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एपीजे अब्दुल कलाम पर भाषण – APJ Abdul Kalam Speech in Hindi & English for Students & Education

एपीजे अब्दुल कलाम पर भाषण

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था | कलाम एक मुसलमान परिवार में जन्मे थे | उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक और माता आशिअम्मा एक गृहणी थीं | अपने परिवार की आर्थिक स्थति ठीक न होने के कारण उन्हें बचपन से ही काम करना पड़ा था | वह अखबार बांटकर अपने पिता की आर्थिक मदद करते थे | वह पढ़ाई में सामान्य थे और नयी चीज़ सीखने को हमेशा तैयार रहते थे | वह भारत के 11वे राष्ट्रपति व एक प्रख्यात वैज्ञानिक भी थे | कलम जी लोग मिसाइल मैन के नाम से भी जानते हैं | आप ये जानकारी हिंदी, इंग्लिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के भाषण प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये भाषण कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

APJ Abdul Kalam speech in hindi

अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है अब्दुल कलाम पर स्पीच लिखें | आइये अब हम आपको apj abdul kalam speech on education, APJ Abdul Kalam Quotes in Hindi, apj abdul kalam speech in english, Dr. A.P.J Abdul Kalam Essay in Hindi , apj abdul kalam’s speech, अब्दुल कलाम की कविता,  1 minute speech on apj abdul kalam in 500 words, in written, डॉ अब्दुल कलाम मराठी माहिती, about dreams, 3 visions for india, Quiz on APJ Abdul Kalam,  आदि की जानकारी 100 words, 150 words, 200 words, 400 words, किसी भी भाषा जैसे Hindi, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

अगर आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं तो पहले उस सूर्य की तरह जलना सीखिए. फ्रेंड्स इस दुनिया में हर कोई सपने देखता है चाहे वो छोटे से छोटा इंसान हो यां बड़े से बड़ा इंसान. क्यूंकि भगवान् ने इंसान को बनाया ही ऐसा है की हमेशा कुछ न कुछ सपना देखता रहे. कुछ लोगों के सपनों का कोई मतलब होता है जबकि कुछ लोग बेमतलब के सपने देखते हैं. लेकिन ये सपने ही हैं जो हर इंसान की किस्मत को अलग बना देते हैं, सपने इंसान का जीवन बदल देते हैं, किसी गरीब को बहुत ही कामयाब और अमीर बना देते हैं तो किसी बेहद अमीर को सड़क पर लाकर खड़ा कर देते हैं. सफ़लता और असफ़लता ये दोनों शब्द हमारे देखे गये सपनों से ही निकलते हैं, रामानुजम, अल्बर्ट आइंस्टीन, स्टीफेन हाकिंग, ऐसी हजारों एक्साम्पल्स हैं इस दुनिया में की कैसे कुछ अपाहिज या मंद्बुधि कहे जाने वाले बच्चे इस दुनिया के महानतम अविष्कारक बन गये. इन लोगों को इस पूरी दुनिया से अलग करने वाले इनके सपने ही थे. हजारों मुश्किलों को सहते हुए इन्होने इस दुनिया में खुद को स्थापित किया. इसलिए फ्रेंड्स अगर आपका कोई सपना है – अगर आप भी इस आकाश में सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं तो फिर उस सूर्य की तरह से जलाना भी सीखो. बिना मेहनत और लगन के कुछ हासिल नहीं होता. एक्साम्स हो यां जिंदगी अगर – टॉप करना चाहते हो तो आलस छोड़ना होगा- सुबह जल्दी उठना होगा – रात को देर से सोना होगा- खुद को तयार करना होगा की मुझे टॉप करना है, इस पर फोकस्ड रहना होगा. हर वो चीज – मोबाइल, इन्टरनेट, टीवी, टाइम पास दोस्त, आपकी गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड, सबको जो भी आपका ध्यान भटकाता हैं आपको डिस्ट्रैक्ट करता है उन सबको – छोड़ना होगा. तब कहीं जाकर आप चमकोगे- उस सूर्य की तरह…..

एपीजे अब्दुल कलाम भाषण

आज 5 सितंबर है और हर साल की तरह हम शिक्षक दिवस मनाने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं। इस अवसर पर इस कार्यक्रम की मेजबानी करते हुए मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। आज शिक्षक दिवस के दिन, मैं उन महान व्यक्तित्वों में से एक के बारे में बात करना चाहता हूं। जो है डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, जिनकी मैं सदैव प्रशंसा करता हूं औऱ मुझे यकीन है कि उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए हर कोई इस महान मिसाइल मैन की प्रशंसा करता है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मेरे लिए एक महान प्रेरणा स्त्रोत रहे है और उनकी पूरी जीवन यात्रा ने मेरे जीवन को सकारात्मक रुप से परिवर्तित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हम सभी जानते हैं कि डॉ. कलाम एक भारतीय वैज्ञानिक और एक उदार राजनेता थे। जिन्होंने 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति के रूप में भारत की सेवा की। डॉ. कलाम 15 अक्टूबर, 1931 को एक मुस्लिम परिवार में पैदा हुए थे। उनका पूरा नाम अवल पाकिर जैनुलबदीन अब्दुल कलाम है। डॉ कलाम एक तेज छात्र और आज्ञाकारी बालक थे, जिन्होंने आजीविका अर्जित करने में अपने परिवार की मदद की। उनका जन्म भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित धनुष्कोदी में हुआ था। एक बच्चे के रूप में डॉ. कलाम ने जब आकाश में पक्षियों को उड़ते देखा तब उनके मन में हवाई यात्रा के प्रति आकर्षण पैदा हुआ। डॉ. कलाम के विमान उड़ाने का शौक और भी दृढ हो गया, जब उन्होंने समाचार पत्र में ब्रिटिश लड़ाकू विमान के बारे में एक लेख देखा। उनके पिता का पेशा नाव बनाने और उसे किराए पर देने का था। कलाम एक बहुत ही उज्ज्वल और मेहनती छात्र थे। अपने पिता का आर्थिक रुप से समर्थन करने के लिए वे अपने इलाके में समाचार पत्र वितरित किया करते थे, लेकिन वे हमेशा अध्ययन के प्रति रुचि रखते थे; वे बहुत ही होनहार छात्र थे, उन्हें विज्ञान और गणित में अधिक रुचि थी। स्कूल खत्म होने के बाद डॉ. कलाम सेंट जोसेफ कॉलेज गए और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री अर्जित करने के लिए उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिल लिया। वे हमेशा से एक होनहार छात्र थे और उन्होंने अपने स्कूल तथा कॉलेज में जितना संभव हो सके उतना ज्ञान हासिल किया। डॉ. कलाम स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत के रक्षा विभाग में भर्ती हो गए। भारत की परमाणु क्षमता के विकास में वे प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे। उन्होंने अपने योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान अर्जित किया। 1998 में विभिन्न सफल परीक्षणों के लिए राष्ट्रीय नायक कलाम को ‘मिसाइल मैन’ का खिताब दिया गया था। डॉ. कलाम मई 1998 में शुरू किए गए पोखरण-द्वितीय परीक्षणों में एक प्रमुख व्यक्ति थे। पोखरण-2 परीक्षण के समय राजस्थान के रेगिस्तान में कुल 5 परमाणु उपकरणों का विस्फोट हुआ था। हालांकि 2002 में राजनीति ने कभी भी डॉ. कलाम को लुभाया नहीं, फिर भी भारत की सत्ताधारी पार्टी नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए खुद को नामित करने का अनुरोध किया। एनडीए के समर्थन से, डॉ कलाम ने चुनाव जीता और भारत के 11वें राष्ट्रपति बन गये। एक राष्ट्रपति के रूप में, डॉ कलाम एक बहुत ही सरल जीवन जीते थे और युवा छात्रों को सफल जीवन जीने और देश की सेवा करने के लिए सदैव प्रेरित करते थे। लोगों के राष्ट्रपति के रूप में सम्मानित, डॉ कलाम ने अपने पांच साल के राष्ट्रपति पद के दौरान युवा छात्रों और देश भर के लोगों के साथ 500,000 से अधिक बैठकें आयोजित की। डॉ. कलाम की इस लोकप्रियता ने उन्हें वर्ष 2003 और 2006 के लिए एमटीवी द्वारा आयोजित ‘युवा चिह्न’ का पुरस्कार प्रदान किया। डॉ. कलाम ने भारत को 1 सत्र तक राष्ट्रपति के रूप में सेवा दी और 27 जुलाई, 2015 को हार्ट अटैक के कारण उनकी मृत्यु हो गई। वे कई विश्वविद्यालयों में एक अतिथि प्राध्यापक तथा प्रेरक शिक्षक की भूमिका निभाते थे। डॉ. कलाम सभी के लिए एक आदर्श रहे और प्रत्येक व्यक्ति उनकी इन उपलब्धि, योगदान और सादगी के लिए उनका सम्मान करते है। मैं हर छात्र को डॉ कलाम के मार्ग का पालन पर चलने और पूरे सम्मान से जीवन जीने के लिए, अपील करता हूं। धन्यवाद

