वनों की कटाई पर भाषण

Speech on Deforestation in Hindi : वनों की कटाई करना यह एक गंभीर समस्या में से सबसे महत्वपूर्ण समस्या है। लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अक्सर वनों की कटाई करते हुए नजर आ रहे हैं। जहां पर उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिलती है, तो वहां पर वह पेड़ पौधे काटने लगते है और जंगल को साफ कर देते हैं और वहां पर अपनी रहने के लिए भवन का निर्माण करते हैं। इसके लिए सरकार को महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको वनों की कटाई पर भाषण देने वाले हैं, जो आपके लिए लाभदायक हो सकता है और लोगों को जागरुक करने का काम कर सकता है।

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वनों की कटाई पर भाषण | Speech on Deforestation in Hindi

वनों की कटाई पर भाषण (500 शब्द).

माननीय अतिथि गण, प्रधानाचार्य जी, शिक्षक गण, एवं मेरे समस्त सहपाठियों, आप सभी को सुप्रभात। आज मैं आपके समक्ष एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने जा रहा हूं। आज दिन प्रतिदिन हम ग्लोबल वार्मिंग के बारे में सुनते हैं, उसी का एक विषय है वनों को काटना। वनों की कटाई की वजह से बहुत ही ज्यादा ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ती जा रही है, आईए इस पर को चर्चा करते हैं।

जैसा कि आप जानते हैं वनों की कटाई एक बहुत ही बड़ा विषय है और यह गंभीर समस्या बनती जा रही है। ऐसे में लोग एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित होते ही रहते हैं, जिसकी वजह से वह वनों की कटाई करते हैं और रहने के लिए जगह बना लेते हैं। वनों की कटाई तब ज्यादा की जाती है जब लोग बड़े घर या फार्म हाउस बनाने की इच्छा रखते हैं और इसके लिए वह वनों की कटाई करना शुरू कर देते हैं।

इसी के साथ जब भी किसी को ईंधन या लकड़ी की जरूरत होती है, तो वह वनों की कटाई करने के लिए निकल पड़ते हैं। इसका मतलब साफ है कि मनुष्य के द्वारा ही वन को खत्म किया जा रहा है, जिसकी वजह से हमारी जलवायु बहुत ही ज्यादा प्रभावित हो रही है और ग्लोबल ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती ही जा रही है।

इसी के साथ बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए लोग कारखाने, घर इत्यादि का निर्माण करने के लिए वनों का इस्तेमाल करते हैं। लोग बड़ी-बड़ी इमारत और अपार्टमेंट बना लेते हैं। इसी के साथ सड़कों का निर्माण करते हैं। इन सभी चीजों के लिए वनों की कटाई बहुत ही ज्यादा होने लगी है और भी कई अन्य कारण है, जिसकी वजह से वनों की कटाई बहुत ही अधिक बढ़ती जा रही है।

कुछ कारण इस प्रकार है जैसे कि जंगल की आग बढ़ना, कई बार जंगल में आग लगा दी जाती है और कई बार प्राकृतिक आग लग जाती है, जिसकी वजह से वन नष्ट हो जाते हैं। दूसरा कारण है झूमिंग यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें किसान आग लगाने के लिए जंगल से पेड़ काट लेते हैं और वहां जो राख उत्पन्न होती है। उसका इस्तेमाल उर्वरक के रूप में किया जाता है।

तीसरा कारण है जल विद्युत परियोजनाएं इसकी वजह से जलाशयों और मानव निर्मित बांधों के लिए वनों की कटाई बहुत ही ज्यादा हो रही है और सभी पौधे और जानवर मारे जाने लगे हैं। चौथा कारण है अधिक चराई जैसे जैसे देश में लोगों की आबादी बढ़ रही है वैसे पशुओं की आबादी भी बढ़ने लगी है। इसी के चलते लोग अपने पशुओं को जंगल में ले जाते हैं और वहां जंगल के जंगल खत्म हो जाते है।

यह सब ऐसे कारण हैं जिनको हमें रोकना चाहिए और वनों की अंधाधुंध कटाई को भी रोकना चाहिए। अगर ऐसे ही वनों की कटाई होती रही तो ग्लोबल वार्मिंग बहुत ही अधिक बढ़ जाएगी, जिसकी वजह से पृथ्वी पर सांस लेना तक मुश्किल हो जाएगा।

अंत में मैं केवल यही कहना चाहूंगा कि हमें पेड़ों की कटाई को रोकना चाहिए और अपने वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने चाहिए।

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माननीय कक्षाअध्यापक और मेरे प्यारे मित्रों आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। आज मैं आपसे बहुत ही महत्वपूर्ण विषय कि उन्हें बात करने जा रहा हूं, वनों की कटाई के बारे में हम बात करने जा रहे हैं।

मैं एक प्रकृति प्रेमी हूं और मुझे नदियों और पेड़ों से बहुत ही ज्यादा प्यार है। मैं इन सभी के बीच में रहकर खुद को भाग्यवान मानता हूं, इसीलिए जब जब प्रकृति पर प्रहार होता है तो मुझे इन सब को देखकर बहुत ही ज्यादा दुख होता है। मैं अक्सर पेड़ों को नष्ट होते हुए देखता हूं। नदियों को गंदा और प्रदूषित होते हुए देखता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है मानो लोग मुझे ही नुकसान पहुंचा रहे हैं।

इसी तरह से इस समय वनों की कटाई मतलब वन भूमि का कम होना, यह मेरे लिए बहुत ही दुर्भाग्यवश है। मैं इन सभी को देखकर आश्चर्यचकित हो जाता हूं। क्या आप जानते हैं आने वाले समय में यह समझ से भी अधिक बढ़ जाएगी, जिसकी वजह से हम इस पृथ्वी पर रहकर सांस तक नहीं ले पाएंगे और हमारा जीना भी दुश्वार हो जाएगा, इसकी वजह से अक्सर नई-नई बीमारियां भी पनपती रहती हैं।

वनों की कटाई की वजह से पर्यावरण बहुत ही अधिक प्रभावित होता है। इसकी वजह से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में बहुत ही अधिक वृद्धि हो रही है क्योंकि जितनी अधिक पेड़ पौधे होते हैं उतनी ही ऑक्सीजन मिलती है। जैसे जैसे वनों की कटाई हो रही है वर्षा में भी कमी आती जा रही है और सूखे का खतरा निरंतर बढ़ता ही जा रहा है।

मिट्टी की गुणवत्ता भी बिगड़ रही है क्योंकि वह पहले सूखती है फिर उसे पानी और हवा नष्ट कर देती है। गर्मियों को ठंडा और सर्दियों को गर्म बनाकर वातावरण में बहुत ही अधिक असंतुलन पैदा हो रहा है। लकड़ी की उपलब्धता बहुत ही कम होती जा रही है।

जंगलों की कमी की वजह से मिट्टी का कटाव और भी सूखा बढ़ता जा रहा है और भूमि बंजर होती जा रही है क्योंकि अगर बारिश नहीं होगी तो, हमारी भूमि बंजर होगी। जिसकी वजह से कोई भी काम नहीं हो पाता है। बारिश ना होने की वजह से वन भूमि रेगिस्तान बनती जा रही है, जिसकी वजह से अक्सर बाढ़ और प्राकृतिक आपदाएं आती ही रहती हैं।

वनों की कटाई की वजह से हमारे पर्यावरण पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इसके लिए सरकार को कड़े से कड़े नियम और कानून बनाने चाहिए और वनों की अंधाधुंध कटाई पर प्रतिबंध लगाना बहुत ही आवश्यक है, अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए।

अंत में मैं केवल आपसे इतना ही कहना चाहूंगा कि जितना हो सके हमें और हमारी युवा पीढ़ी को सभी प्रकार की स्थिति का महत्व समझना बहुत ही आवश्यक है। इसी के साथ भीड़ और जंगलों की कटाई को रोकना बहुत ही जरूरी है। अन्यथा आने वाले समय में अनर्थ होने से कोई भी नहीं रोक पाएगा, इसी के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं।

इस आर्टिकल में हमने आपको वनों की कटाई पर भाषण ( Speech on Deforestation in Hindi) बताया है। अगर आप स्कूल या कॉलेज की छात्रा है या किसी भी अन्य समारोह में आपको या लोगों को जागरूक करने के लिए वनों की कटाई के बारे में भाषण देना है, तो यह आपके लिए सहायक हो सकता है।

  • मानवाधिकार दिवस पर भाषण
  • बाल दिवस पर भाषण
  • प्रदूषण पर भाषण
  • पर्यावरण बचाओ पर भाषण

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वनरोपण / वनीकरण पर निबंध (Afforestation Essay in Hindi)

हमारे ग्रह पर वन हमें कई तरह की सेवाओं के साथ हमें फायदा पहुंचा रहे हैं। मानवीय गतिविधियों द्वारा जंगल की अनियमित कटाई और निकासी कहीं न कहीं से प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ रही है। वनों की कटाई मूल रूप से अपशिष्ट और बंजर भूमि को उत्पादक में बदलने से संबंधित है। लगाए जाने और बड़े हो जाने के बाद ये वन हमें विभिन्न वन उत्पाद, आश्रय और पारिस्थितिक सेवाएं प्रदान करेंगे। पुनर्स्थापन के तहत क्षेत्र का समुचित अध्ययन और गहन शोध के बाद ही वनरोपण के तरीकों को लागू किया जाना चाहिए। आज यहाँ पर हम आपके लिए इस विषय से सम्बंधित अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध लेकर आये हैं जो इस दिशा में आपके विचारों को और भी स्पष्ट करेंगे।

वनरोपण पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Afforestation in Hindi, Vanropan par Nibandh Hindi mein)

वनीकरण पर निबंध – 1 (250 शब्द) – vanropan par nibandh.

