्यादातर काम हाथों से किया गया था, हालांकि इस विशाल संरचना को बनाने में उस समय इस्तेमाल होने वाली प्राचीन तकनीक रस्सी, टोकरी, चरखी, पहिया ठेला, घोड़े या बैल-गाड़ी आदि का भी इस्तेमाल किया गया था।

चीन की महान दीवार बनाने में लगा कुल समय – Great Wall Of China Building Time

कई सम्राज्यों और शासकों द्धारा निर्मित चीन की इस विशाल दीवार के निर्माण काम में करीब 2 हजार से भी ज्यादा का लंबा वक्त लगा। 6400 किलोमीटर लंबी इस दीवार को नापने के लिए नॉर्वे से आए स्टीफन रॉबर्ट लोकेन को करीब 691 दिन लगे थे। इस विशाल दीवार के अंदर कई हजार चीनी अवशेष है।

”द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना” की शुरुआत बिंदु हुशान पर शुरु होकर जियागुआन पास पर खत्म होता है, जबकि यह विशाल दीवार लाओलोन्गतोऊ और बोहई सागर में खत्म होती है।

चीन की महान दीवार के इतिहास में जियागुआन पास को सबसे प्रभावी सैन्य प्रणाली इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह आक्रमणकारियों को चीन की सीमाओं में प्रवेश करने से प्रभावी ढंग से रोकता है।

आपको बता दें कि यह विश्व का सबसे बड़ा पास है, जिससे कई सैन्य कहानियां जुड़ी हुई हैं।

चीन की विशाल दीवार से जुड़े कुछ दिलचस्प एवं रोचक तथ्य – Facts about The Great Wall of China

  • द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना में करीब 700 लुकआउट टावर (निगरानी के लिए) बने हुए हैं, इसके निर्माण में करीब 2 हजार साल का लंबा वक्त लगा था।
  • दुनिया के सात अजूबों में से एक चीन की महान दीवार के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस दीवार का निर्माण किसी एक सम्राट द्धारा नहीं किया गया है, बल्कि कई सम्राटों और शासकों ने इस विशाल दीवार के निर्माण में अपना सहयोग दिया है।
  • चीन की इस विशाल दीवार के बीच में महात्मा गांधी के मंदिर और युद्ध के देवता (God Of War) के मंदिर बनाए गए हैं, जो कि देखने में बेहद आर्कषक लगते हैं। यह दीवार आम पर्यटकों के लिए साल 1970 ईसवी में खोली गई थी।
  • पृथ्वी पर बनी इस सबसे लंबी दीवार की लंबाई करीब 6 हजार 400 किलोमीटर है, जो कि मनुष्यों द्धारा बनाई गई सबसे विशाल संरचनाओं में से एक है। इस विशाल दीवार के निर्माण के दौरान व्हीलबारो का अविष्कार किया गया था। वहीं इस दीवार को बनाते समय इसके पत्थरों को जोड़ने के लिए चावल के आटे का इस्तेमाल किया गया था।
  • विश्व की इस सबसे लंबी दीवार में कई खाली जगहें भी हैं, अगर इन खाली जगहों को जोड़ दिया जाए तो इसकी कुल लंबाई 8 हजार 848 किलोमीटर हो जाएगी। वहीं अगर इस दीवार की चौड़ाई की बात करें तो इसमें एकसाथ करीब 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक एक साथ गस्त कर सकते हैं।
  • दुनिया के सबसे महंगे संरचनाओं में से एक द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना एक पूरी दीवार नहीं है, बल्कि कई छोटे-छोटे हिस्सों से मिलकर बनी है।
  • 6400 किमी लंबी इस विशाल की ऊंचाई एक समान नहीं है, किसी जगह पर यह 9 फुट ऊंची तो कहीं पर यह सिर्फ 35 फुट ही ऊंची है।
  • दुनिया की इस सबसे विशाल संरचना के निर्माण में करीब 4 लाख लोगों की जान चली गई थी। इस दीवार को बनाने वालों के लिए ऐसा भी प्रचलित है कि इस महान दीवार को बनाने में जो कारीगर कड़ी मेहनत नहीं करते थे, उन्हें इस दीवार में दफना दिया जाता था। इस दीवार को विश्व का सबसे बड़ा कब्रिस्तान कहा जाता है।
  • दुनिया की सबसे महंगी संरचनाओं में से एक द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को पहले दुश्मनों से देश की रक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन यह दीवार अजेय न रह सकी, इतिहास के सबसे क्रूर और बर्बर शासक चंगेज खान ने 1211 ईसवी में इस महान दीवार को तोड़ने के बाद चीन पर आक्रमण किया था। और फिर इस विशाल दीवार का इस्तेमाल परिवहन और सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए किया जाने लगा था।
  • दुनिया के सात अजूबों में से एक चीन की विशाल दीवार के बारे में हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इस महान सरंचना से ईंटों की चोरी होती है। 1960 से 1970 के दशक में लोगों ने इस दीवार से ईंटें निकालकर अपने लिए घर बनाने शुरु कर दिए थे। आपको बता दें कि तस्कर बाजार में इस विशाल दीवार की एक ईंट की कीमत करीब 3 पौंड तक मानी जाती है। इस महान दीवार की चोरी होने, सही तरीके से देखरेख नहीं होने एवं खराब मौसम के प्रभाव की वजह से करीब एक तिहाई हिस्सा गायब हो चुका है।
  • चीन की इस महान दीवार को वर्ल्ड हेरिटेज साइट यूनेस्को ने साल 1987 में विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया था।
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चीन की दीवार पर निबंध (Essay on Great wall Of China in Hindi)