APJ Abdul Kalam speech in bengali

আজ 15 অক্টোবর, যা বিশ্বের বিখ্যাত ‘মিসাইল ম্যান অব ইন্ডিয়া’ এর জন্ম তারিখ ড। এপিজে আব্দুল কালাম। তিনি ডিআরডিওর সবচেয়ে বিখ্যাত ব্যক্তিদের মধ্যে একজন ছিলেন এবং এজন্যই আমরা ডিআরডিওতে তার উত্সব উদযাপন করে উদযাপন করি। ড। কালামের পুরো জীবন যাত্রা প্রত্যেকের জন্য এবং বিশেষ করে ডিআরডিওতে কাজরত মানুষের জন্য একটি অসাধারণ অনুপ্রেরণা হয়েছে। আবদুল কালাম একজন বিখ্যাত বিজ্ঞানী এবং একজন সুপরিচিত প্রকৌশলী ছিলেন। ২00২ থেকে ২007 সাল পর্যন্ত তিনি ভারতের রাষ্ট্রপতি হিসাবেও দায়িত্ব পালন করেন। ২00২ সালে রাষ্ট্রপতি নির্বাচিত হওয়ার পরে তিনি ইতিমধ্যেই একজন সফল এবং সর্বাধিক প্রিয় ব্যক্তি ছিলেন। ড। কালাম চার দশক ধরে ডিআরডিও (ডিফেন্স রিসার্চ অ্যান্ড ডেভেলপমেন্ট অর্গানাইজেশন) এবং ইস্রো (ইন্ডিয়ান স্পেস রিসার্চ অর্গানাইজেশন) এর মতো বিভিন্ন মর্যাদাপূর্ণ প্রতিষ্ঠানগুলিতে বিজ্ঞানী প্রশাসক ও বিজ্ঞানী হিসাবে অতিবাহিত করেছিলেন। কলম তামিলনাডুতে খুব নিচু দক্ষিণ ভারতীয় পরিবারে জন্মগ্রহণ করেন। তাঁর পিতা সমুদ্র উপকূলে কাজরত জেলেদের নৌকা বানিয়ে ভাড়া করেছিলেন। শিশু হিসাবে ডঃ কালাম অত্যন্ত আশাবাদী ছাত্র ছিলেন; তিনি ফ্লাইট দিকে একটি বিরাট আকর্ষণ ছিল এবং পরে তিনি Aeronautics অধ্যয়ন গিয়েছিলাম। তিনি মাদ্রাজ ইনস্টিটিউট অফ টেকনোলজি থেকে মহাকাশ প্রকৌশল বিভাগে ডিগ্রি সম্পন্ন করেন। যদিও তিনি একটি যোদ্ধা পাইলটে পরিণত হতে চান তবে তিনি আইএএফ (ভারতীয় বিমান বাহিনী) এর জন্য যোগ্যতা অর্জন করেননি। এরপর তিনি একজন বিজ্ঞানী হিসেবে ডিআরডিওতে যোগদান করেন এবং পরে তিনি এইরোতে স্থানান্তরিত হন। গবেষণা ও উন্নয়নের ক্ষেত্রে তাঁর উল্লেখযোগ্য অবদানের কারণে তিনি অবশেষে তৎকালীন প্রধানমন্ত্রী অ্যাটল বেহরী বাজপেয়ীর প্রধান বৈজ্ঞানিক উপদেষ্টা হয়ে ওঠে। জাতীয় উপদেষ্টা হিসেবেও তিনি বিশ্বের বিখ্যাত পরমাণু পরীক্ষায় বিশিষ্ট ভূমিকা পালন করেছেন: পোখরান ২। জনপ্রিয়ভাবে গণপ্রজাতন্ত্রী হিসাবে পরিচিত, ড। কালাম এক সময়ের জন্য রাষ্ট্রপতি পদ ছেড়ে চলে যান। পরে তিনি আন্না বিশ্ববিদ্যালয়ের অধ্যাপক হন এবং এয়ারস্পেস ইঞ্জিনিয়ারিং শেখেন। তিনি একজন ভিজিটর প্রফেসর ছিলেন এবং বেশ কয়েকজন তরুণ-ছাত্রী ও অন্যান্য প্রতিষ্ঠানের মানুষকে অনুপ্রাণিত করেছিলেন। কালামের পুরো জীবন যাত্রা আমাদের প্রত্যেকের জন্য একটি মহান অনুপ্রেরণা ছিল। তিনি একজন উদার জাতীয়তাবাদী ছিলেন এবং বিশ্বটি তাকে “ভারতের ক্ষেপণাস্ত্রের লোক” ডাকনাম দ্বারা জানে। যদিও একজন অনুশীলনশীল মুসলিম, ড। কালাম নিজেও ভারতের বিস্তৃত সংস্কৃতিতে জড়িত ছিলেন। তাঁর অতিরিক্ত সময়ে, তিনি ভারতীয় শাস্ত্রীয় সংগীত এবং হিন্দুধর্মের সবচেয়ে পবিত্র গ্রন্থগুলির মধ্যে একটি পড়েন: ভগবত গীতা। ড। কালাম 40 টিরও বেশি বিশ্ববিদ্যালয় থেকে সম্মানিত ডক্টরেটসহ বিভিন্ন সম্মান অর্জন করেন। তিনি 1 9 81 সালে পদ্মা ভূষণ পুরস্কার, 1 990 সালে পদ্মভূষণ এবং ভারতের প্রতিরক্ষা প্রযুক্তি আধুনিকায়নের ক্ষেত্রে তাঁর অসাধারণ অবদানের জন্য 1997 সালে ভারতকে ‘ভারত রত্ন’ সর্বাধিক বেসামরিক পুরস্কার পান। একজন মহান বিজ্ঞানী এবং মহান ব্যক্তিত্ব হওয়ার পাশাপাশি, তিনিও একজন উজ্জ্বল লেখক ছিলেন। 1999 সালে তিনি তাঁর আত্মজীবনী উইংস অফ ফায়ার সহ বেশ কয়েকটি বই লিখেছিলেন যা ভারতের যুবকদের জন্য একটি বিশাল প্রেরণা। কালাম সবসময়ই একটি সাধারণ জীবনযাপন করতেন এবং তিনি একজন সুশীল ব্যক্তিত্ব ছিলেন। তিনি ভারতের জন্য স্বীকৃত কিছু করার প্রতি সর্বদা উত্সাহী ছিল। তিনি 2011 সালে “আমি কি আন্দোলন দিতে পারি” তৈরি করেছিলেন; এটি একটি সহানুভূতিশীল সমাজের বিকাশের উদ্দেশ্যে তৈরি করা হয়েছিল। বৃহস্পতিবার হৃদরোগে আক্রান্ত হওয়ার কারণে ২7 জুলাই, ২015 তারিখে ড। কালাম মারা যান। শেষ যাত্রার সময় তিনি আইআইএম (ইন্ডিয়ান ইনস্টিটিউট অফ ম্যানেজমেন্ট), শিওলং এ বক্তৃতা দেন। এই কিংবদন্তি ব্যক্তিত্ব সম্পর্কে আমার এই সবই বলার আছে, যিনি ভারতের সামরিক বাহিনীকে শক্তিশালী করতে এবং তার উন্নত বুদ্ধিজীবী ও নৈতিক চিন্তার মাধ্যমে বিশ্বকে আলোকিত করার জন্য একজন ভারতীয় রাষ্ট্রপতি হিসেবে তার সময়কালে কঠোর পরিশ্রম করেছিলেন। ধন্যবাদ