वनरोपण, उन क्षेत्रों में पेड़ या बीज लगाने पर जोर देने वाला शब्द है, जो खनन गतिविधियों की वजह से कभी बंजर थे या फिर हरित आवरण और उत्पादकता को लगातार खो रहे हैं। रोपने या बोने से सम्बंधित क्षेत्रों को इसे बहाल करने में मदद मिलेगी। इस प्रकार, यह क्षेत्र की उर्वरता को दुबारा से प्राप्त करने में मदद करेगा। यह कोई आसान काम नहीं है, लेकिन उस पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और कार्यों को पुनर्स्थापित करने के लिए एक लम्बा समय लेने वाली प्रक्रिया है। वनीकरण पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से पहले जैसा करने में सहायक हो सकता है जिसे हमेशा नजरअंदाज किया गया है।

वनरोपण बनाम वनों की कटाई

वनरोपण शब्द कई बार पुनर्वनरोपण शब्द के साथ भ्रमित होता है। पुनर्वनरोपण, जंगल में अधिक से अधिक पेड़ लगाने की एक प्रक्रिया है जो पहले से ही चल रही है लेकिन इस प्रक्रिया में भी काफी ढिलाई हो रही है या धीरे-धीरे हो रही है। हालांकि, वनरोपण पेड़ों या प्राकृतिक रूप से या कृत्रिम रूप से बीज बोने की एक विधि है, जो किसी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के चलते बंजर है। इसलिए हम कह सकते हैं कि वनरोपण एक ख़राब जमीन या बंजर भूमि पर एक नए जंगल के निर्माण की क्रिया है जो अतीत में कभी एक जंगल या कृषि भूमि हुआ करती थी।

पेड़ और वन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और जीवन के आवश्यक अंग हैं। बदलती जीवनशैली और मानव जाति की आवश्यकताएं जंगलों की समाप्ति के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक असंतुलन हो गया है। वनरोपण, संरक्षण के लिए सकारात्मक दृष्टिकोणों में से एक है।

इसे यूट्यूब पर देखें : वनीकरण

वनरोपण पर निबंध (400 शब्द)

भारत वनों का देश है; तक़रीबन 33 प्रतिशत भूमि जंगलों के अंतर्गत आती है। लगातार बढ़ती जनसँख्या और मानवीय आवश्यकताओं के चलते, जंगलों को नियमित रूप से कई उद्देश्यों के लिए काटा जा रहा है। यह किसी निपटारे या विभिन्न निर्माण परियोजनाओं के लिए हो सकता है। कुछ वन क्षेत्रों को इस तरह से काट दिया गया है कि इसकी उर्वरता, उत्पादकता और जैव विविधता समाप्त हो गई है, जिससे यह बंजर या अनउपजाऊ भूमि बन गई है।

वनरोपण उन क्षेत्रों को संरक्षित करने और मानवीय रूप से, या फिर कुछ उपकरणों या प्रौद्योगिकी के आवेदन द्वारा उन क्षेत्रों के संरक्षण की एक विधि है।

वनरोपण के फायदे और नुकसान

वनरोपण से होने वाले लाभ यहां नीचे सूचीबद्ध किये गए हैं:

  • तापमान और वर्षा को नियमित करना – जल चक्र की प्रक्रिया के लिए वन जिम्मेदार हैं और इस प्रकार ये बादलों और बारिश के निर्माण में मदद करते हैं। वे सक्रिय रूप से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को सोखते हैं और तापमान को नियमित करने में मदद करते हैं।
  • जैव विविधता की समृद्धि – जंगलों में परिवर्तित होने वाली खाली जमीन सूक्ष्मजीवों के साथ-साथ कई जानवरों और पौधों की प्रजातियों के लिए आश्रय बन जाएगी।
  • मृदा अपरदन और फिर इसी तरह से मृदा उर्वरता का घटाव – वनों के आवरण के बिना वाले क्षेत्र पूरी तरह से खाली हो जाते हैं और वहां पर पानी और हवा की वजह से मृदा कटाव के अधीन होने लगती हैं। पेड़ लगाने से पेड़ों की जड़ों द्वारा भूमि की ऊपरी परत को बांधने में मदद मिलती है। मिट्टी की ऊपरी परत मृदा की उर्वरता के लिए भी ज़िम्मेदार है और इसलिए मृदा के कटाव को वनरोपण के इन उपायों द्वारा रोका जा सकता है।
  • जलवाही स्तर और जल विभाजन प्रबंधन को चार्ज करने में मदद करता है – पेड़ बहते पानी या बारिश के पानी को सोखने और इसे बर्बाद होने से रोकते हैं। कम वन भाग वाले क्षेत्रों यानी अर्ध-शुष्क या शुष्क क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। वनरोपण जल विभाजन प्रबंधन और जलवाही स्तर को रिचार्ज करने की दिशा में बढ़ावा देता है।
  • अत्यधिक बाढ़ के पानी को सोख कर या उचित जल निकासी करके घाटियों की ओर उनका रुख बदल कर बाढ़ की स्थिति को कम करता है।
  • उत्सर्जन को सोख कर हवा के शुद्धिकरण में मदद करता है। वन प्रकृति की सुंदरता में भी योगदान करते हैं।
  • आवास के लिए एक स्थान प्रदान करके वन्यजीवों को बढ़ाने में मदद करता है।

वनरोपण, वन संरक्षण की दिशा में एक बेहतरीन उपाय है, लेकिन यदि इस क्षेत्र को पूर्व अनुसंधान और ज्ञान को बहाल करने के लिए नहीं किया जाता है, तो इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।

  • यह स्थानीय प्रजातियों के लुप्त होने या विलुप्त होने का कारण बन सकता है जो खुले क्षेत्र में रहते हैं।
  • देशी प्रजाति के बजाय आक्रामक प्रजाति के पौधे लगाए जाने से अन्य प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। यह भोजन और अस्तित्व के लिए प्रतिस्पर्धा के कारण परिणाम देगा।
  • वृक्षारोपण मिट्टी के गुणों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि लगाए गए पेड़ों को इसके विकास के लिए विभिन्न घटकों की आवश्यकता होगी और इस प्रकार कई मिट्टी के घटकों का क्षय हो सकता है। यह सूक्ष्मजीवों की विभिन्न जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं के लिए समस्या खड़ी कर सकता है।
  • कम धारा प्रवाह सीधे तौर पर कृषि गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।

जंगलों और पेड़ों को काटने से प्रकृति और मानव जाति को एक अपरिहार्य नुकसान हुआ है। जंगलों के उद्भव को बढ़ावा देने के लिए उचित ज्ञान और देखभाल के साथ वनरोपण का प्रयास किया जाना चाहिए। वनरोपण हमारे जंगल के संरक्षण के लिए एक कदम आगे बढ़ने के तरीकों में से एक है।

वनरोपण / वनीकरण पर निबंध (600 शब्द)

किसी बंजर, बेकार, शुष्क या अर्ध-शुष्क भूमि को वन क्षेत्र में हरियाली की ओर परिवर्तित करना वनरोपण कहलाता है। यह पेड़ लगाकर और पौधों के बीज बोने से होता है।

वनरोपण, हरियाली और जैव विविधता को प्राप्त करने में मदद करता है। जंगल कई जीवित जीवों को आवास प्रदान करता है। नव निर्मित वन कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को सोख कर हवा के शुद्धिकरण में सहायक होते हैं। वनरोपण एक लाभदायक प्रक्रिया है, लेकिन इसे उचित ज्ञान और देखभाल के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए। कई बार कई अलग अलग स्थानीय प्रजातियां जीवमंडल में संशोधन के कारण विलुप्त हो सकती हैं।

वनरोपण की आवश्यकता

वन हमें विभिन्न सेवाएं और आवश्यकताएं प्रदान कर रहे हैं। वे तापमान और वर्षा विनियमन जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं, लेकिन कुछ अभ्यास बड़े पैमाने पर किए जाने के लिए वनरोपण किया जाना बेहद आवश्यक है जिसे हमने यहाँ पर नीचे सूचीबद्ध किया है:

  • अधिक जनसंख्या – जनसंख्या में निरंतर वृद्धि एक खतरा बन रहा है। जनसंख्या में वृद्धि और उनकी जरूरत तथा मांगों को पूरा करने के लिए वनों की लगातार कटाई हो रहा है। कृषि, निर्माण, और बंदोबस्त के उद्देश्य से भूमि उपलब्ध कराने के लिए पेड़ों तथा जंगलों की कटाई बड़े पैमाने पर की जा रही है। इसका जंगलों में रहने वाली जैव-विविधता पर गहरा असर पड़ रहा है और वे बेघर हो रहे है और कई मूल प्रजातियों के विलुप्त होने की संभावना है। इस प्रकार, अत्याधिक आबादी के दुष्परिणामों की क्षतिपूरण केवल वनरोपण द्वारा ही की जा सकती है।
  • औद्योगिकीकरण और शहरीकरण – बदलती जीवनशैली और जीवन स्तर ने दुनिया को औद्योगिकीकरण की ओर अग्रसर किया है। इसलिए विकास की दौड़ में आगे बढ़ते हुए, कई निर्माण, परियोजना प्रौद्योगिकियां लगातार स्थापित की जा रहीं हैं और दुबारा से उनका उपयोग करके हमारे प्राकृतिक संसाधनों जैसे सड़कों, बांधों, भवनों, बिजली परियोजनाओं, खनन का निर्माण, आदि किया जाता है। विभिन्न सुविधाओं और अवसरों से लाभान्वित होने के लिए अधिक से अधिक लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में आ रहे हैं। यह प्रवास पारिस्थितिकी तंत्र की वहन क्षमता पर अतिरिक्त भार बढ़ा रहा है।
  • अत्यधिक चराई – पशुओं द्वारा घास के मैदानों के नियमित रूप से चराई करने से घास का मैदान साफ ​​हो जाता है और फिर वह हरे भरे मैदान से खलिहान भूमि में बदल जाती है। जिस गति से चराई जारी है वह घास के मैदानों और मिट्टी को फिर से भरने के लिए अपर्याप्त है। इस प्रकार हरियाली वाले क्षेत्रों की अतिरिक्त चराई इसे खाली स्थान में बदल देती है।