चीन की दीवार पर निबंध (Essay on Great wall Of China in Hindi) चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है। 'चीन की दीवार' की कुल लं

चीन की दीवार पर निबंध (Essay on Great wall Of China in Hindi )

चीन की दीवार पर निबंध : चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है। 'चीन की दीवार' की कुल लंबाई 21,196 किलोमीटर है। चीन के लोग इस दीवार को 'वान ली चैंग चेंग' के नाम से जानते हैं। चीन की दीवार एकमात्र मानव निर्मित स्मारक है जो अंतरिक्ष से भी दिखाई पड़ता है। इस दीवार की चौड़ाई इतनी हैं कि एक साथ 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक एक साथ गस्त कर सकते हैं। इस दीवार से दूर से आते शत्रुओं पर नजर रखने के लिए कई जगह मीनारें भी बनायीं गयी थीं। इस दीवार को 1970 में आम पयर्टकों के लिए खोला गया था। चीनी दीवार को यूनेस्को ने 1987 में विश्व धरोहर सूची में शामिल किया था। लगभग 1 करोड़ पयर्टक हर साल इस दीवार को देखने के लिए आते हैं।

चीन की दीवार पर निबंध (Essay on Great wall Of China in Hindi)

चीन के पूर्व सम्राट किन शी हुआंग की कल्पना के बाद दीवार बनाने में करीब 2000 साल लगे। इस दीवार का निर्माण किसी एक सम्राट द्वारा नहीं किया गया बल्कि कई सम्राटों और राजाओं द्वारा कराया गया था। जिसे चीन के विभिन्न शासको के द्वारा उत्तरी हमलावरों से रक्षा के लिए पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक बनवाया गया। यह सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि दुनिया की भी सबसे लंबी दीवार है। यह दुनिया के सात अजूबों में शामिल है, जिसे अंग्रेजी में 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' कहते हैं। इस दीवार को बनाने के लिए ईंट, पत्थर, लकड़ी और धातुओं का इस्तेमाल किया गया है। इसी वजह से इसे दुनिया की सबसे पुरानी मिट्टी और पत्थर की बनी दीवार भी कहा जाता है। 

माना जाता है कि इस दीवार के निर्माण में करीब 20 लाख मजदूर लगे थे, जिसमें से 10 लाख लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। माना जाता है कि उन्हें दीवार के नीचे ही दफना दिया गया था। यही वजह है कि इस दीवार को दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है।  इस चीनी दीवार को देश की रक्षा के लिए बनाया गया था लेकिन यह दीवार अजेय न रह सकी क्योंकि चंगेज खान ने 1211 में इसे तोडा और पार कर चीन पर हमला किया था। लंबी होने की वजह से इस दीवार की ऊंचाई हर जगह एक समान नहीं है। यह किसी जगह पर नौ फीट ऊंची है तो कहीं पर 35 फीट ऊंची है। 

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10 Lines on Great Wall of China in Hindi | चीन की विशाल दीवार पर 10 लाइन