एपीजे अब्दुल कलाम पर स्पीच

प्रिय छात्रो – आप सभी को सुप्रभात! आज की कक्षा बाकी कक्षाओं से थोड़ी अलग होने जा रही है, क्योंकि आज मैं आपके पाठ्यपुस्तक से जुड़े किसी भी विषय पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूं, बल्कि मैं आपको एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में बातने जा रहा हूँ जिसकी प्रशंसा हर कोई करता है वो है हमारे आदरणीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जिन्हें लोग अपनी प्रेरणा मानते है और उन्हें मिसाइल मैन ऑफ इंडिया का शीर्षक भी प्रदान किया गया, वे हमारे भारत के 11वें राष्ट्रपति भी रहे, परन्तु हमे खेद है कि आज ये प्रतिष्ठित व्यक्ति हमारे बीच नहीं रहे। वे एक महान वैज्ञानिक, गहन विचारक और प्रेरक वक्ता भी थे। हम सभी के लिए वास्तव में एक प्रेरणादायक व्यक्ति डॉ. कलाम जिन्होंने भारत के एक दूर-दराज के रामेश्वरम नामक दक्षिणी भारतीय गांव में एक बहुत ही सामान्य पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्म लिया था। यह वह स्थान था, जहां उन्हें एक चलती ट्रेन से फेंके जाने वाले समाचार पत्रो के बंडलों को इकट्ठा करने का पहला काम मिला। उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को हर किसी, खासतौर से बच्चों के साथ साझा किया और बताया है कि, कैसे वे अपनी पहली कमाई और काम करने के उन दिनों को याद करके कीतना गर्व महसूस करते है। लेकिन ये महान व्यक्ति जिसने लाखों लोगों को प्रेरित किया, उन्होंने भी कई प्रतिष्ठित लोगों से प्रेरणा ली जिनसे उन्हें भारत के मिसाइल मैन की उपाधि प्राप्त करने में मदद मिली। आइए उन व्यक्तित्वों में से एक के बारे में जानें जिन्होंने डॉ. कलाम के व्यक्तित्व को आकार देने में मदद की। सबसे पहले, इयादुराई सुलैमान जो कलाम के अध्यापक थे और जिससे कलाम को बहुत लगाव था। इयादुराई सुलैमान के सोच प्रक्रिया से कलाम बहुत प्रभावित हुए औऱ उन्होंने उन्हें एक मंत्र दिया, वह यह था कि “जीवन में सफल होने और परिणामों को प्राप्त करने के लिए, आपको तीन शक्तिशाली शक्तियों, इच्छा, विश्वास और अपेक्षाओं को समझना चाहिए।” इयादुराई सुलैमान वास्तव में एक महान शिक्षक थे, क्योंकि उन्होंने अपने छात्रों के व्यक्तित्व को आकार देने और उनके अन्दर आत्मनिर्भरता की भावना ढूंढने में उनकी सदैव मदद किया करते थे। उन्होंने अब्दुल कलाम को बताया कि “विश्वास के साथ, आप अपना भाग्य भी बदल सकते हैं।” यहीं से कलाम की वास्तविक यात्रा शुरू हुई औऱ उन्होंने लोगो को प्रेरणा दी और उनकी भलाई के लिए अनेक काम किए। उन्हें इस बात पर दृढ़ विश्वास था कि, भले ही उनके माता-पिता अशिक्षित है फिर भी वह संसार में अपने कार्यो से एक अमिट छाप छोड़ सकते है। बचपन के दिनों में डॉ अब्दुल कलाम आकाश में पक्षियों को उड़ते देख उनसे बहुत ही प्रभावित रहते थे। इसके अलावा दिलचस्प बात यह भी थी कि वे रामेश्वरम से विमान यात्रा करने वाले पहले व्यक्ति बने। कई सालों बाद जब अब्दुल कलाम मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम में गये तो उन्होंने अपने सबसे पसंदीदा शिक्षक रेव इयादुराई सुलैमान को मंच पर देखा। जब उन्होंने अपना भाषण समाप्त किया तो, डॉ अब्दुल कलाम उनके आगे सिर झुकाया और कहा, “सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पुरे हो जाते हैं”। उसके शिक्षक ने बदले में उनसे दबे हुए स्वर में कहा, “आपने न केवल अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया है, कलाम, बल्कि आपने उन्हें ग्रहण किया है”। डॉ कलाम ने हर काम में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और अपने कार्यो से न केवल अपने शिक्षक बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस कराया। इसलिए छात्रों आप सभी उनके द्वारा बताये गये नक्शेकदम का पालन करे और ईमानदारी से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करे। धन्यवाद

APJ Abdul Kalam speech in english for students

Respected Principal, Teachers and Dear Students! Today is 5th September and like every year we have assembled here to celebrate the Teachers Day. I am extremely honored to have been given the opportunity to host this program. On the day of teacher’s day, I would like to talk about one of the greatest personalities who I admire a lot, Dr.APJ Abdul Kalam. I am sure everyone admires the great missile man for his notable contributions to our nation. Dr. APJ Kalam has been a great motivation for me and his entire life journey has played a very significant role in transforming my life in a positive way. We all know that Dr. Kalam was an Indian scientist and a benevolent politician who served India as the President from the year 2002 to 2007. His full name was Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam. Born on October 15, 1931, into a Muslim family, Dr. Kalam was a sharp student and an obedient child who helped his family in earning the livelihood. He was born in Dhanushkodi located on the southeastern coast of India. As a child, Dr. Kalam developed a great fascination with air travel by watching birds. This hobby of Kalam later developed into a mission to join aeronautics; the mission got stronger after he saw an article in the newspaper about a British fighter plane. His father’s profession was to build and rent boats. Kalam was a very bright and hardworking student. He distributed newspapers in his locality to support his father. But he always had great interest towards studies; he was a very promising student and showed enormous likings towards science and mathematics. Dr. Kalam went to St. Joseph’s College after passing from school and attended Madras Institute of Technology to earn his degree in aeronautical engineering. He was always a promising student and grasped as much knowledge as possible in his school and college. Dr. Kalam joined the defense department of India after completing his graduation. He was one of the prominent figures in developing India’s nuclear capabilities. He earned several accolades and respect for his contributions. Considered as the national hero for various successful tests in 1998, Kalam was given the title of ‘Missile Man’. Dr. Kalam was also a key figure in the Pokhran-II tests launched in May 1998. A total of 5 nuclear devices were exploded in the deserts of Rajasthan in the Pokhran-II test. Though Politics never enticed Dr. Kalam, in the year 2002, the then ruling party of India National Democratic Alliance requested him to nominate himself for the President’s post. With the support of NDA, Dr. Kalam won the election and became the 11th President of India. As a President too, Dr. Kalam lived a very simple life and motivated young students to live a successful life and serve the nation. Regarded as the President of the people, Dr. Kalam conducted over 500,000 one-to-one meetings with young students and people across the nation during his five-year Presidential term. This immense popularity of Dr. Kalam earned him the award of ‘Youth Icon’ for the year 2003 and 2006 hosted by MTV. Dr. Kalam served India as the president for 1 term and died due to cardiac arrest on July 27, 2015. He was a visiting professor and motivational guru at several universities. Dr. Kalam has been a legend and every person respects this great personality for his achievements, contributions and his simplicity. I appeal to every student to follow the path of Dr. Kalam and live an honorable life throughout. Thank You