वनीकरण को बढ़ावा देने के तरीके

  • सार्वजनिक भागीदारी और जागरूकता कार्यक्रम – अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं जिम्मेदार होना चाहिए। ध्यान केवल वृक्षारोपण पर ही नहीं बल्कि उसकी अच्छी देखभाल पर भी होना चाहिए। लोगों को जंगल और उसकी सेवाओं के महत्व से अवगत कराना भी आवश्यक है। जन भागीदारी और जागरूकता का सबसे अच्छा उदाहरण 1973 में हुआ ‘चिपको आन्दोलन” था, जो पेड़ों और जंगलों के संरक्षण पर आधारित था।
  • वन क्षेत्रों के अवांछित कटाई के लिए नियमों को लागू किया जाना चाहिए, जो लोग नियमों का पालन करने में असमर्थ होंगे उन्हें दंडित किया जाएगा और उनपर जुर्माना भी लगाया जाएगा।
  • नियमित रूप से वृक्षारोपण करना चाहिए।
  • वन क्षेत्रों में दुर्घटनाओं को कम किया जाना चाहिए या जाँच की जानी चाहिए।
  • सरकार को वनरोपण और पुनर्वसन प्रथाओं के लिए योजनायें और नीतियां बनानी चाहिए।

वनरोपण के प्रति एनटीपीसी का एक सफल प्रयास

पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) वनरोपण कार्यक्रम में सफलतापूर्वक शामिल है। कंपनी ने परियोजना के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों और परियोजनाओं के बाहर के क्षेत्रों में 20 मिलियन पेड़ सफलतापूर्वक लगाए हैं। कंपनी का मुख्य उद्देश्य कार्बन क्रेडिट को कम करना है और वन रोपण द्वारा इस कार्य को करने में मदद मिलेगी।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में, कुल मिलाकर यह इस संगठन का एक बड़ा प्रयास है, जिसमें से एक संरक्षण उपायों, जो कि वनरोपण को अपनाना है।

वनरोपण को हम कह सकते हैं कि यह हरे रंग की आवरण की कमी और विभिन्न अमानवीय गतिविधियों के कारण मृदा की घटती उर्वरता को पूरा करने वाला एक उपाय है। जैसा कि कहा जाता है कि रोकथाम, इलाज से बेहतर है; उसी पहलू में हमें अपने वनों की सुरक्षा पर जोर देना होगा। सुरक्षा रणनीतियों और उचित प्रबंधन किसी भी बचाव उपायों के आवेदन की संभावना को कम करेगा। लेकिन समग्र रूप से, वनरोपण एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक और कार्यात्मक सेवाओं के प्रतिपादन के साथ बंजर भूमि को हरा-भरा करने के लिए एक बेहतर तरीका है।

Essay on Afforestation

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वनों की कटाई पर निबंध 10 lines (Essay On Deforestation in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500 शब्दों मे

Essay On Deforestation in Hindi – वनों की कटाई पेड़ों और जंगल को हटाना या साफ करना है जिसे मानव के उपयोग में परिवर्तित किया जाता है, जैसे कृषि उपयोग, घर बनाने, व्यावसायिक उद्देश्य और अन्य विकास के लिए। पृथ्वी की लगभग 31% भूमि की सतह वनों से आच्छादित है, केवल 4 बिलियन हेक्टेयर क्षेत्र से अधिक और भारत की कुल भूमि का लगभग 71.22 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र वनों से आच्छादित है। Essay On Deforestation उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जंगलों में वनों की कटाई (Essay On Deforestation) अधिक चरम पर है। इन क्षेत्रों को किफायती उपयोगों में परिवर्तित किया जाता है। पृथ्वी पर उष्णकटिबंधीय वर्षा वन का कुल क्षेत्रफल लगभग 16 मिलियन वर्ग किलोमीटर है लेकिन वनों की कटाई के कारण केवल 6.2 वर्ग किलोमीटर ही बचा है। वैश्विक वन संसाधन आकलन 2020 के अनुसार, 2010-2020 में शुद्ध वन हानि की वैश्विक दर प्रति वर्ष 7 मिलियन हेक्टेयर थी।

वनों की कटाई पर 10 लाइनें (10 Lines on Deforestation in Hindi)

  • 1) वनों की कटाई तब होती है जब मानव आवास बनाने के लिए जंगल के अंदर बहुत सारे पेड़ों को काट दिया जाता है।
  • 2) वनोन्मूलन के कारण बहुत से वन विलुप्त हो गए जिससे वन में रहने वाले जानवर बेघर हो गए।
  • 3) यह मुख्य रूप से गैर-वन उपयोग के लिए वन भूमि को साफ करने के लिए किया जाता है जैसे कारखानों, खेतों, खेतों, आवासीय क्षेत्रों का निर्माण करने के लिए।
  • 4) जब लोगों की संख्या बढ़ जाती है, तो उन्हें घर उपलब्ध कराने के लिए जंगल को साफ करने की आवश्यकता होती है।
  • 5) यह शहरों को क्षेत्र में बड़ा बनाने, अधिक घरों का निर्माण करने, शहरों में अच्छा बुनियादी ढांचा बनाने आदि के लिए मनुष्यों की सनक और इच्छाओं को दर्शाता है।
  • 6) वनों की कटाई ने पारिस्थितिक असंतुलन पैदा किया है जिसके परिणामस्वरूप जंगल में रहने वाले जानवरों के प्राकृतिक आवास का नुकसान हुआ है।
  • 7) वनोन्मूलन एक क्षेत्र के बड़े हिस्से को मरुस्थल बना देता है, क्योंकि वनोन्मूलन से पहले यहाँ हरियाली थी और वनोन्मूलन के बाद कुछ भी नहीं रहता।
  • 8) वन ग्लोबल वार्मिंग को कम करते हैं लेकिन वनों की कटाई से पेड़ों के विनाश के कारण ग्लोबल वार्मिंग की संभावना बढ़ जाती है।
  • 9) वन कार्बन डाइ-ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों को भी नियंत्रित करते हैं लेकिन वनों की कटाई से उनकी सांद्रता में वृद्धि होती है।
  • 10) वनों की कटाई से हानिकारक बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि जंगलों में पानी को तेजी से बहने से रोकने की क्षमता होती है।

वनों की कटाई पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Deforestation in Hindi)

वनोन्मूलन एक वनाच्छादित क्षेत्र का उस भूमि में परिवर्तन है जो वनाच्छादित नहीं है। वनों की कटाई प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों को संदर्भित कर सकती है। प्राकृतिक कारणों के बारे में बात करते समय, यह आम तौर पर जंगल की आग के परिणाम को संदर्भित करता है। दूसरी ओर, वनों की कटाई के मानव निर्मित कारण लगभग हमेशा कानूनी और अवैध दोनों तरह से लॉगिंग का परिणाम होते हैं।

प्राचीन काल से ही वनों ने मानव इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका उपयोग विभिन्न प्रकार के दैनिक कार्यों के लिए किया जाता है, जिसमें कागज बनाना, जहाज बनाना, आवास और ईंधन को गर्म करना शामिल है। हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रदूषण से मुक्त स्वच्छ वातावरण में एक स्वस्थ, शांत अस्तित्व का आनंद लेने और जीने के लिए वनों को आवश्यक माना जाता है।

वनों की कटाई पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Deforestation in Hindi)

Essay On Deforestation in Hindi – वनों की कटाई व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पौधों की कटाई या जंगल की आग के माध्यम से जंगलों की बड़े पैमाने पर सफाई है। वनों की कटाई पेड़ों के प्राकृतिक नुकसान के साथ-साथ लोगों की प्रथाओं के कारण वनों के संभावित विनाश को संदर्भित कर सकती है। पर्यावरण के प्राकृतिक संतुलन का प्रबंधन और संपूर्ण मानव जाति का कल्याण वनों पर बहुत अधिक निर्भर करता है। लेकिन समाज और पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को जानने के बावजूद लोग लगातार पेड़ों को काटते जा रहे हैं। वनों की कटाई का सबसे आम कारण वन भूमि का कृषि भूमि या अन्य उपयोगों में परिवर्तन है।

कई विकासशील देशों में कृषि विस्तार वनों की कटाई का एक प्रमुख चालक है। उदाहरण के लिए, लैटिन अमेरिका में, छोटे किसान अपने परिवारों और समुदायों का समर्थन करने के लिए नई चरागाह या फसली भूमि बनाने के लिए जंगलों को साफ करते हैं। कुछ मामलों में, बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक कृषि प्रचालन वनों की कटाई को बढ़ावा देते हैं। उदाहरण के लिए, अमेज़ॅन वर्षावन वनों की कटाई के लिए पशुपालन और सोयाबीन उत्पादन जिम्मेदार हैं। वनोन्मूलन के अन्य कारणों में अवैध कटाई, जंगल में आग, और जंगलों में या उसके निकट सड़कों का निर्माण और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल हैं। वनों की कटाई के परिणाम दूरगामी हैं और लोगों और पर्यावरण दोनों को प्रभावित करते हैं। वनों की कटाई से मिट्टी का क्षरण, जैव विविधता की हानि और जलवायु परिवर्तन हो सकता है। यह उन लोगों की आजीविका पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है जो अपने भोजन, आश्रय के लिए वनों पर निर्भर हैं।

