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जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति एवं पूरी जानकारी

जम्मू एवं कश्मीर उत्तर भारत में स्थित देश सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। आज हम जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति के बारे में विस्तार से जानेगे जिसको ‘दुनिया का स्वर्ग’ भी कहा जाता है। इस राज्य का अधिंकाश हिस्सा पर्वत, नदियों और झीलों से ढका हुआ है एवं प्रकृतिक सुंदरता से भरपूर है जो इसको दुनिया का सबसे खूबसूरत राज्य बनाता है |

जम्मू एवं कश्मीर की संस्कृति कई संस्कृतियों का एक विविध मिश्रण है। यह राज्य प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है यह मुस्लिम, हिंदू, सिख और बौद्ध दर्शन सभी एक साथ मिल कर एक समग्र संस्कृति को बनाते हैं | आइये जानते है जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति के बारे में –

Table of Contents

1. जम्मू एवं कश्मीर का इतिहास

जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति – अगर देखा जाए तो कश्मीर का इतिहास इससे भी पुराना ज्ञात होता है जिसको आज हम विस्तार से नहीं जानेगे इतिहास को मोटे तोर पर देखे तो ईसा पूर्व तीसरी शताब्‍दी में सम्राट अशोक ने कश्‍मीर में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया | उसके बाद कश्मीर में हिंदू और बौद्ध संस्‍‍कृतियों का मिश्रित रूप वि‍कसित हुआ। कश्‍मीर के हिंदू राज्‍यों मं ललितादित्‍य (सन 797 से सन738) सबसे प्रसिद्ध राजा हुए जिन्होंने अपने साम्रज्य का विस्तार काफी दूर तक किया | कश्‍मीर में इस्‍लाम का आगमान 13वीं और 14वीं शताब्‍दी के आरंम्भ में हुआ |

सन 1733 से 1782 तक राजा रंजीत देव ने जम्‍मू एवं कश्मीर पर शासन राज किया परन्तु बाद में राजकाज की बागडोर डोगरा शाही खानदान के वंशज राजा गुलाब सिंह को दे दी । 1947 तक जम्‍मू एवं कश्मीर पर डोगरा शासकों ने राज किया इसके बाद महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्‍टूबर, 1947 को जम्मू एवं कश्मीर को भारतीय संघ में विलय के समझौते पर हस्‍ताक्षर कर दिए ।

2. जम्मू एवं कश्मीर की वेशभूषा

जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति में वेशभूसा महत्वपूर्ण स्थान रखती है जिसमे गर्दन पर बटन लगाने और टखनों तक गिरने वाले लंबे ढीले गाउन पहने जाते है। सर्दियों में यह ऊन से और गर्मियों में कपास से बनाया जाता है। पुरुषों और महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले फेरन के बीच बहुत कम अंतर होता है। फेरन के नीचे एक ढीले प्रकार का एक पायजामा पहना जाता है और यह सभी ग्रामीण लोगो की पोशाक होती है। मुस्लिम महिलाएं लाल रंग की पट्टिका और पंडित महिलाऐ सफेद कपड़े की पट्टियों से घिरी पोसाक सिर पर पहनती हैं।

एक शॉल सिर और कंधों पर लगाया जाता है।कश्मीर के पुरुष सम्मान और मिलनसार होने के संकेत के रूप में सिर पर पगड़ी पहनते हैं। कुछ वर्गों में स्त्रियो को सुंदर साड़ी और सलवार पहने हुए भी देखा जा सकता है, जबकि पुरुष के द्वारा कोट और पतलून पहना जाता हैं।

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3. जम्मू एवं कश्मीर के भोजन

जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति

जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति में अब हम भोजन पर आ पहुंचे है कश्मीर का मुख्य भोजन चावल है। इसके अलावा यहाँ कश्मीरी पुलाव भी काफी लोकप्रिय व्यंजनों है।कश्मीर के लोग भोजन करते समय सब्जियों का काफी मात्रा लेते हैं कश्मीर का पसंदीदा डिश हॉक या करम साग है। हालाँकि शहरों में मटन भी बड़ी मात्रा में खाया जाता है लेकिन जम्मू एवं कश्मीर के गांवों में सिर्फ यह उत्सव के अवसरों में ही खाया जाता है।

इसके अतिरिक्त जम्मू और कश्मीर में नशीले पेय का भी सेवन किया जाता हैं। कश्मीरी पुलाव कश्मीरी शाकाहारियों के लिए प्रमुख व्यंजन है। इसके अलावा मसाले, दही भी शामिल हैं। मुसलमान लोग हींग और दही नहीं खाते हैं जबकि कश्मीरी पंडित अपने भोजन में प्याज और लहसुन खाने से बचते है | कश्मीरी पेय पदार्थों की बात करे तो उसमे , कहवा और दोपहर चाय या शीर चाय प्रमुख हैं।

4. जम्मू एवं कश्मीर का संगीत और नृत्य

कश्मीर में संगीत को सूफियाना कलाम कहा जाता है। इस्लाम के आने के बाद कश्मीरी संगीत ईरानी संगीत से प्रभावित हुआ। कश्मीर में उपयोग किये जाने वाले संगीत वाद्ययंत्र का आविष्कार ईरान में किया गया । अन्य कश्मीरी वाद्ययंत्रों में नागरा, डुकरा और सितार आदि प्रमुख हैं।कश्मीरी धुनों के कई राग फ़ारसी भाषा के रूप में पेश किए जाते हैं | रबाब नामक एक स्वीकृत लोक संगीत भी कश्मीर में काफी लोकप्रिय है |

जम्मू घाटी में एक डोगरा पहाड़ी क्षेत्र मौजूद है यह क्षेत्र एक प्रसिद्ध कलाकार गीतरू के नाम से जाना जाता है। यह कलाकार मुख्य रूप से त्योहारों या ग्रामीण शादियों में प्रदर्शन करता है। रूफ के नाम से प्रसीद एक पारंपरिक नृत्य कश्मीरी महिलाओं द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता है |

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5. जम्मू और कश्मीर की भाषा

जम्मू कश्मीर की भाषाऐ आधुनिक इंडो- आर्यन भाषाओं के बीच एक मजबूत स्थिति का दावा करती है। यह इन भाषा की प्राचीनता के कारण है | कश्मीरी भाषा एक भारतीय-आर्य परिवार की भाषा है जो कश्मीर घाटी तथा चेनाब घाटी में प्रमुख रूप से बोली जाती है, जिसको पुरे भारत में बोलने वाले करीबन 56 लाख लोग है |

कश्मीरी फारसी और संस्कृत भाषा से भी काफी हद तक प्रभावित रहे हैं , हालाँकि भारत सरकार ने 2020 में आधिकारिक भाषा विधेयक को मंजूरी दे दी है | जिसके तहत जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं की सूची में उर्दू और अंग्रेजी के अलावा कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को शामिल किया गया है, कश्मीर की अन्य महत्वपूर्ण भाषाओं में पश्तो, गोजरी, बलती, पहाड़ी और लद्दाखी आदि प्रमुख हैं।

6. जम्मू एवं कश्मीर के त्यौहार

जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति

कश्मीर के लोग त्योहारों को मनाने के काफी ज्यादा शौकीन होते हैं और यह जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। जम्मू घाटी के उत्तर के बेहनी क्षेत्र में चैत्र चौदश प्रमुख रूप से मनाया जाता है। जबकि बहू मेला जम्मू के बहू किले में काली मंदिर के परिसर में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। जम्मू घाटी के पुरमंडल शहर में शिव और देवी पार्वती के विवाह के अवसर को दर्शाने के लिए फरवरी एवं मार्च के महीने में पुरमंडलमंडल मेला लगता। इन त्योहारों के अतिरिक्त जम्मू एवं कश्मीर की संस्कृति में भारत के अन्य सभी महत्वपूर्ण त्योहार शामिल है। इनमें बैसाखी, लोहड़ी, झिरी मेला, नवरात्रि महोत्सव भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

7. जम्मू एवं कश्मीर के कला और शिल्प

जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति – जम्मू कश्मीर के कला एवं शिल्प यहाँ की संस्कृति को दर्शाते हुए बहुत ही उत्तम दर्जे के बने होते हैं। जिसमे बुने हुए कालीन, रेशम के कालीन, गलीचे, ऊनी शॉल, मिट्टी के बर्तनों और कुर्तों को बहुत खूबसूरत तरीके से उकेरा जाता है। कश्मीर में सजाए गए पारंपरिक नाव लकड़ी के बने होते हैं जिन्हे शिकारा के नाम से जाना जाता है। इस तरह से कश्मीर की संस्कृति में शिल्प एक समग्र विविधता में एकता की झलक दिखाते है।

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8. जम्मू एवं कश्मीर का साहित्य

जम्मू एवं कश्मीर का भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान है। कल्हण और बिलहाना को प्रमुख रूप से याद किया जाता है। बिल्हना के विक्रमनकादव चारिता का नाता दक्षिण भारत के इतिहास से है। चरक और कोका ने चिकित्सा और सेक्स का अध्ययन किया था। वामन, नाममाता, आनंदवर्धन, रूयका, कुंतला, अभिनवगुप्त भी प्रमुख हैं। ऐसे ही कुछ अन्य महत्वपूर्ण लोग जैसे मान्खा, क्षेमेनिद्र, मातृगुप्त, शिल्हन, झालाना, शिवस्वामिन और सोमदेव प्रख्यात कश्मीरी लेखक थे।

9. कश्मीर का पर्यटन

जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति बर्फ़ीले हिमाच्छादित पहाड़ों, सफ़ेद झालरदार पत्ते और चमकदार नीले पानी के साथ जम्मू और कश्मीर की भूमि कई आकर्षण को सजोये हुए है ,राज्य को भौगोलिक दृस्टि से तीन प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है जिसमे जम्मू, कश्मीर और लद्दाख प्रमुख रूप से है | पर्यटन की दृस्टि से इन तीनो ही जगह अपार सम्भावनाये एवं प्राकृतिक सुंदरता मौजूद है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को जीवंत और मन की शांति प्रदान करता है | यहाँ आकर आप आध्यात्मिकता के संकुचित धुंध में भरे हुए विविधता में एकता का वास्तविक अर्थ अनुभव कर सकते हैं |राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में गोल्फिंग, ट्राउट-मछली पकड़ने, ट्रेकिंग और पर्वतारोहण जैसे कठोर साहसिक गतिविधियों का लुप्त उठा सकते है |

10. कश्मीर के प्रमुख पर्यटन स्थल

1 . आकर्षक स्थल श्रीनगर.

कश्मीर के पर्यटक स्थलों में से श्रीनगर का नाम सबसे पहले आता है जिसे ‘हेवन ऑन अर्थ’ के रूप में भी जाना जाता है। जम्मू एवं कश्मीर की राजधानी श्रीनगर झेलम नदी के तट पर स्थित सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से है | श्रीनगर में पर्यटन का आंनद लेने के लिए सबसे पहली चीज है यहां की पहाडिय़ां , दूसरी है यहाँ की हाउसबोट।

2. पर्यटन स्थल लेह लद्दाख

दुनिया की सबसे शक्तिशाली पर्वत श्रृंखलाओं हिमालय और काराकोरम से घिरा हुआ लेह लद्दाख एक बहुत ही प्रसिद्ध और दुर्लभ पर्यटन स्थल है। लद्दाख उन क्षेत्रों में से है जो प्रकृति, भूगोल, विज्ञान से लेकर मामूली संस्कृतियों को सजोये हुए है । गोम्पस से लेकर मोमोज तक लदाख में आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

3. दर्शनीय स्थल गुलमर्ग

गुलमर्ग समुद्र तल से 2730 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है | गुलमर्ग बर्फ से ढके पहाड़ों, हरे-भरे घास के मैदान, सदाबहार जंगलों वाली पहाड़ियों और घाटियों से घिरा हुआ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। गुलमर्ग अनेक बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग के लिए भी एक लोकप्रिय स्थान है।

4. खूबसूरत जगह पहलगाम

प्राकृतिक सौंदर्य छोटे – छोटे घर, हरे-भरे खेतो से सम्पन पहलगाम कश्मीर की खूबसूरत जगहों में से एक है, जो अपनी प्राक्रतिक सुन्दरता के कारण पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है । इसके अतिरिक्त पहलगाम झील में रिवर राफ्टिंग, गोल्फिंग और पारंपरिक कश्मीरी वस्तुओं की खरीददारी के लिए भी जाना जाता है।