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माय विज़न फॉर इंडिया – अब्दुल कलाम | APJ Abdul Kalam Speech

माय विज़न फॉर इंडिया – अब्दुल कलाम / APJ Abdul Kalam Speech – डॉ. कलम ने हैदराबाद के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (IIT) में 25 मई 2011 को अपना सबसे बेहतरीन भाषण दिया था, जहाँ उन्होंने भारत के बारे में अपने विज़न को बताया था। आइये Dr. Abdul Kalam का पुरे भाषण को पढ़ते है।

IIT टेक-फेस्ट उद्घाटन भाषण – APJ Abdul Kalam Speech हैदराबाद

APJ Abdul Kalam Speech - My Vision For India

माय विज़न फॉर इंडिया – अब्दुल कलाम – APJ Abdul Kalam Speech – My Vision For India

मैं ने भारत के लिये तीन सपने देखे है। हमारे 3000 साल के इतिहास में, दुनिया के अलग-अलग कोनो से लोग भारत में आये और हमें लूटकर चले गए, हमारी जमीन हथिया ली, हमारे दिमाग को गुलाम बनाया। एलेग्जेंडर से लेकर ग्रीक, तुर्क, मुघल, पुर्तगाल, ब्रिटिश, फ्रेंच, डच सभी ने हमारे देश को लुटा। ये सभी हमारे देश में आये हमें लूटा और जो कुछ भी हमारा था वो सब ले गए। लेकिन आज तक हमने ऐसा दुसरे किसी देश के साथ नही किया। हमने किसी को भी अपना गुलाम नही बनाया।

हमने किसी भी देश की जमीन नही हथियाई, किसी देश की संस्कृति को ठेस नही पहुचाई और ना ही किसी देश के लोगो के जीने के तरीके को बदलने की कोशिश की। ऐसा हम क्यों करते है? क्योकि हम दूसरो की आज़ादी का सम्मान करते है।

इसीलिए मेरा पहला सपना आज़ादी ही है। मेरा मानना है की भारत ने आज़ादी का पहला सपना 1857 में ही देख लिया था, जब हमने आज़ादी की लढाई शुरू की थी। इसी आज़ादी को बादमे हमे सुरक्षित किया और उसका पालन पोषण कर आगे आज़ादी का निर्माण किया। यदि हम आज़ाद नही होते तो आज कोई हमारा आदर नही करता।

मेरा दूसरा सपना भारत के विकास का है। पचास साल से हमारा देश विकासशील देश है। लेकिन यह समय देश को विकसित देश बनाने का है। जीडीपी की दर से देखा जाये तो हम दुनिया के शीर्ष 5 देशो में से एक है। बहुत से क्षेत्रो में हमारा विकास दर 10% है। हमारा गरीबी स्तर भी दिन-ब-दिन कम होते जा रहा है। आज हमारी उपलब्धिया वैश्विक स्तर पर आंकी जा रही है। लेकिन फिर भी हम अपने देश को एक विकसित देश के रूप में नही देख पा रहे है, इसकी सबसे बड़ी वजह आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और स्व-निश्चितता में कमी होना है। क्या ये गलत नही है?

मेरा तीसरा सपना भी है। भारत दुनिया में सबसे उपर होना चाहिये। क्योकि मेरा ऐसा मानना है की भारत जबतक दुनिया में सबसे उपर खड़ा नही होता, तबतक कोई हमारा सम्मान नही करेंगा। क्योकि ताकत ही ताकत का सम्मान करती है। हमें केवल सैन्य शक्ति से ही नही बल्कि आर्थिक शक्ति से भी मजबूत होने की जरुरत है। हमें हाथ में हाथ मिलाकर आगे बढ़ना है। मेरी किस्मत अच्छी है की मैंने तीन महान दिमाग के साथ काम किया है।

स्पेस डिपार्टमेंट के डॉ. विक्रम साराभाई , प्रोफेसर सतीश धवन और नुक्लेअर मटेरियल के जनक डॉ. ब्रह्म प्रकाश। मै बहुत लकी हूँ की इन तीन महाज्ञानियों के साथ मुझे काम करने का मौका मिला। मैंने अपने करियर में चार मील के पत्थर देंखे :

20 साल इसरो (ISRO) में बिताये। मुझे भारत के पहले सॅटॅलाइट लांच व्हीकल, SLV3 का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनने का मौका मिला था। उसी का जिसने पहले रोहिणी को लांच किया था। मेरी विज्ञान की जिंदगी में इसने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसरो के बाद मै DRDO में शामिल हो गया और वहाँ मुझे भारत के मिसाइल प्रोग्राम का हिस्सा बनने का मौका मिला।

1994 में जब जब अग्नि की सभी जरूरतों को पूरा करने के बाद उसका संबंध मौसम विभाग से हुआ तो वह मेरा दूसरा सबसे आनंदित पल था।

11 और 13 मई को डिपार्टमेंट ऑफ़ एटॉमिक एनर्जी और DRDO ने नुक्लेअर टेस्ट में अहम भागीदारी निभाई थी। यह मेरे लिये तीसरा सबसे आनंदित पल था। नुक्लेअर टेस्ट की टीम में हिस्सा लेने की ख़ुशी और दुनिया को ये बताने की ख़ुशी की इसे भारत ने बनाया है, इसका असर हमारे देश के विकास पर जरुर पड़ेगा यह मै जानता था। इस समय मुझे अपने भारतीय होने पर काफी गर्व महसूस हो रहा था।

हम जानते थे की हमें अग्नि को विकसित करने की जरुरत है और इसके लिये हमने उसे पुनर्स्थापित किया, और नये मटेरियल का उपयोग कर अग्नि को विकसित किया। जिसमे बहुत ही हल्के मटेरियल कार्बन का उपयोग किया गया था।

एक दिन निज़ाम इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस के ओर्थपेडीक सर्जन मेरी प्रयोगशाला को देखने आये। उन्होंने मटेरियल को उठाया और पाया की वह काफी हल्का है और वे मुझे अपने अस्पताल ले गए और मुझे अपने मरीज दिखाने लगे। जहाँ एक छोटी लड़की और लड़का तीन किलो के मेटलिक कैलिपर को अपने पैरो पर बांधकर पैरो को घसीट रहे थे।

उन्होंने मुझसे कहाँ : कृपया मेरे मरीजो के दर्द को कम कीजिये। तीन हफ्तों में ही हमने ओर्थोसिस 300 ग्राम का कैलिपर तैयार किया और उसे ओर्थपेडीक सेंटर ले गए। वहाँ बच्चो को अपनी आँखों पर भरोसा नही हो रहा था। अब वे आसानी से कही भी आ-जा सकते थे। उनके माता-पिता के आँखों में भी अपने बच्चो को देखकर आंसू झलक रहे थे। यह मेरा चौथा सबसे आनंदित पल था।

यहाँ का मीडिया इतना नकारात्मक क्यों है? क्यों हम भारत में अपनी ही ताकत और उपलब्धियों को बताने से शर्माते है? हमारा देश एक महान देश है। हमारी देश के सफलता की बहुत कहानियाँ है लेकिन हम कभी उन्हें जानने की कोशिश नही करते। क्यों?