वनों की कटाई पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay On Deforestation in Hindi)

वनों की कटाई एक वन क्षेत्र को साफ करने का एक जानबूझकर प्रयास है ताकि मानव योजनाओं के निपटान और व्यावसायिक प्रतिष्ठान के लिए रास्ता बनाया जा सके। इसमें घने पेड़ों, झाड़ियों और अन्य पौधों के कब्जे वाले एक बड़े क्षेत्र का विनाश शामिल है जो हजारों वर्षों से स्वाभाविक रूप से बढ़ रहा है।

वनों की कटाई का प्रभाव Essay On Deforestation

वनों की कटाई का पर्यावरण और अन्य संबंधित कारकों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह लगभग हर उस प्राकृतिक चीज़ को प्रभावित करता है जो पर्यावरण का हिस्सा रही है, जिसमें मनुष्य भी शामिल हैं।

सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, वनों की कटाई के परिणामस्वरूप जैव विविधता का नुकसान होता है, जिससे पारिस्थितिक असंतुलन पैदा होता है। जैव विविधता ग्रह पर जीवन और प्रजातियों की भिन्नता है। पृथ्वी की जैव विविधता का एक अच्छा हिस्सा जंगलों द्वारा कायम है क्योंकि मानव बस्तियां मनुष्यों सहित बहुत सीमित प्रजातियों को ही जीवित रखने में सक्षम हैं।

जब एक जंगल नष्ट हो जाता है, तो जानवरों, सरीसृपों, कीड़ों, पौधों, पक्षियों आदि सहित लाखों प्रजातियां अपना एकमात्र निवास स्थान खो देती हैं। इन प्रजातियों के लिए जंगल के बिना जीवनयापन करना असंभव है और इसलिए इनमें अंतर है।

वनोन्मूलन न केवल वनों में प्रत्यक्ष रूप से रहने वाली प्रजातियों को प्रभावित करता है बल्कि यह उनसे अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों को भी प्रभावित करता है। मनुष्यों पर वनों की कटाई के प्रभाव तत्काल नहीं होते हैं बल्कि समय के साथ अनुभव किए जाते हैं। खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक, अत्यधिक गर्म तापमान, प्राकृतिक संसाधनों की कमी मानव पर वनों की कटाई के कुछ गंभीर प्रभाव हैं।

वनों की रक्षा की जिम्मेदारी मनुष्य के कंधों पर है। जब तक हम वनों को उचित महत्व नहीं देंगे और उनके विनाश को रोकने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाएंगे, तब तक स्थिति और बिगड़ती चली जाएगी। यह एक सामूहिक उपाय है जिसे फौलादी संकल्प के साथ लिया जाना चाहिए।

वनों की कटाई पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Deforestation in Hindi)

Essay On Deforestation in Hindi – वनों की कटाई मनुष्य द्वारा जंगलों की समाप्ति है। दिन-ब-दिन बढ़ती मानव जनसंख्या कृषि, औद्योगिक, आवासीय, वाणिज्यिक, शहरों और अन्य उद्देश्यों के लिए पृथ्वी पर भूमि की आवश्यकता को बढ़ा रही है जिसमें स्थायी रूप से वनों को हटाना शामिल है। पिछली शताब्दी में हमारी पृथ्वी चारों ओर वनों से आच्छादित थी लेकिन आजकल गिने-चुने वन ही विद्यमान हैं। वनों की कटाई भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी एक बड़ी समस्या है। यह एक वैश्विक मुद्दा है जो दुनिया भर में बड़े पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दे के रूप में उभर रहा है।

वनों की कटाई पारिस्थितिक और पर्यावरणीय रूप से कई असंतुलन पैदा करके मानव जीवन को परेशान करती है। वनों की कटाई लगातार चिंताजनक है और मानव जीवन की सुरक्षा के लिए पौधों को काटना बंद करने की आवश्यकता का संकेत दे रही है। कुछ लोग लकड़ी से पैसा कमाने के अपने लालच को पूरा करने के लिए वनों की कटाई कर रहे हैं। लोग अपनी कृषि गतिविधियों के लिए पौधों को काट रहे हैं, लॉगिंग (कागज, माचिस, फर्नीचर, आदि बनाने के लिए), शहरीकरण (सड़क निर्माण, आवास, आदि), भूमि का मरुस्थलीकरण, खनन (तेल और कोयला खनन), आग (प्राप्त करने के लिए) गर्मी), आदि।

वनों की कटाई जलवायु असंतुलन, बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग, मिट्टी के कटाव, बाढ़, वन्यजीव विलुप्त होने, ताजा ऑक्सीजन के स्तर में कमी और कार्बन डाइऑक्साइड गैस में वृद्धि और बहुत कुछ के माध्यम से मानव स्वास्थ्य और ताजा पर्यावरण को प्रभावित कर रही है। जीवन को हमेशा की तरह बेहतर तरीके से चलाने के लिए वनों की कटाई को रोकना बहुत आवश्यक है। देश की सरकार द्वारा कुछ सख्त नियम और कानून होने चाहिए जिनका पालन सभी को वनों की कटाई को रोकने के लिए करना चाहिए। वनों की कटाई के कारणों और प्रभावों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के सरल और आसान तरीके होने चाहिए। वनों की कटाई की आवश्यकता को कम करने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित किया जाना चाहिए। जब भी कोई पौधा काटा जाए तो पुराने पौधे के स्थान पर पौधे लगाने के नियम होने चाहिए।

वनों की कटाई पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Deforestation in Hindi)

Essay On Deforestation in Hindi – वनों की कटाई बड़ी संख्या में जंगल में पेड़ों की कटाई है। वनों की कटाई हमेशा हमारे पर्यावरण के लिए खतरा रही है। लेकिन अभी भी बहुत से मनुष्य इस कुप्रथा को जारी रखे हुए हैं। इसके अलावा, वनों की कटाई से पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हो रहा है। फिर भी कुछ स्वार्थी लोगों को अपनी जेब भरनी पड़ती है। इसलिए वे इसके बारे में एक बार भी नहीं सोचते। इसलिए, सरकार पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए जवाबी उपाय कर रही है।

वनों की कटाई का मुख्य उद्देश्य भूमि क्षेत्र को बढ़ाना है। साथ ही यह भूमि क्षेत्र नए उद्योगों की स्थापना के लिए है। और, यह सब जनसंख्या में वृद्धि के कारण है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है उत्पादों की मांग भी बढ़ती है। अत: धनी व्यवसायियों ने लाभ बढ़ाने के लिए इन उद्योगों की स्थापना की।

वनों की कटाई के हानिकारक प्रभाव

वनों की कटाई के कई हानिकारक प्रभाव हैं। उनमें से कुछ नीचे हैं: मृदा अपरदन: मृदा अपरदन मिट्टी की ऊपरी परत का उन्मूलन है। यह तब होता है जब मिट्टी को बांधने वाले पेड़ों को हटाया जाता है। परिणामस्वरूप हवा और पानी मिट्टी की ऊपरी परत को बहा ले जाते हैं।

इसके अलावा भूस्खलन जैसी आपदाएं भी इसी वजह से होती हैं। इसके अलावा, मिट्टी का कटाव विभिन्न बाढ़ों के लिए जिम्मेदार है। चूंकि भारी बारिश के पानी को सीधे मैदानी इलाकों में जाने से रोकने के लिए पेड़ मौजूद नहीं हैं। इससे जिन कॉलोनियों में लोग रह रहे हैं, उन्हें नुकसान पहुंच रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग : ग्लोबल वार्मिंग हमारे पर्यावरण में बदलाव का मुख्य कारण है। इन मौसमों में अब देरी हो रही है। इसके अलावा, उनके अनुपात में असंतुलन है। तापमान अपने चरम बिंदु पर पहुंच रहा है। इस साल मैदानी इलाकों में यह 50 डिग्री रहा, जो सबसे ज्यादा है। इसके अलावा, हिमालय पर्वतमाला में ग्लेशियर पिघल रहे हैं।

परिणामस्वरूप, बाढ़ हमारे देश के पहाड़ी क्षेत्रों और वहां रहने वाले लोगों को प्रभावित कर रही है। इसके अलावा, पीने के लिए उपयुक्त पानी का अनुपात भी घट रहा है।

जल चक्र पर प्रभाव: चूंकि वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से पेड़ मिट्टी के पानी को पर्यावरण में छोड़ते हैं। इस प्रकार इनके कटने से वातावरण में जल की दर कम हो रही है। इसलिए बादल नहीं बन रहे हैं। नतीजतन, कृषि क्षेत्रों में उचित वर्षा नहीं हो रही है। इसलिए यह अप्रत्यक्ष रूप से इंसानों को ही प्रभावित कर रहा है।

वन्यजीवों के लिए बड़ा खतरा: वनों की कटाई वन्यजीवों को भी प्रभावित कर रही है। डोडो, कृपाण-दांतेदार बिल्ली, तस्मानियन टाइगर जैसे कई जानवर पहले ही विलुप्त हो चुके हैं। इसके अलावा, कुछ जानवर विलुप्त होने के कगार पर हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपना आवास या रहने का स्थान खो दिया है। यह वन्यजीव रक्षकों के लिए प्रमुख मुद्दों में से एक है।

वनों की कटाई को कैसे रोकें?