10 Lines on Great Wall of China in Hindi | चीन की विशाल दीवार पर 10 लाइन

चीन की विशाल दीवार चीन की एक प्राचीन दीवार है।

यह दीवार सीमेंट, चट्टानों, ईंटों और मिट्टी के चूरे से बनी है।

चीन की विशाल दीवार 21,196 किलोमीटर लंबी है।

इस दीवार को बनाने में 2000 साल से भी ज्यादा का समय लगा था।

दीवार की सामान्य ऊंचाई 5-8 मीटर है।

चीन की विशाल दीवार दुनिया के सात अजूबों में से एक है।

इस दीवार का निर्माण चीन की सीमा की रक्षा के लिए किया गया था।

यह मानव द्वारा निर्मित अब तक की सबसे लंबी संरचना है।

इस दीवार का निर्माण विभिन्न चीनी सम्राटों ने करवाया था।

द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना दुनिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।

इस दीवार को बनाने का मुख्य उद्देश्य दुश्मनों के आक्रमण को रोकना था।

चीन की विशाल दीवार यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।

दीवार के निर्माण में चिपचिपे चावल का भी उपयोग किया गया है।

दीवार का निर्माण मिंग राजवंश के दौरान पूरा हुआ था।

10 Lines on the Great Wall of China in English

The Great Wall of China is an ancient wall in China. 

This wall is made of cement, rocks, bricks, and powdered dirt.

The Great Wall of China is 21,196 kilometres long.

It took over 2000 years to construct the wall.

The Great Wall of China is one of the seven wonders of the world.

The Great Wall of China is one of the most popular tourist destinations in the world.

This wall was originally built to defend China’s border and protect trade. 

It is the longest structure ever built by humans.

The Great Wall is called “Changcheng” in Chinese.

The main purpose of building this wall was to stop the invasion of enemies.

The Great Wall of China is a UNESCO World Heritage Site.

The wall is the longest man-made structure in the world.

This wall was built over 2,000 years under several different Chinese emperors.

The glutinous rice was also used in the construction of the wall.

This wall was built by various Chinese emperors.

  • Also Read: 10 Lines on Taj Mahal in Hindi

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है और विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की गतिविधि से इन विषयों पर छात्रों के ज्ञान के दायरे का विस्तार होता है जो कि शिक्षा के अहम उद्देश्यों में से एक है। हिंदी में निबंध या लेख लिखने से विषय के बारे में समालोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही अच्छा हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने पर अंक भी अच्छे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हिंदी निबंध (hindi nibandh) किसी विषय से जुड़े आपके पूर्वाग्रहों को दूर कर सटीक जानकारी प्रदान करते हैं जिससे अज्ञानता की वजह से हम लोगों के सामने शर्मिंदा होने से बच जाते हैं।

आइए सबसे पहले जानते हैं कि हिंदी में निबंध की परिभाषा (definition of essay) क्या होती है?

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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में

कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तथा भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए हैं। स्कूली छात्रों (कक्षा 1 से 12 तक) एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हिंदी निबंध (hindi nibandh), भाषण तथा कविता (useful essays, speeches and poems) से उनको बहुत मदद मिलेगी तथा उनके ज्ञान के दायरे में विस्तार होगा। ऐसे में यदि कभी परीक्षा में इससे संबंधित निबंध आ जाए या भाषण देना होगा, तो छात्र उन परिस्थितियों / प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।

महत्वपूर्ण लेख :

  • 10वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
  • 12वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
  • क्या एनसीईआरटी पुस्तकें जेईई मेन की तैयारी के लिए काफी हैं?
  • कक्षा 9वीं से नीट की तैयारी कैसे करें

छात्र जीवन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के सबसे सुनहरे समय में से एक होता है जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वास्तव में जीवन की आपाधापी और चिंताओं से परे मस्ती से भरा छात्र जीवन ज्ञान अर्जित करने को समर्पित होता है। छात्र जीवन में अर्जित ज्ञान भावी जीवन तथा करियर के लिए सशक्त आधार तैयार करने का काम करता है। नींव जितनी अच्छी और मजबूत होगी उस पर तैयार होने वाला भवन भी उतना ही मजबूत होगा और जीवन उतना ही सुखद और चिंतारहित होगा। इसे देखते हुए स्कूलों में शिक्षक छात्रों को विषयों से संबंधित अकादमिक ज्ञान से लैस करने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों के जरिए उनके ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इन पाठ्येतर गतिविधियों में समय-समय पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) या लेख और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना शामिल है।

करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :

  • डॉक्टर कैसे बनें?
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बनें
  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति ही निबंध है।

अन्य महत्वपूर्ण लेख :