5 . प्रसिद्ध जगह सोनमर्ग

सोनमर्ग जम्मू एवं कश्मीर में स्थित आकर्षक शहर है, जो बर्फ से भरे मैदानों, राजसी ग्लेशियरों और शांत झीलों से घिरा हुआ पर्यटकों को आकर्षित करता है। सोनमर्ग से 80 किमी उत्तर-पूर्व में समुद्र तल से लगभग 2800 किमी की ऊंचाई पर स्थित एक सुरम्य शहर भी मौजूद है।

6. प्रमुख धार्मिक स्थल अमरनाथ

अमरनाथ गुफा को भगवान शिव के उपासकों का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। अमरनाथ गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ से निर्मित शिवलिंग मौजूद है। इस जगह पर हर साल लाखों पर्यटक जाते हैं, जिसे “अमरनाथ यात्रा” के नाम से भी जानते है |

7. देखने लायक जगह पुलवामा

पुलवामा, श्रीनगर जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है जो अपने सेब के बागों, झरनों, प्राकृतिक झरनों और प्राकृतिक घाटियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध संस्कृति के साथ ही यह यहाँ स्थित विभिन्न मंदिरों के लिए भी लोकप्रिय है |

8. वैष्णो माता मंदिर (जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति)

त्रिकुटा पहाड़ियों में कटरा से 15 किमी दूर स्थित है जो समुद्रतल से 1560 मीटर की ऊँचाई पर गुफा में मंदिर है | माता वैष्णो देवी मंदिर कश्मीर के साथ ही पुरे भारत का लोकप्रिय तीर्थ स्थल है जहाँ पर हर साल हजारों तीर्थयात्री मां वैष्णों का आशीर्वाद लेने के लिए कश्मीर आते हैं।

9. पटनीटॉप

हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों और मनोरम दृश्यों के साथ, पटनीटॉप प्रकृति का अनुभव करने के लिए एक आकर्षक स्थान है। जो कश्मीर के प्रमुख आकर्षण केन्द्रो में से एक है यह हर साल हजारों पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को अपनी और खींचता है।

10. युसमर्ग

युसमर्ग करीब 7,500 फीट की ऊंचाई पर पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के केंद्र पर मौजूद एक खूबसूरत स्थान है। जिसे “यीशु का मेदो” के रूप में भी जाना जाता है | ऐसा माना जाता है की इस स्थान पर है यीशु एक बार रहे थे। युसमर्ग एकांत और मन की शांति पाने के लिए एक अच्छा स्थान है |

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11. कश्मीर घूमने का अच्छा समय

यदि आप कश्मीर घूमने जाने का सोच रहे है तो कश्मीर घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून तक का माना जाता है | कश्मीर की यात्रा के लिए ग्रीष्मकाल का मोसम अच्छा होता है जहा आप गर्मी में बर्फ के बीच रोमांचक समय बिता सकते है। इसके अतिरिक्त आप हिल स्टेशन पर जाने के लिए मानसून के मौसम में भी जा सकते हैं। लेकिन सर्दियों में कश्मीर नहीं जाना चाहिए क्युकी इस समय भारी बर्फबारी होती है |

12. कश्मीर कैसे पहुंचे – How To Reach Kashmir In Hindi

अगर आप कश्मीर जाना चाहते है तो आप सड़क, रेल और हवाई मार्ग में से किसी के द्वारा कश्मीर पहुंच सकते है। अगर आप जानना चाहते है तो हमारा नीचे का आर्टिकल जरूर पढ़े |

फ्लाइट से

कश्मीर का निकटतम श्रीनगर हवाई अड्डा जो कश्मीर से 15 किमी की दूरी पर स्थित है, जो प्रमुख देश के शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।यहाँ पर एयर इंडिया, गोएयर, इंडिगो और जेट एयरवेज की दिल्ली, गोवा, जम्मू, लेह मुंबई और बैंगलोर से नियमित उड़ानें चलती है जिससे आप आसानी से पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग से

यदि आप सड़क मार्ग से कश्मीर जाने का सोच रहे है तो कश्मीर के लिए कई निजी और राज्य सरकार द्वारा बस सेवाएं उपलब्ध हैं। जम्मू एवं कश्मीर निजी बसों के नेटवर्क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिसमें आसपास के कई शहर और कस्बे शामिल हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 1-ए भी श्रीनगर को जम्मू से जोड़ता है।

रेल मार्ग से

यदि आप रेल मार्ग से कश्मीर जाना चाहते है तो कश्मीर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू तवी रेलवे स्टेशन है। जो जम्मू कश्मीर के साथ-साथ भारत के प्रमुख शहरों से भी जुड़ा हुआ है। जिससे आप ट्रेन से यात्रा करके जम्मू रेलवे स्टेशन जा सकते हैं |

आज के आर्टिकल में हमने जाना “जम्मू एवं कश्मीर की कला और संस्कृति एवं पूरी जानकारी ” उम्मीद है आपको हमारा आर्टिकल अच्छा लगा होगा अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो कमेंट करके जरूर बताये में उतर देने की कोशिस करूँगा |

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essay on beauty of jammu and kashmir in hindi

कश्मीर पर निबंध- Essay on Kashmir in Hindi

In this article, we are providing information about Kashmir in Hindi- Essay on Kashmir in Hindi. कश्मीर- भारत की सुंदरता. Essay on Kashmir Beauty in Hindi.

कश्मीर पर निबंध- Essay on Kashmir in Hindi

कश्मीर उत्तर भारत में झेलम नदी की घाटी पर स्थित है। कशमीर की सुंदरता देखते ही बनती है इसे दुनिया का स्वर्ग भी कहा जाता है। माना जाता है कि पहले यहाँ पर शिवजी की पत्नी सती रहती थी और चारों तरफ पानी ही पानी हुआ करता था लेकिन वहा पर राक्षस के वद के बाद सारा पानी झेलम नदी के माध्यम से बहा दिया गया और तभी से इसका नाम सतीवर से कश्मीर पड़ा।

कश्मीर हर मौसम में बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। इसकी इसी सुंदरता को देखने दुर दुर से लोग आते है। गर्मीयों में यहाँ पर हरियाली देखने को मिलती है तो सर्दीयों में चारों तरफ बर्फ और बर्फ में खेलते लोग। पेड़ो पर लगे लाल लाल सेब बहुत ही अच्छे लगते है। आंतकवाद के समय में भी कश्मीर का बर्फ से ढका हुआ नजारा लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर ही लेता है। वहाँ पर जाने वाला हर व्यक्ति यही कहता है कि असली जन्नत को यहीं पर है।

कश्मीर में घुमने के लिए अनेकों पर्यटक स्थल है जैसै गुलमार्ग, सोनमर्ग, पटनाटाप आदि। गुलमर्ग को कश्मीर की जान कहा जाता है। कोई भी व्यक्ति कश्मीर जाए तो यहाँ पक्का ही जाता है। कश्मीर में वूलर जैसे बहुत से सरोवर है जो इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाते है।

कश्मीर में रहने वाले लोगों को कश्मीरी पंडीत कहा जाता है जो कि मांसाहारी भी होते है। उनके खाने के व्यंजन मुख्यतः कबाब आदि होते है। कश्मीर में खाने के बाद मिठाई में फिरनी दी जाती है। कश्मीर के लोग देखने में बहुत ही खुबसुरत होते है। कश्मीर के सेब पूरे भारत में प्रसिद्ध है। अगर कोई भी वहाँ घुमने जाता है तो अखरोट की लकड़ी से बने शौ पीस, पशमीना शाल,केसर,सेब आदि पक्का खरीद कर लाता है।

कश्मीर में आंतकवाद बहुत ही ज्यादा है। आजादी के बाद से कश्मीर भारत का हिस्सा रहा है लेकिन पाकिस्तान उस पर अपना हक जमा रहा है जिसके चलते कश्मीर में हर रोज आंतकवाद के किस्से सुनने को मिलते है।

जम्मु कश्मीर का अपना अलग झंडा है और भारत के सविधान की धारा 370 के तहत कश्मीर का अपना अलग सविधान है। वैसे तो कश्मीर में हिंदु और मुस्लमान मिल जुलकर रहते है लेकिन कई लोग मजहब के नीम पर जिहाद छेड़ देते है। कोई भी गैर कश्मीरी व्यक्ति वहाँ पर जमीन नहीं खरीद सकता। कश्मीर में सबसे ज्यादा केसर की खेती की जाती है। अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो कश्मीर में ही है।

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जम्मू और कश्मीर की परंपराएँ और संस्कृति

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जम्मू और कश्मीर की संस्कृति

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essay on beauty of jammu and kashmir in hindi

भारत के हृदय की गहराई में, जहां आकाश बर्फ से ढकी चोटियों को छूने के लिए फैला हुआ है, जम्मू और कश्मीर की जीवंत संस्कृति जीवंत हो उठती है। परंपरा आधुनिकता के साथ रंगों, गंधों और ध्वनियों की हार्दिक सहानुभूति में गुंथी हुई है। यदि संस्कृति एक चित्रकला होती, तो निस्संदेह जम्मू और कश्मीर इसका सबसे जीवंत कोना होता, जो विविधता और एकता से झिलमिलाता है।

मनमोहक परिदृश्यों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की पच्चीकारी, जम्मू और कश्मीर यह एक साधारण भौगोलिक क्षेत्र से कहीं अधिक है। यह अनगिनत पीढ़ियों द्वारा बुना गया एक कालातीत टेपेस्ट्री है। जवाहरलाल नेहरू ने एक बार कहा था, "संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।" जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में, निश्चित रूप से ऐसा ही महसूस होता है। तो, आइए आगे की चर्चा शुरू करें!

जम्मू और कश्मीर संस्कृति और परंपराएँ

हर क्षेत्र के पास बताने के लिए एक कहानी है, और जम्मू और कश्मीर, अपनी अनूठी सांस्कृतिक विरासत के साथ, एक कहानी की किताब है जो दुनिया के लिए अपने पन्ने खोलने की प्रतीक्षा कर रही है!

  • जम्मू और कश्मीर के त्यौहार - समृद्ध सांस्कृतिक उत्सव और परंपराएँ
  • जम्मू और कश्मीर के प्रसिद्ध भोजन - स्वादिष्ट पाक व्यंजन और विशेषताएँ
  • जम्मू और कश्मीर की कला, संगीत और शिल्प - जीवंत कलात्मक अभिव्यक्तियाँ और रचनात्मकता
  • जम्मू और कश्मीर में घूमने के लिए सर्वोत्तम स्थान - मनमोहक प्राकृतिक परिदृश्य और शांति
  • जम्मू और कश्मीर के नृत्य रूप - ऊर्जावान लयबद्ध गति और अनुग्रह
  • जम्मू और कश्मीर की पारंपरिक पोशाक - रंगीन जातीय परिधान और सुंदरता

1. जम्मू और कश्मीर के त्यौहार - समृद्ध सांस्कृतिक उत्सव और परंपराएँ

एक बहुरंगी बहुरूपदर्शक की तरह, जम्मू और कश्मीर के प्रसिद्ध त्यौहार इसकी विविध और समग्र संस्कृति को स्पष्ट रूप से चित्रित करें। प्रत्येक उत्सव विभिन्न रीति-रिवाजों, परंपराओं और रीति-रिवाजों का संगम है जो क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करता है। लोहड़ी के दौरान ढोल की थाप, सर्दियों के अंत का प्रतीक अलाव की चमक, या ईद और नवरोज़ के दौरान जीवंत जुलूस केवल उत्सव नहीं हैं बल्कि भाईचारे और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना को दर्शाते हैं। ये त्योहार, जहां विभिन्न धर्मों के लोग जीवन के आनंदमय उत्सव में एक साथ आते हैं, जम्मू और कश्मीर की सांस्कृतिक सिम्फनी में मधुर स्वर बन जाते हैं। बैसाखी, बहुत धूमधाम से मनाई जाती है, जो फसल के मौसम की शुरुआत करती है और क्षेत्र के कृषि लोकाचार को समाहित करती है। यह कृतज्ञता, आशा और नवीनीकरण के शाश्वत चक्र का प्रतीक है, जो लोगों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करता है।

2. जम्मू और कश्मीर के प्रसिद्ध भोजन - स्वादिष्ट पाक व्यंजन और विशिष्टताएँ

जम्मू और कश्मीर का पारंपरिक व्यंजन एक संवेदी आनंद है, जो एक सामंजस्यपूर्ण पाक सॉनेट में विशिष्ट स्वादों का संयोजन करता है। प्रसिद्ध वाज़वान, जो राजाओं के लिए उपयुक्त दावत है, इस क्षेत्र के शाही अतीत की कहानियाँ सुनाता है। इसकी जटिल तैयारी और प्रस्तुति एक पाक परंपरा जितनी ही एक कला का रूप है। रोगन जोश का मजबूत स्वाद, मनमोहक सुगंधित यखनी, और दम आलू का हार्दिक आराम - प्रत्येक व्यंजन पाक झांकी में योगदान देता है। उत्सव के दौरान तैयार की गई मीठी शुफ्ता का स्वाद एक गर्म याद की तरह बना रहता है। हर सामग्री, हर मसाला और तैयारी की हर विधि प्रतिबिंबित होती है जम्मू और कश्मीर का प्रसिद्ध भोजन , अत्यंत सुंदरता और शांति की इस भूमि के सार को सामने लाना।