विभिन्न प्रतिउपायों द्वारा वनों की कटाई को रोका जा सकता है। सबसे पहले हमें वनीकरण करना चाहिए जो कि जंगल में पेड़ों का उगना है। इससे काटे गए पेड़ों के नुकसान को हल करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, पौधे आधारित उत्पादों का उपयोग बढ़ाना चाहिए।

यह विभिन्न उद्योगों को अधिक पेड़ उगाने के लिए मजबूर करेगा। नतीजतन, पर्यावरण को भी इसका लाभ मिलेगा। साथ ही लोगों को अपने घरों में छोटे पौधे लगाने चाहिए। इससे पर्यावरण को अपनी क्षमता हासिल करने में मदद मिलेगी। आखिर सरकार को लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। खासकर वे जो अवैध रूप से पेड़ काट रहे हैं।

वनों की कटाई पर निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1। वनोन्मूलन हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक क्यों है.

ए 1। वनों की कटाई हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है क्योंकि यह विभिन्न समस्याएं पैदा कर रहा है। ये समस्याएं हैं मिट्टी का कटाव, ग्लोबल वार्मिंग। इसके अलावा, यह बाढ़ और भूस्खलन जैसी विभिन्न आपदाओं का भी कारण बन रहा है।

Q2। वनों की कटाई से जानवर कैसे प्रभावित होते हैं?

ए2. वनों की कटाई जानवरों को प्रभावित करती है क्योंकि उन्होंने अपना आवास खो दिया है। इसके अलावा, शाकाहारी जानवर अपना भोजन पौधों और पेड़ों से प्राप्त करते हैं। नतीजतन, उन्हें खाने के लिए उचित भोजन नहीं मिल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी विलुप्ति हो रही है

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Essay on Deforestation: वनोन्मूलन पर छात्र ऐसे लिखें निबंध

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  • Updated on  
  • जुलाई 2, 2024

Essay on Deforestation in Hindi

Essay on Deforestation in Hindi: वनों की कटाई से पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को समझना छात्रों को जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में वनों के महत्व को समझने में मदद करता है। वन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके जलवायु को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वनों की कटाई के बारे में जानकारी जिम्मेदारी की भावना पैदा करती है। इससे छात्र सीखते हैं कि स्थानीय कार्यों के वैश्विक नतीजे कैसे हो सकते हैं और टिकाऊ प्रयासों का महत्व क्या है। इसलिए छात्रों को essay on deforestation in hindi के बारे में निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। इस बारे में अधिक जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

वनोन्मूलन पर 100 शब्दों में निबंध, वनोन्मूलन पर 200 शब्दों में निबंध, वनों की कटाई के कारण, वनोन्मूलन के हानिकारक प्रभाव, वनों की कटाई को कैसे रोकें.

Essay on Deforestation in Hindi 100 शब्दों में नीचे दिया गया है:

वनोन्मूलन का मतलब है कि भूमि का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए करने के लिए वनों को काटना। वनों की कटाई पूरे विश्व में स्वाभाविक रूप से होती है। यह मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण होती है। पूरे इतिहास में मानव जीवन के लिए वन महत्वपूर्ण रहे हैं। वन कागज बनाने, जहाज और घर बनाने और हीटिंग के लिए ईंधन के रूप में लकड़ी प्रदान करते हैं। अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए, वन महत्वपूर्ण हैं। वे जैव विविधता का समर्थन करते हैं, जलवायु को नियंत्रित करते हैं, और संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र और स्वच्छ जल स्रोतों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Essay on Deforestation in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है:

विभिन्न मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वनों की कटाई या जंगल में आग लगाकर व्यापक रूप से की जाने वाली कटाई वनोन्मूलन है। यह प्राकृतिक रूप से या मानवीय गतिविधियों के कारण हो सकता है, जिसका पर्यावरण और समाज दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वन पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और मानव कल्याण का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, फिर भी इसके ज्ञात हानिकारक प्रभावों के बावजूद यह प्रथा जारी है।

कई विकासशील देशों में वनों की कटाई का एक प्रमुख कारण कृषि विस्तार है। छोटे किसान अक्सर अपने परिवारों और समुदायों का भरण-पोषण करने के उद्देश्य से फसलों या पशुओं के लिए चारागाह बनाने के लिए जंगलों को साफ करते हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक कृषि, जैसे कि मवेशी पालन और सोयाबीन उत्पादन जैसे कार्य वनों की कटाई में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, खासकर विश्व के बड़े अमेज़न वर्षावन जैसे क्षेत्रों में।

इसके कारणों में अवैध कटाई, जंगल में आग और जंगलों के पास सड़कों और बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है। ये गतिविधियाँ पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करती हैं, जिससे मिट्टी का कटाव होता है, जैव विविधता को नुकसान होता है और संग्रहीत कार्बन डाइऑक्साइड के निकलने के माध्यम से जलवायु परिवर्तन में योगदान होता है।

वनों की कटाई के परिणाम बहुत गंभीर हैं। यह उन लोगों की आजीविका को खतरे में डालता है जो भोजन, आश्रय और आय के लिए जंगलों पर निर्भर हैं। यह वैश्विक जलवायु पैटर्न और जल चक्रों को भी प्रभावित करता है, कृषि उत्पादकता को प्रभावित करता है और पर्यावरण क्षरण को भी बढ़ाता है।

वनों की कटाई को कम करने के प्रयासों में स्थायी भूमि उपयोग प्रथाएँ, पुनर्वनीकरण पहल और संरक्षण कानूनों का सख्त रूप से लागू किया जाना शामिल है। वनों का संरक्षण न केवल जैव विविधता की रक्षा और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि दुनिया भर में पारिस्थितिकी तंत्र और मानव समाज दोनों की दीर्घकालिक भलाई सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

वनोन्मूलन पर 500 शब्दों में निबंध

Essay on Deforestation in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है:

वनों की कटाई तब होती है जब खेतों, शहरों या उद्योगों जैसे अन्य उद्देश्यों के लिए जगह बनाने के लिए जंगलों को स्थायी रूप से साफ कर दिया जाता है। वनों की कटाई के गंभीर और दूरगामी परिणाम होते हैं। पेड़ हवा से कार्बन डाइऑक्साइड, ग्रीनहाउस गैस को अवशोषित करते हैं परिणामस्वरूप यह ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को ओर अधिक बढ़ाता है। वनों की कटाई से मिट्टी का कटाव भी होता है, आवास नष्ट हो जाते हैं और पौधों और जानवरों के घरों को नष्ट करके जैव विविधता कम हो जाती है। यह अचानक बाढ़ और भूस्खलन को भी बढ़ा सकता है। जलवायु को स्थिर करने, वन्यजीवों को संरक्षित करने और प्राकृतिक आपदाओं से समुदायों की सुरक्षा के लिए वनों की रक्षा करना महत्वपूर्ण है।

वनों की कटाई कई कारणों से होती है, मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण होती है। वनों की कटाई के मुख्य कारण वन भूमि को कृषि, पशुपालन और शहरी विकास के लिए परिवर्तित करना है। पाम ऑयल के बागानों के लिए जगह बनाने के लिए खनन, कटाई और जंगलों को जलाना भी इसमें योगदान देता है। लकड़ी और कागज़ के उत्पादों के लिए कटाई से पेड़ों का बहुत ज़्यादा नुकसान होता है। कृषि एक और प्रमुख कारक है, क्योंकि फसलों और पशुओं के लिए खेत बनाने के लिए जंगलों को साफ किया जाता है। खनन कार्य भी खनिजों और संसाधनों तक पहुँचने के लिए बड़े वन क्षेत्रों को साफ करके योगदान करते हैं। इसके अतिरिक्त शहरीकरण और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए भूमि की आवश्यकता होती है, जिससे वनों की कटाई और बढ़ जाती है। ये क्रियाएँ न केवल वनों को नष्ट करती हैं बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को भी बाधित करती हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का नुकसान होता है।

मिट्टी की स्थिरता बनाए रखने, जलवायु को विनियमित करने, पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और वन्यजीवों और मानव समुदायों दोनों के लिए विविध पारिस्थितिकी तंत्रों को संरक्षित करने के लिए वनों की रक्षा करना आवश्यक है। वनों की कटाई के कई दूरगामी और हानिकारक प्रभाव होते हैं। कुछ मुख्य रूप से होने वाले प्रभाव नीचे दिए गए हैं:

  • मृदा अपरदन: जब पेड़ों को हटाया जाता है, तो मिट्टी हवा और पानी के कटाव के प्रति कमज़ोर हो जाती है। इससे भूस्खलन और बाढ़ आ सकती है, जिससे समुदायों को नुकसान पहुँच सकता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग: पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जो एक ग्रीनहाउस गैस है। पर्याप्त पेड़ों के बिना, वातावरण में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड बनी रहती है, जो ग्लोबल वार्मिंग और चरम मौसम में योगदान देती है।
  • जल चक्र पर प्रभाव: पेड़ वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से हवा में नमी छोड़कर जल चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वनों की कटाई इस चक्र को बाधित करती है, वर्षा को कम करती है और कृषि को प्रभावित करती है।
  • वन्यजीवों के लिए खतरा: वनों की कटाई से आवास नष्ट हो जाते हैं, जिससे कई प्रजातियाँ विलुप्त हो जाती हैं या खतरे में पड़ जाती हैं। जानवर अपने घर खो देते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता बाधित होती है।