  • हिंदी दिवस पर भाषण
  • हिंदी दिवस पर कविता
  • हिंदी पत्र लेखन

आइए अब जानते हैं कि निबंध के कितने अंग होते हैं और इन्हें किस प्रकार प्रभावपूर्ण ढंग से लिखकर आकर्षक बनाया जा सकता है। किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) के मोटे तौर पर तीन भाग होते हैं। ये हैं - प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार।

प्रस्तावना (भूमिका)- हिंदी निबंध के इस हिस्से में विषय से पाठकों का परिचय कराया जाता है। निबंध की भूमिका या प्रस्तावना, इसका बेहद अहम हिस्सा होती है। जितनी अच्छी भूमिका होगी पाठकों की रुचि भी निबंध में उतनी ही अधिक होगी। प्रस्तावना छोटी और सटीक होनी चाहिए ताकि पाठक संपूर्ण हिंदी लेख (hindi me lekh) पढ़ने को प्रेरित हों और जुड़ाव बना सकें।

विषय विस्तार- निबंध का यह मुख्य भाग होता है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें इसके सभी संभव पहलुओं की जानकारी दी जाती है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) के इस हिस्से में अपने विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करने की खूबी का प्रदर्शन करना होता है।

उपसंहार- निबंध का यह अंतिम भाग होता है, इसमें हिंदी निबंध (hindi nibandh) के विषय पर अपने विचारों का सार रखते हुए पाठक के सामने निष्कर्ष रखा जाता है।

ये भी देखें :

अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन

अग्निपथ योजना एडमिट कार्ड

अग्निपथ योजना सिलेबस

अंत में यह जानना भी अत्यधिक आवश्यक है कि निबंध कितने प्रकार के होते हैं। मोटे तौर निबंध को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जाता है-

वर्णनात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें त्योहार, यात्रा, आयोजन आदि पर लेखन शामिल है। इनमें घटनाओं का एक क्रम होता है और इस तरह के निबंध लिखने आसान होते हैं।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है। अक्सर ये किसी समस्या – सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत- पर लिखे जाते हैं। विज्ञान वरदान या अभिशाप, राष्ट्रीय एकता की समस्या, बेरोजगारी की समस्या आदि ऐसे विषय हो सकते हैं। इन हिंदी निबंधों (hindi nibandh) में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार व्यक्त किया जाता है और समस्या को दूर करने के उपाय भी सुझाए जाते हैं।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है। इनमें कल्पनाशीलता के लिए अधिक छूट होती है। भाव की प्रधानता के कारण इन निबंधों में लेखक की आत्मीयता झलकती है। मेरा प्रिय मित्र, यदि मैं डॉक्टर होता जैसे विषय इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं।

इसके साथ ही विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

ये भी पढ़ें-

  • केंद्रीय विद्यालय एडमिशन
  • नवोदय कक्षा 6 प्रवेश
  • एनवीएस एडमिशन कक्षा 9

जिस प्रकार बातचीत को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए लोग मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविताओं आदि की मदद लेते हैं, ठीक उसी तरह निबंध को भी प्रभावी बनाने के लिए इनकी सहायता ली जानी चाहिए। उदाहरण के लिए मित्रता पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखते समय तुलसीदास जी की इन पंक्तियों की मदद ले सकते हैं -

जे न मित्र दुख होंहि दुखारी, तिन्हिं बिलोकत पातक भारी।

यानि कि जो व्यक्ति मित्र के दुख से दुखी नहीं होता है, उनको देखने से बड़ा पाप होता है।

हिंदी या मातृभाषा पर निबंध लिखते समय भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाएगा-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

प्रासंगिकता और अपने विवेक के अनुसार लेखक निबंधों में ऐसी सामग्री का उपयोग निबंध को प्रभावी बनाने के लिए कर सकते हैं। इनका भंडार तैयार करने के लिए जब कभी कोई पंक्ति या उद्धरण अच्छा लगे, तो एकत्रित करते रहें और समय-समय पर इनको दोहराते रहें।

उपरोक्त सभी प्रारूपों का उपयोग कर छात्रों के लिए हमने निम्नलिखित हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तैयार किए हैं -