3. जम्मू और कश्मीर की कला, संगीत और शिल्प - जीवंत कलात्मक अभिव्यक्तियाँ और रचनात्मकता

कलात्मक रचनात्मकता जम्मू और कश्मीर के सांस्कृतिक लोकाचार की आत्मा है, जो लोगों की अंतर्निहित प्रतिभा और रचनात्मकता को दर्शाती है। विश्व स्तर पर प्रशंसित पश्मीना शॉल सहित जम्मू और कश्मीर के हस्तशिल्प में उन कुशल कारीगरों की फुसफुसाहट है जो इन उत्कृष्ट कृतियों को बनाने में अपना दिल और आत्मा लगाते हैं। लकड़ी की नक्काशी, पपीयर-मैचे कलाकृतियाँ, और जटिल रूप से बुने हुए कालीन सभी क्षेत्र की सौंदर्य संबंधी संवेदनाओं को दर्शाते हैं। जम्मू और कश्मीर का संगीत और नृत्य भी जम्मू और कश्मीर के सांस्कृतिक ताने-बाने में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। चकरी और सूफियाना कलाम जैसे पारंपरिक संगीत रूप घाटियों में गूंजते हैं, जबकि रूफ और हाफिजा नृत्य जैसे लोक नृत्य भूमि की ऊर्जा और जीवंतता के साथ गूंजते हैं।

4. जम्मू और कश्मीर में घूमने के लिए सर्वोत्तम स्थान - मनमोहक प्राकृतिक परिदृश्य और शांति

के माध्यम से एक यात्रा जम्मू और कश्मीर में पर्यटक आकर्षण यह एक सुंदर सचित्र कहानी की किताब के माध्यम से एक यात्रा के समान है। चमचमाती डल झील, जिसे अक्सर "श्रीनगर का गहना" कहा जाता है, देखने लायक है। जम्मू के प्राचीन मंदिर, प्रत्येक के पास बताने के लिए एक कहानी है, स्थापत्य भव्यता के प्रतीक हैं। पहलगाम की घुमावदार घाटियाँ, लद्दाख के राजसी पहाड़ और गुलमर्ग के बर्फ से ढके परिदृश्यों की प्राचीन सुंदरता सभी देखने वाले के दिल पर एक अमिट छाप छोड़ते हैं। प्रत्येक स्थान जम्मू और कश्मीर की गहन प्राकृतिक सुंदरता का प्रमाण है और इसके समृद्ध इतिहास और विरासत में एक खिड़की है।

5. जम्मू और कश्मीर के नृत्य रूप - ऊर्जावान लयबद्ध गति और अनुग्रह

जम्मू और कश्मीर में, नृत्य लयबद्ध गतिविधियों और अनुग्रह की एक सिम्फनी है जो क्षेत्र की जीवंत संस्कृति की कहानियां बताती है। समूहों में प्रस्तुत किए जाने वाले रूफ और हाफ़िज़ा जैसे नृत्य रूप एकता, सद्भाव और क्षेत्र की उत्सव की भावना का प्रतीक हैं। जम्मू और कश्मीर में नृत्य केवल लयबद्ध गतिविधियों के बारे में नहीं है; यह एक ऐसी भाषा है जो अतीत की कहानियों और भविष्य की आकांक्षाओं का संचार करती है। नृत्य, अक्सर भावपूर्ण संगीत के साथ, क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता को सामने लाते हैं, इसके आकर्षक आकर्षण को और बढ़ाते हैं।

6. जम्मू और कश्मीर की पारंपरिक पोशाक - रंगीन जातीय परिधान और सुंदरता

जम्मू और कश्मीर की पारंपरिक पोशाक, अपने ज्वलंत रंगों और जटिल डिजाइनों के साथ, क्षेत्र की समृद्ध पोशाक विरासत को दर्शाती है। फेरन की गर्माहट, पश्मीना शॉल की सुंदरता और कुर्ते की नाजुक कढ़ाई सभी एक जीवंत सांस्कृतिक विरासत की कहानियां सुनाते हैं। पारंपरिक पोशाक क्षेत्र की सौंदर्य संबंधी संवेदनाओं और गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव को चित्रित करने वाला एक कैनवास है। क्षेत्र के लोगों की तरह, उनकी पोशाक भी परंपरा और आधुनिकता, सादगी और भव्यता का एकदम सही मिश्रण है।

7. जम्मू और कश्मीर की जनजातियाँ - विविध स्वदेशी समुदाय और विरासत

जम्मू और कश्मीर अद्वितीय रीति-रिवाजों, परंपराओं और भाषाओं वाली कई जनजातियों का घर है। ये जनजातियाँ, अपनी विशिष्ट जीवनशैली और समृद्ध सांस्कृतिक प्रथाओं के साथ, इसमें महत्वपूर्ण योगदान देती हैं जम्मू और कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत. गुज्जर, बकरवाल, गद्दी और बोटा कुछ जनजातियाँ हैं जो इस क्षेत्र में निवास करती हैं। पीढ़ियों से चले आ रहे उनके जीवंत लोक गीत, नृत्य और पारंपरिक शिल्प, क्षेत्र की स्वदेशी विरासत की एक अंतर्दृष्टिपूर्ण झलक पेश करते हैं। उनकी अनूठी सांस्कृतिक प्रथाएं, जो उनके रोजमर्रा के जीवन में गहराई से शामिल हैं, इस क्षेत्र की विविध सांस्कृतिक टेपेस्ट्री का अभिन्न अंग हैं।

जम्मू और कश्मीर को आकार देने वाली विविध संस्कृतियों और परंपराओं की पच्चीकारी विविधता के बीच एकता की एक सम्मोहक कहानी है। इसके जीवंत त्यौहारों की धड़कन से लेकर इसके पारंपरिक संगीत की धुन तक, इसके व्यंजनों की समृद्धि से लेकर इसके पारंपरिक पोशाक की सुंदरता तक, हर पहलू इसकी सांस्कृतिक विरासत की एक आकर्षक कहानी बुनता है। स्थानीय जनजातियों की कहानियों की गूंज और इसके लुभावने पर्यटक आकर्षणों का आकर्षण इस क्षेत्र को सांस्कृतिक विविधता के मनोरम चित्रमाला के रूप में और अधिक मजबूत बनाता है। जम्मू और कश्मीर केवल एक गंतव्य नहीं है; यह एक सांस्कृतिक यात्रा है, परंपराओं और एकजुटता की जीवंत, सांस लेने वाली टेपेस्ट्री है।

जैसे-जैसे हमारी खोज समाप्त होती है, हम आपको इस संस्कृति का प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए आमंत्रित करते हैं। जम्मू-कश्मीर की एकता और विविधता में डूब जाएं। तो, इंतज़ार क्यों करें? इस अविस्मरणीय यात्रा की ओर पहला कदम बढ़ाएं एडोट्रिप , आपका आदर्श यात्रा साथी।

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जम्मू और कश्मीर की संस्कृति के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. जम्मू और कश्मीर में मनाये जाने वाले प्रमुख सांस्कृतिक त्यौहार कौन से हैं? A1: निश्चित रूप से, यहां जम्मू और कश्मीर में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख सांस्कृतिक त्योहार हैं:

  • हेमिस महोत्सव
  • ट्यूलिप फेस्टिवल
  • भगवा महोत्सव

Q2: क्या आप मुझे जम्मू और कश्मीर के पारंपरिक नृत्य रूपों और संगीत शैलियों के बारे में बता सकते हैं? A2: यहां जम्मू और कश्मीर के कुछ पारंपरिक नृत्य रूप और संगीत शैलियाँ हैं:

  • हाफ़िज़ा नृत्य
  • सुफियाना कलाम

Q3: जम्मू और कश्मीर अपने क्षेत्रीय और धार्मिक त्योहार कैसे मनाते हैं? A3: जम्मू और कश्मीर में, क्षेत्रीय और धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं:

  • सांप्रदायिक पर्व
  • सार्वजनिक जुलूस
  • पारंपरिक नृत्य
  • लोक संगीत प्रदर्शन
  • सामुदायिक अलाव

Q4: क्या कोई अनूठी कला और शिल्प शैली है जो जम्मू और कश्मीर की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है? A4: जम्मू और कश्मीर की अनूठी कला और शिल्प रूपों में शामिल हैं:

  • पश्मीना शॉल
  • लकड़ी की नक्काशी
  • पपीयर-मैचे कलाकृतियाँ
  • हाथ से बुने हुए कालीन

प्रश्न5: जम्मू-कश्मीर से जुड़ी कुछ प्रसिद्ध लोककथाएँ और पौराणिक कहानियाँ क्या हैं? A5: जम्मू और कश्मीर की कुछ प्रसिद्ध लोककथाएँ और पौराणिक कहानियाँ शामिल हैं:

  • डल झील की कथा
  • हब्बा खातून की कहानी
  • हीमल और नागराई का महाकाव्य

प्रश्न 6: जम्मू और कश्मीर का भोजन इसकी सांस्कृतिक पहचान को कैसे दर्शाता है? A6: जम्मू और कश्मीर के व्यंजनों में निम्नलिखित व्यंजन शामिल हैं:

प्रश्न 7: क्या आप मुझे जम्मू-कश्मीर में पहने जाने वाले पारंपरिक परिधान और आभूषणों के बारे में बता सकते हैं? A7: जम्मू और कश्मीर की पारंपरिक पोशाक और आभूषणों में शामिल हैं:

  • कढ़ाईदार कुर्ते
  • चाँदी के झुमके
  • देझूर (पारंपरिक कश्मीरी बालियां)

प्रश्न8: क्या जम्मू और कश्मीर की सांस्कृतिक प्रथाओं में कोई विशिष्ट अनुष्ठान या रीति-रिवाज का पालन किया जाता है? A8: जम्मू और कश्मीर की सांस्कृतिक प्रथाओं में कुछ रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों में शामिल हैं:

  • कश्मीरी पंडित विवाह अनुष्ठान
  • नमाज अनुष्ठान
  • लोहड़ी अलाव परंपरा

प्रश्न9: जम्मू और कश्मीर का प्राकृतिक परिदृश्य और धार्मिक विविधता इसकी संस्कृति को कैसे प्रभावित करती है? A9: प्राकृतिक परिदृश्य और धार्मिक विविधता जम्मू और कश्मीर की संस्कृति को प्रभावित करती है:

  • प्रकृति से प्रेरित कला और शिल्प
  • अंतरधार्मिक त्यौहार और उत्सव
  • बहु-सांस्कृतिक व्यंजन

प्रश्न10: क्या आप जम्मू और कश्मीर में अनुभव करने के लिए कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रमों या त्योहारों की सिफारिश कर सकते हैं? A10: जम्मू और कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अनुभव करने के लिए, इन घटनाओं पर विचार करें:

  • लद्दाख में हेमिस महोत्सव
  • श्रीनगर में ट्यूलिप महोत्सव
  • जम्मू में लोहड़ी उत्सव
  • पूरे जम्मू-कश्मीर में ईद का जश्न

--- एडोट्रिप द्वारा प्रकाशित

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कश्मीर पर निबंध

Eassy On kashmir In Hindi: भारत में बहुत सारे राज्य है, जिसमें कश्मीर राज्य का नाम भी शामिल है। हालाँकि वर्तमान में कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बानाया हुआ है। आज का आर्टिकल जिसमें हम कश्मीर के बारे में बात करने वाले है।

कश्मीर पर निबंध | Eassy On kashmir In Hindi

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कश्मीर पर निबंध | Eassy On kashmir In Hindi

कश्मीर पर निबंध (250 शब्द).