कई ऐसे छोटे बड़े कार्य हैं जिन्हे करके हम वनों की कटाई को रोक सकते हैं। वनों की कटाई को रोकने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:

  • यह सुनिश्चित करते हुए कि पेड़ों की कटाई संधारणीय तरीके से की जाए।
  • कंपनियों और सरकारों को सस्टेनेबल फॉरेस्ट्री को लागू करने और उनका पालन करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • पाम ऑयल, सोयाबीन और बीफ़ जैसे उत्पादों की खपत सीमित करें जो वनों की कटाई के प्रमुख कारण हैं।
  • वनों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए समर्पित संगठनों को दान दें या उनके साथ कार्य करें।
  • स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर वन संरक्षण और बहाली को प्राथमिकता देने वाली नीतियों की पालना करें।
  • अपने दैनिक जीवन में कम कागज और लकड़ी के उत्पादों का उपयोग करें।
  • प्रिंटेड सामग्री की जगह जब भी संभव हो डिजिटल दस्तावेज चुनें।
  • संसाधन खपत को कम करने के लिए न्यूनतम या फिर से प्रयोग किए जाने वाले पैकेजिंग वाले उत्पाद चुनें।
  • ऐसी स्थायी कृषि पद्धतियों का समर्थन करें जिनमें खेती के लिए जंगलों को साफ करना शामिल न हो।
  • अवैध रूप से कटाई की गई लकड़ी या विलुप्त होने वाली पेड़ प्रजातियों से बने उत्पादों का प्रयोग न करें।

वनों की कटाई, खेती और खनन जैसी गतिविधियों के कारण होती है। इसके प्रभाव व्यापक और हानिकारक होते हैं, जो पर्यावरण और लोगों दोनों को प्रभावित करते हैं। यह मिट्टी के कटाव, पानी की कम गुणवत्ता, वन्यजीवों की हानि और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ गरीबी और सामाजिक संघर्षों को बढ़ा सकता है। वनों की कटाई को रोकने के लिए, हमें वनों की रक्षा करने और भूमि का स्थायी रूप से उपयोग करने की आवश्यकता है। सरकारों को वनों की कटाई को कम करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। वैश्विक नेताओं को नवीनतम वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर मजबूत वन संरक्षण नीतियों का समर्थन करना चाहिए।

वनों को नष्ट करने से मौसम के पैटर्न में बदलाव आता है, आवास नष्ट होते हैं और ग्रामीण समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे खाद्य असुरक्षा पैदा होती है और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को अपरिवर्तनीय क्षति पहुँचती है।

वनों की कटाई को मानवीय गतिविधियों की सुविधा के लिए वनों से पेड़ों को बड़े पैमाने पर हटाने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जैसे कि बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री का निर्माण करना। यह एक गंभीर पर्यावरणीय चिंता है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप जैव विविधता का नुकसान, प्राकृतिक आवासों को नुकसान, जल चक्र में गड़बड़ी और मिट्टी का कटाव हो सकता है।

पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संग्रहीत करते हैं। वनों की कटाई और क्षति वैश्विक तापमान में लगभग 10% का कारण है। यदि हम वनों की कटाई को नहीं रोकते हैं तो हम जलवायु संकट से लड़ने का कोई तरीका नहीं खोज सकते।

वनों की कटाई के प्रत्यक्ष कारण कृषि विस्तार, घरेलू ईंधन या लकड़ी के कोयला के लिए लकड़ी काटना या लकड़ी काटना, और सड़क निर्माण और शहरीकरण जैसे बुनियादी ढांचे का विस्तार करना हैं। 

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वनोन्मूलन का अर्थ कारण प्रभाव व प्रमुख आंदोलन | Deforestation Essay Definition Causes Effects Solutions & Movements In India In Hindi

वनोन्मूलन का अर्थ कारण प्रभाव व प्रमुख आंदोलन | Deforestation Essay Definition Causes Effects Solutions & Movements In India In Hindi :  वनोन्मूलन  यानि डीफोरेस्टिंग का तात्पर्य पेड़ों को काटने अथवा उनकों जलाकर या अन्य तरीके से समाप्त करने से हैं. जिससे वनों का विनाश हो जाता हैं,

आज यह भारत की ही नही दुनियां की सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आ रहा हैं. लोग अपने स्वार्थ के लिए इन पेड़ों को साफ़ कर जंगली भूमि को खेती अथवा अन्य उपयोग के लिए या लकड़ी को बेचकर पर्यावरण को बहुत बड़ा नुकसान पहुचा रहे हैं.

वनोन्मूलन का अर्थ कारण प्रभाव व प्रमुख आंदोलन

वनोन्मूलन का अर्थ कारण प्रभाव व प्रमुख आंदोलन | Deforestation Essay Definition Causes Effects Solutions & Movements In India In Hindi

यदि हम इसी तरह पेड़ों को काटते रहेगे और पुनः वृक्ष नही लगाएगे तो एक दिन हमारी लहलहाती धरा बिलकुल बजंर बनकर रह जाएगी.

इस कारण वनोन्मूलन को रोककर लोगों को वृक्षारोपण की तरफ प्रेरित करना होगा, तभी हमारा पर्यावरण बच पाएगा.

वनोन्मूलन क्या है

हमारे देश में निरंतर पेड़ पौधों की कटाई के चलते जंगल कम होते जा रहे हैं. इसका सीधा असर वन्य जीवों, सभी प्राणियों और पादपों पर पड़ रहा हैं. हमारे पर्यावरण को भी इनके भयावह दुष्परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं.

तेजी से बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों की कटाई में वृद्धि हो रही हैं. घरों तथा शहरों के निर्माण के नाम पर हजारों सालों से हरी भरी भूमि को वृक्ष विहीन कर इमारते खड़ी की जा रही हैं.

वनों की कटाई से वायु प्रदूषण के साथ ही मृदा और जल प्रदूषण की मात्रा भी तेजी से बढ़ी हैं. वन्य जीवों की संख्या निरंतर कम हो रही हैं कई प्रजातियाँ लुप्त होने की कगार पर आ खड़ी हैं. अपने निजी स्वार्थों के लिए किसी भी तरह वनों को नुक्सान पहुचाना वनोंन्मूलन के अंतर्गत आता हैं.

पर्यावरण संरक्षण संबंधी प्रमुख आंदोलन (environmental protection movements in India)

खेजड़ली आंदोलन-  पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थल क्षेत्र में रहने वाले लोगों का प्रकृति और वन्य जीवों के प्रति विशेष प्रेम हैं. ये अपने घरों, खेतों और खलिहानों में जीवों के लिए अन्न जल की व्यवस्था करते रहते हैं. यहाँ वन्य जीव और लोग आपस में मिलकर एक परिवार की तरह रहते हैं.

हिरण, नीलगाय तथा खरगोश आदि वन्य जीव निर्भय होकर सहज रूप से विचरण करते हैं. आस-पास के क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति शिकार नही कर सकता. वनों और वन्य जीवों की रक्षा के लिए ये लोग प्राचीनकाल से ही समर्पित हैं.

इसी का एक उदहारण हमें खेजड़ली के बलिदान के रूप में देखने को मिलता हैं. राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गाँव में ठेकेदारों द्वारा वृक्षों को काटा जा रहा था.

इन्हें बचाने के लिए उस क्षेत्र के लोगों ने विरोध किया. अमृता देवी विश्नोई के नेतृत्व में 1730 ई में 363 स्त्री पुरुषों ने वनोन्मूलन (वृक्षों की कटाई) को रोकने के लिए अपना बलिदान दिया था.

इनकी स्मृति में यहाँ एक म्रग उपवन स्थापित किया गया हैं. प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को यहाँ विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला भरता हैं.

वनोन्मूलन का सोल्यूशन राजसमन्द की परम्परा – राजसमंद जिले के पिपलान्त्री गाँव में एक बेटी के जन्म पर 111 वृक्ष लगाए जाते हैं. इसी प्रकार किसी की मृत्यु होने पर भी उसकी याद में वृक्ष लगाकर उन्हें पूजा जाता हैं.

गाँव की महिलाएं वृक्षों को अपना भाई मानकर रक्षाबंधन पर उन्हें राखी बांधती हैं. क्या हम भी हमारे गाँव में ऐसा नही कर सकते, जिससे वनोन्मूलन को पूर्णत रोका जा सके.

चिपको आंदोलन- हिमाचल प्रदेश के कुछ ऊँचे भागों और टिहरी गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्रों में स्थानीय लोगों ने देखा कि खतरनाक बाढ़ आना और भूमि का धसना साधारण सी बात हो गई हैं.

और इसके पीछे कारण हैं व्यावसायिक उपयोग के लिए ठेकेदारों द्वारा जंगल के बनों को काटना. 1972 में उत्तराखंड के गाँवों की महिलाओं ने पेड़ काटने वालों का विरोध किया और उन वृक्षों से चिपक गई जिन्हें काटा जा रहा था.

गौरा देवी के नेतृत्व में वहां के निवासियों द्वारा किए जा रहे इस कार्य को चिपको आंदोलन के रूप में याद किया जाता हैं. इस आंदोलन से पर्यावरणविद सुन्दरलाल बहुगुणा भी जुड़े.

चिपको आंदोलन ने वृक्षों के कटाई को बंद करने की मांग की ताकि हिमालय का 60 प्रतिशत क्षेत्र वनों से भरपूर हो जाए और ढालदार भूमि पर खाद्य, चारा ईधन, उर्वरक और रेशा देने वाले पौधों का रोपण किया जाए.