  • दूध के उत्पादन में हमारा देश पहला है।
  • रिमोट सेंसिंग सॅटॅलाइट में हम नंबर 1 पर है।
  • गेहूँ के उत्पादन में हमारा देश दूसरा सबसे बड़ा देश है।
  • चावल का उत्पादन करने वाला हमारा देश दूसरा सबसे बड़ा देश है।

डॉ. सुदर्शन को ही देखिये, उन्होंने एक जनजातीय गाँव को आत्मनिर्वाह, स्वचलित गाँव में परिवर्तित कर दिया।

ऐसी बहुत सी उपलब्धियाँ हमारे देश ने हासिल की है लेकिन मीडिया हमारे हमारे देश की बुरी बातो, आपदाओ, असफलताओ और गंदगी को ही प्रकाशित करता है।

एक बार जब मै टेल अवीव में था तब मै इसरायली अखबार पढ़ रहा था। इसके एक दिन पहले ही वहाँ कई अटैक और बमबारी हुई थी जिसमे कई लोगो की जान भी चली गयी थी। लेकिन फिर भी अखबार के पहले पेज पर एक यहूदी इंसान की तस्वीर छपी हुई थी जिसने रेगास्तानी जमीन को पाँच साल में हरी-भरी जमीन में बदल दिया था।

यह एक प्रेरणादायी तस्वीर थी जो कई लोगो को जगा सकती थी। जबकि अटैक, बमबारी, मरे हुए लोगो की जानकारी अखबार के अंदर के पन्नो पर थी। भारत में हम सिर्फ मौत. दर्द, आतंकवाद, क्राइम के बारे में पढ़ते है। हम इतने ज्यादा नकारात्मक क्यों है?

एक और प्रश्न : हम एक राष्ट्र के तौर पर अपने देश को विदेशी चीजो से क्यों ग्रसित करते है? हम विदेशी टीवी चाहते है, हम विदेशी शर्ट चाहते है, हम विदेशी टेक्नोलॉजी चाहते है। क्या ऐसा करना जरुरी है? क्या हम इस बात को नही जानते की आत्मसम्मान आत्मनिर्भरता से ही आता है? मै हैदराबाद में जब अपना लेक्चर दे रहा था तब एक 14 साल की लड़की ने मुझे ऑटोग्राफ के लिये पूछा । तब मैंने उससे पूछा की जिंदगी में उसका क्या लक्ष्य है। उसने जवाब दिया : मै विकसित भारत में रहना चाहती हूँ। उसके लिये, तुम्हे और मुझे मिलकर एक विकसित भारत का निर्माण करना है। आपको इस बात का ऐलान करना चाहिये की भारत एक विकासशील देश नही बल्कि पूरी तरह से विकसित देश है।

क्या आपके पास 10 मिनट है? मुझे प्रतोशोध के साथ आने की आज्ञा दीजिये। आपको अपने देश के लिये 10 मिनट मिले है? यदि हाँ, तो इसे पढिये, वर्ना आपकी इच्छा।

  • तुम कहते हो की हमारी सरकार अयोग्य है।
  • तुम कहते हो की हमारा कानून बहुत पुराना है।
  • तुम कहते हो की महानगरपालिका कूड़े-कचरे को नही उठाती।
  • तुम कहते हो की फ़ोन काम नही करता, रेल्वे एक जोक है, हमारी एयरलाइन दुनिया में सबसे ख़राब है, गाड़िया कभी अपने निर्धारित स्थान तक नही पहुचती।
  • तुम कहते हो की हमारा देश कुत्तो से भरा हुआ है और देश में गड्डे ही गड्डे है।
  • तुम कहते हो, कहते हो और कहते रहते हो।
  • तुमने इसके लिये क्या किया? इस रास्ते में सिंगापुर के एक इंसान को लीजिये।

सिंगापुर में आप सिगारेट को रास्तो पर नही फेंक सकते और ना ही दुकान के अंदर सिगारेट का सेवन सकते है। तुम उसी तरह उनके जमीन के अंदर के रास्तो का गर्व करोंगे जैसे वे लोग है। बगीचे वाले रास्ते पर से गाड़ी चलाने के लिये तुम्हे वहाँ 5$ देने की जरुरत होंगी, वो भी तुम 5 PM से 8 PM तक ही चला सकते हो। यदि तुम गाड़ी पार्क करना चाहो तो तुम्हे वहाँ टिकट लेनी पड़ेंगी। यदि तुम्हे किसी रेस्टोरेंट में रहना है तो वहाँ सबसे पहले तुम्हे अपनी पहचान बतानी होंगी।

सिंगापुर में तुम कही भी कुछ भी नही बोल सकते। दुबई में रामदान के समय में आप सामाजिक स्थानों पर कुछ खाने की हिम्मत भी नही कर सकते। अपने सिर को जेद्दाह से ढंके बिना आप कही बाहर भी नही निकाल सकते।

वाशिंगटन में तुम 55 mph से ज्यादा की स्पीड में गाड़ी नही चला सकते और ना ही ट्रैफिक पुलिस को ये कह सकते, “जानता है मै कौन हूँ?” तुम ये भी नही कह सकते की मै उसका या इसका बेटा हूँ। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड में खाली नारियल को आप कही भी नही डाल सकते आपको उसे कचरे के डिब्बे में ही डालना होता है। टोक्यो में आप पान को कही भी नही थूंक सकते। बोस्टन में आप जाली दस्तावेज और सर्टिफिकेट बनाने की कोशिश क्यों नही करते? हम अभी भी तुम से ही बात कर रहे है।

तुम अपने देश में विदेशी सिस्टम का सम्मान कर सकते हो लेकिन अपने देश में अपने ही देश के सिस्टम का सम्मान नही कर सकते। भारतीय जमीन पर कदम रखते ही तुम रास्तो पर पेपर और सिगारेट फेंकना शुरू कर देते हो। यदि विदेशो में आप विदेशो की तरह रहतो हो और उनके नियमो का पालन करते हो तो अपने ही देश में हमारे नियमो का पालन क्यों नही करते?

एक बार इंटरव्यू में बॉम्बे के प्रसिद्ध म्युनिसिपल कमिश्नर मी. तिनैकर ने कहा था की, “अमीर लोगो के कुत्ते सडको पर घूमते है और सभी जगहों पर गन्दगी कर चले जाते है।” इसके बाद उनपर बहुत से लोगो ने अपनी प्रतिक्रियाये भी व्यक्त की थी और बहुत से लोगो ने उनकी आलोचना भी की थी। अमेरिका में कुते का मलिक खुद अपने कुत्ते के गंदगी करने के बाद उसे खुद साफ़ करता है। ऐसा ही जापान में भी होता है। लेकिन क्या भारतीय नागरिक ऐसा करते है? बल्कि हम गंदगी फ़ैलाने के लिये सरकारी पोल का चुनाव करते है और फिर गंदगी के लिये उसी सरकार को दोषी ठहराते है।

  • क्या यह हमारी जिम्मेदारी नही है?
  • क्या हर काम सरकार का ही होता है?
  • क्या सरकार को ही हमारे घर?
  • आस-पास और रास्तो का कूड़ा-कचरा साफ़ करना चाहिये? क्या इसीलिए हमने उनका चुनाव किया है?

हम सरकार से आशा रखते है की वह रास्तो को साफ़ रखे लेकिन उनके द्वारा बनाये कूड़ादान में हम कभी कचरा डालना पसंद नही करते। हम चाहते है की रेल्वे में हमें साफ़ बाथरूम मिले लेकिन हम रेल्वे के बाथरूम का सही उपयोग करना नही जानते।

हम चाहते है की भारतीय एयरलाइन और एयर इंडिया अच्छा खाना दे लेकिन हम उनकी बदनामी करना और बद्तमीजी से बात करना नही छोड़ सकते। जब सामाजिक मुद्दों की बात की जाये विशेषतः महिलाओ से संबंधित जैसे दहेज़, कन्या भ्रूण हत्या या इत्यादि तो ऐसे मौको पर हम विशाल पोस्टर बनाते है और रास्तो पर घेराबंदी कर शोर-शराबा करते है। और सिस्टम को बदलने की मांगे करते है। लेकिन कैसा होंगा यदि हम अपने ही बेटे की शादी में दहेज़ लेने से इंकार कर दे?