हमारा भारत इतना सुंदर है कि यहां पर बहुत सुंदर-सुंदर राज्य हैं और बहुत ही सुंदर घूमने की जगह है, जिनमें से एक है कश्मीर। जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कश्मीर से सुंदर कोई जगह नहीं है। कश्मीर को भारत का स्विट्जरलैंड कहा जाता है। जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर है। यहां पर पूरे वर्ष बर्फ पड़ती रहती है। कश्मीर में हिमालय की ऊंची ऊंची चोटिया, ग्लेशियर, नदियां, घाटियां, सदाबहार वन, ताजी पहाड़ी, हवा, इत्यादि और भी कई जगह है।

कश्मीर को भारत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। जिसे पाकिस्तान हमेशा हथियाने की फिराक में रहते हैं, लेकिन हमारी भारतीय सेना अक्सर पाकिस्तानी आतंकवादियों को धूल चटा देती है। हमारी भारतीय सेना पूरे दिल और जान से कश्मीर की रक्षा करती है और पाकिस्तानी हमलो का मुंहतोड़ जवाब देती हैं।

कश्मीर में रहने वालों लोगों को कश्मीरी पंडित भी कहा जाता है। यहां पर अधिकतर लोग मांसाहारी होते हैं। इनके खाने में ज्यादातर कबाब खाए जाते हैं। अक्सर यहां पर खाना खाने के बाद मिठाई खाई जाती है। कश्मीर में सेब बहुत ही अधिकृत प्रसिद्ध हैं। यहां पर घूमने वाले लोग अक्सर अखरोट केसर इत्यादि की खरीदारी करते हैं, क्योंकि कश्मीर में ज्यादातर केसर की बागवानी की जाती है।

कश्मीर में सबसे ज्यादा डल झील और नागिन झील प्रसिद्ध है। इसके साथ-साथ यहां पर वन्य जीव अभ्यारण और राष्ट्रीय पार्क बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर अक्सर पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है। यहां पर 12 महीने ही घूमने वाले लोग दिखाई देते हैं।

कश्मीर पर निबंध (850 शब्द)

कश्मीर भारत का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कि भारत के उत्तरी भागों में स्थित है। जम्मू कश्मीर पूरे विश्व भर में सबसे ज्यादा सुंदर जगह है, जिसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। कश्मीर के पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान दक्षिणी सीमा पर श्रीलंका और उत्तर एवं पूर्वी सीमा पर चीन है। यहां का क्षेत्रफल लगभग 54571 वर्ग मील है। यहां की जनसंख्या लगभग 1,01,43,700 है। यहां पर लगभग 8 भाषाएं बोली जाती हैं।

कश्मीर की सुंदरता क्या है?

कश्मीर का मौसम हमेशा सुहावना रहता है। यहां की सुंदरता देखने के लिए बहुत से पर्यटक आते रहते हैं। अधिकतर गर्मी के समय यहां पर बहुत ही अच्छी हरियाली छाई रहती है। ऐसा लगता है कि मानो कश्मीर के ऊपर कोई सफेद चादर ढकी हुई है। यहां पर सबसे ज्यादा सेब के पेड़ दिखाई देते हैं जो कि देखने में बहुत ही सुंदर होते हैं।

क्यों कहा जाता है धरती का स्वर्ग?

कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। यहां पर बहुत ऊंची ऊंची पहाड़ियां घाटियों के बीच में बहती झीलें झाड़ियों से भरे जंगल हैं। हमारे देश में इसे मानव मुकुट की तरह माना जाता है, क्योंकि यहां पर अचानक से मौसम में बहुत परिवर्तन हो जाता है। यहां का मौसम लगातार बदलता रहता है। कश्मीर की सुंदरता की वजह से लोग यहां पर आकर्षित होते हैं और अक्सर घूमने आया करते हैं।

कश्मीर के पर्यटन स्थल

भारत में इतनी घूमने की जगह है। परंतु कश्मीर सबसे प्रसिद्ध जगह है। पर्यटकों के लिए यहां पर पूरे वर्ष भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। अक्सर यहां पर लोग अपनी छुट्टियां मनाने आया करते हैं। जो भी कश्मीर घूमने जाता है, वह यही कहता है कि असली स्वर्ग कश्मीर मैं हूं है।

कश्मीर में लोगों के लिए बहुत से पर्यटन स्थल है। जैसे कि सोनमार्ग, पटना टॉप, पहलगाम, श्रीनगर, गुलमर्ग, इत्यादि।

श्रीनगर कश्मीर की राजधानी है। गुलमर्ग को कश्मीर की जान माना जाता है। यहां पर बहुत सारे सरोवर हैं, जिसकी वजह से कश्मीर की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं।

क्या है कश्मीर की सभ्यता?

  • कश्मीर में प्राचीन समय से ही इस्लाम, हिन्दुत्व, बौद्ध धर्म के धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव का संगम देखने को मिलता है।
  • कश्मीर का सबसे प्राचीनतम विस्तृत इतिहास कल्हण रचित राज तरंगिणी है।
  • कश्मीर में अशोक सम्राट के महान साम्राज्य का एक भाग सम्मिलित था।
  • कश्मीर पर चौधरी शताब्दी में रसिया से आए सूची सुल्तान के द्वारा शासन किया गया था।
  • भारत में सबसे महान राजा अकबर महान का आधिपत्य कश्मीर पर ही था।

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में कश्मीर बना विवाद का मुद्दा

भारत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 1948 में 1 जनवरी को कश्मीर का मुद्दा उठाया गया था। संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिका ने 17 जनवरी 1948 को भारत एवं पाकिस्तान से यह गुजारिश की थी कि वह हालात को सुधारने का प्रयास करें और प्रत्येक भौतिक परिवर्तन करते रहें, जिससे लोगों को भी परेशानियों का सामना ना करना पड़े और इस मुद्दे को समझदारी के साथ समझाया जाए।

कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ युद्ध

जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान का युद्ध कई समय से चलता आ रहा है। जो कि आज भी चल ही रहा है। पाकिस्तान के द्वारा लगातार कश्मीर को लेकर भारत पर हमले होते ही रहते हैं। कश्मीर पर 1965 ईस्वी में पाकिस्तानियों ने सशस्त्र सेनाओं के द्वारा हमला करवा दिया था। उस समय कश्मीर में तैनात भारत के जांबाज सिपाहियों ने पाकिस्तान की सशस्त्र सेना का जमकर विरोध किया और उन्हें मार दिया था।

इसके पश्चात भारत एवं पाकिस्तान के बीच 10 जनवरी 1966 ईस्वी में ताशकंद समझौता कर दिया गया। जिस समझौते पर प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर भी लिए गए। परंतु इसके बाद भी पाकिस्तानियों ने हमले करने बंद नहीं किए और सर्जिकल स्ट्राइक अक्सर होती ही रहती हैं।

भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा जारी किया गया कश्मीर के प्रवासी लोगों के लिए पैकेज

भारतीय सरकार के द्वारा कश्मीर के लोगों के लिए वहां रहने वाले लोगों को राहत बड़े पैकेज दिए गए हैं। जिससे उनको लाभ मिल लेंगे जिसमें मुख्य संगठन निम्नलिखित हैं:

  • अगर किसी परिवार की या उसके घर को क्षति पहुंचेगी तो उसकी मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए 7,50,000 रुपए प्रति परिवार की दर से उस परिवार की सहायता की जाएगी।
  • 1989 के बाद कश्मीर की पूरी संपत्ति का परीक्षण किया जाएगा और जिन जिन को आर्थिक तंगी है, उनकी सहायता की जाएगी।
  • सरकार के द्वारा कश्मीर के जर्जर घरों के लिए प्रत्येक परिवार को 20,0000 की सहायता प्रदान की जाएगी।

धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर बहुत ही सुंदर है। इसीलिए यहां देश-विदेश से लोग घूमने पहुंचते हैं। अपनी छुट्टियां मनाते हैं। अगर आपको भी अपनी छुट्टियां मनाने के लिए कोई हिल स्टेशन देख रहे हैं, तो सबसे बेहतर जगह कश्मीर है। आप यहां पर जाकर हर उस चीज का मजा ले सकते हैं जो आप चाहते हैं। कश्मीर से बेहतर घूमने की जगह कोई नहीं है, लेकिन सबसे ज्यादा वहां आतंकवाद भी पाया जाता है। इसलिए हमें वहां सतर्क और सावधान रहने की आवश्यकता ज्यादा होती है।

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Rahul Singh Tanwar

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जम्मू और कश्मीर का इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, राजनीति तथा जिले

इस अध्याय के माध्यम से हम जम्मू और कश्मीर (Jammu And Kashmir) की विस्तृत एवं महत्वपूर्ण जानकारी जानेगें, जिसमे राज्य का इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, संस्कृति और राज्य में स्थित विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल आदि जैसी महत्वपूर्ण एवं रोचक जानकरियों को जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त जम्मू और कश्मीर राज्य में हाल ही में हुये विकास व बदलाव को भी विस्तारपूर्वक बताया गया है। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षार्थियों के साथ-साथ पाठकों के लिए भी रोचक तथ्यों से भरपूर है।

जम्मू और कश्मीर का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान

जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir)
केन्द्रशासित प्रदेश
जम्मू (सर्दियों), श्रीनगर (गर्मी)
31 अक्टूबर 2019
श्रीनगर
2,22,236 वर्ग किमी
20
महबूबा मुफ़्ती
मनोज सिन्हा
अभी तक घोषित नहीं
कश्मीरी बाहरसिंगा/हंगुल
चिनार
आम रोडोडेंड्रोन
डोगरी, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू
कुद नृत्य, राउफ नृत्य, दुमल नृत्य, हाफिजा नृत्य, भांड पाथेर, बचा नगमा, भदजास नृत्य और , हिकात नृत्य

जम्मू और कश्मीर के बारे में जानकारी

जम्मू और कश्मीर भारत के सबसे उत्तरी भाग में स्थित केंद्र शासित राज्य है। जम्मू-कश्मीर की दो राजधानियाँ है, ग्रीष्‍मकाल (मई-अक्टूबर) में श्रीनगर और शीतकाल (नवंबर-अप्रैल) में जम्मू राजधानी रहती है। यह भारत की ओर से उत्तर में चीन और अफगानिस्तान, पूर्व में चीन, और दक्षिण में हिमाचल प्रदेश और पंजाब से घिरा है। पश्चिम में यह पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम फ्रंटीयर प्रांत और पंजाब से घिरा है। जम्मू-कश्मीर का क्षेत्र 101,387 वर्ग किमी. है। जम्मू कश्मीर को भारत के संविधान में उल्लिखित धारा 370 के अंतर्गत एक विशेषाधिकार प्राप्त राज्य था

परंतु 5 अगस्त 2019 को, भारत सरकार ने भारत के संविधान से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए स्थानांतरित किया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर, और लद्दाख में विभाजित करने के लिए एक विधेयक पेश किया। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 9 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को दो क्रेंद शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने वाले ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन’ 2019 ऐक्ट को मंज़ूरी दे दी। इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आधिकारिक तौर पर 31 अक्टूबर को केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।

जम्मू और कश्मीर का इतिहास

दो प्रामाणिक ग्रंथों राजतरंगिणी तथा नीलम पुराण में यह आख्‍यान मिलता है कि कश्मीर की घाटी कभी बहुत बड़ी झील हुआ करती थी। जम्मू-कश्मीर पहले हिंदू शासकों और फिर मुस्लिम सुल्तानों के अधीन रहा। बाद में यह राज्य अकबर के शासन में मुगल साम्राज्य का हिस्सा बन गया। सन् 1756 से अफगान शासन के बाद, सन् 1819 में यह राज्य पंजाब के सिख साम्राज्य के अधीन हो गया। सन् 1846 में रंजीत सिंह ने जम्मू क्षेत्र महाराजा गुलाब सिंह को सौंप दिया। सन् 1846 में सबरुन की निर्णायक लड़ाई के बाद अमृतसर संधि के मुताबिक कश्मीर भी महाराजा गुलाब सिंह को सौंप दिया गया। सन 1947 तक जम्मू पर डोगरा शासकों का शासन रहा।

सन् 1947 में यह राज्य पाकिस्तान के सशस्त्र हमले का विषय बना। 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरिसिंह के अनुवृध्दि के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद इसे भारत में शामिल होना मंजूर किया गया। उस विलय पत्र पर 26 अक्टूबर, 1947 को पण्डित जवाहरलाल नेहरू और महाराज हरीसिंह ने हस्ताक्षर किये। इस विलय पत्र के अनुसार- “राज्य केवल तीन विषयों- रक्षा, विदेशी मामले और संचार -पर अपना अधिकार नहीं रखेगा, बाकी सभी पर उसका नियंत्रण होगा। इसी क्रम में भारतीय संविधान में ‘अनुच्छेद 370’ जोड़ा गया था, और जिसमें बताया गया कि जम्मू-कश्मीर से सम्बंधित राज्य उपबंध केवल अस्थायी है, स्थायी नहीं।

जम्मू और कश्मीर का भूगोल

जम्मू और कश्मीर की जलवायु, जम्मू और कश्मीर की सरकार और राजनीति.