चिपको आंदोलन हिमालय का ही नही, बल्कि सारी मानव जाति की पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोक जागरण का एक अनूठा उदाहरण हैं.

अपिप्को आंदोलन – वनोन्मूलन और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कर्नाटक में एक ऐसा ही आंदोलन हुआ अप्पिको, जिसका अर्थ हैं- बाहों में भरना. राज्य के सिरसी जिले में सितम्बर 1983 को एक सलकानी वन क्षेत्र में वृक्ष काटे जा रहे थे.

तब वहां के स्त्री, पुरुष और बच्चों ने पेड़ों को बाहों में भर लिया और लकड़ी काटने वालों को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. वे कई सप्ताह तक वनों की पहरेदारी करते रहे. इस प्रकार यहाँ के लोगों के द्वारा हजारों वृक्षों को बचाया गया.

वनोन्मूलन क्या हैं इसका अर्थ (meaning Definition & deforestation essay in hindi)

वन क्षेत्र में मानवीय क्रियाकलापों से होने वाली जैविक संपदा के हास को ही वन विनाश या वनोन्मूलन के रूप में जाना जाता हैं.

वर्तमान में वनों के निरंतर हो रहे वन विनाश से पूरे विश्व में पर्यावरण के लिए संकट की स्थति उत्पन्न हो गई हैं. वनोन्मूलन के प्रमुख कारण ( Deforestation Causes ) ये हैं.

  • वनों की व्यापारिक कटाई
  • घरेलू ईधन के लिए वनों पर निर्भरता
  • स्थानांतरित कृषि
  • अत्यधिक एवं अवैध पशुचारण
  • खनन एवं औद्योगीकरण
  • वन भूमि का कृषि एवं चारागाह भूमि में परिवर्तन
  • वनों में लगने वाली आग, कीटाणु एवं रोग
  • अनावृष्टि और बाढ़े
  • पुनर्वास और वनवासियों को बेदखल करने वाली आर्थिक एवं सामाजिक विकास की योजनाएं आदि.

वन विनाश के परिणाम (Deforestation Effects In Hindi)

अनियंत्रित और अवैध्य रूप से वनों की कटाई से वायुमंडल में कार्बनडाई ऑक्साइड की वृद्धि, अम्ल वर्षा, पारिस्थितिकी असंतुलन आदि कई दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. कुछ का विवरण निम्नानुसार हैं.

  • जैव विविधता का हास
  • वनवासियों एवं वन्य जीवों के आवास का समाप्त होना.
  • वनों पर आधारित ग्रामीण कुटीर उद्योगों का समाप्त होना
  • सूखा, अकाल, बाढ़,भूमि अपरदन तथा रेगिस्तान का विस्तार होना.
  • जलवायु में परिवर्तन होना
  • हरित गृह प्रभाव में वृद्धि
  • पर्वतीय क्षेत्रों में भू स्खलन की घटनाओं में वृद्धि आदि

विश्व में हो रहे भयंकर वनोन्मूलन के कारण आज कई दुर्लभ जीव तेजी से विलुप्त हो रहे हैं. आई यू सी एन की लाल किताब में दर्ज तेजी से विलुप्त हो रहे कुछ प्रमुख जीव जैसे बाघ, गोडावण आदि उल्लेखनीय हैं.

वनोन्मूलन को रोकने के उपाय / समाधान (Deforestation Solutions In India In Hindi)

पृथ्वी पर पारिस्थतिकी संतुलन बनाए रखने के लिए वनों की कटाई रोककर वनों का संरक्षण किया जाना अति आवश्यक हो गया हैं. मानव सहित समस्त जीव जगत का अस्तित्व ही वनों के कारण ही हैं.

यदि इन बदलते पारिस्थतिकी असंतुलन पर ध्यान नही दिया गया तो कई विकट परिस्थतियाँ पैदा हो जाएगी. वन विनाश को रोकने के लिए किये जाने वाले प्रयास या उपाय इस प्रकार हैं.

  • वनोन्मूलन ( वनों की कटाई) पर रोक
  • स्थानांतरित कृषि पर रोक
  • अनियंत्रित पशुचारण पर रोक
  • आवासों का निर्माण बंजर भूमि पर
  • ईधन के विकल्पों की खोज एवं अधिकाधिक उपयोग
  • विकास योजनाओं का क्रियान्वयन वन रहित भूमि पर किया जाए
  • वनों की कटाई वैज्ञानिक रूप से लाइसेंस धारी व्यक्तियों द्वारा ही करवाई जाए.
  • अवैधानिक तरीके से  वनोन्मूलन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए.
  • प्रत्येक व्यक्ति प्रतिवर्ष एक पेड़ लगाए और वन संरक्षण को एक जनक्रांति बनाया जाए.
  • वन संपदा के संरक्षण एवं विकास के लिए वन भूमि को वन्य जीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान घोषित किए जाए.
  • वनों के महत्व की शिक्षा देकर जन जागरूकता को बढ़ाना आदि,  वनोन्मूलन को रोकने के लिए किए जाने वाले उपाय हैं.

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दा इंडियन वायर

वनों की कटाई पर निबंध

speech in hindi deforestation

By विकास सिंह

essay on deforestation in hindi

वनों की कटाई, लोगों को खेती, आवास, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण आदि जैसे उपयोग के लिए मुफ्त भूमि प्राप्त करने के लिए जंगलों को साफ करने के लिए स्थायी रूप से पेड़ों की कटाई होती है।

वनों की कटाई पर निबंध, short essay on deforestation in hindi (100 शब्द)

वनों की कटाई निजी स्तर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पौधों को काटने या जंगलों को जलाने से बड़े स्तर पर जंगलों को हटाना है। पूरी मानव बिरादरी के साथ-साथ पर्यावरण में प्राकृतिक संतुलन के प्रबंधन के लिए वनों का बहुत महत्व है। हालांकि, मानव समाज और पर्यावरण पर इसके दुष्प्रभावों को देखे बिना पेड़ों को नियमित रूप से काट रहा है।

प्राचीन काल से लकड़ियों का ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्व रहा है और इसका उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है जैसे कि ईंधन का निर्माण, घरों का निर्माण, जहाज, कागज का उत्पादन और मानव की कई दूसरी दैनिक गतिविधियाँ। हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए वन बहुत ही आवश्यक हैं जो प्रदूषण से मुक्त स्वस्थ वातावरण में स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन का आनंद और जीवन व्यतीत करें।

वनों की कटाई पर निबंध, Essay on deforestation in hindi (150 शब्द)

वनों की कटाई समाज और पर्यावरण के लिए प्रमुख वैश्विक समस्या के रूप में उत्पन्न हो रही है। यह ग्रह के लिए एक गंभीर दंड की तरह है और इस ग्रह पर जीवन के अंत का संकेत देता है। जंगलों की नियमित कटाई से जलवायु, पर्यावरण, जैव विविधता, पूरे वातावरण के साथ-साथ मानव के सांस्कृतिक और भौतिक अस्तित्व पर खतरा पैदा हो रहा है।

वनों की कटाई के कई कारण हैं जैसे कि बढ़ती मानव आबादी और लोगों के औद्योगिक हितों की वजह से लकड़ी की निकासी। पेड़ों को जंगल का प्राथमिक उत्पाद माना जाता है और मनुष्य की शारीरिक आवश्यकता के संरचनात्मक घटक होते हैं।

मानव आबादी को विस्फोट करने के लिए रहने और कटाई के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें जंगलों को काटने की आवश्यकता होती है। इस तरह से कई तरह से मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए वनों की कटाई तेजी से हो रही है। हालांकि, वनों की कटाई के प्रभाव वनों की कटाई से तेज होते हैं। यह पर्यावरण और वातावरण में नकारात्मक परिवर्तनों को मजबूर करके मानव जीवन को काफी हद तक प्रभावित कर रहा है।

जंगलों की कटाई पर निबंध, 200 शब्द:

वनों की कटाई बढ़ती आबादी की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशाल स्तर पर पेड़ों को हटाने है। मनुष्य इतना स्वार्थी है; वे बिना प्रतिकार के जंगलों को पूरी तरह से हटाकर वनों की कटाई कर रहे हैं। हालांकि, वे नहीं जानते कि अनजाने में वे अपने लिए एक बड़ा गड्ढा खोद रहे हैं। लोग आराम से रहने के लिए अधिक लकड़ी, ईंधन, कटाई, खेत बनाने, घर और शहर बनाने के लिए जंगलों को भूमि के रूप में बदल रहे हैं।

वनों की हानि, जानवरों के घर के नुकसान जैसे कई प्रभावों का परिणाम है, पर्यावरण में बदलाव, मौसमी परिवर्तन, बढ़ता तापमान, बढ़ती पर्यावरणीय गर्मी, ग्लोबल वार्मिंग, बढ़ता ग्रीन हाउस गैस प्रभाव, पिघलते बर्फ के टुकड़े और ग्लेशियर, समुद्र के स्तर में वृद्धि, ओजोन परत का कमजोर होना , ओजोन परत में छेद, समुद्री जानवरों का मरना, तूफान, चक्रवात, आंधी, बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदा के बढ़ते जोखिम और कई और नकारात्मक परिवर्तन जो पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए पर्याप्त हैं।

जल चक्र, मिट्टी के उत्पादन, पशुओं के लिए आवास प्रदान करने, ऑक्सीजन प्रदान करने, हानिकारक CO2 का उपयोग करने, पर्यावरण के तापमान को विनियमित करने, मिट्टी के क्षरण को रोकने और कई और अधिक से मानव जीवन और पर्यावरण चक्र को संतुलित करने में वन महान भूमिका निभाते हैं। जंगलों को काटकर हम मानव और पर्यावरण के पक्ष में वनों द्वारा की गई सभी सकारात्मक गतिविधियों को रोक रहे हैं।

