mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

  • Essays in Hindi /

Mahatma Gandhi Essay – छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

  • Updated on  
  • अगस्त 10, 2024

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया। आज़ादी के लिए उन्होंने चंपारण, खेड़ा, आंदोलन, नमक आंदोलन और भारत छोड़ो सहित कई आंदोलन किए। स्वतंत्रता में योगदान और उनके बारे में बच्चों को जानकारी रहे इसलिए महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) लिखने के लिए स्कूल में दिया जाता है और कई परीक्षाओं में गांधी जी के बारे में पूछा भी जाता है। इसलिए आपकी मदद के लिए इस ब्लॉग में 100, 200 और 500 शब्दों में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) दिया गया है।

This Blog Includes:

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में, महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में, महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में, गांधी जी के बारे में, महात्मा गाँधी द्वारा किए गए आंदोलन, महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखें, महात्मा गांधी पर निबंध pdf, गाँधी के अनमोल विचार, महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्य, महात्मा गांधी जी के सिद्धांत, प्रथा और विश्वास.

महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार है –

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे कि वे भी अहिंसा का रास्ता अपनाएं। 1930 दांडी यात्रा करके नमक सत्याग्रह किया था। लोग गांधीजी को प्यार से बापू कहते हैं। गांधीजी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी। बापू हिंसा के खिलाफ थे और अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे। आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया। बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे, वे चरखा चलाकर कर सूत कातते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे।

महात्मा गांधी पर निबंध

यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के जीवन की घटनाएं, जो देती हैं आगे बढ़ने का संदेश और प्रेरणा

महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार है –

2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। जिन्हें महात्मा , गांधी जी, महान आत्मा और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता को ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। बचपन से वह सामान्य ही रहे थे और उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।

दूसरी तरफ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष से लेकर आज तक और आगे के लिए भी उनका नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार है –

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू और राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नेताओं में से एक थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

गांधी जी ने अपनी शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद, वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे नस्लीय भेदभाव का सामना किया और उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ।

दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया और अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिरोध किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और इस संघर्ष के दौरान उनके अंदर एक ऐसा नेतृत्व कौशल विकसित हुआ, जिसने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। 1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और अंग्रेजी शासन के खिलाफ अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन हुए, जिनमें लाखों भारतीयों ने हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। 1920 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें लोगों से अपील की गई कि वे ब्रिटिश सरकार की नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और संस्थानों का बहिष्कार करें। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को हिला कर रख दिया और भारतीयों के मन में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता पैदा की।

1930 में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव को कमजोर कर दिया और यह स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण बना।

गांधी जी का जीवन सादगी, आत्मसंयम, और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था। वे समाज में व्याप्त छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ भी संघर्षरत रहे। उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और समाज में समानता और समरसता की भावना को बढ़ावा दिया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को यह संदेश दिया कि भारतीय अब और अधिक समय तक गुलामी में नहीं रह सकते। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा देते हुए इस आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण की शुरुआत की और 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी दुनिया भर में प्रासंगिक हैं। गांधी जी ने हमें सत्य, अहिंसा, और सेवा का मार्ग दिखाया, जो आज भी हमें प्रेरणा देता है। उनकी जीवन यात्रा और उनके द्वारा किए गए संघर्ष, मानवता के इतिहास में एक उज्ज्वल अध्याय के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।

यह भी पढ़ें – नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को क्यों मारा?

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में इस प्रकार है –

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले महात्मा गाँधी को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है। उनके द्वारा अपनाई गई सादगी, आत्मसंयम और संघर्ष की राह ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया को भी अहिंसक संघर्ष के महत्व से अवगत कराया। गांधी जी ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी, जिसमें उन्होंने देश के हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों को एकजुट कर उनके भीतर आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का भाव जागृत किया। उनकी विचारधारा और आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अद्वितीय अध्याय के रूप में दर्ज हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।

महात्मा गांधी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, एक महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और अहिंसा के पुजारी थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई और उन्हें “राष्ट्रपिता” के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।

गांधी जी की शिक्षा इंग्लैंड में हुई, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे भेदभाव का सामना किया और यहीं से उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ। दक्षिण अफ्रीका में 21 साल बिताने के बाद, गांधी जी भारत लौटे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया।

गांधी जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का आयोजन किया गया, जिनमें असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं। उनकी नीतियों में सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, और आत्मनिर्भरता का महत्व था। गांधी जी ने भारतीय समाज को जाति-भेद, छुआछूत, और सामाजिक अन्याय के खिलाफ जागरूक किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नैतिक आधार प्रदान किया।

1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गांधी जी ने सामाजिक समरसता और शांति की दिशा में काम जारी रखा। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनके सिद्धांत और विचारधारा आज भी पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत हैं। गांधी जी का जीवन एक ऐसा मार्गदर्शक है, जो मानवता को सत्य, अहिंसा और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया। उनके नेतृत्व में किए गए विभिन्न आंदोलनों ने न केवल भारत को स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर किया, बल्कि दुनिया को भी अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। महात्मा गांधी द्वारा किए गए ये आंदोलन न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय हैं, बल्कि वे दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत का अहसास भी कराते हैं। गांधी जी के नेतृत्व में किए गए ये आंदोलन भारत की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुए और आज भी उनकी शिक्षाएं और आदर्श मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। यहां महात्मा गांधी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलनों का वर्णन किया गया है:

1. चंपारण सत्याग्रह (1917)

चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा भारत में किया गया पहला बड़ा आंदोलन था। यह बिहार के चंपारण जिले में हुआ, जहां ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से जबरन नील की खेती करा रहे थे। इस अन्याय का सामना करने के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार को नील की खेती के अत्याचार को समाप्त करने पर मजबूर होना पड़ा। यह आंदोलन भारतीय किसानों की पहली बड़ी जीत थी और गांधी जी के नेतृत्व को पूरे देश ने स्वीकारा।

2. असहयोग आंदोलन (1920-1922)

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना और स्वराज की प्राप्ति करना था। गांधी जी ने लोगों से अपील की कि वे सरकारी नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार करें। लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया, जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान हुआ। हालाँकि, चौरी चौरा कांड के बाद गांधी जी ने इस आंदोलन को वापस ले लिया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया।

3. नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च, 1930)

महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया नमक सत्याग्रह , जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दीं और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना।

4. दलित आंदोलन (1932)

महात्मा गांधी ने दलितों के अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था। इसके लिए उन्होंने उपवास और सत्याग्रह का सहारा लिया, जिससे भारतीय समाज में जागरूकता आई और दलितों के उत्थान के लिए कई सुधार किए गए।

5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, जिसका नारा था “करो या मरो”। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल स्वतंत्रता दिलाना था। गांधी जी के इस आह्वान पर पूरे देश में लाखों लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को समझा दिया कि अब भारतीयों को अधिक समय तक गुलाम नहीं रखा जा सकता, और इसके बाद ही स्वतंत्रता के लिए अंतिम चरण की तैयारियां शुरू हुईं।

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े और भारत को आज़ादी दिलाई।

यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के सत्याग्रह पर निबंध

महात्मा गांधी पर एक अच्छा निबंध लिखने के लिए सरल और स्पष्ट भाषा का उपयोग करें, ऐतिहासिक तथ्यों और गांधी जी के विचारों को सटीक रूप से प्रस्तुत करें, निबंध में अनुच्छेदों के बीच तारतम्यता बनाए रखें, ताकि पूरा निबंध एक संगठित और प्रवाहयुक्त लगे। इसके अतिरिक्त कई बिंदु यहां दिए गए हैं, जिनका पालन करके आप Mahatma Gandhi Essay in Hindi लिख सकते हैं –

  • निबंध की शुरुआत महात्मा गांधी के परिचय से करें।
  • गांधी जी का पूरा नाम, जन्मतिथि, जन्मस्थान, और प्रमुख उपाधियां जैसे “राष्ट्रपिता” और “बापू” का उल्लेख करें।
  • उनके जीवन के प्रमुख उद्देश्यों और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका का संक्षिप्त परिचय दें।
  • गांधी जी के प्रारंभिक जीवन के बारे में लिखें, जैसे उनके परिवार, बचपन, और शिक्षा का वर्णन करें।
  • इंग्लैंड में उनकी कानून की पढ़ाई और दक्षिण अफ्रीका में उनके संघर्ष का उल्लेख करें।
  • दक्षिण अफ्रीका में उनके जीवन के अनुभवों और कैसे वहां के नस्लीय भेदभाव ने उनके विचारों को प्रभावित किया, इस पर लिखें।
  • गांधी जी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलनों का वर्णन करें।
  • हर आंदोलन की शुरुआत, उद्देश्यों, और उसके परिणामों का विस्तार से वर्णन करें।
  • गांधी जी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का उल्लेख करें।
  • गांधी जी के सामाजिक सुधारों पर प्रकाश डालें, जैसे छुआछूत विरोधी आंदोलन, दलित अधिकार, और महिला सशक्तिकरण।
  • गांधी जी की जीवनशैली, उनके विचार, और उनके प्रमुख सिद्धांत जैसे सत्य, अहिंसा, और स्वराज (आत्म-शासन) के बारे में लिखें।
  • उनके द्वारा चलाए गए स्वदेशी और ग्राम स्वराज के आंदोलनों का वर्णन करें।
  • 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या का उल्लेख करें और इस दुखद घटना के प्रभाव पर लिखें।
  • गांधी जी को विश्व में प्रेरणा स्रोत के रूप में कैसे देखा जाता है, इस के बारे में भी आप लिख सकते हैं।
  • निबंध का समापन महात्मा गांधी की शिक्षा और उनके सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित करते हुए करें।
  • गांधी जी के जीवन से हमें क्या सीखने को मिलता है, और उनकी विचारधारा आज भी क्यों प्रासंगिक है, इसके बारे में लिखें।

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में PDF Download

गांधी के अनमोल विचार (Gandhi Quotes in Hindi) जिन्हें आप अपने निबंध में शामिल कर सकते हैं –

आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों। -महात्मा गांधी

डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है। -महात्मा गांधी

उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा। -महात्मा गांधी

ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है । -महात्मा गांधी

आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। -महात्मा गांधी

यह भी पढ़ें – महात्मा गाँधी के अनमोल विचार

महात्मा गांधी के बारे में कुछ रोचक तथ्य यहां दिए हैं, जिसके बारे में Mahatma Gandhi Essay in Hindi लिखते समय विचार कर सकते हैं –

  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
  • महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
  • वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
  • माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
  • महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
  • महात्मा गांधी और प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
  • महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
  • महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।

यह भी पढ़ें – जानें भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ‘बापू’ से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

  • सत्य और सत्याग्रह – गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।
  • अहिंसा – हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है। 
  • गांधीवादी अर्थशास्त्र – गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।
  • बौद्ध, जैन और सिख – गांधी जी का मानना ​​था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।
  • मुस्लिम – गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।
  • ईसाई – गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।
  • महिला – गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।
  • अस्पृश्यता और जातियां – गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी। 
  • नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा – गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया।

सम्बंधित आर्टिकल्स 

सादा जीवन, उच्च विचार।

महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।

गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।

महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।

महात्मा गांधी

उम्मीद है, आपको महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) की जानकारी मिल गई है।इसी तरह के अन्य निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

' src=

रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Contact no. *

very nice ……lots of information…thanks

आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

I am very happy

आपका आभार, ऐसे आप हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

browse success stories

Leaving already?

8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs

Grab this one-time opportunity to download this ebook

Connect With Us

45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

Resend OTP in

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

September 2024

January 2025

What is your budget to study abroad?

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।

2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।

इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।

भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।

राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।

उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।

महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।

महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।

गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।

महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”

महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।

वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information

स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में  2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।

गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।

महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career

अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।

इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:

महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।

उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।

ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।

सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।

अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।

वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh

प्रस्तावना-

2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।

महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और  देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।

जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था।  उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-

चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement

साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।

जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।

साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।

जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।

महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।

जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।

गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।

इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan

महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।

गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।

नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।

गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।

महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य  से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।

आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।

इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।

इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने  गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद  शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।

  • Mahatma Gandhi Slogan

महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।

More related article for Mahatma Gandhi essay in Hindi useful points:

  • 5 बाते जो महात्मा गाँधी से सीखनी चाहिये
  • महात्मा गांधी के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार

More Essay Collection:  Essay in Hindi

60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”

' src=

Gandhi ji is my favorite

' src=

अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Gyan ki anmol dhara

Grow with confidence...