जम्मू और कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 के प्रावधानों के तहत प्रशासित है। मूल रूप से पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेश के लिए तैयार अनुच्छेद 239 ए जम्मू और कश्मीर पर भी लागू होगा।जम्मू और कश्मीर में सरकार के पास ही सर्वोच्च अधिकार हैं। अन्य किसी भी राज्य की तरह यहां भी 3 शाखाएं हैं- कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका। कार्यपालिका शाखा की प्रधान सरकार होती है जो कि राज्य की भी मुखिया है। राज्य के कार्यकारी अधिकार मुख्यमंत्री के पास होते हैं। राज्य की विधानसभा में 89 सदस्य हैं और विधान परिषद में 36 सदस्य हैं।

जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री  बनने वाले प्रथम व्यक्ति मेहर चंद महाजन थे। उन्होंने 15 अक्टूबर 1947 में राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। जम्मू और कश्मीर के वर्तमान उप-राज्यपाल   मनोज सिन्हा है। मनोज सिन्हा ने 7 अगस्त 2020 को जम्मू और कश्मीर के उप- राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की है। जम्मू-कश्मीर के प्रथम राज्यपाल युवराज करण सिंह थे ये 30 मार्च 1985 से 15 मई 1949 तक इस पद पर कार्यरत रहे थे।

जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था

जम्मू और कश्मीर की कृषि व्यवस्था, जम्मू और कश्मीर की शिक्षा व्यवस्था, जम्मू और कश्मीर के प्राकृतिक संसाधन, खनिज पदार्थ व उद्योग, जम्मू और कश्मीर की जनसंख्या, जम्मू और कश्मीर की वेशभूषा एवं पहनावा, जम्मू और कश्मीर की संस्कृति और कला, जम्मू और कश्मीर में बोली जाने वाली भाषाएँ, जम्मू और कश्मीर के मुख्य भोजन, जम्मू और कश्मीर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहार, जम्मू और कश्मीर के आदिवासी/जनजाति समूह, जम्मू और कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल, जम्मू और कश्मीर के सभी जिलों की सूची.

जम्मू और कश्मीर राज्य में कुल 22 जिले है, क्षेत्रफल के आधार पर लेह राज्य का सबसे बड़ा ज़िला है और जनसँख्या में आधार पर जम्मू सबसे बड़ा ज़िला है।

जम्मू एवं कश्मीर राज्य के जिलों की सूची: अनंतनाग, उधमपुर, कठुआ, कारगिल, किश्तवाड़, कुपवाड़ा, कुलगाम, गांदरबल, जम्मू, डोडा, पंच, पुलवामा, बड़गाम, बांदीपुरा, बारामूला, राजौरी, रामबन, रियासी, लेह, शुपियां, श्रीनगर और सांबा।

जम्मू और कश्मीर में घूमने की प्रसिद्ध जगहें

  • जम्मू और कश्मीर के हरि पर्वत किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
  • जम्मू और कश्मीर के रघुनाथ मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
  • जम्मू और कश्मीर के वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
  • जम्मू और कश्मीर के जामिया मस्जिद का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी

जम्मू और कश्मीर प्रश्नोत्तर (FAQs):

जम्मू और कश्मीर की राजधानी क्या है?

जम्मू और कश्मीर की राजधानी जम्मू (सर्दियों), श्रीनगर (गर्मी) है।

जम्मू और कश्मीर के वर्तमान उपराज्यपाल/प्रशासक कौन हैं?

जम्मू और कश्मीर के वर्तमान उपराज्यपाल/प्रशासक मनोज सिन्हा हैं।

जम्मू और कश्मीर के लोक नृत्य कौन-कौन से हैं?

कुद नृत्य, राउफ नृत्य, दुमल नृत्य, हाफिजा नृत्य, भांड पाथेर, बचा नगमा, भदजास नृत्य और , हिकात नृत्य जम्मू और कश्मीर के मुख्य लोक नृत्य हैं।

जम्मू और कश्मीर की राजकीय भाषा क्या है?

जम्मू और कश्मीर की राजकीय भाषा डोगरी, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू है।

जम्मू और कश्मीर का राजकीय पशु और पक्षी क्या है?

जम्मू और कश्मीर का राजकीय पशु कश्मीरी बाहरसिंगा/हंगुल और राजकीय पक्षी अभी तक घोषित नहीं है।

जम्मू और कश्मीर का राजकीय फूल और पेड़ क्या है?

जम्मू और कश्मीर का राजकीय फूल आम रोडोडेंड्रोन और राजकीय पेड़ चिनार है।

जम्मू और कश्मीर का सबसे बड़ा शहर कौन-सा है?

जम्मू और कश्मीर का सबसे बड़ा शहर श्रीनगर है।

जम्मू और कश्मीर कुल कितने क्षेत्रफल फैला हुआ है?

जम्मू और कश्मीर कुल 2,22,236 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें कुल जिले हैं।

जम्मू और कश्मीर राज्य की स्थापना कब हुई थी?

जम्मू और कश्मीर की स्थापना 31 अक्टूबर 2019 को हुई थी, जिसके बाद जम्मू और कश्मीर को भारत के केन्द्रशासित प्रदेश का दर्जा मिला था।

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जम्मू-कश्मीर

Jammu Kashmir 

काम-कश्मीर हिमालय की पर्वतमालाओं में बसा हुआ है। इसे ती का स्वर्ग’ भी कहा जाता है। जम्मू-कश्मीर से कई देशों की सीमाएँ लगी हुई हैं। उत्तर-पूर्व में चीन, दक्षिण में हिमाचल प्रदेश और पंजाब तथा पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान द्वारा अधिकृत आजाद कश्मीर से जम्मू-कश्मीर की सीमा सटी हुई है।

जम्मू-कश्मीर के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं-जम्मू, कश्मीर घाटी तथा लद्दाख। कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर तथा शीतकालीन राजधानी जम्मू है जबकि कश्मीर घाटी ‘पृथ्वी के स्वर्ग’ के रूप में विश्व भर में सुविख्यात है। इसके अलावा कश्मीर पहाड़ों के अद्भुत, आकर्षक और मनोहारी प्राकृतिक दृश्यों के लिए भी प्रसिद्ध है।

पहाड़ों में स्थित जम्मू के मंदिर एवं मस्जिद भी दर्शनीय पर्यटन-स्थल हैं। इन्हें देखने प्रति वर्ष हजारों पर्यटक आते हैं। लद्दाख, जो ‘छोटा तिब्बत’ के नाम से प्रसिद्ध है, अपने बेमिसाल सुंदर पहाड़ों एवं बौद्ध संस्कार के लिए सुविख्यात है।

हिन्दू ग्रंथों के अनुसार, एक बार ऋषि कश्यप ने बारामूला के नज़दीक पहाड़ को काटकर बनाई गई पीर पंजाल पर्वत श्रेणी की एक झील को सुखा दिया और फिर उस घाटी में भारत के लोगों को बसा के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार इस घाटी का नाम कश्मीर घाटी पर गया।

कश्मीर सर्वप्रथम मौर्य एवं कुषाण साम्राज्य में स्थापित हुआ था। तत्पश्चात् 8वीं सदी में हिन्दू वीर योद्धा ललितादित्य मुक्तापिदा ने कश्मीर पर शासन किया था। उसके बाद 12वीं शताब्दी में मुसलमानों की तर्किश सेना ने कश्मीर पर आक्रमण किया। फिर सन् 1322 में जुल्कादुर खान ने इस पर पूर्णतः अपना अधिकार कर लिया। इस प्रकार एक के बाद एक कश्मीर पर आक्रमण और शासन किया जाता रहा।

कश्मीर को ‘धरती के स्वर्ग’ की संज्ञा दी गई है इसलिए हर कोई शासक कश्मीर पर शासन करना चाहता था। यहाँ की डल झील विश्व-प्रसिद्ध है। इसमें हाऊस-बोट होते हैं जिन्हें शिकारा कहते हैं। पर्यटक इसमें बैठकर डल झील की सैर करते हैं और इसी में वे रहते भी हैं। सर्दियों में ये झील पूर्ण रूप से जम जाती है और इस पर बच्चे  क्रिकेट खेलते हैं।

कश्मीर में शालीमार गार्डन है जिसे मुगल सम्राट जहाँगीर ने बनवाया था। यहाँ गुलमर्ग है जो घने जंगलों से घिरा हुआ है तथा यहाँ सुंदर व मनमोहक फूलों के बाग हैं। पटनीटॉप है, जो अक्सर बर्फ से ढका रहता है। इसे हिल-रिज़ॉर्ट (पहाड़ी सैरगाह) कहते हैं। पहलगाम है जहा अमरनाथ यात्रियों के लिए कैंप बनाए जाते हैं। सोनमर्ग है जो श्रीनगर जिले में है। यहाँ पर तीन झीलें हैं-किशेनसर, बिशेनसर और गंगबाल।

अलावा श्रीनगर से 11 कि.मी. की दूरी पर निशात गार्डन है। यह सील के किनारे पर है। जम्मू में वैष्णो देवी का मंदिर है जो जमीन से 10-12 किलोमीटर ऊपर स्थित है।

सभी पर्यटन स्थलों को देखने जम्मू कश्मीर में हजारों पर्यटक दिन आते हैं और प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत एवं स्वर्गीय आनन्द लेते हैं। जब सर्दी के महीनों में यहाँ आकाश से बर्फ बरसती है, तो यह दश्य बहुत सुंदर और मनोहारी होता है। उस समय बर्फबारी का यह दृश्य देखने हजारों पर्यटक आते हैं। तब पूरा कश्मीर बर्फ की सफेद चादर से ढक जाता है। यह दृश्य अत्यंत सुंदर और मनोरम होता है जो व्यक्ति यह दृश्य देखता है, वह यही कहता है-“कश्मीर धरती का स्वर्ग है।”

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essay on beauty of jammu and kashmir in hindi

जम्मू कश्मीर की पारंपरिक वेशभूषा

First Published: March 9, 2019 | Last Updated:March 9, 2019

essay on beauty of jammu and kashmir in hindi

जम्मू और कश्मीर के पारंपरिक कपड़े अच्छी तरह से अपनी कढ़ाई और जटिल डिजाइन के लिए जाने जाते हैं, जो क्षेत्र की संस्कृति और परिदृश्य की समृद्धि को दर्शाते हैं। उनके कपड़े क्षेत्र की ठंडी जलवायु का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। अधिकांश वस्त्र ऊन, रेशम और कपास से बने होते हैं जिन्हें जटिल कढ़ाई के साथ डिजाइन किया जाता है।

जम्मू और कश्मीर की पारंपरिक पोशाक का इतिहास प्राचीन काल के दौरान, भारत में कभी फारसियों, रोमन और यूनानियों जैसे कई शासकों का शासन था, जिनका जम्मू और कश्मीर राज्य पर भी अपना प्रभुत्व था। और इस प्रकार, उनकी पारंपरिक पोशाक और कुछ रीति-रिवाजों ने कश्मीरी लोगों को प्रभावित किया। आर्यों के आगमन से कश्मीरी लोगों की जीवनशैली में भी बदलाव आया। इस प्रकार, जम्मू और कश्मीर के पारंपरिक कपड़े थोड़ा पश्चिमी प्रभाव और अपने स्वयं के व्यक्तिगत स्पर्श के साथ सामने आए। ह्युन त्सांग के अनुसार, कश्मीरी लोग चमड़े के दोने और सफेद लिनन से बने कपड़े पहनते थे।

पुरुषों के लिए जम्मू और कश्मीर के पारंपरिक कपड़े पारंपरिक ‘फेरन’ पुरुषों और महिलाओं दोनों के बीच पोशाक का सबसे लोकप्रिय रूप है। फ़ेरन फूलों के रूपांकनों से युक्त बहुत सी सुंदर कढ़ाई के काम को प्रदर्शित करता है।

फेरन: कश्मीर में पुरुष और महिला दोनों के लिए पारंपरिक पोशाक है। फ़ेरन मूल रूप से एक ढीले ऊपरी वस्त्र है जो आस्तीन में शिथिल रूप से इकट्ठा होता है जो चौड़ा होता है। यह या तो ऊन या जैमर से बना होता है, जो ऊन और कपास का मिश्रण होता है, जिसके किनारों पर कोई स्लिट नहीं होता है। ऊन से बने एक फेरन को एक लोचा कहा जाता है। पारंपरिक फ़ेरन पैरों तक सुंदर रूप से गिरता है और 19 वीं शताब्दी के बाद के हिस्से के दौरान हिंदू और मुस्लिम पुरुषों द्वारा सार्वभौमिक रूप से पहना जाता था। हालांकि, समकालीन समय में, घुटने की लंबाई वाली फेरन पहनी जाती है; मुस्लिम लोग इसे ढीले पहनते हैं और बाजू में सिले जाते हैं जबकि हिंदू पुरुष अपने बछड़ों तक फैले लंबे फेरे पहनते हैं। टखने की लंबाई वाली फ़ेरेन्स कमर पर बंधी हुई होती हैं और इसमें जटिल कढ़ाई होती है और ये फूलदार डिज़ाइन पतली धातु के धागों से बने होते हैं और इन्हें काहमीर भाषा में टाइल के नाम से जाना जाता है। यह अत्यधिक ठंडी सर्दियों के दौरान पहनने वाले को गर्म रखने के लिए आंतरिक हीटिंग सिस्टम के रूप में कार्य करता है।