वनों की कटाई पर निबंध, 250 शब्द:

वनों की कटाई नियमित रूप से पौधों को काटने के बिना तेजी से नुकसान का कारण है। यह वन्य जीवन, मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरे में डाल रहा है। बढ़ती मानव जनसंख्या, बढ़ती हुई भीड़, विश्व में बढ़ती प्रतिस्पर्धा मनुष्य को जंगलों को काटने और अच्छी तरह से विकसित शहरों या खेतों या कटाई के लिए भूमि स्थापित करने के लिए मजबूर करती है।

इस तरह की प्रतिस्पर्धी दुनिया में, हर देश अन्य विकसित और उन्नत देशों को आगे बढ़ने और उन्हें शक्तिशाली बनाने के लिए अतिव्यापी करना चाहता है। लोगों को घर, पार्क, मल्टीप्लेक्स, उद्योग, सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, कागज उत्पादन, ईंधन, आदि बनाने के लिए जंगलों को काटने की जरूरत है। कुछ लालची लोग जंगल बेचकर अधिक पैसा कमाने के लिए जंगलों को काट रहे हैं और वन्यजीवों और मानव के लिए खतरा बढ़ा रहे हैं। जिंदगी।

जंगली जानवर पलायन कर रहे हैं और मर रहे हैं, मूल वनस्पति और जीव स्थायी हैं, पर्यावरण नकारात्मक रूप से बदल रहा है और मानव जीवन को परेशान कर रहा है। सबसे महत्वपूर्ण जानवरों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है क्योंकि कुछ अन्य क्षेत्रों में पलायन कर रहे हैं या मानव क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे हैं या मर रहे हैं।

हमें जानवरों के अभयारण्य को बचाने के लिए वनों को काटने से रोकने या पौधों को संरक्षित करने के लिए पेड़ों को संरक्षित करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में यहां जीवन को बचाने के लिए पर्यावरण के प्राकृतिक चक्रों को बनाए रखा जा सके। कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा को कम करने के साथ-साथ ताजा और स्वस्थ ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए वनों का संरक्षण भी आवश्यक है।

वनों की कटाई से वायु प्रदूषण बढ़ता है, पर्यावरण में जहरीली गैसों का स्तर बढ़ता है, मिट्टी और जल प्रदूषण बढ़ता है, पर्यावरणीय गर्मी बढ़ती है, और कई अन्य। वनों की कटाई के सभी नकारात्मक प्रभाव कई स्वास्थ्य विकारों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से फेफड़ों और श्वसन समस्याओं का कारण बनते हैं।

पेड़ों की कटाई पर निबंध, 300 शब्द:

वनों की कटाई मानव द्वारा जंगलों का परिष्करण है। दिन-ब-दिन बढ़ती मानव आबादी कृषि, औद्योगिक, आवासीय, वाणिज्यिक, शहरों और अन्य उद्देश्यों के लिए पृथ्वी पर भूमि की आवश्यकता को बढ़ा रही है जिसमें स्थायी रूप से वन हटाना शामिल है। पिछली शताब्दी में, हमारी पृथ्वी हर जगह जंगलों से आच्छादित थी, लेकिन अब एक दिन में कुछ गिने-चुने जंगल ही मौजूद हैं।

वनों की कटाई भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी एक बड़ी समस्या है। यह विश्व भर में बड़े पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दे के रूप में उत्पन्न होने वाला एक वैश्विक मुद्दा है। वनों की कटाई पारिस्थितिक और पर्यावरणीय रूप से कई असंतुलन पैदा करके मानव जीवन को परेशान करती है। वनों की कटाई लगातार खतरनाक हो रही है और मानव जीवन की सुरक्षा के लिए पौधों को काटने की आवश्यकता को इंगित करती है।

कुछ लोग लकड़ी से पैसा कमाने के अपने लालच को पूरा करने के लिए वनों की कटाई कर रहे हैं। लोग अपनी कृषि गतिविधियों के लिए पौधों को काट रहे हैं, लॉगिंग (कागजात, माचिस की तीली, फर्नीचर, आदि बनाने के लिए), शहरीकरण (सड़क निर्माण, आवास, आदि), भूमि का मरुस्थलीकरण, खनन (तेल और कोयला खनन), आग (पाने के लिए) गर्मी), आदि।

वनों की कटाई जलवायु असंतुलन, बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग, मिट्टी के कटाव, बाढ़, वन्यजीवों के विलुप्त होने, स्तर की ताजा ऑक्सीजन में कमी और कार्बन डाइऑक्साइड गैस और कई और अधिक के माध्यम से मनुष्य के स्वास्थ्य और ताजा वातावरण को प्रभावित कर रही है।

जीवन को बेहतर तरीके से चलाने के लिए वनों की कटाई बहुत आवश्यक है। देश की सरकार द्वारा कुछ कड़े नियम-कानून होने चाहिए, जिनका हर किसी को वनों की कटाई की जांच करनी चाहिए। वनों की कटाई के कारणों और प्रभावों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के सरल और आसान तरीके होने चाहिए।

वनों की कटाई की आवश्यकता को कम करने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित किया जाना चाहिए। जब भी कोई पौधा कटता है, तो पुराने के स्थान पर पौधों को फिर से लगाने के नियम होने चाहिए।

वनों की कटाई पर निबंध, long essay on deforestation in hindi (400 शब्द)

वनों के जीवन और उपयोग के स्रोतों को बढ़ाने के लिए वनों की कटाई स्थाई विनाश है। कटिंग प्लांट बुरा नहीं है लेकिन इसे स्थायी रूप से काटना बुरा है। यदि कोई पौधे को काट रहा है, तो उसे उसी जगह या अन्य जगह पर रेप्लिंग करना चाहिए। कटाई कई उद्देश्यों के लिए एक है जैसे कि कटाई, पशुधन, लॉगिंग, मकान बनाना, फर्नीचर, सड़क, जलाऊ लकड़ी, औद्योगिकीकरण और अन्य कई उद्देश्य। वनों की कटाई पर्यावरण को अधिक बुरी तरह और अधिक तेजी से प्रभावित कर रही है।

पिछली शताब्दी में धरती जंगलों से भरी हुई थी लेकिन वर्तमान में लगभग अस्सी प्रतिशत जंगलों को काटकर नष्ट कर दिया गया है और यहां तक ​​कि वर्षा वनों को भी स्थायी रूप से गायब कर दिया गया है। जंगली जानवरों, इंसान और पर्यावरण की भलाई के लिए जंगलों की आवश्यकता होती है। वनों की कटाई के कारण पौधों और जानवरों की कई अनोखी प्रजातियां स्थायी रूप से विलुप्त हो चुकी हैं।

पौधों की कटाई की प्रक्रिया प्राकृतिक कार्बन चक्र को बाधित कर रही है और दिन-प्रतिदिन पर्यावरण में इसका स्तर बढ़ा रही है। पर्यावरण से CO2 गैस का उपयोग करने के साथ-साथ वातावरण से अन्य प्रदूषकों को हटाने और इस प्रकार पर्यावरण की ताजगी बनाए रखने के लिए वन सबसे अच्छा माध्यम हैं। जब भी पेड़ों को नष्ट किया जाता है या किसी भी तरह से जलाया जाता है तो इससे कार्बन और मीथेन निकलता है जो मानव जीवन के लिए खतरनाक है।

दोनों गैसों को ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है और ग्रीनहाउस प्रभाव में शामिल होता है जो अंततः ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है। उचित वर्षा के लिए वन बहुत आवश्यक हैं, औषधि प्राप्त करना, वायु में ताजगी, वायु प्रदूषण को दूर करना, कई उद्देश्यों के लिए लकड़ी प्राप्त करना, आदि जब हम पौधों को काटते हैं, तो यह सभी चक्रों को परेशान करता है और मानव जीवन को प्रभावित करता है।

कागज की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पौधों को काटने के बजाय, हमें नए पौधों की कटौती से बचने के लिए पुरानी चीजों को रीसाइक्लिंग करने की आदत डालनी चाहिए। जल के बिना केवल ग्रह की कल्पना करना, इससे जीवन संभव नहीं है। और इसी तरह, पौधों और जंगलों के बिना भी जीवन संभव नहीं है क्योंकि वे बारिश, ताजी हवा, पशु आवास, छाया, लकड़ी, आदि के स्रोत हैं।

पौधे के बिना, पृथ्वी पर बारिश संभव नहीं है, न ही ताजी हवा, न जानवर, न छाया, न जंगल और न ही दवा। हर जगह केवल गर्मी, गर्म, सूखा, बाढ़, तूफान, कार्बन डाइऑक्साइड गैस, मीथेन, अन्य जहरीली गैसें, कोई सर्दी का मौसम और बरसात का मौसम, केवल गर्मी का मौसम होगा।

वनों की कटाई को रोकने के लिए हमें अपने हाथ मिलाने चाहिए। हमें कागजों को बर्बाद नहीं करना चाहिए और कागज रसोई के तौलिये, चेहरे के ऊतकों आदि जैसी चीजों के अनावश्यक उपयोग से बचना चाहिए। हमें पौधों को काटने की आवश्यकता को कम करने के लिए कागज के चीजों के पुन: उपयोग और पुनरावृत्ति के बारे में सोचना चाहिए। वनों और पौधों को बचाना हमारे अपने हाथ में है और हम सभी के द्वारा केवल एक छोटा कदम वनों की कटाई को रोकने की दिशा में एक बड़ा परिणाम दिखा सकता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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