  • Computer Courses
  • Programming
  • Competitive
  • AI proficiency
  • Blog English
  • Calculators
  • Work With Us
  • Hire From GyaniPandit

Other Links

  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Refund Policy

महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। महात्मा गांधी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि वह हमारे राष्ट्रपिता है। बच्चों को विद्यालय में महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है, ताकि विद्यार्थी भी उनके मार्गदर्शन पर चलकर एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। इसीलिए अकसर विद्यार्थियों को परीक्षा में या फिर किसी डिबेट में महात्मा गांधी के ऊपर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) आता है। कई बार निबंध कम शब्दों का होता है तो कई बार ज्यादा शब्दों का। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी का निबंध अलग-अलग शब्दों में बताएंगे। 

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1879 को भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ना केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वह एक बहुत ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे। आज भारत में और दुनिया भर में लोग इन्हें उनकी महानता, सच्चाई, आदर्शवाद जैसी खूबियों की वजह से जानते हैं। इन्होंने भारत को आजाद कराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर अफसोस की बात है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में

भारत के गुजरात में जन्में महात्मा गांधी एक बहुत ही सच्चे और देशभक्त भारतीय थे। इसीलिए पूरे भारत के लिए 2 अक्टूबर 1869 का दिन बहुत ही यादगार है क्योंकि इस दिन मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ब्रिटिश शासन में एक बहुत ही ना भूलने वाली भूमिका निभाई थी। इनकी शिक्षा की बात की जाए तो इन्होंने पहले पोरबंदर से ही शिक्षा हासिल की थी। फिर बाद में गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए थे। 

इस तरह से इंग्लैंड में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और उसके बाद जब यह भारत लौटे तो उन्होंने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया। इसके अलावा भी गांधी जी ने और भी बहुत से आंदोलन चलाए थे। इसके चलते फिर 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को आजादी मिल गई थी। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि 30 अक्टूबर 1948 को गांधीजी की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और इन्हें बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। गांधी जी ने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए थे जिनके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिल सकी। बापू ने भारत में मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। इंग्लैंड से महात्मा गांधी जब वकील बन कर वापस भारत आए तो उन्होंने भारत की स्थिति को देखा। उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वह अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवा कर रहेंगे। 

महात्मा गांधी बहुत ही बेहतरीन राष्ट्रवाद नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बापू जी के इतने बड़े योगदान की वजह से ही उन्हें भारत के इतिहास में इतना ज्यादा महत्व दिया गया है। हर साल 2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में महात्मा गांधी का जन्मदिन बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह दिन गांधी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है।

सभी स्कूलों में और शिक्षा संस्थानों में बच्चों को विशेषतौर से महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित किया जाता है, ताकि वे भी उनके जैसे योग्य इंसान बन सकें। भारत देश को आजाद कराने वाले महान गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मार दी थी जिसकी वजह से बापू जी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे महान व्यक्ति की मृत्यु होने पर पूरा देश बहुत ही ज्यादा सदमे में चला गया था। 

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

मोहनदास करमचंद गांधी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे जिनकी महानता से भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी बहुत ज्यादा प्रेरित रहते थे। अगर इनके जन्म की बात की जाए तो देश के राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था। यह अपने पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई गांधी की चौथी और सबसे आखिरी संतान थे। 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में ही हुई थी। जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी एक बहुत ही साधारण से विद्यार्थी थे और यह बहुत ही कम बोला करते थे। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी फिर बाद में यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए थे। वैसे तो गांधीजी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन क्योंकि वो एक वैष्णव परिवार से संबंध रखते थे इसलिए उन्हें चीर-फाड़ करने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए इन्होंने वकालत में अपनी शिक्षा पूरी की। 

गांधी जी का विवाह 

जिस समय गांधी जी की उम्र सिर्फ 13 साल की थी उस समय इनका विवाह कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था जोकि पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी। गांधीजी विवाह के समय स्कूल में पढ़ा करते थे। 

गांधीजी का राजनीति में प्रवेश 

जिस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे उस समय भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। सन् 1915 की बात है जब गांधी जी भारत लौटे थे तो उस वक्त कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने बापू से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। उसके बाद फिर गांधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद पूरे भारत की भ्रमण यात्रा की। उसके बाद फिर गांधी जी ने पूरे देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर संपूर्ण देश में एक नए इतिहास की शुरुआत की। इसी दौरान जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो ऐसे में गांधी ने उसका खूब डटकर सामना किया। तरह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन मिला और जब गांधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा निकाली तो उसकी वजह से अंग्रेज बुरी तरह से घबरा गए। 

महात्मा गांधी ने देश भर के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्वदेशी सामान को इस्तेमाल करें। बता दें कि गांधीजी ने जितने भी आंदोलन किए वे सभी आंदोलन अहिंसा से दूर थे। परंतु फिर भी उन्हें नमक आंदोलन की वजह से जेल तक भी जाना पड़ गया था। लेकिन गांधीजी ने अपना संघर्ष जारी रखा और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवा लिया। 

गांधी जी की मृत्यु 

देश के बापू महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन के बगीचे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बापू के सीने में नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलियां चलाई थी‌। मरते समय उनके मुंह से हे राम निकला था। इस तरह से 78 साल में देश के राष्ट्रपिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। लेकिन उनके आदर्शों और उनकी बातों का आज भी लोग बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं। 

  • 10 Lines About Mahatma Gandhi in Hindi
  • क्रांतिकारी महिलाओं के नाम
  • 10 Lines on A.P.J. Abdul Kalam in Hindi

दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर निबंध कम शब्दों में और अधिक शब्दों में बताया है जिससे कि आप अपनी जरूरत के अनुसार निबंध लिख सकें। हमें पूरी आशा है कि महात्मा गांधी पर निबंध आपके लिए अवश्य उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस लेख को उन लोगों के साथ भी शेयर करें जो महात्मा गांधी पर निबंध ढूंढ रहे हैं। 

Related Posts

tote-ke-bare-mein-line

तोते के बारे में 10 लाइन वाक्य | 10 Lines About Parrot in Hindi

अनुशासन पर निबंध

अनुशासन पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Essay on Discipline in Hindi

10-Lines-on-Winter-Season-in-Hindi

शीत ऋतु पर 10 वाक्य | 5 – 10 सर्दी के मौसम पर वाक्य

Leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Hindi Yatra

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi  : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।

Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

Get some best Essay On Mahatma Gandhi In Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 students

महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं

और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।

यह भी पढ़ें –   स्वच्छ भारत अभियान निबंध Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi

भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।

भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।

उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।

महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।

यह भी पढ़ें –  स्वतंत्रता दिवस पर निबंध – Swatantrata Diwas Par Nibandh

Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।

उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था

जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।

इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।

उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।

लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।

नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words

प्रस्तावना –

महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।

यह भी पढ़ें –  बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध – Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi

उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

प्रारंभिक जीवन –

महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।

जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।

Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।

उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।

अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –

महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।

उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।

राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –

दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।

यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।

भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –

महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।

इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।

इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।

खेड़ा सत्याग्रह –

खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।

गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।

असहयोग आंदोलन –

अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।

महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।

इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।

इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।

नमक सत्याग्रह –

ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।

नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।

इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।

नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन –

महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।

उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।

बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।

महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।

उपसंहार –

Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।

उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।

हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।

यह भी पढ़ें –

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay On Mahatma Gandhi In Hindi  आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”

Rohit ji app ne sahi bola

apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile

Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.

Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h

Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.

Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai

Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.

Leave a Comment Cancel reply

दा इंडियन वायर

महात्मा गांधी पर लेख

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

By विकास सिंह

paragraph on mahatma gandhi in hindi

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है। वह सबसे प्रिय और सम्मानित भारतीय नेताओं में से एक थे जिन्होंने अपने अनोखे तरीके से अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की।

महात्मा गांधी पर लेख, paragraph on mahatma gandhi in hindi (100 शब्द)

मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। वे पेशे से वकील थे। वह कानून का अभ्यास करते थे और एक आरामदायक जीवन बिता सकते थे। हालाँकि, उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर अंग्रेजों से लड़ने का विकल्प चुना।

उन्होंने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों को अंजाम दिया और कई भारतीय नागरिकों को उसी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। इन आंदोलनों का अंग्रेजों पर व्यापक प्रभाव पड़ा। अपने समय के विभिन्न अन्य नेताओं के विपरीत, गांधीजी ने अंग्रेजों को भगाने के लिए हिंसक और आक्रामक साधनों का सहारा नहीं लिया।

उन्होंने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया और बड़ी संख्या में भारतीयों ने उनका समर्थन किया। उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने में प्रमुख भूमिका निभाई।

महात्मा गांधी पर लेख, 150 शब्द:

मोहनदास करमचंद गांधी उर्फ ​​महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनके पिता, करमचंद उत्तमचंद गांधी ने पोरबंदर रियासत के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया।

महात्मा गांधी ने अपनी स्कूली शिक्षा गुजरात के अल्फ्रेड हाई स्कूल से की और लंदन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। महात्मा गांधी ने 1883 में कस्तूरबा गांधी से शादी की। वे अपने पहले बच्चे हीरालाल के जन्म के बाद 1988 में कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए।

उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की। हालांकि, उन्हें जल्द ही पता चला कि यह जीवन में उनका उद्देश्य नहीं था। उन्होंने अपना पेशा छोड़ दिया और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। उन्होंने कई भारतीयों को अंग्रेजों से लड़ने के लिए अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

अंततः 1947 में अंग्रेजों को देश से बाहर निकाल दिया गया और महात्मा गांधी ने उसी में एक बड़ी भूमिका निभाई। दुर्भाग्य से, हमने 30 जनवरी 1948 को गांधीजी को खो दिया। नाथूराम गोडसे ने उनके सीने में तीन गोलियां दागी और उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया।

महात्मा गांधी पर अनुच्छेद, paragraph on mahatma gandhi in hindi (200 शब्द)

महात्मा गांधी अंग्रेजों से लड़ने के अपने अनोखे तरीकों के लिए जाने जाते थे। उनकी विचारधारा अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों से अलग थी। अंग्रेजों ने भारतीयों के साथ क्रूर व्यवहार किया। उन्होंने उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया। उन्होंने उन्हें काम के साथ लोड किया और हेम मेजरली भुगतान किया।

इसने कई भारतीयों में गुस्सा पैदा किया जो अंग्रेजों से लड़ने के लिए आगे आए। आहत और क्रोध की भावना से भरे, उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों को देश से बाहर निकालने के लिए आक्रामक साधनों का सहारा लिया। हालाँकि, महात्मा गांधी ने पूरी तरह से अलग तरीका चुना जिससे दूसरों को आश्चर्य हुआ।

शांति और अहिंसा:

एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, महात्मा गांधी ने आक्रामक तरीके से लड़ने के बजाय शांति और अहिंसा का मार्ग अपनाया। उन्होंने विभिन्न आंदोलनों और विरोधों का आयोजन किया, लेकिन सभी शांतिपूर्ण तरीके से। उसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति आपको एक गाल पर थप्पड़ मारे तो उसे थप्पड़ मारने के बजाय आपको उसे दूसरा गाल भी भेंट करना चाहिए।

दूसरों के लिए एक प्रेरणा:

गांधीजी के अंग्रेजों से लड़ने के तरीके वास्तव में प्रभावी थे। कई अन्य स्वतंत्रता सेनानी उनकी विचारधाराओं से प्रेरित थे और उनका अनुसरण करते थे। उसकी हरकतों का समर्थन करने के लिए लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए।

निष्कर्ष:

महात्मा गांधी को सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक के रूप में जाना जाता है। वह एक सच्चे नेता थे। उनकी विचारधारा आज भी लोगों को प्रेरित करती है।

महात्मा गांधी पर लेख, 250 शब्द:

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई भारतीय नेताओं ने भाग लिया और उनमें से प्रत्येक के लिए हमारे मन में बहुत सम्मान है। यह उनके संयुक्त प्रयासों के कारण था कि हमने स्वतंत्रता प्राप्त की। हालांकि, किसी ने भी महात्मा गांधी जैसे भारतीय नागरिकों के दिमाग पर कोई असर नहीं डाला। गांधीजी को सही मायने में राष्ट्रपिता कहा जाता है।

महात्मा गांधी ने हमें सही रास्ता दिखाया:

एक पिता की तरह ही उन्होंने लाखों भारतीयों को जीवन में सही राह की ओर अग्रसर किया। उन्होंने अपने लोगों को सच बोलना सिखाया चाहे कोई भी परिणाम हो। उनका दृढ़ विश्वास था कि व्यक्ति जीवन में तभी सफलता प्राप्त कर सकता है, जब उसमें सच्चाई को स्वीकार करने और बोलने की हिम्मत हो।

सत्य के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को अपने रास्ते पर कष्टों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन अंततः सफलता मिलती है। उन्होंने अपने लोगों को अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए अहिंसक साधनों को अपनाने का आग्रह और प्रेरित किया उन्होंने कहा की यह शिक्षा केवल एक अभिभावक अपने बच्चों को दे सकता है।

महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता कोई ज़िम्मेदारी ली:

एक पिता की तरह, महात्मा गांधी ने भारतीय नागरिकों को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने की जिम्मेदारी ली। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत की और लोगों को उसी में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बैठकें कीं और लोगों को आगे आने और स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए व्याख्यान दिए। उन्होंने अपने अनुयायियों का मार्गदर्शन किया और उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ाया।

महात्मा गांधी को बापू के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है पिता। उनके बच्चे, अर्थात, भारत के नागरिक हर साल 2 अक्टूबर को उनका जन्मदिन पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। उनका जन्मदिन भारत के तीन राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है। यह देश में एक राष्ट्रीय अवकाश है।

महात्मा गांधी पर लेख, paragraph on mahatma gandhi in hindi (300 शब्द)

महात्मा गांधी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया और अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ने के लिए हजारों भारतीयों को अपने मिशन में उनका अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कई आंदोलनों का आयोजन किया, जिसने ब्रिटिशों को बहुत प्रभावित किया और देश में अपनी पैठ को कमजोर किया।

महात्मा गांधी ने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया:

गांधीजी ने कई स्वतंत्रता आंदोलनों की शुरुआत की। दांडी मार्च, नमक सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन इनमें से कुछ आंदोलनों में शामिल थे। इन सभी आंदोलनों ने ब्रिटिश शासन को कमजोर करने के लिए अहिंसक साधनों का उपयोग किया। अंग्रेज अपने तरीके से हैरान थे और उन्हें रोकना मुश्किल हो गया क्योंकि उन्होंने किसी भी तरह का कहर या विनाश नहीं किया।

उनके सभी आंदोलनों को शांतिपूर्ण तरीके से अंजाम दिया गया था और फिर भी अंग्रेजों पर भारी प्रभाव पड़ा। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने और भारत में विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत करने से पहले, गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में रंग भेदभाव के खिलाफ अहिंसक विरोध प्रदर्शन किया। उन्हें वहां कई लोगों का समर्थन प्राप्त था।

महात्मा गांधी – प्रेरणा का स्रोत:

उस समय के दौरान जब भारतीय अंग्रेजों के प्रति रोष और घृणा से भरे थे और उन्होंने हिंसक तरीकों का उपयोग करके उन्हें नष्ट करना चाहा, गांधीजी की शांतिपूर्ण और प्रभावी तरीके से लड़ने की पद्धति कई के लिए प्रेरणा का स्रोत साबित हुई। उन्होंने देश के युवाओं को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए भाषण दिए।

कई प्रमुख नेताओं ने उनके साथ जुड़कर स्वतंत्रता प्राप्त करने के अपने तरीके अपनाए। आम जनता ने भी उनके नेतृत्व में आंदोलनों में भाग लिया। उन्हें उनकी विचारधाराओं के लिए आज भी याद किया जाता है और कई लोगों को प्रेरित करता रहता है। उनका जन्मदिन, 2 अक्टूबर भारत के राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है।

इस प्रकार, महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने हजारों भारतीयों के लिए एक प्रेरणा के रूप में सेवा की जो इसे सफल बनाने के लिए उनकी स्वतंत्रता आंदोलनों में शामिल हुए।

महात्मा गांधी पर लेख, 350 शब्द:

महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर राज्य में एक हिंदू व्यापारी जाति के परिवार में हुआ था। वह एक भारतीय कार्यकर्ता और नेता बन गए, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। उन्होंने विभिन्न अन्य नेताओं के साथ-साथ आम जनता के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य किया जो उनके नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलनों में शामिल हुए।

महात्मा गांधी – जीवन:

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को करमचंद उत्तमचंद गांधी और पुतलीबाई के घर हुआ था। उनके पिता करमचंद पोरबंदर के मुख्यमंत्री थे, उनकी माँ एक गृहिणी थीं। उनके पिता बाद में राजकोट के मुख्यमंत्री बने। करमचंद और पुतलीबाई के चार बच्चे थे- लक्ष्मीदास, रल्लतनबी, करनदास और मोहनदास।

यह कहा जाता है कि एक बच्चे के रूप में गांधीजी काफी शर्मीले और आरक्षित बच्चे थे लेकिन वह हमेशा ऊर्जा पर उच्च थे। राजा हरिश्चंद्र और श्रवण कुमार की कहानियाँ जो उन्होंने अपने बचपन के दौरान सुनीं, उनका उन पर बहुत प्रभाव पड़ा। ऐसा लगता है कि इन कहानियों ने उन्हें सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। गांधीजी की मां जो एक अत्यंत धार्मिक महिला थीं, उनके लिए भी प्रेरणा का काम किया।

गांधी ने 13 साल की उम्र में मई 1883 में कस्तूरबाई माखनजी कपाड़िया से शादी की। उस समय कार्तुरबाई की उम्र 14 साल थी।

महात्मा गांधी – शिक्षा:

गांधीजी ने राजकोट के स्थानीय स्कूलों में पढ़ाई की। वह स्कूल में एक औसत छात्र था, हालांकि उसने पढ़ने के लिए एक प्रेम विकसित किया। उन्होंने स्कूलों में नियमित कक्षाएं लीं लेकिन खेल गतिविधियों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

उन्होंने उच्च शिक्षा लेने के लिए जनवरी 1888 में भावनगर राज्य के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन जल्द ही वह बाहर हो गए। अगस्त 1888 में, वह इनर टेम्पल में कानून का अध्ययन करने के लिए लंदन चले गए। वह बचपन से ही स्वभाव से शर्मीले थे।

बैरिस्टर बनने के लिए दाखिला लेने में यह बाधा साबित हुई। हालांकि, महात्मा गांधी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्रित और दृढ़ थे, इसलिए उन्होंने अपने क्षेत्र में शर्म और उत्तेजना को दूर करने के लिए एक सार्वजनिक बोलने के अभ्यास में शामिल हो गए। उन्होंने समर्पण के साथ अध्ययन किया और कानून की डिग्री प्राप्त की।

गांधीजी उच्च मूल्यों वाले एक अत्यंत परिश्रमी व्यक्ति थे। वह सरल जीवन और उच्च विचार में विश्वास करते थे। उनका जीवन वास्तव में दूसरों के लिए प्रेरणा है।

महात्मा गांधी पर लेख, 400 शब्द:

महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रमुख नेताओं में से एक थे। वह सत्य और अहिंसा में दृढ़ता से विश्वास करते थे जिसका अर्थ सत्य और अहिंसा है। उन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए सत्याग्रह के मार्ग का अनुसरण किया और कई भारतीयों को इसमें शामिल किया।

हालाँकि कुछ स्वतंत्रता सेनानियों ने उनकी विचारधाराओं का विरोध किया और उनका मानना ​​था कि अंग्रेजों को केवल आक्रामक आंदोलनों और हिंसक तरीकों से देश से बाहर निकाला जा सकता है। हालाँकि, गांधीजी अपने अनूठे तरीकों से अंग्रेजों से लड़ते रहे। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए विभिन्न सत्याग्रह आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनमें से कुछ हैं:

असहयोग आंदोलन

इस आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी ने अगस्त 1920 में की थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण जलियांवाला बाग नरसंहार का बापू का जवाब था। इस आंदोलन में हजारों भारतीय शामिल हुए। अंग्रेजों द्वारा बेचे जाने वाले सामानों को खरीदने से मना करके वे अहिंसक साधनों से चले गए। उन्होंने स्थानीय उत्पादों का उपयोग करना शुरू कर दिया, जिससे देश में ब्रिटिश व्यवसाय में बाधा उत्पन्न हुई।

गांधीजी ने भारतीयों से खादी को स्पिन करने और अपने कपड़े बनाने और आत्मनिर्भर बनने का आग्रह किया। लोगों ने उनका अनुसरण किया और ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार किया। इसने न केवल ब्रिटिश साम्राज्य को हिला दिया, बल्कि भारतीयों को भी करीब ला दिया और उन्हें एकजुट रहने की शक्ति का एहसास कराया।

दांडी मार्च और नमक सत्याग्रह

गांधीजी ने दांडी मार्च की शुरुआत वर्ष 1930 में 78 स्वयंसेवकों के साथ की थी। यह ब्रिटिश सरकार द्वारा पेश नमक पर कराधान के खिलाफ उनकी अहिंसक प्रतिक्रिया थी। गांधीजी और उनके अनुयायियों ने समुद्री जल से नमक का उत्पादन करने के लिए गुजरात के तटीय गाँव दांडी तक मार्च किया।

यात्रा 12 मार्च से 6 अप्रैल तक 25 दिनों तक चली। गांधीजी और उनके अनुयायियों ने इन 25 दिनों के दौरान 390 किलोमीटर की दूरी तय की, क्योंकि उन्होंने साबरमती आश्रम से दांडी तक मार्च किया। उनके रास्ते में कई लोग शामिल हुए। इस आंदोलन का अंग्रेजों पर और भी अधिक प्रभाव पड़ा।

भारत छोड़ो आंदोलन:

यह महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया एक और आंदोलन था। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत अगस्त 1942 में हुई थी और यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के प्रमुख आंदोलनों में से एक था। गांधीजी और कई अन्य नेताओं को इस आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। बाहर के लोग देश के विभिन्न स्थानों पर जुलूस और विरोध प्रदर्शन करते रहे। उन्हें बड़ी संख्या में उन लोगों का समर्थन प्राप्त था जो निस्वार्थ रूप से लड़ते थे।

गांधी जी के नेतृत्व में सभी आंदोलनों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधी जी की विचारधारा ने अपने समय के दौरान हजारों भारतीयों को प्रेरित किया और आज भी युवाओं को प्रभावित करना जारी है। कोई आश्चर्य नहीं, उन्हें राष्ट्र का पिता कहा जाता है।

[ratemypost]

इस लेख से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

Related Post

Paper leak: लाचार व्यवस्था, हताश युवा… पर्चा लीक का ‘अमृत काल’, केंद्र ने पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टोरल फ़ेलोशिप के लिए वन-स्टॉप पोर्टल किया लॉन्च, एडसिल विद्यांजलि छात्रवृत्ति कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ, 70 छात्रों को मिलेगी 5 करोड़ की छात्रवृत्ति, leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Landslide in Kerala: वायनाड भूस्खलन- प्राकृतिक हादसा या मानव जनित?

Paris olympic 2024: “जलवायु आपातकाल” के बीच ऐतिहासिक आयोजन, 25 जुलाई को मनाया जायेगा संविधान हत्या दिवस – अमित शाह, आईएएस पूजा खेड़कर – जानिए पूरी कहानी.

hindimeaning.com

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध-Mahatma Gandhi Essay In Hindi

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

Mahatma Gandhi Essay In Points

1. महात्मा गाँधी जी सत्य और अहिंसा के अनन्य पुजारी थे और अहिंसा के प्रयोग से उन्होंने सालों से गुलाम भारतवर्ष को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाया था। 2. महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। 3. गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी इनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। 4. गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी। अपनी कक्षा में वे एक साधारण विद्यार्थी थे। 5. गाँधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। 6. गाँधी जी की माता उन्हें बचपन से ही धर्म-कर्म की शिक्षा देती थीं जिससे वे विद्यालय में भी एक विनम्र विद्यार्थी थे। 7. गाँधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन वैष्णव परिवार में चीरफाड़ की इजाजत नहीं थी। 8. गाँधी जी जब 13 साल की उम्र के थे और स्कूल में पढ़ते थे तब उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा देवी जी से हुआ था। 9. गाँधी जी की शिक्षा अभी जारी थी कि उनके पिता का स्वर्गवास हो गया। जब गाँधी जी क़ानूनी शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेश गये थे तब वे एक बेटे के पिता बन चुके थे। 10. गाँधी जी ने विदेश जाने से पहले अपनी माता जी से यह वादा किया था वे इंग्लेंड जाकर मांस और मंदिरा का पान नहीं करेंगे। गाँधी जी ने अपनी माता को किया हुआ वादा बखूबी निभाया। 11. गाँधी जी के जीवन में दया, प्रेम, करुणा तथा ईश्वर के प्रति नि:स्वार्थ श्रद्धा की भावना माँ से ही पैदा हुई थी। 12. द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत सन् 1942 में हुआ था। जब अंग्रेज अपने दिए हुए वचन से पीछे हट रहे थे तो उन्होंने ” अंग्रेजो! भारत छोड़ो ” का नारा लगाया था। 13. गाँधी जी और भारत के अनेक क्रांतिकारी लोगों की वजह से भारत को अंत में 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। 14. गाँधी जी ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके स्वदेशी वस्तुओं को प्रयोग करने पर अधिक बल दिया था। 15. गाँधी जी जब तक जीवित रहे थे तब तक देश के उद्धार के लिए कार्य करते रहे। 16. नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। उनकी मृत्यु के समाचार से पूरा देश गहरे शोक सागर में डूब गया। 17. गाँधी जी के शरीर का अंत हो जाने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमारे बीच हैं। 18. गाँधी जी को भारतीय इतिहास के युग पुरुष के रूप में हमेशा याद रखा जायेगा। आज सारा विश्व उन्हें श्रद्धा से नमन करता है।

Mahatma Gandhi Essay In Details

Also Read :  Essay On Mahatma Gandhi In Hindi For Class 5,6,7 And 8

भूमिका : राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भारत के ही नहीं बल्कि संसार के महान पुरुष थे। वे आज के इस युग की महान विभूति थे। महात्मा गाँधी जी सत्य और अहिंसा के अनन्य पुजारी थे और अहिंसा के प्रयोग से उन्होंने सालों से गुलाम भारतवर्ष को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाया था। विश्व में यह एकमात्र उदाहरण है कि गाँधी जी के सत्याग्रह के समक्ष अंग्रेजों को भी झुकना पड़ा।

आने वाली पीढियाँ निश्चय से गौरव के साथ उनका नाम याद करती रहेंगी। भारत देश जब पराधीनता में फंसा हुआ था तब जनता का पतन और शोषण हो रहा था तथा प्रगति में विराम चिन्ह लगा हुआ था। ऐसी स्थिति में देश को एक जागरूक पथ-प्रदर्शक की बहुत अधिक आवश्यकता थी। ऐसे समय पर गाँधी जी का जन्म देश में हुआ था। गाँधी जी ने स्वतंत्रता आन्दोलन की बागडोर को अपने हाथों में लेकर सत्य और अहिंसा से देश को स्वतंत्र करने में अपने जीवन को लगा दिया था।

गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचन्द गाँधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। मोहनदास जी अपने पिता जी की चौथी पत्नी की आखिरी संतान थे।

गाँधी जी के पिता राजकोट रियासत के दीवान थे। गाँधी का प्रारम्भिक जीवन राजकोट में बीता था। गाँधी जी की माता सती-साध्वी और धार्मिक प्रवृत्ति की स्त्री थीं। गाँधी जी पर उनकी माता के संस्कारों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी का परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जिसमें सदाचार को जीवन का परम मूल्य माना जाता था।

प्रारंभिक शिक्षा : गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी। अपनी कक्षा में वे एक साधारण विद्यार्थी थे। गाँधी जी अपने सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे लेकिन अपने शिक्षकों का पूरा आदर करते थे। गाँधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। गाँधी जी औसत विद्यार्थी थे हालाँकि उन्होंने कभी-कभी पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती हैं लेकिन गाँधी जी पढाई और खेल में तेज नहीं थे।

गाँधी जी शुरू से ही सत्यवादी और मेहनती थे। गाँधी जी कभी कोई बात नहीं छिपाते थे। गाँधी जी की माता उन्हें बचपन से ही धर्म-कर्म की शिक्षा देती थीं जिससे वे विद्यालय में भी एक विनम्र विद्यार्थी थे। गाँधी जी झगड़ा, शरारत और उछल-कूद आदि से दूर रहते थे। एक बालक का इतना विनम्र रहना उचित नहीं था लेकिन गाँधी जी में ये सभी संस्कार जन्मजात थे।