पश्मीना शॉल: पश्मीना शॉल पारंपरिक ऊनी वस्त्रों से बनाए जाते हैं, जो पहाड़ के बकरे से प्राप्त किए जाते हैं। इन शॉल के दोनों किनारों पर जटिल काम किया जाता है। विशेष कश्मीरी कढ़ाई का काम, कसीदा इस तरह से किया जाता है कि पैटर्न कपड़े के दोनों किनारों पर समान रूप से दिखाई देते हैं।

महिलाओं के लिए जम्मू और कश्मीर की पारंपरिक पोशाक कश्मीरी महिलाओं के लिए भी फेरान प्रमुख पोशाक है। परंपरागत रूप से, पूट्स और फ़ेरन्स होते हैं, जिसमें दो रॉब शामिल होते हैं जिन्हें दूसरे के ऊपर रखा जाता है। महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली फेरेन में आमतौर पर हेम लाइन पर, जेब के आसपास और ज्यादातर कॉलर क्षेत्र पर जरी की कढ़ाई होती है। मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले तीतर पारंपरिक रूप से अपनी व्यापक आस्तीन की विशेषता रखते हैं और घुटनों तक पहुंचते हैं। हालांकि, जम्मू और कश्मीर के हिंदू अपने फेरान को लंबे समय तक पहनते हैं, जो नीचे की ओर आस्तीन के साथ अपने पैरों तक फैला है।

तरंगा: एक कश्मीरी महिला का सिर एक चमकीले रंग का दुपट्टा या तारंगा है, जिसे एक निलंबित टोपी से सिला जाता है और यह नीचे की ओर, एड़ी की ओर होता है। तरंगा हिंदुओं के बीच शादी की पोशाक का एक अभिन्न हिस्सा है।

कासाबा: फ़ेरान लाल सिरगियों के साथ होता है जिसे कसाबा के रूप में जाना जाता है, जिसे पगड़ी के रूप में सिला जाता है और आभूषणों और चांदी के ब्रोच द्वारा एक साथ पिन किया जाता है। कसाबा से निलंबित एक पिन-दुपट्टा कंधे की ओर उतरता है। इसे मुस्लिम महिलाओं ने अपने नियमित पोशाक के हिस्से के रूप में पहना है।

अबाया: कश्मीरी महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला अबाया सामान्य पोशाक है। अविवाहित मुस्लिम महिलाओं के लिए, वेशभूषा कुछ हद तक भिन्न होती है। विस्तृत हेडगियर्स को सोने, तावीज़ और रत्नों के धागे से अलंकृत अलंकृत खोपड़ी के छल्ले द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है।

इनके अलावा, अन्य पारंपरिक कपड़े हैं। हालाँकि, जम्मू में पहनी जाने वाली सुथान की आधुनिक शैली तंग सुथान का अवशेष है जो कभी पूरे पंजाब क्षेत्र में लोकप्रिय थी। यह शीर्ष पर बहुत ढीला है लेकिन घुटनों से टखनों तक बहुत तंग है। जब पुरुषों द्वारा पहना जाता है, तो दराज को घुतना कहा जाता है। बदलते समय के साथ, पोशाकें विकसित हुई हैं, लेकिन जम्मू और कश्मीर के पारंपरिक कपड़े समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास का एक हिस्सा हैं।

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Essay on kashmir in hindi कश्मीर पर निबंध.

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Essay on Kashmir in Hindi 300 Words

सैर-सपाटे के शौकीन हर व्यक्ति की यह दिली ख्वाहिश होती है कि वह जीवन में कम से कम एक बार कश्मीर जरूर जाए। कश्मीर को धरती का स्वर्ग जो कहते हैं। माना जाता है कि इसका असली नाम कश्यपमर यानी कछुओं की झील था। इसी से बाद में यह कश्मीर नाम से जाना जाने लगा। कल्हण की राजतरंगिणी में कश्मीर का विस्तृत उल्लेख मिलता है।

यहाँ के बर्फीले मौसम को देखते हुए सर्दी और गर्मी के मौसम में क्रमशः श्रीनगर और जम्मू को यहाँ की राजधानी बनाते हैं। श्रीनगर और उसके आसपास के क्षेत्र पर्यटन के लिहाज़ से बहुत खूबसूरत हैं। डल झील यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। सैलानी घंटों इसके किनारे घूमते हैं या शिकारे में बैठकर नौका विहार का आनंद लेते हैं। तैरते आवास यानी हाउसबोट, तैरते बाजार और तैरते वेजीटेबल गार्डन इसकी खासियत हैं। कुछ दूर अनंतनाग जिले में अमरनाथ गुफा है, जहाँ हजारों की संख्या में तीर्थयात्री जाते हैं। मुस्लिम सूफी संत शेख नूरुद्दीन वली की दरगाह चरार-ए-शरीफ भी श्रीनगर से ज्यादा दूर नहीं है। मुगल बादशाह कश्मीर के प्राकृतिक सौंदर्य से बहुत प्रभावित हुए थे। उन्होंने यहाँ बहुत-से उद्यान बनवाए, जिन्हें मुगल उद्यान कहा जाता है। उन्हें देखे बिना श्रीनगर की यात्रा अधूरी है। शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया चश्म-ए-शाही इनमें सबसे छोटा है। निशात बाग 1633 में नूरजहाँ के भाई ने और शालीमार बाग जहाँगीर ने अपनी बेगम नूरजहाँ के लिए बनवाया था। इन बगीचों में चनार के अलावा और भी कई छायादार पेड़ हैं। रंग-बिरंगे फूलों और झरनों वाले ये बगीचे अलग ही सुकून देते हैं।

श्रीनगर के अलावा अधिकतर सैलानी गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम भी जाना पसंद करते हैं। गुलमर्ग का अर्थ है – फूलों का मैदान। नाम से ही इसकी खूबसूरती का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहाँ विश्व का सबसे ऊँचा गोल्फकोर्स है। सर्दियों में जब यहाँ बर्फ की मोटी चादर बिछ जाती है, तब स्कीइंग के शौकीन लोग उसका भरपूर आनंद उठाते हैं। सोनमर्ग भी बेहद खूबसूरत है। सिंध नदी के दोनों ओर फैले यहाँ के मैदान सोने जैसे चमकते हैं, इसलिए इसे सोनमर्ग कहा जाता है। अमरनाथ यात्रा का एक रास्ता सोनमर्ग से बालटाल होकर भी जाता है। एक बार जो कश्मीर चला जाता है, वो वहाँ की यादें उम्रभर सँजोकर रखना चाहता है।

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Essay on Kashmir in Hindi 500 Words

कश्मीर हमारे देश के उत्तर में स्थित राज्य है। यह झीलों, बागों और झरनों का प्रदेश है। प्राकृतिक रूप से यह इतना खूबसूरत है कि इसे भारतमाता का मुकुट कहा जाता है। मुगल बादशाह जहाँगीर की रानी नूरजहाँ ने तो यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर कहा कि धरती पर यदि स्वर्ग है तो यहीं है।

कश्मीर की राजधानी श्रीनगर है। यह नगर झेलम नदी के दोनों तटों पर बसा हैं। झेलम नदी को पार करने के लिए नौ पुल बने हैं, नदी के दोनों ओर हाउसबोटों की पंक्तियाँ दूर-दूर तक दिखाई देती हैं। हाउसबोट पानी पर तैरता हुआ मकान होता है जिसमें बैठक, सोने का कमरा, खाना खाने का कमरा और नहाने का कमरा होता है। बाहर से आने वाले बहुत-से लोग हाउसबोटों में रहते हैं। रात के समय हाउसबोटों में सैकड़ों बत्तियाँ जलती रहती हैं। नदी की लहरों में इनकी जगमग-जगमग करती परछाइयाँ मन को मुग्ध कर देती हैं।

हाउसबोटों में सैकड़ों बत्तियाँ जलती रहती हैं। नदी की लहरों में इनकी जगमग-जगमग करती परछाइयाँ मन को मुग्ध कर देती हैं।

श्रीनगर घाटी में बसा शहर है। इसके चारों ओर दूर-दूर तक पहाड़ फैले हुए हैं। यहाँ शंकराचार्य नाम की एक पहाड़ी है, जहाँ से नगर का दृश्य बड़ा सुहावना लगता है। शंकराचार्य पहाड़ी पर शंकराचार्य मंदिर है जिसमें शिव भगवान का विशाल लिंग स्थापित है। श्रद्धालु भक्त बड़ी श्रद्धा व विश्वास के साथ नंगे पैर इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। श्रीनगर में डल नामक प्रसिद्ध झील है। यह कश्मीर की सबसे सुन्दर झील है। इसमें खिले हए कमल के फूल बहत ही मनोहर लगते हैं। डल झील में शिकारे चलते हैं। जिनमें बैठकर यात्री झील का आनंद उठाते हैं। डल झील के बीचोबीच नेहरू पार्क है जिसमें रेस्टोरेंट भी है। यहाँ लोग अपना मनचाहा भोजन खाते हैं।

डल झील में चार चिनार नामक टापू पर चार वृक्ष हैं। ये वृक्ष डल झील की सुंदरता को दुगुना कर देते हैं।

डल झील के पास ही निशांत और शालीमार नामक दो सुंदर बाग हैं। ये बाग जहाँगीर द्वारा लगवाए गए थे। ये बाग अपनी नैसर्गिक सुंदरता से लोगों का मन मोह लेते हैं। इनमें झर-झर बहते हुए सीढ़ियोंदार झरनों और फव्वारों की शोभा देखते ही बनती है। इनमें चिनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, मखमली घास और रंग-बिरंगे फूल हैं। | कश्मीर में पहलगाँव, सोनबर्ग, चश्माशाही, गुलमोहर पार्क आदि दर्शनीय स्थल भी हैं जो अपनी सुंदरता से लोगों के मन को लुभाते हैं। पहलगाँव में नदी का कल-कल स्वर संगीत के समान कानों को बहुत भाता है। यहाँ कश्मीरी कारीगरी का बहुत अच्छा सामान मिलता है। यात्री ट्राली में बैठकर गुलमोहर पार्क में पहाड़ के ऊपर जाते हैं और पहाड़ों का नजारा देखकर प्रसन्न होते हैं। सर्दियों में जब गुलमर्ग पार्क में बर्फ जम जाती है तब लोग यहाँ स्केटिंग का आनंद भी उठाते हैं।

कश्मीर ठंडा प्रदेश है। यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है। जाड़े से बचने के लिए हर आदमी अपने हाथ में एक विशेष प्रकार की अँगीठी लेकर चलता है जिसे ‘कांगड़ी’ कहते हैं।

पहलगाँव और गुलमर्ग से ही अमरनाथ गुफ़ा जाने का रास्ता है। देश के कोने-कोने से लोग अमरनाथ की यात्रा पर जाते हैं। यहाँ का रास्ता बर्फ से ढके हुए ऊँचे पहाड़ों से होकर जाता है।

कश्मीर में अखरोट, खूबानी, सेब, बादाम, चैरी आदि फलों से लदे पेड़ दिखाई देते हैं। यहाँ केसर की खेती भी होती है जिसकी सुगंध से घाटी महकती रहती है। कश्मीर को पृथ्वी का स्वर्ग कहना उचित ही है।

कश्मीर समस्या

कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है; लेकिन मुस्लिम जनसंख्या की प्रधानता होने को आधार मानकर पाकिस्तान इसे अपने साथ मिलाना चाहता हैं। कश्मीर पर अधिकार करने के इरादे से पाकिस्तान ने 1948 में कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। परंतु भारत के अन्य राज्यों के शासकों की भाँति कश्मीर के तत्कालीन महाराजा, हरि सिंह ने भारत का पक्ष स्वीकार किया। कश्मीर घाटी की रक्षा के लिए भारतीय सेनाएं बड़ी बहादुरी से लड़ीं और पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए बाध्य होना पड़ा। परिणामस्वरूप, यथापूर्व स्थिति के अनुसार कश्मीर के पश्चिमी और उत्तरी भागों पर पाकिस्तान का अवैधानिक नियंत्रण कायम रहा। पाकिस्तान द्वारा असंवैधनिक रूप से अधिकृत कश्मीर का क्षेत्रफल लगभग तीन लाख वर्ग किमी। है।