योग के लाभ के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है। हमारे हिंदू धर्मग्रंथों में प्राचीन भारतीय योग पद्धति का जिक्र मिलता है। भारत वह देश है जहां योग ने सबसे पहले शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अनुशासन के रूप में लोकप्रियता हासिल की। यह "योज" से लिया गया है, जिसका संस्कृत में अर्थ है "एकजुट होना" और महर्षि पतंजलि को योग के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है। योग के महत्व और फायदों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इसे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद, 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, कनाडा सहित 170 से अधिक देशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। योग की महत्ता को देखते हुए दुनिया भर में योग के सकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई और यह हर साल 21 जून को मनाया जाता है।

15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत 200 सालों के अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। यही वजह है कि यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया तथा इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते तो हैं ही और साथ ही इसके बाद वे पूरे देश को लालकिले से संबोधित भी करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री का पूरा भाषण टीवी व रेडियो के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा देश भर में इस दिन सभी कार्यालयों में छुट्टी होती है। स्कूल्स व कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी जो निश्चित तौर पर आपके लिए लेख लिखने में सहायक सिद्ध होगी।

सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता थे और बाद में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसके माध्यम से भारत में सभी ब्रिटिश विरोधी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी। बोस ब्रिटिश सरकार के मुखर आलोचक थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई की वकालत करते थे। विद्यार्थियों को अक्सर कक्षा और परीक्षा में सुभाष चंद्र बोस जयंती (subhash chandra bose jayanti) या सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध (subhash chandra bose essay in hindi) लिखने को कहा जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस पर 100, 200 और 500 शब्दों का निबंध दिया गया है।

भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के सम्मान में स्कूलों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सभी स्कूलों, सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में झंडोत्तोलन होता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। मिठाईयां बांटी जाती है और अवकाश रहता है। छात्रों और बच्चों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणतंत्र दिवस पर निबंध पढ़ें।

26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया, इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण (रिपब्लिक डे स्पीच) देने के लिए हिंदी भाषण की उपयुक्त सामग्री (Republic Day Speech Ideas) की यदि आपको भी तलाश है तो समझ लीजिए कि गणतंत्र दिवस पर भाषण (Republic Day speech in Hindi) की आपकी तलाश यहां खत्म होती है। इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक बनाने और उनके ज्ञान को परखने के लिए गणतत्र दिवस पर निबंध (Republic day essay) लिखने का प्रश्न भी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से Gantantra Diwas par nibandh लिखने में भी मदद मिलेगी। Gantantra Diwas par lekh bhashan तैयार करने में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद लें और अच्छा प्रदर्शन करें।

मोबाइल फ़ोन को सेल्युलर फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल आज आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक अहम हिस्सा है जिसने दुनिया को एक साथ लाकर हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। मोबाइल में इंटरनेट के इस्तेमाल ने कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। मनोरंजन, संचार के साथ रोजमर्रा के कामों में भी इसकी अहम भूमिका हो गई है। इस निबंध में मोबाइल फोन के बारे में बताया गया है।

भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दिन की याद में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस लेख में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बारे में चर्चा की गई है।

दुनिया के कई देशों में मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर वर्ष 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे लेबर डे, श्रमिक दिवस या मई डे भी कहा जाता है। श्रम दिवस एक विशेष दिन है जो मजदूरों और श्रम वर्ग को समर्पित है। यह मजदूरों की कड़ी मेहनत को सम्मानित करने का दिन है। ज्यादातर देशों में इसे 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रम दिवस का इतिहास और उत्पत्ति अलग-अलग देशों में अलग-अलग है। विद्यार्थियों को कक्षा में मजदूर दिवस पर निबंध लिखने, मजदूर दिवस पर भाषण देने के लिए कहा जाता है। इस निबंध की मदद से विद्यार्थी अपनी तैयारी कर सकते हैं।

मकर संक्रांति का त्योहार यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा करके दान करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड, चिउड़ा-दही खाने का रिवाज है। प्रयागराज में इस दिन से कुंभ मेला आरंभ होता है। इस लेख में मकर संक्रांति के बारे में बताया गया है।

पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते समय ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अक्सर होती है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध वैश्विक तापमान में वृद्धि से है। इसके अनेक कारण हैं। इनमें वनों का लगातार कम होना और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन प्रमुख है। वनों का विस्तार करके और ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण करके हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध- कारण और समाधान में इस विषय पर चर्चा की गई है।

भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। समाचारों में अक्सर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले प्रकाश में आते रहते हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। अलग-अलग एजेंसियां भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करती रहती हैं। फिर भी आम जनता को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। हालांकि डिजीटल इंडिया की पहल के बाद कई मामलों में पारदर्शिता आई है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कम हुए है, समाप्त नहीं हुए हैं। भ्रष्टाचार पर निबंध के माध्यम से आपको इस विषय पर सभी पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