सन् 1887 में गाँधी जी ने बंबई यूनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को पास किया और भावनगर स्थित सामलदास कॉलेज में प्रवेश लिया। अचानक गुजराती भाषा से अंग्रेजी भाषा में आ जाने से गाँधी जी को व्याख्यानों को समझने में थोड़ी परेशानी हो रही थी। गाँधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन वैष्णव परिवार में चीरफाड़ की इजाजत नहीं थी। अगर गाँधी जी को गुजरात के किसी राजघराने में उच्च पद को प्राप्त करने की परम्परा को निभाना है तो उन्हें बैरिस्टर बनना पड़ेगा इसलिए गाँधी जी को इंग्लैण्ड जाना पड़ा।

विवाह : गाँधी जी जब 13 साल की उम्र के थे और स्कूल में पढ़ते थे तब उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा देवी जी से हुआ था।

विदेश गमन : गाँधी जी की शिक्षा अभी जारी थी कि उनके पिता का स्वर्गवास हो गया। जब गाँधी जी क़ानूनी शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेश गये थे तब वे एक बेटे के पिता बन चुके थे। इंग्लैण्ड में गाँधी जी ने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व का अपनी खुली आँखों से दर्शन किया था।

गाँधी जी ने विदेश जाने से पहले अपनी माता जी से यह वादा किया था वे इंग्लेंड जाकर मांस और मंदिरा का पान नहीं करेंगे। गाँधी जी ने अपनी माता को किया हुआ वादा बखूबी निभाया। गाँधी जी ने इंग्लेंड में असंख्य बाधाओं का सामना किया। शाकाहारी भोजन के लिए गाँधी जी को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा था।

वकालत की शिक्षा पूरी करने के बाद वे अपने देश लौटे। उन्होंने मदिरा पान और मांस न खाने के प्रण को जीवन पर्यन्त तक निभाया था। इस बीच उनकी माँ का भी स्वर्गवास हो गया। गाँधी जी अपनी माँ से बहुत प्यार करते थे। गाँधी जी के जीवन में दया, प्रेम, करुणा तथा ईश्वर के प्रति नि:स्वार्थ श्रद्धा की भावना माँ से ही पैदा हुई थी।

दक्षिणी अफ्रीका के लिए प्रस्थान : जब गाँधी जी मुम्बई में वकालत कर रहे थे तो वहीं से उन्हें सन् 1893 में पोरबन्दर के एक केश अब्दुल्ला एण्ड कम्पनी के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिणी अफ्रीका जाना पड़ा था। दक्षिणी अफ्रीका जाकर उन्हें पता चला था कि वहाँ पर जितने भी भारतवासी बसे हुए थे उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है।

उस समय वहां पर रंग-भेद का माहौल चरम सीमा पर पहुंच चुका था। गाँधी जी इस बात को सहन नहीं कर सके। गाँधी जी के मन में राष्ट्रिय भावना जागृत हुई। गाँधी जी को भी इसका शिकार बनना पड़ा था। एक बार गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में रेल में सफर कर रहे थे। गाँधी जी के पास फर्स्ट क्लास का टिकट था लेकिन फिर भी उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया था।

वहां के लोगों पर थोड़ी देर भी नहीं रुका गया और उन्होंने गाँधी जी को ट्रेन से बाहर फेंक दिया। इन सभी गतिविधियों की वजह से गाँधी जी के मन में यह विचार आया कि देश के लोग किस प्रकार से अधीन होकर अपने आप को प्रतिदिन अपमानित देख रहे हैं। यहीं से गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत आ गए और भारत की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने लगे।

अगर उस समय में गाँधी जी ने स्वतंत्रता के लिए अपना योगदान न दिया होता तो आज हम परतंत्रता के बंधन में बंधे होते। भारत में लौटने के बाद गाँधी जी ने सबसे पहले देश के किसान भाईयों को एकता की डोर में बांधकर लुटेरे जमींदारों और साहूकारों के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।

लेकिन ये जमींदार अंग्रेजों के आदेश में रहते थे। इस तरह से लोगों की जिन्दगी को देखकर गाँधी जी ने सन् 1918 में गुजरात के चम्पारन और खेडा गाँव के लोगों को इकट्ठा किया। गाँधी जी ने गाँव के लोगों को सही दिशा में जाने और अपने देश की मर्यादा का पालन करने के लिए कहा। गाँधी जी ने कहा कि यह देश पहले आप सभी लोगों का है इस देश पर बाहर के लोगों का हक बाद में है।

इस रैली से ही लोगों में जागरूकता आने लगी और यहीं से देशव्यापी एकता की शुरुआत होने लगी और इसी बीच लोगों ने गाँधी जी को एक नया नाम दे दिया था बापू और बाद में इसी नाम से लोग गाँधी जी को पहचानने लगे। उन्होंने सबसे पहले यहीं पर सत्याग्रह का प्रयोग किया था। इसमें गाँधी जी को बहुत सफलता मिली थी। यहाँ पर गाँधी जी ने नेशनल नेटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना भी की थी।

इसके माध्यम से गाँधी जी ने भारतियों के अंदर आत्म-सम्मान की भावना को जाग्रत किया था। सन् 1906 में ट्रांसवाल कानून जैसा अपमान जनक काला कानून पास हुआ था। इसका विरोध करने के लिए ही गाँधी जी ने सत्याग्रह आन्दोलन को चलाया था जिसमें उन्हें बखूबी सफलता प्राप्त हुई थी। अंग्रेजों को उस कानून को वापस लेना पड़ा जिसके परिणामस्वरूप दक्षिणी अफ्रीका में भारतियों पर किये जाने वाले अत्याचार बंद कर दिए गये। सत्याग्रह का यह पहला प्रयोग था जिसमें उन्हें पूरी सफलता मिली थी।

राजनीति में प्रवेश : जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तो उस समय भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन चल रहा था। सन् 1915 में गाँधी जी भारत लौटे थे। उन दिनों में गोपाल कृष्ण गोखले जी कांग्रेस के गणमान्य सदस्य थे। गोपाल कृष्ण गोखले जी की अपील पर गाँधी जी कांग्रेस में शामिल हुए थे और पूरे भारत का भ्रमण किया था।

गाँधी जी ने जब देश की बागडोर को अपने हाथों में लिया था तो देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ था। गाँधी जी ने सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की थी। जब सन् 1928 में साइमन कमिशन भारत में आया था तो गाँधी जी ने उसका बहुत डटकर सामना किया था।

इसकी वजह से देशभक्तों को बहुत प्रोत्साहन मिला था। गाँधी जी द्वारा सन् 1930 में चलाये गये नमक आन्दोलन और दांडी यात्रा ने अंग्रेजों को पूरी तरह से हिला दिया था। गाँधी जी कांग्रेस के सक्रिय सदस्य होने की वजह से स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़े थे। उन दिनों में आन्दोलन की बागडोर तिलक जी के हाथ में थी। उनके साथ मिलकर ही गाँधी जी ने आन्दोलन को आगे बढ़ाया था।

स्वदेश आगमन : सन् 1915 में गाँधी जी भारत लौटे थे। उस समय पर अंग्रेज बहुत तेजी से भारत का दमन कर रहे थे। रोलैक्ट एक्ट जैसे काले कानून को भी उसी समय पर लागू किया गया था। पंजाब के अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 के समय जलियावाला बाग के अंदर एक महासभा हो रही थी। वह बैसाखी का समय था।

जलियावाला बाग चारों ओर से बंद है और सिर्फ एक ही गेट है जिससे अंदर या बाहर आया-जाया जा सकता है। इसका अंग्रेजों ने फायदा उठाया और विचार किया कि अगर कोई भगदड़ हुई तो लोग बाहर नहीं निकल पाएंगे। बाग के मेन गेट पर सिपाहियों को तैनात कर दिया गया और उसी समय अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने बिना किसी एलान के अपने सिपाहियों को बाग में बैठे हजारों लोगों के उपर गोलियां चलाने का आदेश दे दिया।

थोड़ी सी देर में ही पूरा बाग लाशों से भर गया था। उस आम सभा को जनरल डायर ने शोक सभा में बदल दिया था जिसमें हजारों निर्दोष लोग मारे गए थे। जब सन् 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ था तब उसने समुचित मानव जाति को लज्जित कर दिया था। धीरे-धीरे अंग्रेजों का अत्याचार बढने लगा था यह वह युग था जब कुछ शिक्षित लोग ही कांग्रेस में थे। उस समय के प्रमुख नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी थे। उस समय कांग्रेस पार्टी की स्थिति मजबूत नहीं थी।

भारत छोड़ो आन्दोलन : द्वितीय विश्वयुद्ध का अंत सन् 1942 में हुआ था। जब अंग्रेज अपने दिए हुए वचन से पीछे हट रहे थे तो उन्होंने ” अंग्रेजो! भारत छोड़ो ” का नारा लगाया था। गाँधी जी ने यह कहा था कि यह मेरी अंतिम लड़ाई है। उस समय असंख्य भारतियों को जेलों में बंद कर दिया गया था।

गाँधी जी ने भी अपने साथियों के साथ आत्म समर्पण किया था। इस वजह से सारे देश में अशांति फ़ैल गयी थी। अंग्रेजी सरकार घबरा गयी थी लेकिन गाँधी जी का सत्याग्रह आन्दोलन सुचारू रूप से चलता रहा। गाँधी जी अपने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर डटे रहे थे।

स्वतंत्रता प्राप्ति : जब सन् 1920 में तिलक जी का निधन हो गया था उसके बाद स्वतंत्रता आन्दोलन का पूरा भार गाँधी जी पर आ गया था। वे आन्दोलन का पूर्ण संचालन अहिंसा की नीतियों पर चलकर करने लगे थे। इसी समय पर उन्होंने देश में असहयोग आन्दोलन को चलाया था जिसमें हजारों की संख्या में वकील, शिक्षक, विद्यार्थी, व्यापारी शामिल हुए।

गाँधी जी का यह आन्दोलन पूरी तरह से अहिंसक था। सन् 1929 में रावी नदी के किनारे पर कांग्रेस अधिवेशन हुआ था जिसमें गाँधी जी ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी। सन् 1930 में गाँधी जी ने नमक कानून का डटकर विरोध किया। 24 दिनों की यात्रा के बाद दांडी में गाँधी जी ने खुद अपने हाथों से नमक तैयार किया था।

इसकी वजह से गाँधी जी के साथ बहुत से नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। मजबूर होकर गाँधी जी को समझौते के लिए इंग्लैण्ड बुलाया गया लेकिन इसके परिणाम कुछ नहीं निकले। गाँधी जी का आन्दोलन जारी रहा। गाँधी जी और भारत के अनेक क्रांतिकारी लोगों की वजह से भारत को अंत में 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

गाँधी जी ने छुआछूत को भारत से खत्म करने के लिए अनेक प्रयास किये। जिन लोगों को अछूत कहकर पुकारा जाता था गाँधी जी ने उन्हें हरिजन की संज्ञा दी थी। गाँधी जी ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके स्वदेशी वस्तुओं को प्रयोग करने पर अधिक बल दिया था। गाँधी जी ने खादी वस्त्रों के प्रसार के लिए भी अनेक प्रयास किये थे।

महान बलिदान : गाँधी जी जब तक जीवित रहे थे तब तक देश के उद्धार के लिए कार्य करते रहे। बहुत से लोग गाँधी जी की हिन्दू-मुस्लिम एकता की भावना के विरुद्ध थे। गाँधी जी जब 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में स्थित बिरला भवन की प्रार्थना सभा में आ रहे थे तो नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। उनकी मृत्यु के समाचार से पूरा देश गहरे शोक सागर में डूब गया। गाँधी जी के शरीर का अंत हो जाने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमारे बीच हैं। यही समय-समय पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं।

उपसंहार : गाँधी जी को भारतीय इतिहास के युग पुरुष के रूप में हमेशा याद रखा जायेगा। आज सारा विश्व उन्हें श्रद्धा से नमन करता है। गाँधी जी के जीवन पर अनेक भाषाओँ में फ़िल्में बनाई गईं जिससे आज का मानव उनसे प्रेरणा ले सके। गाँधी जी के जन्मदिन को सारा संसार श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाता है। अमेरिका जैसे बड़े राष्ट्र ने भी अपने देश में 2 अक्टूबर को गाँधी दिवस के रूप में मनाने की मान्यता दे दी है। युग-युग तक गाँधी जी को बहुत याद किया जायेगा।

Mahatma Gandhi Essay In English

Bhoomika :  Raashtrapita Mahaatma Gaandhee Bhaarat ke hee nahin balki sansaar ke mahaan purush the. Ve aaj ke is yug kee mahaan vibhooti the. Mahaatma Gaandhee jee saty aur ahinsa ke anany pujaaree the aur ahinsa ke prayog se unhonne saalon se gulaam Bhaaratavarsh ko paratantrata kee bediyon se mukt karavaaya tha. Vishv mein yah ekamaatr udaaharan hai ki Gaandhee jee ke satyaagrah ke samaksh angrejon ko bhee jhukana pada.

Aane vaalee peedhiyaan nishchay se gaurav ke saath unaka naam yaad karatee rahengee. Bhaarat desh jab paraadheenata mein phansa hua tha tab janata ka patan aur shoshan ho raha tha tatha pragati mein viraam chinh laga hua tha. Aisee sthiti mein desh ko ek jaagarook path-pradarshak kee bahut adhik aavashyakata thee. Aise samay par Gaandhee jee ka janm desh mein hua tha. Gaandhee jee ne svatantrata aandolan kee baagador ko apane haathon mein lekar saty aur ahinsa se desh ko svatantr karane mein apane jeevan ko laga diya tha.

Gaandhee jee ka janm : Mahaatma Gaandhee jee ka janm 2 aktoobar, 1869 ko Gujaraat raajy ke Kaathiyaavaad jile mein sthit Porabandar naamak sthaan par hua tha. Gaandhee jee ka poora naam Mohanadaas Karamachand Gaandhee tha. Gaandhee jee ke pita ka naam Karamachand Gaandhee tha aur unakee maata ka naam Putaleebaee Gaandhee tha. Mohanadaas jee apane pita jee kee chauthee patnee kee aakhiree santaan the.