सन् 1965 में, पाकिस्तान ने भारत पर दुबारा आक्रमण कर दिया। लेकिन भारतीय सेनाओं ने बड़ी बहादुरी से इस चुनौती का सामना किया और अंतत: पाकिस्तान बुरी तरह परजित हुआ। जिसके फलस्वरूप पाकिस्तान को ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य होना पड़ा। ताशकंद समझौते के अनुसार, दोनों देश कश्मीर समस्या को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से शांतिपूर्वक हल करने पर सहमत हुए। लेकिन 1971 में, पाकिस्तान ने पुन: भारत पर आकर्मण कर दिया और इस प्रकार दोनों देशों के बीच एक और युद्ध लड़ा गया। इस युद्ध में भी पाकिस्तान को पराजय का मुंह देखना पडा, और पाकिस्तान से अलग होकर बंग्लादेश एक सवतंत्र गणराज्य के रूप में उभरकर सामने आया। युद्ध की समाप्ति के बाद शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के अनुसार कश्मीर समस्या को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा हल किया जाना चाहिए। समझौते में कश्मीर समस्या से संबंधित मामले को निपटाने में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकर नहीं किया गया है।

लेकिन दुर्भाग्य, पाकिस्तान किसी भी समझौते की कोई बात न मानते हुए कश्मीर मसले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की फिराक में ही रहा है। कश्मीर घाटी में पाकिस्तान–प्रायोजित आतंकवाद, हिंसा एवं उग्रवाद ने दोनों देशों के बीच संबंधों को बदतर बनाया है। वास्तव में पाकिस्तान की इस प्रकार की गतिविधियों ने भारत और पाकिस्तान की बीच गहरी खाई का निर्माण किया है।

अंतर्राष्ट्रीय मानदण्डों एवं ऐतिहासिक तथ्यों को झुठलाता हुआ, पाकिस्तान कश्मीर मामले को विभाजन के समय का एक अपूर्ण एजेंडा बताता है और इसे प्राप्त करने के लिए वह कश्मीर में लगातार आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता रहा है। यद्यपि भारत की ओर से दोनों देशों के बीच के बिगड़े हुए संबंधों को सुधारने के कई बार प्रयास किए गए तथापि पाकिस्तान ने उसकी पहल को कभी गंभीरता से नहीं लिया, और न ही कभी ऐसे प्रयासों में दिलचस्पी ली। पिछले तीन युद्धों में करारी हार का मुँह देखने के बावजूद भी पाकिस्तान ने कभी इसके कारणों पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि वह तो लगातार दोनों देशों के बीच तनाव को भारत के धैर्य की सीमा तक बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। आजादी एवं मुस्लिम भाई-चारे की दुहाई देता हुआ पाकिस्तान कश्मीर के लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है।

पाकिस्तान की सीमा के साथ संलग्न होने और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने को आधार मानकर पाकिस्तान द्वारा कश्मीर की मांग कदापि तर्कसंगत नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि इस मामले में पाकिस्तान को पर्याप्त सैनिक सहायता का आश्वासन प्राप्त है।

इन परिस्थितियों में यह समस्या और भी जटिल हो गई है। वर्तमान परिस्थितियों से लगता है कि विभाजन के समय धर्म के आधार भारत और पाकिस्तान के रूप में विभाजन उचित नहीं था।

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Culture of Kashmir : Exploring the Vibrant Tradition, Art, Music, Food and Festivals

Avni Chadha

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Table of contents

Kashmiri people and origin, traditional dresses of jammu & kashmir, dance and music of kashmir, kashmiri cuisine, festivals of kashmir, arts and crafts of kashmir, architecture of kashmir, tourism of kashmir, languages of kashmir, occupations of kashmir, religions in kashmir.

Culture of Kashmir

The rich and fascinating culture of Kashmir is famous throughout the globe. The people, arts, crafts, theatre, literature, dances, music and so much more greatly contribute to the height of the Kashmiri Culture. Furthermore, known for its diversity due to the blend of various cultures and religions there. Its rich history is the cherry on top that only adds to the aura of the place.

Kashmiri People and Origin

The inhabitants of Kashmir are commonly referred to as Kashmiris who are ethnically linguistic faction. The indigenous populace of Kashmir usually lives in crowds in the areas of Pakistan, Northern Punjab, and Potohar. The influences of the Sanskrit dialect can be noticed in their local speech as you travel to different parts of Kashmir. The culture also seems to be heavily impacted by Central Asian and Persian beliefs. The various aspects of the culture of Kashmir as discussed below form an important part of the Kashmiri ethos. Kashmiri culture is predominantly practiced by the populace who live in the Kashmir and Dodab valleys. Furthermore, the valley is renowned for its fine arts, consisting of customarily indigenous boats/houseboats, handicrafts, and literature.

Culture of Kashmir Traditional Dresses

A specialty of Kashmir has to be the vibrant costumes of the region. The women of Kashmir look gorgeous dressed in traditional clothing paired off with exquisite jewelry such as necklaces, armlets, earrings as well as nose rings. Furthermore, they also wear loose salwar kameez to escape the summer heat. On the other hand, men wear kurta pajamas, shalwars, and skullcaps. During the winter, the people look elegant in Pheran which is a long overcoat that is beautifully ornamented with patches and embroidery work. The fabric they wear largely depends on the weather and they ordinarily wear loose gowns. Additionally, men and women also wear skullcaps and headgear respectively. Women generally cover both their shoulders and head out of respect for elders. These traditional dresses of Kashmir truly represent the breathtaking culture of the region.

Culture of Kashmir Music and Dances

When talking about the dance and harmonies of Kashmir , the words that come to mind are elegant and magnificent. The joyous festivals there are marked by, of course, music and dance which even attracts the tourists to join in on the excitement. Throughout the region of Kashmir, a wide range of dance forms can be witnessed that are executed based upon the occasion that they mark, for instance, a prominent dance form here is the infamous Mask dance that is executed on the occasion of the Hemis Festival , a popular festival of Kashmir. Another allure of these dances is the bright and vibrant attire paired off with truly exquisite jewelry. Some other prominent dances of the place are Chakri, Rouf, Bhand Pather, Hafiza, Kud, and Bacha Nagma. The folk music of Kashmir will force anyone to start tapping their feet, especially to the lively Rabab Music. Apart from that, instrumental music is quite prevalent in Kashmir and therefore common melodies that can be heard are the Sitar, Dumru, and Nagara. Apart from that, the music that accompanies festive occasions such as celebrations, parties, and weddings is mainly Wanwun, Ghazals, Choral as well as Sufi.

Culture of Kashmir - Cuisine

Kashmir offers truly delicious cuisine that includes both vegetarian and non-vegetarian delicacies for this is a place that caters to all and these delicious dishes will leave you wanting more. Some infamous non-vegetarian dishes are the Kashmiri Kebab, Pasanda, Syun Alu, Yakhni, and Methi Keema and therefore it’s every meat-lover’s delight. But vegetarians need not worry because there are myriad dishes available for them, such as Rajmah, Shree Pulao, Ladyar Tsaman, and Nadir Yakhaen. These flavorful dishes are prepared by utilizing fresh vegetables and paneer, to make it all the more delicious. Kashmir is an amazing destination for anyone like me who loves desserts. You absolutely must try out delicacies such as sevaiyaan, phirni, barfi, Kashmiri Aloo Dum and many more that will truly make your day. Kashmiris are known for their hospitality and they greet their guests with some refreshing hot tea and Kahwa. Another dish that is a staple to the household of Kashmir is its very own pulao. Additionally, Hak or Karam is a dish that is a favorite in the region and is specially prepared during cold winter evenings to provide warmth.

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Culture of Kashmir-Festivals

The culturally rich Kashmir is a land of festivals where everyone comes together and celebrates with zeal and enthusiasm. It’s well-known that Jammu and Kashmir possess an exemplary heritage and culture which is beautifully brought out by the festivals of the region. Eid-ul-Fitr, Lohri, Tulip Festival, Holi, Shikara Festival, Hemis festival, Gurez Festival, and Sindu Darshan are few festivals here that are celebrated with the utmost fervor. These festivals customarily mark an auspicious occasion and have their origins in mythology. These festivals are a must to attend because of their joyous nature, everywhere around you, you can observe the native inhabitants dancing, singing, eating delicious cuisine with their family dressed in traditional clothing, and tourists shopping for handicrafts. Furthermore, Bahu Mela, Jhiri Mela, and Craft, and many more are great to encompass the beauty of the local culture.

Culture of Kashmir-Art

Kashmir is a prominent center for mesmerizing arts and crafts with its handicrafts industry particularly blossoming. Kashmir is practically synonymous with pashmina shawls that are well-known for their texture and amazing quality. They are particularly renowned for their softness and the warmth they provide. These shawls are furthermore a symbol of royalty. Another prominent craft of Kashmir is the hand-knotted rugs as well as wool rugs that possess floral patterns. Additionally, some lovely handicrafts of Kashmir include paper mache, wicker, carved walnut furniture, and silverware. The government of Kashmir has also invested in the arts and crafts of the place for they serve as a major tourist attraction. If one ever visits Kashmir, one simply must buy the intricate handicrafts as a souvenir.

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Architecture-of-Kashmir

The Jhelum River was the only means of transport initially which resulted in the creation of ghats as a transport landing point and a range of residences with wooden balconies and complex gridwork evolved along the canals and riverfronts.

Because the economy of Kashmir is largely dependent on agriculture and the combined activities, the cities, especially Srinagar, never had the wealth to undertake a significant urban reconstruction. Therefore, the image of the towns of Kashmir remains the same as they were 300 years ago, and the wood constructions with roofing are reminiscent of the medieval European towns that live in culture and customs while maintaining the essence of ancient Kashmir for generations.

The traditional buildings are of two sorts, based on the plan- square plan and linear plan with windows on both sides, as the symmetry is the main principle for earthquake-resistance structures and the arrangement of the function within. Each residence has a Zoon Dub or a roof-top balcony to view the moon (zoon). The balconies and wing panels are designed like jhumkas and have magnificent Pinjera Kari works. The roofs of interiors have khatamband woodwork, faux ceilings with intertwined geometric shapes of Persian arts and consist of walnuts or deodars with apparent carpentry.

Architecture-of-Kashmir-02

Traditional dwellings in Kashmir are separated into two categories: Taq building and Dhajji Dewari. Dhajji Dewari is made of wooden frames and trusses filled with flat stones and bricks and is carefully packed into gaps of mud or lime mortar with stone flowers in the remaining gaps. Taq is another method of building which in Srinagar is widespread. A Taq building can stand an earthquake and is high on numerous floors. The walls consist of a combination of scrap metal and brick or sun-dried bricks placed in thick mud mortars at regular intervals with load-bearing piers.

As technology has progressed, Kashmir’s lifestyle has also evolved, architecture has also changed. Their dwellings are currently created using advanced technology and cement substitutes for mud and iron for wood. The traditional construction skills are decreasing and non-indigenous cement constructions are being replaced. The traditional shrines, such as the Naqschband Saheb, Dastgir Sahib, etc., are unique examples of vernacular architecture in Kashmir. Most heritage buildings were turned into government offices and other structures were demolished totally, such as the 150 years old Maharaj Gunj dispensary which was classified as a heritage building by the Department of Archives, Archeology and Museum.

Tourism of Kashmir

In Jammu and Kashmir, one can never run out of locations to explore. The region is full of scenic views, wonderful flora, magnificent architecture. There are picturesque homestays and eco-friendly resorts to select from. Those with a thrilling mind will find a multiplicity of activities that await them. Finally, the countless religious sanctuaries show tourists the road to calm and tranquillity, if they are spiritually inclined.

The Himalayas are famous for their natural beauty and their gentleness, with their Pir Panjal and Karakoram mountains. The most stunning mountain peaks, glaciers, wonderful monasteries, blue lakes, rivers, woods, green wilderness, and high pine trees are all around Jammu and Kashmir. Amarnath and Vaishno Devi draw a significant number of pilgrims each year since sports like skiing, golfing, trekking, river rafting, paragliding and camping are all about the journey to Jammu and Kashmir. Some of the state’s notable attractions are Dal Lake, Kashmir Valley, Khardung La Pass, Gulmarg, Shalimar Bagh. In their memories, one will always remember the incomparable beauty and attractiveness of the state and the amicability of its people.

Suggested Read –  7 Best Places in Kashmir – Paradise on Earth You Can’t Miss to Visit

kashmiri-Language

Kashmiri, Dogri, Hindi, English, and Urdu are the official languages of Jammu and Kashmir.

Kashmiri, with about 9 million speakers is the most widely spoken language in all of J&K. The Dardic language is also one of 22 scheduled languages according to the Indian Constitution and is the only Dardic language that has the status of an official language. In the valley of Chenab, it is the most common language. Kashmiri also has a major influence of Persian especially in vocabulary while being among the most conservative Indo-Aryan languages.