समय-समय पर ईश्वरीय शक्ति का एहसास कराने के लिए संत-महापुरुषों का जन्म होता रहा है। गुरु नानक भी ऐसे ही विभूति थे। उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर दिया। गुरु नानक की तर्कसम्मत बातों से आम जनमानस उनका मुरीद हो गया। उन्होंने दुनिया को मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। भारत, पाकिस्तान, अरब और अन्य जगहों पर वर्षों तक यात्रा की और लोगों को उपदेश दिए। गुरु नानक जयंती पर निबंध से आपको उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी मिलेगी।

कुत्ता हमारे आसपास रहने वाला जानवर है। सड़कों पर, गलियों में कहीं भी कुत्ते घूमते हुए दिख जाते हैं। शौक से लोग कुत्तों को पालते भी हैं। क्योंकि वे घर की रखवाली में सहायक होते हैं। बच्चों को अक्सर परीक्षा में मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। यह लेख बच्चों को मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने में सहायक होगा।

स्वामी विवेकानंद जी हमारे देश का गौरव हैं। विश्व-पटल पर वास्तविक भारत को उजागर करने का कार्य सबसे पहले किसी ने किया तो वें स्वामी विवेकानंद जी ही थे। उन्होंने ही विश्व को भारतीय मानसिकता, विचार, धर्म, और प्रवृति से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानने के लिए आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। यह लेख निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन करेगा।

हम सभी ने "महिला सशक्तिकरण" या नारी सशक्तिकरण के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से सभी के लिए सहायक होंगे।

भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए बहुत कम उम्र में ही अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। देश के लिए उनकी भक्ति निर्विवाद है। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके निधन से पूरे देश में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया गया था। वह हमेशा हमारे बीच शहीद भगत सिंह के नाम से ही जाने जाएंगे। भगत सिंह के जीवन परिचय के लिए अक्सर छोटी कक्षा के छात्रों को भगत सिंह पर निबंध तैयार करने को कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आपको भगत सिंह पर निबंध तैयार करने में सहायता मिलेगी।

वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है।

गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। ना सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। ऐसे में विद्यालयों में गाय को लेकर निबंध लिखने का कार्य दिया जाना आम है। गाय के इस निबंध के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में पूछे जाने वाले गाय पर निबंध को लिखने में भी सहायता मिलेगी।

क्रिसमस (christmas in hindi) भारत सहित दुनिया भर में मनाए जाने वाले बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का महत्व समझाने के लिए कई बार स्कूलों में बच्चों को क्रिसमस पर निबंध (christmas in hindi) लिखने का कार्य दिया जाता है। क्रिसमस पर एग्जाम के लिए प्रभावी निबंध तैयार करने का तरीका सीखें।

रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरी तरह से भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को कोई तोहफा देने के साथ ही जीवन भर उनके सुख-दुख में उनका साथ देने का वचन देते हैं। इस दिन छोटी बच्चियाँ देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) आधारित इस लेख से विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के त्योहार पर न सिर्फ लेख लिखने में सहायता प्राप्त होगी, बल्कि वे इसकी सहायता से रक्षाबंधन के पर्व का महत्व भी समझ सकेंगे।

होली त्योहार जल्द ही देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। होली पर हिंदी में निबंध (hindi mein holi par nibandh) को पढ़ने से होली के सभी पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी और यदि परीक्षा में holi par hindi mein nibandh लिखने को आया तो अच्छा अंक लाने में भी सहायता मिलेगी।

दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बच्चों को विद्यालयों में दशहरा पर निबंध (Essay in hindi on Dussehra) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे पूर्ण जानकारी भी मिले। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख में हम देखेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

हमें उम्मीद है कि दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Diwali Festival) के सार को सही ठहराने के लिए अपनी ओर से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध से कुछ सीख कर लाभ उठा सकते हैं कि वाक्यों को कैसे तैयार किया जाए, Class 1 से 10 तक के लिए दीपावली पर निबंध हिंदी में तैयार करने के लिए इसके लिंक पर जाएँ।