Gaandhee jee ke pita Raajakot riyaasat ke deevaan the. Gaandhee ka praarambhik jeevan Raajakot mein beeta tha. Gaandhee jee kee maata satee-saadhvee aur dhaarmik pravrtti kee stree theen. Gaandhee jee par unakee maata ke sanskaaron ka bahut adhik prabhaav pada tha. Gaandhee jee ka parivaar vishuddh bhaarateey parivaar tha jisamen sadaachaar ko jeevan ka param mooly maana jaata tha.

Praarambhik shiksha : Gaandhee jee kee praarambhik shiksha Porabandar mein huee thee. Apanee kaksha mein ve ek saadhaaran vidyaarthee the. Gaandhee jee apane sahapaathiyon se bahut kam bolate the lekin apane shikshakon ka poora aadar karate the. Gaandhee jee ne maitrik kee pareeksha apane sthaaneey vidyaalay se utteern kee thee. Gaandhee jee ausat vidyaarthee the haalaanki unhonne kabhee-kabhee puraskaar aur chhaatravrttiyaan bhee jeetee hain lekin Gaandhee jee padhaee aur khel mein tej nahin the.

Gaandhee jee shuroo se hee satyavaadee aur mehanatee the. Gaandhee jee kabhee koee baat nahin chhipaate the. Gaandhee jee kee maata unhen bachapan se hee dharm-karm kee shiksha detee theen jisase ve vidyaalay mein bhee ek vinamr vidyaarthee the. Gaandhee jee jhagada, sharaarat aur uchhal-kood aadi se door rahate the. Ek baalak ka itana vinamr rahana uchit nahin tha lekin Gaandhee jee mein ye sabhee sanskaar janmajaat the.

San 1887 mein Gaandhee jee ne Bambee Yoonivarsitee kee maitrik kee pareeksha ko paas kiya aur Bhaavanagar sthit Saamaladaas Kolej mein pravesh liya. Achaanak Gujaraatee bhaasha se Angrejee bhaasha mein aa jaane se Gaandhee jee ko vyaakhyaanon ko samajhane mein thodee pareshaanee ho rahee thee. Gaandhee jee doktar banana chaahate the lekin vaishnav parivaar mein cheeraphaad kee ijaajat nahin thee. Agar Gaandhee jee ko Gujaraat ke kisee raajagharaane mein uchch pad ko praapt karane kee parampara ko nibhaana hai to unhen bairistar banana padega isalie Gaandhee jee ko Inglaind jaana pada.

Vivaah : Gaandhee jee jab 13 saal kee umr ke the aur skool mein padhate the tab unaka vivaah Porabandar ke ek vyaapaaree kee putree Kastooraba Devee jee se hua tha.

Videsh gaman : Gaandhee jee kee shiksha abhee jaaree thee ki unake pita ka svargavaas ho gaya. Jab Gaandhee jee qaanoonee shiksha grahan karane ke lie videsh gaye the tab ve ek bete ke pita ban chuke the. Inglaind mein Gaandhee jee ne adhyayan ke saath-saath pahalee baar svatantr vishv ka apanee khulee aankhon se darshan kiya tha.

Gaandhee jee ne videsh jaane se pahale apanee maata jee se yah vaada kiya tha ve Inglend jaakar maans aur mandira ka paan nahin karenge. Gaandhee jee ne apanee maata ko kiya hua vaada bakhoobee nibhaaya. Gaandhee jee ne Inglend mein asankhy baadhaon ka saamana kiya. Shaakaahaaree bhojan ke lie Gaandhee jee ko anek kashton ka saamana karana pada tha.

Vakaalat kee shiksha pooree karane ke baad ve apane desh laute. Unhonne madira paan aur maans na khaane ke pran ko jeevan paryant tak nibhaaya tha. Is beech unakee maan ka bhee svargavaas ho gaya. Gaandhee jee apanee maan se bahut pyaar karate the. Gaandhee jee ke jeevan mein daya, prem, karuna tatha eeshvar ke prati ni:svaarth shraddha kee bhaavana maan se hee paida huee thee.

Dakshinee Aphreeka ke lie prasthaan : Jab Gaandhee jee mumbee mein vakaalat kar rahe the to vaheen se unhen san 1893 mein Porabandar ke ek kesh Abdulla End Kampanee ke mukadame ke silasile mein Dakshinee Aphreeka jaana pada tha. Dakshinee aphreeka jaakar unhen pata chala tha ki vahaan par jitane bhee bhaaratavaasee base hue the unake saath bahut bura vyavahaar kiya jaata hai.

Us samay vahaan par rang-bhed ka maahaul charam seema par pahunch chuka tha. Gaandhee jee is baat ko sahan nahin kar sake. Gaandhee jee ke man mein raashtriy bhaavana jaagrt huee. Gaandhee jee ko bhee isaka shikaar banana pada tha. Ek baar gaandhee jee dakshin aphreeka mein rel mein saphar kar rahe the. Gaandhee jee ke paas pharst klaas ka tikat tha lekin phir bhee unhen thard klaas mein jaane ke lie kaha gaya tha.

Vahaan ke logon par thodee der bhee nahin ruka gaya aur unhonne Gaandhee jee ko tren se baahar phenk diya. In sabhee gatividhiyon kee vajah se Gaandhee jee ke man mein yah vichaar aaya ki desh ke log kis prakaar se adheen hokar apane aap ko pratidin apamaanit dekh rahe hain. Yaheen se Gaandhee jee Dakshin Aphreeka se vaapas Bhaarat aa gae aur bhaarat kee aajaadee mein apana mahatvapoorn yogadaan dene lage.

Agar us samay mein Gaandhee jee ne svatantrata ke lie apana yogadaan na diya hota to aaj ham paratantrata ke bandhan mein bandhe hote. Bhaarat mein lautane ke baad Gaandhee jee ne sabase pahale desh ke kisaan bhaeeyon ko ekata kee dor mein baandhakar lutere jameendaaron aur saahookaaron ke viruddh aavaaj uthaane ke lie prerit kiya.

Lekin ye jameendaar angrejon ke aadesh mein rahate the. Is tarah se logon kee jindagee ko dekhakar Gaandhee jee ne san 1918 mein Gujaraat ke Champaaran aur Kheda gaanv ke logon ko ikattha kiya. Gaandhee jee ne gaanv ke logon ko sahee disha mein jaane aur apane desh kee maryaada ka paalan karane ke lie kaha. Gaandhee jee ne kaha ki yah desh pahale aap sabhee logon ka hai is desh par baahar ke logon ka hak baad mein hai.

Is railee se hee logon mein jaagarookata aane lagee aur yaheen se deshavyaapee ekata kee shuruaat hone lagee aur isee beech logon ne Gaandhee jee ko ek naya naam de diya tha Baapoo aur baad mein isee naam se log Gaandhee jee ko pahachaanane lage. Unhonne sabase pahale yaheen par satyaagrah ka prayog kiya tha. Isamen Gaandhee jee ko bahut saphalata milee thee. Yahaan par Gaandhee jee ne Neshanal Netaal Indiyan Kaangres kee sthaapana bhee kee thee.

Isake maadhyam se Gaandhee jee ne bhaaratiyon ke andar aatm-sammaan kee bhaavana ko jaagrat kiya tha. San 1906 mein traansavaal kaanoon jaisa apamaan janak kaala kaanoon paas hua tha. Isaka virodh karane ke lie hee Gaandhee jee ne satyaagrah aandolan ko chalaaya tha jisamen unhen bakhoobee saphalata praapt huee thee. Angrejon ko us kaanoon ko vaapas lena pada jisake parinaamasvaroop Dakshinee Aphreeka mein bhaaratiyon par kiye jaane vaale atyaachaar band kar die gaye. Satyaagrah ka yah pahala prayog tha jisamen unhen pooree saphalata milee thee.

Raajaneeti mein pravesh : Jab Gaandhee jee Dakshin Aphreeka mein the to us samay Bhaarat mein svatantrata aandolan chal raha tha. San 1915 mein Gaandhee jee Bhaarat laute the. Un dinon mein Gopaal Krshn Gokhale jee Kaangres ke ganamaany sadasy the. Gopaal Krshn Gokhale jee kee apeel par Gaandhee jee Kaangres mein shaamil hue the aur poore Bhaarat ka bhraman kiya tha.

Gaandhee jee ne jab desh kee baagador ko apane haathon mein liya tha to desh mein ek nae itihaas ka sootrapaat hua tha. Gaandhee jee ne san 1920 mein asahayog aandolan kee shuruaat kee thee. Jab san 1928 mein saiman kamishan Bhaarat mein aaya tha to Gaandhee jee ne usaka bahut datakar saamana kiya tha.

Isakee vajah se deshabhakton ko bahut protsaahan mila tha. Gaandhee jee dvaara san 1930 mein chalaaye gaye namak aandolan aur daandee yaatra ne angrejon ko pooree tarah se hila diya tha. Gaandhee jee Kaangres ke sakriy sadasy hone kee vajah se svatantrata aandolan mein kood pade the. Un dinon mein aandolan kee baagador tilak jee ke haath mein thee. Unake saath milakar hee Gaandhee jee ne aandolan ko aage badhaaya tha.

Svadesh aagaman : San 1915 mein Gaandhee jee Bhaarat laute the. Us samay par angrej bahut tejee se Bhaarat ka daman kar rahe the. Rolaikt ekt jaise kaale kaanoon ko bhee usee samay par laagoo kiya gaya tha. Panjaab ke Amrtasar mein 13 aprail 1919 ke samay jaliyaavaala baag ke andar ek mahaasabha ho rahee thee. Vah baisaakhee ka samay tha.

Jaliyaavaala baag chaaron or se band hai aur sirph ek hee get hai jisase andar ya baahar aaya-jaaya ja sakata hai. Isaka angrejon ne phaayada uthaaya aur vichaar kiya ki agar koee bhagadad huee to log baahar nahin nikal paenge. Baag ke men get par sipaahiyon ko tainaat kar diya gaya aur usee samay angrej aphasar janaral daayar ne bina kisee elaan ke apane sipaahiyon ko baag mein baithe hajaaron logon ke upar goliyaan chalaane ka aadesh de diya.

Thodee see der mein hee poora baag laashon se bhar gaya tha. Us aam sabha ko janaral daayar ne shok sabha mein badal diya tha jisamen hajaaron nirdosh log maare gae the. Jab san 1919 mein jaliyaanvaala baag hatyaakaand hua tha tab usane samuchit maanav jaati ko lajjit kar diya tha. Dheere-dheere angrejon ka atyaachaar badhane laga tha yah vah yug tha jab kuchh shikshit log hee Kaangres mein the. Us samay ke pramukh neta Lokamaany Baal Gangaadhar Tilak jee the. Us samay Kaangres paartee kee sthiti majaboot nahin thee.

Bhaarat Chhodo Aandolan : Dviteey vishvayuddh ka ant san 1942 mein hua tha. Jab angrej apane die hue vachan se peechhe hat rahe the to unhonne ” Angrejo! Bhaarat Chhodo ” ka naara lagaaya tha. Gaandhee jee ne yah kaha tha ki yah meree antim ladaee hai. Us samay asankhy bhaaratiyon ko jelon mein band kar diya gaya tha.

Gaandhee jee ne bhee apane saathiyon ke saath aatm samarpan kiya tha. Is vajah se saare desh mein ashaanti fail gayee thee. Angrejee sarakaar ghabara gayee thee lekin Gaandhee jee ka satyaagrah aandolan suchaaroo roop se chalata raha. Gaandhee jee apane saty aur ahinsa ke maarg par date rahe the.

Svatantrata praapti : Jab san 1920 mein tilak jee ka nidhan ho gaya tha usake baad svatantrata aandolan ka poora bhaar Gaandhee jee par aa gaya tha. Ve aandolan ka poorn sanchaalan ahinsa kee neetiyon par chalakar karane lage the. Isee samay par unhonne desh mein asahayog aandolan ko chalaaya tha jisamen hajaaron kee sankhya mein vakeel, shikshak, vidyaarthee, vyaapaaree shaamil hue.

Gaandhee jee ka yah aandolan pooree tarah se ahinsak tha. San 1929 mein raavee nadee ke kinaare par Kaangres adhiveshan hua tha jisamen Gaandhee jee ne poorn svatantrata kee ghoshana kar dee thee. San 1930 mein Gaandhee jee ne namak kaanoon ka datakar virodh kiya. 24 dinon kee yaatra ke baad Daandee mein Gaandhee jee ne khud apane haathon se namak taiyaar kiya tha.

Isakee vajah se Gaandhee jee ke saath bahut se netaon ko jel mein daal diya gaya tha. Majaboor hokar Gaandhee jee ko samajhaute ke lie Inglaind bulaaya gaya lekin isake parinaam kuchh nahin nikale. Gaandhee jee ka aandolan jaaree raha. Gaandhee jee aur Bhaarat ke anek kraantikaaree logon kee vajah se Bhaarat ko ant mein 15 agast, 1947 ko svatantrata praapt huee.

Gaandhee jee ne chhuaachhoot ko Bhaarat se khatm karane ke lie anek prayaas kiye. Jin logon ko achhoot kahakar pukaara jaata tha Gaandhee jee ne unhen harijan kee sangya dee thee. Gaandhee jee ne videshee vastuon ka bahishkaar karake svadeshee vastuon ko prayog karane par adhik bal diya tha. Gaandhee jee ne khaadee vastron ke prasaar ke lie bhee anek prayaas kiye the.

Mahaan balidaan : Gaandhee jee jab tak jeevit rahe the tab tak desh ke uddhaar ke lie kaary karate rahe. Bahut se log Gaandhee jee kee hindoo-muslim ekata kee bhaavana ke viruddh the. Gaandhee jee jab 30 janavaree, 1948 ko dillee mein sthit birala bhavan kee praarthana sabha mein aa rahe the to Naathooraam Godase naamak vyakti ne golee maarakar unakee hatya kar dee thee. Unakee mrtyu ke samaachaar se poora desh gahare shok saagar mein doob gaya. Gaandhee jee ke shareer ka ant ho jaane ke baad bhee unake aadarsh aur upadesh hamaare beech hain. Yahee samay-samay par hamaara maargadarshan karate hain.