Gilgiti, Kohistani Shina, Guresi, Drassi and Broksat belong to the dialects of Shina. In much of Gilgit-Baltistan Khowar is spoken.

The most diverse groups of languages are the Pahari languages spoken throughout the entire J&K region. Pahari is a collective name given by outsiders because speakers of these languages are generally located in largely hilly parts of the country. These languages are locally known by a variety of dialects. Bhaderwahi, Padri, Ponchi, Mirpuri, Parmi or Pahari (Karnah) are several different Pahari languages.

Tibetan languages are languages that belong to the Sino-Tibetan family. J&K speaks many Tibetan languages and falls within the Balti-Ladakhi category or the ancient western Tibetan. Ladakhi or Bhoti or Bodhi, Balti, Purgi and Zangskari are among these.

Dogri has about three million speakers. It is an Indo-Aryan language spoken in the plains of Jammu or in Duggerdesh, in the J&K region. Jammu city has a Dogra majority, the second biggest city in the whole of J&K. Unfortunately, the language has declined considerably despite its official position.

Two languages of the Iranian language family, Pashto and Wakhi (Gilgit-Baltistan), are spoken in J&K.

In scattered areas, Gojri is spoken across J&K. It’s mainly spoken by Bakerwals and Gujjar. Many Gujjars, however, do not all speak Gojri as local languages but identify and embrace the Gojri culture.

The Kashmir valley and Pakistan governed Kashmir speak and understand Urdu. Urdu was acknowledged in 1889 as J&K’s state and official language. For around three centuries, before Urdu, Persian was Kashmir’s official language. The land, revenue, courts and even FIRs in Urdu are recorded on all official records in Kashmir.

Occupations-of-Kashmir

Most of the Jammu and Kashmir people are mostly occupied by agriculture. Jammu and Kashmir also are the country’s largest fruit producers, because its soil is highly fertile and compatible with fruit growing, such as apples, apricots, cherries and nuts, almonds and walnuts. The Kashmir valley is the sole saffron-producing location in the country. Most farmers participate both in sericulture and in supplementary revenues. Many people participate in the tourism sector since there are a lot of stunning tourist locations.

Religions in Kashmir

In various sections of Jammu and Kashmir, three main faiths are visibly prevalent. Islam obviously dominates the Kashmir Valley in terms of the entire population and thus the valley is full of Muslim inhabitants. Besides that, Hinduism and Buddhism also form major parts of Kashmir’s religions. Buddhist adherents live in Jammu and Kashmir’s Ladakh district.

The culture of Kashmir deserves true admiration and the traditions of the region as well its various specialties reflect the beautiful culture of Kashmir and we must do our best to preserve it. Don’t forget to comment below about your favorite part of Kashmir!

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Thank you so much you explained Kashmir culture very well. but I am Kashmirian, but I guess these all cultures just limited to Jammu and Kashmir. We in Pakistani governed Kashmir can’t speak or understand Kashmiri and we don’t have special dress,arcitucture,language or cuisines. It’s really bad for us.

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Essay on Kashmir: History and Beauty in 600+ Words

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  • Updated on  
  • Jan 20, 2024

Essay on Kashmir

Essay on Kashmir for Students: Kashmir is a region situated between India and Pakistan in South Asia. It is believed that the name Kashmir originated from the word ‘Ka’ which means water, and ‘shimera’ to desiccate. 

The story of Kashmir is complex and has historical, cultural, and political dimensions. Over the years, many rulers and empires, like the Mauryas , Kushans , and Mughals have influenced the paradise of the Earth. The region especially had the special influence of Mauryan ruler Ashoka who contributed to the cultural as well as the architectural heritage of the region.

Cultural Diversity of Kashmir

Kashmir is a region that has a rich history and ancient roots. The place has witnessed the rise and fall of many dynasties, such as the Mauryas , Kushnas , and Guptas . On top of that, these dynasties contributed to the cultural and geographic location of Kashmir, which includes the influence of the Silk Road and the blend of Hindu, Buddhist, and later Islamic influences.

Kashmir Issue

The dispute related to the sharing of borders didn’t stop after Independence. Whether it was India, Pakistan, or China, tensions related to the disputes of the region always created a heat of fire between the countries that led to wars. The list of some important wars are as follows:

1. First Indo-Pak War (1947-1948) : Fought for Jammu Kashmir shortly after India’s independence.

2. Sino-Indian War (1962): A conflict between India and China for the territorial region Aksai Chin. 

3. The War of (1965): Fought mainly over Kashmir.

4. Kargil War (1999): A conflict between India and Pakistan in the Kargil district of Jammu and Kashmir.

Article 370 Scrapped

Geographically, Kashmir lies in the northwestern region of the Indian continent. Its total area is around 225,000 square kilometers, which is comparatively larger than the member countries of the United States. 

Out of the total area, 85,800 square kilometers have been subject to dispute between India and Pakistan since 1947. It is important to note that the areas with conflict consist of major portions called the Northern, Southern, and Southeastern portions. The 30 percent of the northern part comprises Azad Kashmir and Gilgit-Baltistan and is administered by Pakistan.

India controls the portion which is more than 55 percent of the area of the land. The area consists of Jammu and Kashmir, Ladakh, Kashmir Valley, and Siachen Glacier which is located in the southern and southeastern portions of India. The area is divided by a line of control and has been under conflict since 1972. 

Also Read: Speech on Article 370

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Sadly, the people living near the International Border and the Line of Control (LoC) in Jammu and Kashmir pose not only a life threat but also do not have a stable life. Replacement and relocation affect the people living in the line of control not affect the people physically but also psychologically and socially aspects. In a survey conducted by the National Library of Medicine 94 percent of the participants recognize stress. Furthermore, the youth population was facing stress and anxiety regularly.  

However, a historic decision from the Supreme Court of India that nullified Articles 370 and 35A and permitted the state to have its constitution, flag, and government except in defense, foreign affairs, and communications decisions. After the decision, many initiatives were taken by the government of India to strengthen the democratic rule of the state. Schools, colleges, and universities were opened regularly in the union territories to develop the youth academically, socially, and as well as physically. 

Furthermore, strict measures to control criminal assaults such as stone pelting have started showing positive impacts on the continuance use of technologies such as mobile networks, and internet activities. Further, the discontinuity of Technology has started showing positive impacts on the lifestyle of people. Regular opening of schools, colleges, and universities, on the one hand, is helping the students to have good career prospects. 

Additionally, the fear-free environment that further increases tourist activities will further improve the local economy and contribute to the local as well as the national economy of the country. 

Also Read: Essay on Indian Independence Day

Kashmir is also called the Paradise on Earth. The region is blessed with natural beauty, including snow-capped mountains and green and beautiful valleys. The region is surrounded by two countries, which are Pakistan and China.

Kashmir is famous for Dal Lake, Pashmina Shawls, beautiful Mughal gardens and pilgrimage sites of Amarnath and Vaishno Devi. 

According to a traditional story, Ka means water and shimira means Desiccate. 

Kashmir is known as the ‘Paradise on Earth.’

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Deepika Joshi

Deepika Joshi is an experienced content writer with educational and informative content expertise. She has hands-on experience in Education, Study Abroad and EdTech SaaS. Her strengths lie in conducting thorough research and analysis to provide accurate and up-to-date information to readers. She enjoys staying updated on new skills and knowledge, particularly in the education domain. In her free time, she loves to read articles, and blogs related to her field to expand her expertise further. In her personal life, she loves creative writing and aspires to connect with innovative people who have fresh ideas to offer.

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३) इनका पोशाक संस्कृति और समृद्धि दर्शाता है।

५) उनके कपड़ों में ज्यादा मात्रा में उन और कपास उपलब्ध होते हैं।

९) महिलाओं के पास तरंगा होता है।

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HC Directs Srinagar Dy Commissioner To Take Over Management Of Raghu Nath Ji Temple Land To 'Demarcate Boundaries' Amidst Claims Of Encroachment

Livelaw news network.

14 Aug 2024 7:48 AM GMT

HC Directs Srinagar Dy Commissioner To Take Over Management Of Raghu Nath Ji Temple Land To Demarcate Boundaries Amidst Claims Of Encroachment

The Jammu and Kashmir High Court has directed the Deputy Commissioner of Srinagar to take over the management of over 159 kanals of land belonging to the Raghu Nath Ji Temple in Barzulla Srinagar. The court also ordered the demarcation of the temple's land and the removal of any encroachments.

“This arrangement shall continue to remain in operation till an appropriate mechanism is put in place to manage and develop the temple properties in compliance of order dated 16.10.2019 passed by the Financial Commissioner (Revenue) or till the Government of Union Territory of J&K comes up with appropriate legislation as suggested by this Court in judgment dated 25.02.2022 passed in PIL No.24/2018 titled Ajay Kumar Sharma v. State of J&K and others, whichever is earlier”, a bench comprising Justices Sanjeev Kumar and M.A Chowdhary observed.

These directions came to be passed in a plea assailing an order issued by the Divisional Commissioner of Kashmir on April 23 2021, in terms of which he had directed the expunction of revenue entries for land measuring 159 kanals and 10 marlas, a portion of which was claimed by the petitioners, and the transfer of possession to the temple's management.

The petitioners, including former Bar Association President Mian Qayoom and his siblings, claimed tenancy rights over a portion of the land. They argued that they had been in possession of the land for decades and could not be evicted without due process of law.

Opposing the petitioners' claims, the respondents through Senior AAG Mohsin Qadri contended that revenue records from 1976 and 1987-88 indicate the ownership of the 159-kanal land by the Raghu Nath Ji Temple under the guardianship of Mahant Baba Girdhari Das and the land was primarily used for temple cultivation with portions leased to locals.

The respondents further alleged that subsequent to Mahant Girdhari Das' demise in 1971, and following the demise of his successor Mahant Arjun Das in 1989, the temple faced significant challenges due to the prevailing militancy in the Kashmir Valley. During this tumultuous period, the temple was damaged, and the land was encroached upon by locals, including the petitioners, who exploited their positions within certain groups, he submitted.

Highlighting that while the petitioners and others may have been in possession of the land for decades, this does not automatically grant them ownership the court noted that the entire estate, comprising over 159 kanals, remains vested in the temple.

“The revenue papers placed on record by the petitioners does prima facie indicate that the petitioners and before them their father and grandfather were in possession of the land belonging to the temple and have also been recorded as tenants. What was the nature of the tenancy created and who created this tenancy is not forthcoming from the record”, the bench pointed.

Observing that the Divisional Commissioner's order aimed to protect the temple's property from mismanagement and unauthorized occupation the court also emphasized that any action against the petitioners should follow due process of law, ensuring that they are given an opportunity to be heard.

“The petitioners, who are admittedly under settled possession of the temple property for the last several decades, cannot be termed as rank encroachers and thrown out without following due process of law.If at all, in the opinion of the respondents, the petitioners and other locals are in unauthorized occupation of the temple properties and have managed revenue entries in their favour, nothings stops them from initiating action under law and pass appropriate orders after affording adequate opportunity of being heard to such persons”, the court remarked.

Not making a final ruling on the merits of the petitioners' claims or the respondents' counterclaims and to avoid prejudicing future proceedings the court directed the Deputy Commissioner, Srinagar, to take over the management of the temple properties, with a view to safeguarding them from further encroachments and ensuring their proper administration.

The court further ordered that no new mutations be attested in the name of any Mahant or disciple and that the properties remain under the management of the District Administration. The Deputy Commissioner has been tasked with demarcating the temple land, removing encroachments, and putting the properties to beneficial use.

Case Title: Mst Hamida Banoo Vs UT of J&K

Citation: 2024 LiveLaw (JKL) 233

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  22. badalta jammu Kashmir nibandh

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  23. PDF Cultural Heritage and Tourism Development in Jammu and Kashmir

    Jammu and Kashmir is the crown of India. It is the northern most state of India sharing its borders with Pakistan , China and Afganistan. Nature‟s best gift to the world is „Beauty of Jammu and Kashmir‟. Peoples have expressed in number of ways to describe the beauty of J&K. Amir khusrow in seventeenth century while sitting in a houseboat ...

  24. HC Directs Srinagar Dy Commissioner To Take Over Management ...

    The Jammu and Kashmir High Court has directed the Deputy Commissioner of Srinagar to take over the management of over 159 kanals of land belonging to the Raghu Nath Ji Temple in Barzulla Srinagar.

  25. A new Kashmir rail bridge that could be a game-changer for India

    A direct train between Jammu and Kashmir's Srinagar would not only be cheaper, but also halve travel time, which could give tourism a further shot in the arm. There will be several challenges too.