कौन इस सिस्टम को बदलना चाहेंगा? सिस्टम में क्या-क्या शामिल है? देखा जाये तो सिस्टम में हमारे ही पडोसी, घर के सदस्य, शहर, दुसरे समुदाय और चुनी हुई सरकार शामिल है। लेकिन जैसा की हम व्यवहार करते है उसके अनुसार सिस्टम में सब शामिल है सिवाय तुमको और मुझको छोड़कर। जब सिस्टम को बदलने के लिये सकारात्मक योगदान देने की बात आती है तो हम अपनेआप को अपने परिवार के अंदर बंद कर देते है। और चाहते है की कोई इंसान आये और कोई चमत्कार कर सबकुछ बदल जाये। जब भारत अच्छा नही लगता तो हम न्यू यॉर्क चले जाते है। जब न्यू यॉर्क असुरक्षित लगता है तो हम इंग्लैंड चले जाते है।

जब इंग्लैंड में हमें बेरोजगारी दिखाई देती है तो हम गल्फ देशो में चले जाते है। और जब गल्फ में भी हमे युद्ध दिखाई देते है तो हम वापिस अपने परिवार के साथ भारत आ जाते है।

आज हर कोई देश के बाहर जाकर रहना चाहता है। लेकिन् कोई भी सिस्टम को खुद होकर सुधारना नही चाहता।

तो आइये हम वो करे जो डॉ. कलाम हमसे चाहते थे। और देश के तरक्की का सपना पूरा करे।

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8 thoughts on “माय विज़न फॉर इंडिया – अब्दुल कलाम | APJ Abdul Kalam Speech”

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Thank you so much Gyanipandit.Com editorial team for articles.

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Gajab ka speech sir Ji… I am very happy. me bi deshbhkti ke prti bhuth paaln krtha hu |||

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ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर 10 वाक्य (10 Lines on A.P.J. Abdul Kalam in Hindi)

भारत के महान वैज्ञानिक डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का वास्तविक नाम अबुल पाकिर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम था। भारत के रक्षा और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके सम्मान में इन्हें “भारत का मिसाइल मैन” कहा गया। वे सादा जीवन जीते हुए उच्च विचारों वाले व्यक्ति थे। गैर हिन्दू होते हुए भी श्रीमद् भागवत गीता इन्हें कंठस्थ याद था। वे छात्रों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तरफ प्रोत्साहित करते थे। कलाम सर ने ज्यादातर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रेरणादायक के क्षेत्र में कई किताबें लिखी थी।

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर 10 लाइन (Ten Lines on A.P.J. Abdul Kalam in Hindi)

आईये इन वाक्यों के सेट से हम भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी के जीवन और कार्यों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते है।

Abdul Kalam par 10 Vakya – Set 1

1) अबुल पाकिर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ।

2) इनका जन्म रामेश्वरम के धनुषकोडी ग्राम में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ।

3) बचपन से ही कलाम पढ़ने में बहुत होनहार थे और फाइटर पायलट बनना चाहते थे।

4) अपनी शिक्षा को जारी रखने के लिए कलाम अख़बार बेचने का भी कार्य करते थे।

5) अंतरिक्ष विज्ञान में स्नाकोत्तर इन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पूरा किया।

6) स्नातक के पश्चात् कलाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में शामिल हुए।

7) DRDO के बाद 1962 में ISRO से जुड़ें और कई उपग्रह प्रक्षेपण कार्यों में शामिल हुए।

8) इन्हें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की सहमति से भारत का 11वां राष्ट्रपति चुना गया।

9) इनके योगदानों के लिए इन्हें 1997 में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

10) 25 जुलाई 2015 को IIM शिलांग में एक व्याख्यान के दौरान हार्ट अटैक से इनकी मृत्यु हो गयी।

Abdul Kalam par 10 Vakya – Set 2

1) एक गरीब परिवार में जन्मे अब्दुल कलाम ने अपनी मेहनत और लगन से वैज्ञानिक और राष्ट्रपति के तौर पर देश का मान बढ़ाया।

2) कलाम संयुक्त परिवार से थे, जिसमें लगभग 25 सदस्य थे।

3) कलाम सर ने पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान III (PSLV III) के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया।

4) अंतरिक्ष विज्ञान की निपुणता ने उन्हें भारत के “मिसाइल मैन” नाम से लोकप्रिय बना दिया।

5) भारत की बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी और प्रक्षेपण यान प्रणालियों पर उन्होंने उत्कृष्ट कार्य किया था।

6) राजस्थान के पोखरण में हुए दुसरे सफल परमाणु परिक्षण में कलाम सर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

7) भारतीय रक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में इन्होंने भारतीय रक्षा के लिए अग्नि मिसाइल प्रणाली के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

8) उनके जन्मदिन 15 अक्टूबर को तमिलनाडु में ‘युवा पुनर्जागरण दिवस’ का रूप में मनाते हैं।

9) भारतीय वायुसेना में 8 रिक्तियों में 9वां स्थान आने के कारण ये फाइटर पायलट बनने से चूक गये थे।

10) कलाम सर को 40 से अधिक विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त थी।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के विचार और उनकी विचारधारा सदैव युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन का काम करेगी। देश की सुरक्षा और शक्ति से लेकर आधुनिक तकनीक के क्षेत्र में कलाम जी द्वारा किये गये योगदान हमेशा स्मरणीय रहेंगे। भारत की पकड़ अंतरिक्ष तक पहुंचाना हो या भारत को परमाणु शक्ति बना देने जैसे सभी कार्यों के लिए देश व देश के लोग हमेशा कलाम सर के आभारी रहेंगे।

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It's Hindi

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम.

जन्म : 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु

मृत्यु: 27 जुलाई, 20 15, शिलोंग, मेघालय

पद/कार्य : भारत के पूर्व राष्ट्रपति

उपलब्धियां: एक वैज्ञानिक और इंजिनियर के तौर पर उन्होंने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य किया

डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। वर्ष 2002 में  कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए और 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षण, लेखन, और सार्वजनिक सेवा में लौट आए। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

प्रारंभिक जीवन

अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुसलमान परिवार मैं हुआ। उनके पिता जैनुलअबिदीन एक नाविक थे और उनकी माता अशिअम्मा एक गृहणी थीं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थे इसलिए उन्हें छोटी उम्र से ही काम करना पड़ा। अपने पिता की आर्थिक मदद के लिए बालक कलाम स्कूल के बाद समाचार पत्र वितरण का कार्य करते थे। अपने स्कूल के दिनों में कलाम पढाई-लिखाई में सामान्य थे पर नयी चीज़ सीखने के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहते थे। उनके अन्दर सीखने की भूख थी और वो पढाई पर घंटो ध्यान देते थे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढाई रामनाथपुरम स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरी की और उसके बाद तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ्स कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने सन 1954 में भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद वर्ष 1955 में वो मद्रास चले गए जहाँ से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की।

मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी करने के बाद कलाम ने रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में वैज्ञानिक के तौर पर भर्ती हुए। कलाम ने अपने कैरियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलीकाप्टर का डिजाईन बना कर किया। डीआरडीओ में कलाम को उनके काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। कलाम पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा गठित ‘इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च’ के सदस्य भी थे। इस दौरान उन्हें प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ कार्य करने का अवसर मिला। वर्ष 1969 में उनका स्थानांतरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में हुआ। यहाँ वो भारत के सॅटॅलाइट लांच व्हीकल  परियोजना के निदेशक के तौर पर नियुक्त किये गए थे। इसी परियोजना की सफलता के परिणामस्वरूप भारत का प्रथम उपग्रह ‘रोहिणी’ पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। इसरो में शामिल होना कलाम के कैरियर का सबसे अहम मोड़ था और जब उन्होंने सॅटॅलाइट लांच व्हीकल परियोजना पर कार्य आरम्भ किया तब उन्हें लगा जैसे वो वही कार्य कर रहे हैं जिसमे उनका मन लगता है।