Related posts:

  • परीक्षाओं में बढती नकल की प्रवृत्ति पर निबंध-Hindi Nibandh
  • प्रातःकाल का भ्रमण पर निबंध-Paragraph On Morning Walk In Hindi
  • ई-कॉमर्स व्यवसाय पर निबंध
  • भारत के गाँव पर निबंध-Essay On Indian Village In Hindi
  • डॉ मनमोहन सिंह पर निबंध-Dr. Manmohan Singh in Hindi
  • मानव और विज्ञान पर निबंध-Science and Human Entertainment Essay In Hindi
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध-Hindi Essay on Paradhi Supnehu Sukh Nahi
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध
  • दूरदर्शन के लाभ, हानि और महत्व पर निबंध-Television Essay in Hindi
  • झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर निबंध-Rani Laxmi Bai In Hindi
  • वायु प्रदूषण पर निबंध-Essay On Air Pollution In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)
  • हिंदी दिवस के महत्व पर निबंध-Hindi Diwas Essay In Hindi
  • रबिन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध-Essay On Rabindranath Tagore In Hindi
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध-Women Empowerment Essay In Hindi
  • इंटरनेट पर निबंध-Essay On Internet In Hindi
  • गाय पर निबंध-Essay On Cow In Hindi
  • पुस्तकालय पर निबंध-Essay On Library In Hindi
  • मेरी माँ पर निबंध-My Mother Essay In Hindi
  • Hindi Nibandh For Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 And 8
  • Beti Bachao Beti Padhao In Hindi-बेटी बचाओ बेटी पढाओ से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें

CollegeDekho

Frequently Search

Couldn’t find the answer? Post your query here

  • एजुकेशन आर्टिकल्स
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi): गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइनें, 100, 200, 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखें

Updated On: July 19, 2024 01:43 pm IST

प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखने में छात्रों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिये गये आर्टिकल से आप निबंध लिखना सीख सकते है।

  • महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma …
  • गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi …
  • महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma …

गांधी जयंती पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): “अहिंसा के पुजारी” और “राष्ट्रपिता” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही दिखने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी। गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है। ये  भी पढ़ें - दशहरा पर निबंध

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 200 words)

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएं इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें उन प्रसिद्ध स्थानों को शामिल किया गया है जहां उनका दौरा किया गया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था। गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं। ये भी पढ़ें- दिवाली पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi in 500+ words)

मोहनदास करमचंद गांधी.

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti) - मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत के पोरबंदर, कंथियावाड़ में पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी और उनकी चौथी पत्नी पुतलीबाई के घर हुआ था। 1882 में उन्होंने कस्तूरबाई माकनजी से शादी की, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। गांधीजी ने 1887 में सामलदास कॉलेज, भाऊनगर में दाखिला लिया, लेकिन एक सत्र के बाद छोड़ दिया। हालाँकि, उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और वह 4 सितंबर 1888 को लंदन के लिए रवाना हो गए।

गांधी जयंती

भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।

देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की।

गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। अहिंसा का अर्थ ही होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने पर बल देते थे। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है। गांधी जी बुद्ध के सिद्धांतों का अनुगमन कर इच्छाओं की न्यूनता पर भी बल देते थे।

महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना थाकई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।

स्वदेशी आन्दोलन

स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी। इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र  के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें। अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था।

स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी। बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था। महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया। छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया। बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया। आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम को गाने का मतलब देशद्रोह था। यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया।

खिलाफत आन्दोलन

प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग भारत (नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट) और खिलाफत आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये थे, जिसमें 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन चलाये गये थे। खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा पद को पुनः स्थापित करना था। खिलाफत आंदोलन 1919 से 1924 तक चला था। हालाँकि इस आंदोलन का सीधा सम्बन्ध भारत से नहीं था। इस का प्रारम्भ 1919 में अखिल भारतीय कमिटी का गठन करके किया गया था। अखिल भारतीय कमिटी का गठन अली बंधुओं द्वारा किया गया था।

अंत्योदय एक ऐसा मिशन था जो गांधीजी के दिल के करीब था। अंत्योदय शब्द का अर्थ है " अंतिम व्यक्ति का उत्थान " या सबसे निराश, सबसे गरीब वर्ग के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करना, जो कि बापू के अनुसार, केवल सर्वोदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, अंत्योदय द्वारा सभी का विकास।

सात्विक आहार

महात्मा गांधी सात्विक खाने में विश्वास रखते थे। गुस्सा दिलाने वाले खाने से वह परहेज करते थे इसलिए हरी सब्जियों की मात्रा खाने में रखते थे। उबली हुई सब्जियों को बिना नमक के साथ खाना उनकी आदतों में रहा है। चुकंदर बैंगन भी उबालकर गांधी जी अपनी डाइट में लेते थे। सादा खाना उनकी पसंद हमेशा से रहा था, इसी क्रम में उन्होंने दाल और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था। दाल और चावल भी सात्विक खाने का प्रतीक होता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अच्छी होती है।

महात्मा गाँधी के साथ चरखे का नाम भी विशेषतौर पर जोड़ा जाता है। भारत में चरखे का इतिहास बहुत प्राचीन होते हुए भी इसमें उल्लेखनीय सुधार का काम महात्मा गाँधी के जीवनकाल का ही मानना चाहिए। सबसे पहले सन 1908 में गाँधी जी को चरखे की बात सूझी थी, जब वे इंग्लैंड में थे। उसके बाद वे बराबर इस दिशा में सोचते रहे। वे चाहते थे कि चरखा कहीं न कहीं से लाना चाहिए। गाँधी जी ने चरखे की तलाश की थी। एक गंगा बहन थीं, उनसे उन्होंने चरखा बड़ौदा के किसी गांव से मंगवाया था। इससे पहले गाँधी जी ने चरखा कभी देखा भी नहीं था, सिर्फ उसके बारे में सुना था। बाद में उस चरखे में उन्होंने काफ़ी सुधार भी किए। दरअसल गाँधी जी के चरखे और खादी के पीछे सेवा का भाव था। उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी, उनकी आजादी के लिए भी। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी और उस किसान के लिए भी, जो 6 महीने ख़ाली रहता था।

हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन है, लेकिन गांधीजी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती हैगांधी जी के लिये स्वराज का अर्थ व्यक्तियों के स्वराज (स्वशासन) से था और इसलिये उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिये स्वराज का मतलब अपने देशवासियों हेतु स्वतंत्रता है और अपने संपूर्ण अर्थों में स्वराज स्वतंत्रता से कहीं अधिक है। आत्मनिर्भर व स्वायत्त्त ग्राम पंचायतों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करना ही गांधी जी का ग्राम स्वराज सिद्धांत था। आर्थिक मामलों में भी गांधीजी विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के माध्यम से लघु, सूक्ष्म व कुटीर उद्योगों की स्थापना पर बल देते थे। गांधी जी का मत था कि भारी उद्योगों की स्थापना के पश्चात् इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें व धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, साथ ही बहुत बड़े उद्योगों का अस्तित्व श्रमिक वर्ग के शोषण का भी मार्ग तैयार करता है।

महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi in 10 Lines)

  • महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
  • गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
  • गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
  • महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
  • गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
  • गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
  • गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
  • महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
  • गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।

ये भी पढ़ें-

हिंदी में अन्य निबंध देखें

Are you feeling lost and unsure about what career path to take after completing 12th standard?

Say goodbye to confusion and hello to a bright future!

क्या यह लेख सहायक था ?

सबसे पहले जाने.

लेटेस्ट अपडेट प्राप्त करें

Related Questions

Contact : college direct telephone contact number.

  • 272 Answers

Delete my account now

I had Mathematics and Computer Science at the +2 level. Am I eligible for B.Sc (Hons) Forestry admission at Forest College and Research Institute Mettupalayam?

Dear student, anyone who has studied Physics, Chemistry, Biology/Mathematics compulsorily at the qualifying exam level can apply for B.Sc (Hons) Forestry offered by a reputed institution. As far as B.Sc (Hons) Forestry admission eligibility of Forest College and Research Institute Mettupalayam is concerned, the official website of the institute does not contain any eligibility details. Based on the general eligibility criteria, you can either apply for admission directly when the admission process commences or can confirm the academic eligibility criteria from the institute officials through the contact details mentioned below - 

+91 4254 271503

+91 4254 271504

I want my admission in BBD university

Hi there, the admission for the next academic session at LPU has begun. You can register on the LPU website and book your LPUNEST slot. LPU is NAAC accredited university and ranks 23rd in NIRF. You need to fulfill the eligibility conditions for admission. For further details you can visit the website or get in touch with the LPU officials. Good Luck

क्या आपके कोई सवाल हैं? हमसे पूछें.

24-48 घंटों के बीच सामान्य प्रतिक्रिया

व्यक्तिगत प्रतिक्रिया प्राप्त करें

बिना किसी मूल्य के

समुदाय तक पहुंचे

समरूप आर्टिकल्स

  • बीएड एंट्रेंस एग्जाम 2024 लिस्ट (B.Ed Entrance Exams 2024 List in Hindi): डेट, एप्लीकेशन फॉर्म, एलिजिबिलिटी और सिलेबस देखें
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध (Essay on Independence Day in Hindi): 15 अगस्त पर निबंध, महत्व, इतिहास जानें
  • यूपी टीईटी आवेदन पत्र 2024 (UP TET Application Form 2024): आवेदन के लिए आवश्यक डाक्यूमेंट और स्टेप्स देखें
  • नवोदय विद्यालय क्लास 9 एडमिशन 2025 (Navodaya Vidyalaya Class 9 Admission 2025): एप्लीकेशन फॉर्म (जल्द), तारीखें, शुल्क और एडमिशन प्रोसेस
  • रक्षाबंधन पर निबंध (Raksha Bandhan Essay in Hindi): कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के लिए रक्षा बंधन पर निबंध
  • नवोदय कक्षा 6 एडमिशन 2025 (Navodaya Class 6th Admission 2025): जवाहर नवोदय विद्यालय कक्षा 6 में एडमिशन शुरू

नवीनतम आर्टिकल्स

  • सीजी टीईटी 2024 (CG TET 2024): आंसर की (जारी), तारीखें, रिजल्ट, चयन प्रक्रिया और लेटेस्ट अपडेट
  • रीट सिलेबस 2024 (REET Syllabus 2024 in Hindi): रीट लेवल 1 और 2 का सब्जेक्ट वाइज सिलेबस हिंदी में डाउनलोड करें
  • सीटेट ओएमआर शीट 2024 (CTET OMR Sheet 2024): जुलाई सत्र के लिए ओएमआर शीट जारी, इंस्ट्रक्शंस, स्कोर कैलकुलेशन और सैंपल
  • एमपी बीएड एडमिशन 2024 (MP B.Ed 2024 Admission): तारीखें, एप्लीकेशन फॉर्म, एलिजिबिलिटी, मेरिट लिस्ट, च्वाइस फिलिंग, सीट आवंटन
  • हरियाणा बीएड एडमिशन 2024 (Haryana B.Ed Admission 2024): एप्लीकेशन फॉर्म, पात्रता मानदंड, मेरिट लिस्ट, काउंसलिंग प्रक्रिया और सीट आवंटन
  • सीटीईटी एग्जाम 2024 के बाद करियर के अवसर (Career Opportunities After CTET Exam 2024): नौकरियां, वेतनमान, शिक्षण पद जानें
  • यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती पात्रता मानदंड (UP Police Constable Recruitment Eligibility Criteria): तारीखें, वैकेंसी डिटेल, आवेदन शुल्क जानें
  • हरियाणा बोर्ड क्लास 12वीं साइंस सिलेबस 2025 (Haryana HBSE Class 12 Science Syllabus 2025 in Hindi): सब्जेक्ट वाइज सिलेबस, टॉपिक वेटेज यहां चेक करें
  • एचबीएससी क्लास 12वीं आर्ट्स सिलेबस 2025 (HBSE Class 12th Arts Syllabus 2025 in Hindi): सब्जेक्ट वाइज सिलेबस यहां देखें
  • सीटेट पासिंग मार्क्स 2024 (CTET Passing marks 2024): जनरल, ओबीसी, एससी, एसटी क्वालीफाइंग मार्क्स चेक करें
  • सीटीईटी सर्टिफिकेट 2024 (CTET Certificate 2024): वैधता, प्राप्त करने के स्टेप्स, आवश्यक डाक्यूमेंट
  • सीटेट पास टीचर की सैलरी (CTET Qualified Teachers Salary): प्राइमरी टीचर की सैलरी पैकेज डिटेल जानें
  • बिहार एसटीईटी रिजल्ट 2024 (Bihar STET Result 2024 in Hindi): रिजल्ट, क्वालिफाइंग मार्क्स और कटऑफ यहां देखें
  • बिहार एसटीईटी आंसर की 2024 (Bihar STET Answer Key 2024): आंसर की पीडीएफ यहां डाउनलोड करें
  • बिहार एसटीईटी सिलेबस 2024 (Bihar STET Syllabus 2024 In Hindi): सब्जेक्ट वाइज सिलेबस और परीक्षा पैटर्न
  • बिहार एसटीईटी 2024 (Bihar STET 2024): परीक्षा तारीख, आवेदन पत्र, पात्रता और सिलेक्शन प्रोसेस
  • बिहार एसटीईटी पासिंग मार्क्स 2024 (Bihar STET Passing Marks 2024): बिहार एसटीईटी कट ऑफ मार्क्स देखें
  • बीएड एडमिशन 2024 (B.Ed Admission 2024): आवेदन तारीख, पात्रता, चयन प्रक्रिया और टॉप कॉलेज
  • बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के लिए सीयूईटी कटऑफ 2024 (Banaras Hindu University CUET Cutoff 2024): पिछले रुझानों के आधार पर देखें अपेक्षित कटऑफ
  • बिहार बी.एड सीईटी 2024 रैंक 50,000 से 75,000 के लिए कॉलेजों की लिस्ट (List of Colleges for Bihar B.Ed CET 2024 Rank 50,000 to 75,000)
  • रीट रिजल्ट 2024 (REET Result 2024 in Hindi): रीट रिजल्ट 2024 जारी, डायरेक्ट लिंक के साथ कैसे चेक करें यहां जानें
  • सीयूईटी परीक्षा 2024 में अच्छे अंक लाने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स और ट्रिक्स जानें (Important Tips and Tricks to Score Good Marks in CUET Exam 2024)

ट्रेंडिंग न्यूज़

बीएससी एग्रीकल्चर के बाद सरकारी नौकरियां (Government Jobs after BSc Agriculture)

Subscribe to CollegeDekho News

  • Select Program Type UG PG Diploma Ph.D Certificate

Top 10 Education Colleges in India

  • Approved by: UGC, NAAC, National Assessment and Accreditation Council (NAAC)
  • Type: Private Aided
  • Download Brochure
  • Approved by: ISO, NAAC, AICTE
  • Type: Private UnAided
  • Get Free Counselling
  • Approved by: UGC, NAAC
  • Type: Public
  • Type: Private
  • Approved by: Bar Council of India, AIU, NCTE, Pharmacy Council of India, NABL, IAP, UGC-AICTE-DEC ( Joint committee), ICAR, Indian Association of Physiotherapists, NCTE, ACU, UGC, ACBSP, NAAC, COA, National Assessment and Accreditation Council (NAAC), IAU, Punjab State Council For Agricultural Education (PSCAE), Institute Of Town Planners, ITPI
  • Approved by: UGC, National Assessment and Accreditation Council (NAAC)
  • Type: Government
  • Approved by: UGC, AIU, ISO, RCI, ICAR, NCTE, ACU, BCI, PCI
  • Approved by: UGC, AICTE, BCI, AIU, NCTE, NAAC

Popular Degrees

  • B.Ed. (Bachelor of Education)
  • M.Ed. (Master of Education)
  • B.Ed. + M.Ed.