बाल दिवस पर भाषण (Children's Day Speech In Hindi), बाल दिवस पर हिंदी में निबंध (Children's Day essay In Hindi), बाल दिवस गीत, कविता पाठ, चित्रकला, खेलकूद आदि से जुड़ी प्रतियोगिताएं बाल दिवस के मौके पर आयोजित की जाती हैं। स्कूलों में बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए उपयोगी सामग्री इस लेख में मिलेगी जिसकी मदद से बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस के लिए निबंध तैयार करने में मदद मिलेगी। कई बार तो परीक्षाओं में भी बाल दिवस पर लेख लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। इसमें भी यह लेख मददगार होगा।

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत देश अनेकता में एकता वाला देश है। अपने विविध धर्म, संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ, भारत के लोग सद्भाव, एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, हिंदी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर भाषण के लिए उपयोगी जानकारी इस लेख में मिलेगी।

हिन्दी में कवियों की परम्परा बहुत लम्बी है। हिंदी के महान कवियों ने कालजयी रचनाएं लिखी हैं। हिंदी में निबंध और वाद-विवाद आदि का जितना महत्व है उतना ही महत्व हिंदी कविताओं और कविता-पाठ का भी है। हिंदी दिवस पर विद्यालय या अन्य किसी आयोजन पर हिंदी कविता भी चार चाँद लगाने का काम करेगी। हिंदी दिवस कविता के इस लेख में हम हिंदी भाषा के सम्मान में रचित, हिंदी का महत्व बतलाती विभिन्न कविताओं की जानकारी दी गई है।

प्रदूषण पृथ्वी पर वर्तमान के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ और बहुत ही तेजी के साथ किए जाने की जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध के ज़रिए हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution) से इस समस्या को जहाँ समझने में आसानी होगी वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पहलुओं के बारे में भी जान सकेंगे। इससे स्कूली विद्यार्थियों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध से परीक्षा में बेहतर स्कोर लाने में मदद मिलेगी।

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। पृथ्वी ग्रह का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, इसे स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन पर निबंध के जरिए छात्रों को इस विषय और इससे जुड़ी समस्याओं और समाधान के बारे में जानने को मिलेगा।

हमारी यह पृथ्वी जिस पर हम सभी निवास करते हैं इसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना और साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया।

आज के युग में जब हम अपना अधिकतर समय पढाई पर केंद्रित करने का प्रयास करते नजर आते हैं और साथ ही अपना ज़्यादातर समय ऑनलाइन रह कर व्यतीत करना पसंद करते हैं, ऐसे में हमारे जीवन में खेलों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। खेल हमारे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु हमारे सर्वांगीण विकास का एक माध्यम भी है। हमारे जीवन में खेल उतना ही जरूरी है, जितना पढाई करना। आज कल के युग में मानव जीवन में शारीरिक कार्य की तुलना में मानसिक कार्य में बढ़ोतरी हुई है और हमारी जीवन शैली भी बदल गई है, हम रात को देर से सोते हैं और साथ ही सुबह देर से उठते हैं। जाहिर है कि यह दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है और इसके साथ ही कार्य या पढाई की वजह से मानसिक तनाव पहले की तुलना में वृद्धि महसूस की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब हमारे जीवन में शारीरिक परिश्रम अधिक नहीं है, तो हमारे जीवन में खेलो का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है, जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि सबसे पहली गुरु माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही बड़ा और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना भी उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़को पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था जिन्होंने 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।

हम उम्मीद करते हैं कि स्कूली छात्रों के लिए तैयार उपयोगी हिंदी में निबंध, भाषण और कविता (Essays, speech and poems for school students) के इस संकलन से निश्चित तौर पर छात्रों को मदद मिलेगी।

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बाल श्रम को बच्चो द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें बाल श्रम या फिर कहें तो बाल मजदूरी पर निबंध।

एपीजे अब्दुल कलाम की गिनती आला दर्जे के वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रभावी नेता के तौर पर भी होती है। वह 21वीं सदी के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं। कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, अपने कार्यकाल में समाज को लाभ पहुंचाने वाली कई पहलों की शुरुआत की। मेरा प्रिय नेता विषय पर अक्सर परीक्षा में निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें अपने प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध।

हमारे जीवन में बहुत सारे लोग आते हैं। उनमें से कई को भुला दिया जाता है, लेकिन कुछ का हम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। भले ही हमारे कई दोस्त हों, उनमें से कम ही हमारे अच्छे दोस्त होते हैं। कहा भी जाता है कि सौ दोस्तों की भीड़ के मुक़ाबले जीवन में एक सच्चा/अच्छा दोस्त होना काफी है। यह लेख छात्रों को 'मेरे प्रिय मित्र'(My Best Friend Nibandh) पर निबंध तैयार करने में सहायता करेगा।