1963-64 के दौरान उन्होंने अमेरिका के अन्तरिक्ष संगठन नासा की भी यात्रा की। परमाणु वैज्ञानिक राजा रमन्ना, जिनके देख-रेख में भारत ने पहला परमाणु परिक्षण किया, ने कलाम को वर्ष 1974 में पोखरण में परमाणु परिक्षण देखने के लिए भी बुलाया था।

सत्तर और अस्सी के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से डॉ कलाम भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में उनका नाम गिना जाने लगा। उनकी ख्याति इतनी बढ़ गयी थी की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपने कैबिनेट के मंजूरी के बिना ही उन्हें कुछ गुप्त परियोजनाओं पर कार्य करने की अनुमति दी थी।

भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ का प्रारम्भ डॉ कलाम के देख-रेख में किया। वह इस परियोजना के मुख कार्यकारी थे। इस परियोजना ने देश को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी है।

जुलाई 1992 से लेकर दिसम्बर 1999 तक डॉ कलाम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव थे। भारत ने अपना दूसरा परमाणु परिक्षण इसी दौरान किया था। उन्होंने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आर. चिदंबरम के साथ डॉ कलाम इस परियोजना के समन्वयक थे। इस दौरान मिले मीडिया कवरेज ने उन्हें देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया।

वर्ष 1998 में डॉ कलाम ने ह्रदय चिकित्सक सोमा राजू के साथ मिलकर एक कम कीमत का ‘कोरोनरी स्टेंट’ का विकास किया। इसे ‘कलाम-राजू स्टेंट’ का नाम दिया गया।

भारत के राष्ट्रपति

एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि के मद्देनज़र एन. डी. ए. की गठबंधन सरकार ने उन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद का उमीदवार बनाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी लक्ष्मी सहगल को भारी अंतर से पराजित किया और 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया। डॉ कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न ने नवाजा जा चुका था। इससे पहले डॉ राधाकृष्णन और डॉ जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका था।

उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें ‘जनता का राष्ट्रपति’ कहा गया। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर उन्होंने दूसरे कार्यकाल की भी इच्छा जताई पर राजनैतिक पार्टियों में एक राय की कमी होने के कारण उन्होंने ये विचार त्याग दिया।

12वें राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के समाप्ति के समय एक बार फिर उनका नाम अगले संभावित राष्ट्रपति के रूप में चर्चा में था परन्तु आम सहमति नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी उमीद्वारी का विचार त्याग दिया।

राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद का समय

राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद डॉ कलाम शिक्षण, लेखन, मार्गदर्शन और शोध जैसे कार्यों में व्यस्त रहे और भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर, जैसे संस्थानों से विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे। इसके अलावा वह भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के फेलो, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, थिरुवनन्थपुरम, के चांसलर, अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई, में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी रहे।

उन्होंने आई. आई. आई. टी. हैदराबाद, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी और अन्ना यूनिवर्सिटी में सूचना प्रौद्योगिकी भी पढाया था।

कलाम हमेशा से देश के युवाओं और उनके भविष्य को बेहतर बनाने के बारे में बातें करते थे। इसी सम्बन्ध में उन्होंने देश के युवाओं के लिए “व्हाट कैन आई गिव’ पहल की शुरुआत भी की जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार का सफाया है। देश के युवाओं में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 2 बार (2003 & 2004) ‘एम.टी.वी. यूथ आइकॉन ऑफ़ द इयर अवार्ड’ के लिए मनोनित भी किया गया था।

वर्ष 2011 में प्रदर्शित हुई हिंदी फिल्म ‘आई ऍम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।

शिक्षण के अलावा डॉ कलाम ने कई पुस्तकें भी लिखी जिनमे प्रमुख हैं – ‘इंडिया 2020: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’, ‘विंग्स ऑफ़ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी’, ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’, ‘मिशन इंडिया’, ‘इंडोमिटेबल स्पिरिट’ आदि।

पुरस्कार और सम्मान

देश और समाज के लिए किये गए उनके कार्यों के लिए, डॉ कलाम को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया।

2014 डॉक्टर ऑफ साइंस एडिनबर्ग विश्वविद्यालय , ब्रिटेन
2012 डॉक्टर ऑफ़ लॉ ( मानद ) साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय
2011 आईईईई मानद सदस्यता आईईईई
2010 डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग वाटरलू विश्वविद्यालय
2009 मानद डॉक्टरेट ऑकलैंड विश्वविद्यालय
2009 हूवर मेडल ASME फाउंडेशन, संयुक्त राज्य अमेरिका
2009 अंतर्राष्ट्रीय करमन वॉन विंग्स पुरस्कार कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान , संयुक्त राज्य अमेरिका
2008 डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय , सिंगापुर
2007 चार्ल्स द्वितीय पदक रॉयल सोसाइटी , ब्रिटेन
2007 साइंस की मानद डाक्टरेट वॉल्वर हैम्प्टन विश्वविद्यालय , ब्रिटेन
2000 रामानुजन पुरस्कार अल्वर्स रिसर्च सैंटर, चेन्नई
1998 वीर सावरकर पुरस्कार भारत सरकार
1997 राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1997 भारत रत्न भारत सरकार
1994 विशिष्ट फेलो इंस्टिट्यूट ऑफ़ डायरेक्टर्स (भारत)
1990 पद्म विभूषण भारत सरकार
1981 पद्म भूषण भारत सरकार

मृत्यु: 27 जुलाई 2015 को भारतीय  प्रबंधन संस्थान, शिल्लोंग, में अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद करोड़ों लोगों के प्रिय और चहेते डॉ अब्दुल कलाम परलोक सिधार गए।

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My Vision For India by Dr. A.P.J. Abdul Kalam

Following text is the speech delivered by former President of India, Dr. A.P.J. Abdul Kalam

I have three visions for India. In 3000 years of our history people from all over the world have come and invaded us, captured our lands, conquered our minds. From Alexander onwards the Greeks, the Turks, the Moguls, the Portuguese, the British, the French, the Dutch, all of them came and looted us, took over what was ours. Yet we have not done this to any other nation.

We have not conquered anyone. We have not grabbed their land, their culture and their history and tried to enforce our way of life on them. Why? Because we respect the freedom of others. That is why my FIRST VISION is that of FREEDOM. I believe that India got its first vision of this in 1857, when we started the war of Independence. It is this freedom that we must protect and nurture and build on. If we are not free, no one will respect us.

We have 10 percent growth rate in most areas. Our poverty levels are falling. Our achievements are being globally recognised today. Yet we lack the self-confidence to see ourselves as a developed nation, self-reliant and self-assured. Isn’t this incorrect? MY SECOND VISION for India is DEVELOPMENT. For fifty years we have been a developing nation. It is time we see ourselves as a developed nation. We are among top five nations in the world in terms of GDP.

I have a THIRD VISION. India must stand up to the world. Because I believe that unless India stands up to the world, no one will respect us. Only strength respects strength. We must be strong not only as a military power but also as an economic power. Both must go hand-in-hand. My good fortune was to have worked with three great minds. Dr.Vikram Sarabhai, of the Dept. of Space, Professor Satish Dhawan, who succeeded him and Dr. Brahm Prakash, father of nuclear material. I was lucky to have worked with all three of them closely and consider this the great opportunity of my life.

I was in Hyderabad giving this lecture, when a 14 year-old girl asked me for my autograph. I asked her what her goal in life is. She replied: I want to live in a developed India. For her, you and I will have to build this developed India. You must proclaim India is not an underdeveloped nation; it is a highly developed nation.