कॉलेजदेखो के विशेषज्ञ आपकी सभी शंकाओं में आपकी मदद कर सकते हैं

  • Enter a Valid Name
  • Enter a Valid Mobile
  • Enter a Valid Email
  • Select Level UG PG Diploma Ph.D Certificate
  • By proceeding ahead you expressly agree to the CollegeDekho terms of use and privacy policy

शामिल हों और विशेष शिक्षा अपडेट प्राप्त करें !

Details Saved

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

Your College Admissions journey has just begun !

Try our AI-powered College Finder. Feed in your preferences, let the AI match them against millions of data points & voila! you get what you are looking for, saving you hours of research & also earn rewards

For every question answered, you get a REWARD POINT that can be used as a DISCOUNT in your CAF fee. Isn’t that great?

1 Reward Point = 1 Rupee

Basis your Preference we have build your recommendation.

Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Select your language, notifications.

  • Install App
  • > #text#::0" href="/latest-hindi-news">मुख्य ख़बरें
  • > #text#::1" href="/national-hindi-news">राष्ट्रीय
  • > #text#::2" href="/international-hindi-news">अंतरराष्ट्रीय
  • > #text#::3" href="/regional-hindi-news">प्रादेशिक
  • > #text#::4" href="/madhya-pradesh">मध्यप्रदेश
  • > #text#::5" href="/uttar-pradesh">उत्तर प्रदेश
  • > #text#::6" href="/crime">क्राइम
  • > #text#::7" href="/web-viral">फैक्ट चेक
  • > #text#::8" href="/auto-mobile">ऑटो मोबाइल
  • > #text#::9" href="/business">व्यापार
  • > #text#::10" href="/mobile-news">मोबाइल मेनिया
  • > #text#::0" href="/84-mahadev-ujjain">84 महादेव (उज्जैन)
  • कारगिल विजय दिवस
  • > #text#::0" href="/bollywood-gossip">बॉलीवुड न्यूज़
  • > #text#::1" href="/hot-shot">हॉट शॉट
  • > #text#::2" href="/bollywood-movie-review">मूवी रिव्यू
  • > #text#::3" href="/web-stories/bollywood">वेब स्टोरी
  • > #text#::4" href="/bollywood-movie-preview">आने वाली फिल्म
  • > #text#::5" href="/bollywood-khul-jaa-sim-sim">खुल जा सिम सिम
  • > #text#::6" href="/bollywood-focus">बॉलीवुड फोकस
  • > #text#::7" href="/bollywood-article">आलेख
  • > #text#::8" href="/salman-khan-special">सलमान खान
  • > #text#::9" href="/sunny-leone-special">सनी लियोन
  • > #text#::10" href="/indian-television">टीवी
  • > #text#::11" href="/bollywood-celebrity-interview">मुलाकात
  • > #text#::0" href="/sports-update">अन्य खेल
  • > #text#::1" href="/sports-coverage">खेल-संसार
  • > #text#::2" href="/cricket-fixtures">शेड्यूल
  • > #text#::0" href="/astrology-daily-horoscope">दैनिक राशिफल
  • > #text#::1" href="/astrology/ramshalaka/index.htm">रामशलाका
  • > #text#::2" href="/astrology-zodiac-signs">राशियां
  • > #text#::3" href="/birthday-astrology">आज का जन्मदिन
  • > #text#::4" href="/astrology-muhurat">आज का मुहूर्त
  • > #text#::5" href="/lal-kitab">लाल किताब
  • > #text#::6" href="/vastu-fengshui">वास्तु-फेंगशुई
  • > #text#::7" href="/tarot/index.html">टैरो भविष्यवाणी
  • > #text#::8" href="/astrology/choghadia/index.htm">चौघड़िया
  • > #text#::0" href="/women">वीमेन कॉर्नर
  • > #text#::1" href="/health-tips">सेहत
  • > #text#::2" href="/yoga">योग
  • > #text#::3" href="/nri">NRI
  • > #text#::4" href="/motivational">मोटिवेशनल
  • > #text#::5" href="/recipe">रेसिपी
  • > #text#::6" href="/kids-world">नन्ही दुनिया
  • > #text#::7" href="/tourism">पर्यटन
  • > #text#::8" href="/romance">रोमांस
  • > #text#::9" href="/literature">साहित्य
  • श्रीरामचरितमानस
  • धर्म संग्रह
  • > #text#::0" href="/ekadashi-vrat-katha">एकादशी
  • > #text#::1" href="/shri-krishna">श्री कृष्णा
  • > #text#::2" href="/ramayana">रामायण
  • > #text#::3" href="/mahabharat">महाभारत
  • > #text#::4" href="/indian-festivals">व्रत-त्योहार
  • > #text#::5" href="/indian-religion">धर्म-दर्शन
  • > #text#::6" href="/shirdi-sai-baba">शिरडी साईं बाबा
  • > #text#::7" href="https://hindi.webdunia.com/religion/religion/hindu/ramcharitmanas/">श्रीरामचरितमानस
  • > #text#::8" href="/religious-article">आलेख
  • श्रीराम शलाका
  • > #text#::0" href="/hindi-jokes">चुटकुले

Mahatma Gandhi essay : महात्मा गांधी पर हिन्दी में निबंध

Mahatma Gandhi essay : महात्मा गांधी पर हिन्दी में निबंध

वेबदुनिया पर पढ़ें

Follow webdunia hindi, सम्बंधित जानकारी.

webdunia

सत्य और अहिंसा के प्रणेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उल्लेखनीय कार्य

webdunia

महात्मा गांधी : बापू के अनमोल विचार आपका जीवन बदल देंगे

webdunia

दुनिया के इन महान लोगों की प्रेरणा हैं महात्मा गांधी

webdunia

महात्मा गांधी के संबंध में 10 आश्चर्यजनक तथ्‍य

webdunia

लाल बहादुर शास्त्री पर हिन्दी में निबंध

महात्मा गांधी पर अनुच्छेद | Paragraph on Mahatma Gandhi in Hindi

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

प्रस्तावना:

भारत का बच्चा-बच्चा तक महात्मा गांधी का नाम जानता है और उनकी जय-जयकार करता है । वह भारत की एक महान् विभूति ही नहीं, वरन् विश्व की महानतम विभूतियों में गिने जाते है । भारत उन्हें राष्ट्रपिता मानता है । हम उन्हें आदर और श्रद्धा से बापू पुकारते हैं । उनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था ।

उनके माता-पिता तथा शिक्षा:

महात्मा गांधी का जन्म गुजरात राज्य के काठियावाड़ प्रदेश में स्थित पोरबन्दर शहर में 2 अक्टूबर, 1869 ई॰ को हुआ था । उनके पिता राजकोट रियासत के दीवान के । उनकी माता बड़ी सज्जन और धार्मिक विचारों वाली महिला थी । उन्होंने बचपन से ही गांधी को धार्मिक कथायें सुना-सुना कर उन्हें सात्विक प्रवृति बना दिया था ।

सात वर्ष की आयु में उन्हे स्कूल भेजा गया । स्कूल की पढ़ाई में वे औसत दर्जे के विद्यार्थी रहे । लेकिन वे अपना कक्षा मे ठीक समय पर नियमित रूप से पहुंचते थे और पाठ को मन लगाकर पढ़ते थे । मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद वै कॉलेज में पढ़े और बाद में कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गये ।

लन्दन में उनकी मुलाकात श्रीमती एनी बिरनेन्त से हुई और उनकी प्रेरणा से गांधी जी ने टाल्सटॉय के साहित्य को पढ़ा । टाल्सटॉय के विचारों ने उन्हें बड़ा प्रभावित किया । 1891 ई॰ में उन्होंने कानून की डिग्री प्राप्त कर ली ।

वकील के रूप में:

अपनी पढ़ाई पूरी करके वे भारत लौटे । उन्हें अपनी माँ से बड़ा प्यार था और अपनी मां की मृत्यु के समाचार से उन्हें बड़ा धक्का लगा लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने बम्बई जाकर वकालत शुरू कर दी । वहां उनकी वकालत ठीक से नहीं चली । वे राजकोट लौट आए और वहा वकालत जमाने को कोशिश करने लगे । उनकी वकालत न चलने का मुख्य कारण यह था कि वे झूठे मुकदमे स्वीकार नहीं करते थे ।

दक्षिण अफ्रीका में उनके कार्य:

ADVERTISEMENTS:

कुछ समय के बाद सौभाग्य से उन्हें एक बड़ा भारतीय व्यापारी मिला, जिसका दक्षिण अफ्रीका में बड़ा कारोबार था । उसे अपनी किसी उलझे मुकदमे में दक्षिण अफ्रीका में एक अच्छे वकील की जरूरत थी । उसने गांधी जी काफी बड़ी फीस देकर इस काम को करने को तैयार कर लिया । उसने गाँधी जी को दक्षिण अफ्रीका बुला लिया ।

दक्षिण अफ्रीका पहुंच कर उन्होंने भारत मूल के लोगो को बड़ी दयनीय अवस्था में देखा । उन्होंने उनकी दशा सुधारने का फैसला कर लिया और भारतीयों को उनके अधिकारों का बोध कराया । उन्होने उनमे जागृति लाकर उन्हें संगठित किया ।

उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के लिए जिस कांग्रेस की स्थापना की, आज भी वह वहां की प्रमुख पार्टी है । गांधी जी और उनके साथियों को कैद करके सजायें दी गई, लेकिन उन्होने अपनी लड़ाई नहीं छोड़ी ।

1914 ई॰ में इण्डियन रिलीफ एक्ट नामक कानून पास हो जाने के बाद वही के बाद भारतीय मूल के लोगों की स्थिति में काफी सुधार हो गया ।

भारत में उनके कार्य:

दक्षिण अफ्रीका के आन्दोलन में सफलता के बाद गाधी जी भारत लौट आए । वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य बन गए । उन्होंने पार्टी में नई जान डारन दी और आजादी के आन्दोलन को नई शिक्षा दी । शीघ्र ही वे उसके नेता बन गए ।

उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने अहिंसा का मार्ग अपनाया और ब्रिटिश सरक के काले कानूनों का असहयोग आन्दोलनों के द्वारा जोरदार विरोध किया । उन्होंने रौलेट एक्ट तथा दूसरे काले कानूनों का डट कर विरोध किया ।

इसके साथ ही उन्होंने काग्रेस पार्टी के सामने-समाज सुधार और हिन्दू-मुस्लिम एकता जैसे रचनात्मक कार्यो को सुझाया । छुआछूत के खिलाफ उन्होंने जोरदार आवाज उठाई और अछूतो को ‘हरिजन’ जैसा आदरणीय सबोधन दिया । हिन्दू-मुस्लिम एकता की रक्षा पर तो

उन्होने अपनी जान तक दे दी । ब्रिटिश सरकार ने स्वतन्त्रता आन्दोलन को दबाने का भरसक प्रयास किया । कई बार उन्होने गाँधी जी तथा अन्य भारतीय नेताओं को पकड कर जेल में डाल दिया । लेकिन उन्होंने भारत को स्वतन्त्रता दिलवा दी । 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ ।

उनकी हत्या:

गांधी जी की अकस्मात हत्या कर दी गई । एक पागल नौजवान ने उन्हें प्रार्थना-सभा में गोलियो से भून दिया । वह गांधी जी के विचारों का घोर विरोधी था । उनकी हत्या 30 जनवरी, 1948 को हुई ।

उनका चरित्र:

गांधी जी बड़ी धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे । वे सच्चाई का स्वयं पालन करते थे और सभी को सच्ची राह पर चलने की सलाह देते थे । वे बड़ा सादा जीवन बिताते थे । वे निर्धन, बेसहारों और बीमारों का बड़ा ख्याल रखते थे । उनका व्यक्तित्व अनोखा था । उन्होंने सदैव सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया ।

उन्होंने अहिंसा के माध्यम से भारत को आजादी दिलाकर दुनिया को चकित कर दिया । वे एक महान् संत थे । वे शान्ति के पुजारी थे । उन्होंने अछूतों और पिछड़ी जातियों के लोगों को समाज में सम्मान दिलाने के लिए बहुत कार्य किया ।