3 फरवरी, 1879 को भारत के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार ने सरोजिनी नायडू का दुनिया में स्वागत किया। उन्होंने कम उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज और गिर्टन, दोनों ही पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की। जब वह एक बच्ची थी, तो कुछ भारतीय परिवारों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हालाँकि, सरोजिनी नायडू के परिवार ने लगातार उदार मूल्यों का समर्थन किया। वह न्याय की लड़ाई में विरोध की प्रभावशीलता पर विश्वास करते हुए बड़ी हुई। सरोजिनी नायडू से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

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Frequently Asked Question (FAQs)

किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- ये हैं- प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार (conclusion)।

हिंदी निबंध लेखन शैली की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

वर्णनात्मक हिंदी निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।

विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है।

भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।

विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

निबंध में समुचित जगहों पर मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविता का प्रयोग करके इसे प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। हिंदी निबंध के प्रभावी होने पर न केवल बेहतर अंक मिलेंगी बल्कि असल जीवन में अपनी बात रखने का कौशल भी विकसित होगा।

कुछ उपयोगी विषयों पर हिंदी में निबंध के लिए ऊपर लेख में दिए गए लिंक्स की मदद ली जा सकती है।

निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति निबंध है।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
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  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
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  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
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  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
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  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
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  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
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  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
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  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
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  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
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  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
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  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
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  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
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  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
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  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
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  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
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  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
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  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
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  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

Hindi Essay | हिंदी में निबंध for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12

Hindi essay for classes 3 to 12 students, benefits of essay writing:, essay writing in hindi:, conclusion:, faqs:      .

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Mark Zuckerberg Stumps for ‘Open Source’ A.I.

The chief executive of Meta said in an open letter that it was important that the technology was not controlled by a handful of giant companies — including his own.

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Mark Zuckerberg wears a blue shirt, dark pants, and a gold chain while sitting in a gray chair.

By Mike Isaac

Mike Isaac has covered Mark Zuckerberg and his company since 2010.

For years, technologists have debated whether it is better for companies to keep the details of their computer code secret or share it with software developers around the world.

That debate — closed versus open source — has become inflamed by the rapid development of artificial intelligence and worries that A.I. is quickly becoming a national security issue.

In an open letter on Tuesday , Mark Zuckerberg, the chief executive of Meta, reinforced what some said was a risky stance taken by his company: that open source development of artificial intelligence would allow technologists to learn how powerful A.I. models are created and use that knowledge to build their own A.I. programs.

Mr. Zuckerberg said it was unrealistic to think that a handful of companies could keep their A.I. technology secret, particularly when Silicon Valley has for years been a target for espionage by countries such as China.

“I think governments will conclude it’s in their interest to support open source because it will make the world more prosperous and safer,” he said in the letter, adding that clamping down on sharing A.I. research would simply stifle American innovation.

Meta also released the latest and most powerful version of its A.I. algorithm, called LLaMA, and added support for seven additional languages — including Hindi, French and Spanish — for Meta AI, the company’s A.I.-powered smart assistant.

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    हिंदी निबंध (Hindi Nibandh/ Essay in Hindi) - हिंदी निबंध की तैयारी उम्दा होने पर न केवल ज्ञान का दायरा विकसित होता है बल्कि छात्र परीक्षा में हिंदी निबंध में अच्छे अंक ला ...

  22. Hindi Essay (Hindi Nibandh)

    आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi) सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi) बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध - (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)

  23. Hindi Essay

    Hindi Essay for Classes 3 to 12 Students. Hindi is the mostly spoken language by people in the whole country. People from all regions of India know Hindi more or less which increases the ways of inter-relation in different culture. People can go to any part of the country depending on their needs of study or job without any second thought for ...

  24. Anant Ambani and Radhika Merchant wedding: Celebrity guests ...

    The son of India's richest man married heiress Radhika Merchant before thousands of guests including Kim Kardashian, Nick Jonas, Priyanka Chopra and John Cena.

  25. Mark Zuckerberg Stumps for 'Open Source' A.I.

    Meta also released the latest and most powerful version of its A.I. algorithm, called LLaMA, and added support for seven additional languages — including Hindi, French and Spanish — for Meta ...