You say that our government is inefficient. You say that our laws are too old. You say that the municipality does not pick up the garbage. You say that the phones don’t work, the railways are a joke, the airline is the worst in the world, and mails never reach their destination. You say that our country has been fed to the dogs and is the absolute pits. You say, say and say. What do you do about it?

Dear Indians, I am echoing J.F.Kennedy’s words to his fellow Americans to relate to Indians ……. “ASK WHAT WE CAN DO FOR INDIA AND DO WHAT HAS TO BE DONE TO MAKE INDIA WHAT AMERICA AND OTHER WESTERN COUNTRIES ARE TODAY.”

'My Vision for India' is a speech delivered by India’s former President, Dr. A.P.J Abdul Kalam, in which he describes his three visions for India if it has to enter the comity of developed nations. He tries to make people realise their duties and motivate them to build a stronger India.

First vision: He recalls how India has, time and again, been looted by invaders. India, on the other hand, has never invaded any country because it respects the freedom of others. Modern India’s First War of Independence was fought in 1857. Having subsequently achieved independence, we need to protect this freedom, without which no one will respect us.

Second vision: India is growing economically and the rate of poverty is declining. The 10% GDP growth rate is a healthy sign. But Dr. Kalam observed that Indians have failed to see themselves as a group of self-reliant people. He, however, wants to see India as a developed and not just a developing nation.

Third vision: To see India strong, both economically and militarily, because people tend to respect those who are strong.

Finally, India could become as great a nation as the United States of America or any European country if its people stop criticising their own government and other institutions. A change in attitude is required. Instead of complaining, people should participate in the process of development by resolving problems on their own.

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Dr. A.P.J. Abdul Kalam: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में 20 लाइन

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  • Updated on  
  • अक्टूबर 12, 2023

Dr. A.P.J. Abdul Kalam Ke Bare Me 20 Lines

भारत के महान एयरोस्पेस वैज्ञानिक “ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम” (A.P.J. Abdul Kalam) जिन्हें हम “ मिसाइल मैन” के नाम से भी जानते हैं। वह भारत के 11वें राष्ट्रपति भी रह चुके हैं, डॉ कलाम को विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिए आज भी जाना जाता हैं। वहीं उनके जन्म दिवस के उपलक्ष्य में हर वर्ष 15 अक्टूबर को ‘ विश्व छात्र दिवस ’ मनाया जाता हैं। क्या आप जानते हैं कि डॉ. कलाम भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित होने वाले भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। आइए अब हम डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में जानते हैं। 

नामअवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम)
उपनाम मिसाइल मैन
व्यवसायइंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर, राजनीतिज्ञ
जन्म तिथि 15-अक्टूबर 1931
जन्म स्थानधनुषकोडी गांव, रामेश्वरम, तमिलनाडु 
पिता का नाम जैनुल्लाब्दीन
माता का नाम असीम्मा
डॉ. कलाम का निधन27 जुलाई 2015, शिलांग, मेघालय
राष्ट्रपति11 वें (25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007)
सम्मान पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न आदि 
आत्मकथा विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी
पुस्तकें इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम (1998), इगनाइटेड माइंड्स: अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया (2002), द ल्यूमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स (2004) आदि। 

यह भी पढ़ें – मिसाइल मैन ए पी जे अब्दुल कलाम का संपूर्ण जीवन परिचय  

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में 

यहाँ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में 20 लाइन में उनके संपूर्ण जीवन के बारे में सभी आवश्यक जानकारी दी जा रही है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-

  • डॉ. कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनका पूरा नाम ‘अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल’ कलाम था। 
  • डॉ. कलाम के पिता का नाम ‘ जैनुलाब्दीन’ था, जो एक नाविक थे और उनकी माता का नाम ‘ असीम्मा’ था, जो एक गृहणी थी। डॉ कलाम के पांच भाई-बहन थे। 
  • डॉ. कलाम का शुरूआती जीवन संघर्षों से भरा रहा था। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था। उन्हें बचपन से ही सिखने की बहुत इच्छा थी। 
  • वह रामनाथपुरम, तमिलनाडु से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1955 में मद्रास चले गए। वहाँ उन्होंने ‘मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ , चेन्नई में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
  • बता दें कि डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम एक लड़ाकू पायलट बनना चाहते थे लेकिन उन्हें ‘भारतीय वायु सेना’ (IAF) की प्रवेश परीक्षा में नौवां स्थान मिला था। जबकि IAF ने केवल 8वीं रैंक तक ही रिजल्ट की घोषणा की थी इसलिए वह पायलट नहीं बन सके। 
  • इसके बाद डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए, जहां उन्होंने ‘हावरक्राफ्ट परियोजना’ पर काम किया। 
  •  बता दें कि डॉ कलाम ने कुछ समय तक प्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘विक्रम साराभाई’ के साथ भी काम किया था। 
  • इसके बाद वह वर्ष 1962 में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) में आ गए, यहाँ उन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते हुए सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।
  • क्या आप जानते हैं कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने ISRO में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लांच व्हीकल ‘SLV-III’ के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • इस प्रथम सैटेलाइट व्हीकल से भारत ने वर्ष 1980 में ‘रोहिणी सैटेलाइट’ सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा था। इस मिसाइल को बनाने में डॉ. कलाम में अपना अहम योगदान दिया था, जिस वजह से उन्हें ‘मिसाइल मैन’ की उपाधि से नवाजा गया। 
  • इसके बाद डॉ. कलाम ने देश के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में कार्य किया और देश के लिए कई मिसाइलें बनाई। 
  • डॉ. कलाम ने विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना अतुलनीय योगदान दिया है, जिसकी वजह से उन्हें वर्ष 1997 में भारत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। 
  •  डॉ कलाम ने वर्ष 1999 तक ‘ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (DRDO) में सेक्रेटरी के रूप में कार्य किया। वह प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी थे।
  • बता दें कि वर्ष 1998 में ‘ दूसरे परमाणु परीक्षण’ में डॉ. कलाम ने महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई थी। 
  •  डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) 18 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति बने।
  • डॉ. कलाम वर्ष 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति पद पर आसीन रहे और इसके बाद उन्होंने फिर से राष्ट्रपति चुनाव ना लड़ने का फैसला किया।
  • डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने ‘ डॉ. सोमा राजू’ के साथ मिलकर वर्ष 2012 में ‘कलाम-राजू टैबलेट’ नामक छोटा लैपटॉप तैयार किया था, जो ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के लिए तैयार किया गया था। 
  • इसके बाद उन्होंने अपने जीवन के बहुत से वर्ष ‘ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) के लिए काम करते हुए बिताए थे। 
  • देश का सर्वोच्‍च पद पर रहने के बाद भी डॉ. कलाम हमेशा अपना जीवन सादगी के साथ जीते रहे। उनका स्‍वभाव बेहद सहज, सरल और विनम्र था।
  • 27 जुलाई 2015 को ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान’ (IIM) शिलांग में व्याख्यान देते समय हृदय गति रुकने से भारत के महान वैज्ञानिक  डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) का अचानक ही निधन हो गया था। बता दें कि विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. कलाम के अहम योगदान के लिए हर वर्ष उनके जन्म दिवस पर 15 अक्टूबर को ‘ विश्व छात्र दिवस ’ (World Student Day) मनाया जाता हैं।

यह भी पढ़ें – World Students Day in Hindi

आशा है कि आपको डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) के बारे में हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। नीरज को स्टडी अब्रॉड प्लेटफाॅर्म और स्टोरी राइटिंग में 3 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में upGrad Campus, Neend App और ThisDay App में कंटेंट डेवलपर और कंटेंट राइटर रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविधालय से बौद्ध अध्ययन और चौधरी चरण सिंह विश्वविधालय से हिंदी में मास्टर डिग्री कंप्लीट की है।

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