गाँधी जी महान् पुरुष थे । वे आदर्श गुरु, श्रेष्ठ वक्ता महान् विचारक और कर्मठ व्यक्ति थे । उन्हें समूचे विश्व में सदैव बड़े आदर से याद किया जाएगा । आज भी विश्व को उनके विचारों की आवश्यकता है । सत्य और अहिंसा के उनके बताए मार्ग पर चल कर राष्ट्रों के बीच मन-मुटाव समाप्त होकर जन साधारण का कल्याण हो सकता है ।

Related Articles:

  • महात्मा गांधी की जीवनी | Biography of Mahatma Gandhi in Hindi
  • श्रीमती इन्दिरा गांधी पर अनुच्छेद | Paragraph on Mrs. Indira Gandhi in Hindi
  • महात्मा गाँधी | Mahatma Gandhi in Hindi
  • महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

Nibandh

महात्मा गांधी पर निबंध

ADVERTISEMENT

भारत महापुरुषों का एक अनोखा देश है। जवाहरलाल नेहरू, बाल गंगाधर टिळक, महादेव गोविंद रानडे, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाषचंद्र बोस, आदि अनेक नेताओं ने हमारे इतिहास की शोभा बढ़ाई है। लेकिन महात्मा गाँधी बापू या राष्ट्रपिता के रूप में भारत में बहुत प्रसिद्ध हुए। महात्मा गांधी हमारे देश के एक महान नेता थे।

गांधी जी का जन्म २ अक्टूबर, १८६९ को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। उनके पिता का नाम करमचंद और माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी ने इंग्लैंड जाकर वकालत की परीक्षा पास की थी।

उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था। गांधी जी ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए आंदोलन शुरू किया। इसके लिए उन्होंने सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाया। आखिरकार उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी से देश को आज़ादी दिलाई। सन १९४८ में दिल्ली में गांधी जी की हत्या हो गई। गांधी जी भारत के राष्ट्रपिता' कहलाते हैं।

गांधीजी ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत का नवनिर्माण किया। वे भारत में ही नहीं, सारे विश्व में अपने कार्यों से चर्चे में रहे। ऐसे महान देशभक्त और महामानव को आज भी सभी लोग याद करते है। महात्मा गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।

गांधीजी ने सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चल के अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संगठन ने प्रतिवर्ष गांधी जयंती को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की।

अंत ३० जनवरी १९४८ को उनकी मृत्यु हो गई और उनके शरीर का राजघाट, नई दिल्ली में अंतिम संस्कार किया गया। उनको श्रद्धांजलि देने के लिए ३० जनवरी को भारत में शहीद दिवस के रूप में हर साल मनाने की घोषणा की गयी। महात्मा गांधी जी को प्यार से 'बापू' कहते हैं।

Nibandh Category

HindiKiDuniyacom

महात्मा गांधी पर 10 वाक्य (10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)

जब भी देश के स्वतंत्रता की बात आती है तो गांधी जी का नाम सबसे पहले हमारे ज़हन में आता है। 1857 की क्रांति के बाद स्वतंत्रता के हमारे लम्बे संघर्ष में गांधीजी के आगमन से एक नया बदलाव आ गया। गांधीजी ने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए देश की स्वतंत्रता में अभूतपूर्व योगदान दिया। देश में फैले सांप्रदायिकता पर वो निराश थे और लोगों से अपील किए कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हमें एकजूट होना पड़ेगा। देश की आज़ादी में गांधीजी एक महान नायक रहें।

गांधी जयंती पर 10 वाक्य

महात्मा गांधी पर 10 लाइन (Ten Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)

यहां मैं महात्मा गांधी से जुड़े कुछ वाक्यप्रस्तुत कर रहा हूं, आशा करता हूं कि ये आपके लिए उपयोगी होंगे।

Mahatma Gandhi par 10 Vakya – Set 1

1) गाँधीजी का वास्तविक नाम ‘मोहनदास करमचंद गांधी’ है।

2) 2 अक्टूबर 1869 को गांधीजी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था।

3) इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस एवं गांधी जयंती के नाम से जानते है।

4) इनके पिताजी करमचंद गांधी एक दीवान थे।

5) इनकी माताजी पुतलीबाई का धर्म के प्रति काफी झुकाव था।

6) इनका विवाह केवल 13 वर्ष की आयु में ही कस्तूरबा गांधी से कर दिया गया था।

7) इन्होंने अपने कानून की पढ़ाई लंदन से पूरा किया।

8) बापू ने जीवन के 3 सिद्धांत बताये है- सत्य, अहिंसा, ब्रम्हचर्य।

9) इन्हें हमारे भारत के राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है।

10) ये एक महान राजनीतिक और समाज सुधारक थे।

Mahatma Gandhi par 10 Vakya – Set 2

1) भारत की आज़ादी में गांधीजी का महत्वपूर्ण योगदान है।

2) गोपाल कृष्ण गोखले को ये अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।

3) गांधी जी सदैव ही अस्पृश्यता व अन्य कुरीतियों के विरोध में थे।

4) बापू ने देश के आज़ादी के लिए बहुत सारे आन्दोलन किए।

5) महात्मा गांधी स्वाधीनता आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ थे।

6) गांधीजी द्वारा बनाया गया पहला ‘सत्याग्रह आश्रम’ वर्तमान में राष्ट्रीय स्मारक है।

7) गांधीजी ने लोगों की सेवा के लिए अपना पहला आश्रम साबरमती नदी के तट पर बनाया।

8) भारत की आज़ादी की ओर गांधीजी का सबसे पहला चम्पारण आंदोलन था।

9) गांधीजी बहुत उदार प्रकृति के व्यक्ति थे, वो गरीबों और किसानों के लिए सदैव तत्पर रहते थे।

10) गांधीजी द्वारा किये आंदोलनों में चम्पारण, सविनय अवज्ञा, असहयोग, और नमक आंदोलन महत्वपूर्ण थे।

10 Lines on Mahatma Gandhi

गांधीजी जीवनपर्यंत लोगों की सेवा में लगे रहें। लंदन से वक़ालत करने के बावजूद उन्होंने विदेश में आराम की जिंदगी न चुनकर अफ्रीका में भारतीयों के लिए लड़ें। उसके बाद वो भारत की स्थिति को देखकर वापस लौट आए। गांधीजी ने कभी अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा और लोगों से भी हिंसा त्यागने की अपील करते थे। गांधीजी सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने देश की स्वतंत्रता में भी योगदान दिया और समाज में फैली कई कुप्रथाओं को भी समाप्त कराया। अंततः गांधीजी के ही एक शिष्य द्वारा उनका हत्या कर दिया गया।

दोस्तों मैं आशा करता हूँ कि महात्मा गांधी पर 10 लाइन (Ten Lines on Mahatma Gandhi) आपको पसंद आयी होंगी तथा आप इसे भलि-भांति समझ गए होंगे।

More Information:

महात्मा गाँधी पर भाषण

महात्मा गांधी पर निबंध

संबंधित पोस्ट

अनुशासन पर 10 वाक्य (10 lines on discipline in hindi), जनसंख्या नियंत्रण मसौदा विधेयक पर 10 वाक्य (10 lines on draft bill for population control in hindi), भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर 10 वाक्य (10 lines on national flag of india in hindi), राष्ट्रवाद पर 10 वाक्य (10 lines on nationalism in hindi), देशभक्ति पर 10 वाक्य (10 lines on patriotism in hindi), राष्ट्रीय पर्व पर 10 वाक्य (10 lines on national festivals of india in hindi), leave a comment.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Mahatma Gandhi’s monkeys were originally 4 in number: What did the 4th one signify

Mahatma Gandhi’s monkeys were originally 4 in number: What did the 4th one signify

About the Author

The TOI Lifestyle Desk is a dynamic team of dedicated journalists who, with unwavering passion and commitment, sift through the pulse of the nation to curate a vibrant tapestry of lifestyle news for The Times of India readers. At the TOI Lifestyle Desk, we go beyond the obvious, delving into the extraordinary. Consider us your lifestyle companion, providing a daily dose of inspiration and information. Whether you're seeking the latest fashion trends, travel escapades, culinary delights, or wellness tips, the TOI Lifestyle Desk is your one-stop destination for an enriching lifestyle experience. Read More

Visual Stories

mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

IMAGES

  1. 10 lines on Mahatma Gandhi in Hindi/Mahatma Gandhi Par 10 line Essay Writing

    mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

  2. Gandhi ji short essay in Hindi

    mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

  3. Essay On Mahatma Gandhi In Hindi In 200 Words

    mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

  4. 10 lines of Mahatma Gandhi in (Hindi)

    mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

  5. Essay On Mahatma Gandhi In Hindi In 1000+ Words {Step by Step} » ️

    mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

  6. Mahatma Gandhi Hindi Nibandh

    mahatma gandhi ke upar essay hindi mein

COMMENTS

  1. महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

    महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन Edited By Team Careers360 | Updated on Jun 21, 2024 11:14 AM IST Download PDF महात्मा गांधी पर निबंध: हमारे देश भारत के ...

  2. Mahatma Gandhi Essay in Hindi

    महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) लिखने के लिए स्कूल में दिया जाता है, इसलिए आपकी मदद के लिए यहां निबंध दिए गए हैं।

  3. महात्मा गांधी पर निबंध

    महात्मा गांधी पर निबंध - Mahatma Gandhi par Nibandh. प्रस्तावना-. 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए ...

  4. महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

    Essay on Mahatma Gandhi in Hindi - निबंध 3 (500 शब्द) परिचय. "कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है" - महात्मा गाँधी. गाँधी ...

  5. महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में

    दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर ...

  6. महात्मा गांधी पर निबंध

    Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर ...

  7. महात्मा गाँधी पर निबन्ध

    महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi! मोहनदास करमचन्द गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ । उनके पिता राजकोट के दीवान थे ...

  8. महात्मा गांधी पर निबंध

    महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में - महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 10, 11 और 12 के लिए - Essay writing on Mahatma Gandhi in in Hindi - Essay on Mahatma Gandhi in hindi for Class 10, 11 and 12 Students and Teachers - Mahatma Gandhi ...

  9. महात्मा गांधी Essay

    महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। - Mahatma Gandhi पर हिन्दी में निबंध

  10. महात्मा गांधी पर लघु निबंध Short Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

    महात्मा गांधी पर लघु निबंध - Short Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, 100 शब्दों में, कक्षा 1, 2, 3, 5 और बच्चों के लिए गांधीजी पर लघु निबंध यहां पाएं!

  11. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर निबंध

    महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द ...

  12. Paragraph on mahatma gandhi in hindi: महात्मा गांधी पर लेख, अनुच्छेद

    महात्मा गांधी पर लेख, paragraph on mahatma gandhi in hindi (100 शब्द) मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। वे पेशे से ...

  13. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध-Mahatma Gandhi Essay In Hindi

    Mahatma Gandhi Essay In Points 1. महात्मा गाँधी जी सत्य और अहिंसा के अनन्य पुजारी थे और अहिंसा के प्रयोग से उन्होंने सालों से गुलाम भारतवर्ष को परतंत्रता की बेड़ियों से ...

  14. महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi): गांधी जयंती

    हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखना सीखने के लिए लिंक पर क्लिक करें।

  15. Mahatma Gandhi essay : महात्मा गांधी पर हिन्दी में निबंध

    Advertiesment. Mahatma Gandhi essay : महात्मा गांधी पर हिन्दी में निबंध. महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका ...

  16. महात्मा गांधी निबंध हिंदी में

    महात्मा गांधी निबंध 200 शब्दों में | Essay on Mahatma Gandhi in 200 words in Hindi. महात्मा गांधी भारत के एक उत्कृष्ट व्यक्ति थे जिनके आदर्श, सिद्धांत और गरिमामय ...

  17. महात्मा गांधी पर अनुच्छेद

    महात्मा गांधी पर अनुच्छेद | Paragraph on Mahatma Gandhi in Hindi प्रस्तावना: भारत का बच्चा-बच्चा तक महात्मा गांधी का नाम जानता है और उनकी जय-जयकार करता है । वह भारत की एक महान् ...

  18. महात्मा गांधी पर आदर्श हिन्दी निबंध। Hindi Essay Mahatma Gandhi

    महात्मा गांधी पर निबंध- महात्मा गांधी युग पुरुष थे जिनके प्रति पूरा विश्व आदर की भावना रखता था। इस महापुरुष का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात में ...

  19. महात्मा गांधी पर निबंध

    Mahatma Gandhi Essay in Hindi for Class 1, 2, 3, and 4 Children and Kids - Mahatma Gandhi Essay in Hindi in 50, 100, 150, 200, 250, 300 Words

  20. महात्मा गाँधी पर निबंध

    महात्मा गाँधी पर निबंध | Mahatma Gandhi par nibandh hindi mein | Essay On Mahatma Gandhi In HindiYour Queries _महात्मा गांधी पर ...

  21. महात्मा गांधी पर निबंध/महात्मा गांधी पर 10 लाइन/essay on Mahatma Gandhi

    महात्मा गांधी पर निबंध/महात्मा गांधी पर 10 लाइन/essay on Mahatma Gandhi/Mahatma Gandhi Essay l Calligraphy Creators l ...more

  22. Hindi Essay Mahatma Gandhi

    राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। हम उन्‍हें प्‍यार से बापू पुकारते हैं। इनका जन्‍म 2 अक्‍टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर ...

  23. महात्मा गांधी पर 10 वाक्य (10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)

    महात्मा गांधी पर 10 लाइन - Find here 10 Easy and Simple Lines on Mahatma Gandhi for School Students in Hindi Language. Mahatma Gandhi par 10 Vakya.

  24. Mahatma Gandhi's monkeys were originally 4 in number: What did the 4th

    The famous three monkeys of Mahatma Gandhi have a lesser-known fourth companion. Originating from 17th-century Japan, the maxim 'see no evil, hear no evil, speak no evil' was originally influenced ...