महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन
महात्मा गांधी पर निबंध: इस साल 2024 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती की 155वीं जयंती मनाई जा रही है। हमारे देश भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यानी बापू का जीवन समूचे संसार के लिए प्रेरणा का स्रोत है। महात्मा गांधी उन महान लोगों में से एक हैं, जिन्होंने न सिर्फ ब्रिटिश हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने की लड़ाई में भारतीयों का नेतृत्व किया, बल्कि पूरी दुनिया को शांति और अहिंसा का संदेश दिया। एक ऐसा आदर्शवादी व्यक्ति जिसका जीवन बहुतों के लिए प्रेरणास्रोत था, है और रहेगा। उन्होंने जिन मूल्यों को स्थापित किया उसे गांधी दर्शन की संज्ञा दी जाती है। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) ऐसे जीवट के धनी व्यक्ति के जीवन से परिचित होने का एक अच्छा तरीका है। योग पर निबंध पढ़ें
महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में (100 Word Essay On Mahatma Gandhi)
गांधी जी के आदर्श (gandhi’s principles):, गांधी के नेतृत्व में अभियान, महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi).
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। अपने विद्यार्थी जीवन, साउथ अफ्रीका प्रवास, चंपारण सत्याग्रह से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन और जीवन के अंतिम पड़ाव तक बापू ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय जैसे सिद्धांतों पर आधारित एक ऐसा जीवन बिताया जिसकी कोई दूसरी मिसाल धरती पर बमुश्किल ही मिलेगी। हाड़-मांस से निर्मित ऐसा कोई व्यक्ति कभी इस दुनिया में रहा भी होगा, इस पर लोगों के लिए यकीन कर पाना भी मुश्किल होगा।
गांधी जी ने भारत के लोगों को आत्मनिर्भर होना सिखाया। हर तबके के लोग उन्हें पसंद करते थे तथा उनकी तारीफ करते थे। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दी थी। महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi essay in hindi) के इस लेख से गांधी जी के जीवन और दर्शन के साथ साथ उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी भी आपको मिलेगी।
ये भी देखें :
- रक्षाबंधन पर निबंध
- अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन
- 10वीं के बाद किए जाने वाले लोकप्रिय कोर्स
- 12वीं के बाद किए जा सकने वाले लोकप्रिय कोर्स
चूंकि महात्मा गांधी का पूरा जीवन समाज को समर्पित था और इसी के लिए वे जिये भी व इसके लिए ही वे शहीद भी हुए, ऐसे में महात्मा गांधी के जीवन से संबंधित जानकारी भारत के प्रत्येक बच्चे को हो, इसके लिए भारतीय शिक्षा व्यवस्था समर्पित है। यही कारण है कि छोटी कक्षाओं के छात्रों को महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi par nibandh) लिखने का कार्य दिया जाता है जिसके माध्यम से वे इस महान शख्सियत के जीवन से परिचित व प्रभावित होते हैं। यहां तक कि कई बार अच्छे अंक के लिए छोटी कक्षा के छात्रों से परीक्षा में भी महात्मा गांधी पर निबंध संबंधी प्रश्न पूछा जाता है। ऐसे में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi par Nibandh) छात्रों के लिए न सिर्फ चारित्रिक, बल्कि शैक्षणिक उत्थान के लिए भी महत्वपूर्ण है।
वहीं कई ऐसे छात्र जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं, उनके लिए भी तमाम निबंध के विषयों के बीच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी या बापू या महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) एक महत्वपूर्ण टॉपिक रहता आया है। ऐसे में महात्मा गांधी निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) विशेष इस लेख के माध्यम से ऐसे छात्रों को भी महात्मा गांधी के जीवन का एक अवलोकन प्राप्त होगा, जिसकी वजह से वे बेहतर प्रदर्शन कर पाने में सक्षम होंगे।
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को उनके पूरे जीवनकाल में राष्ट्र उत्थान के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों तथा उनकी स्वयं की उत्कृष्टता की वजह से 'महात्मा' के रूप में जाना जाता है। वे एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा अहिंसा के प्रचारक थे जिन्होंने भारत को अहिंसा का पालन करते हुए ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई के दौरान उनकी उम्र महज 18 साल थी। इसके बाद उन्होंने लॉ यानी कानून की प्रैक्टिस करने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की, जहां अंग्रेजी मूल का न होने के कारण उन्हें शासक वर्ग की रंगभेद नीति का शिकार होना पड़ा। इस घटना से गांधी जी को गहरा आघात पहुंचा। इसके बाद वे ऐसे अन्यायपूर्ण कानूनों में बदलाव लाने के लिए राजनीतिक कार्यकर्ता बन गए।
बाद में, वह भारत लौट आए और उन्होंने अपने देश भारत को अंग्रेजी हुकुमत से स्वतंत्र कराने के लिए एक दुर्जेय और अहिंसक संघर्ष शुरू किया। साल 1930 में, उन्होंने ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) का नेतृत्व किया जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला कर रख दी। उन्होंने कई भारतीयों को ब्रिटिश अत्याचार से आजादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया और कइयों को ब्रिटिश अत्याचार व शोषण से मुक्ति दिलाई।
अन्य लेख पढ़ें -
- बाल दिवस पर हिंदी में भाषण
- हिंदी दिवस पर भाषण
- हिंदी दिवस पर कविता
महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में (Mahatma Gandhi essay in hindi ) : महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (200 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गांधी उन महान लोगों में से एक हैं, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने की लड़ाई में भारतीयों का नेतृत्व किया। कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड जाने से पहले, उन्होंने भारत में ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और प्रताड़ित भारत के लोगों की सहायता करने का फैसला किया। ब्रिटिश उत्पीड़न का मुकाबला करने के लिए, गांधी जी ने अहिंसा का मार्ग चुना।
आंदोलन - अहिंसक आंदोलनों के लिए गांधी जी का कई बार उपहास किया गया, फिर भी वे भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने अहिंसक आंदोलनों में लगे रहे। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक विश्वविख्यात नेता थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए कड़ा संघर्ष किया। गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग, सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन शुरू किए, जिनमें से सभी ने भारत की स्वतंत्रता में सफलतापूर्वक योगदान दिया।
स्वतंत्रता के लिए संघर्ष - एक प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गांधी को कई बार जेल और कैद में रखा गया, फिर भी वे भारतियों के न्याय के लिए ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ लड़ते रहे। उनका अहिंसा और सभी धर्मों के लोगों की एकजुटता में दृढ़ विश्वास था, जिसे उन्होंने स्वतंत्रता के अपने अभियान के दौरान बनाए रखा। कई वर्षों के संघर्षों के बाद, वे और अन्य स्वतंत्रता सेनानी, अंततः 15 अगस्त, 1947 को भारत को एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित करने में सफल रहे। हालांकि 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (500 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)
भारत में, महात्मा गांधी को "बापू" या "राष्ट्रपिता" के रूप में जाना जाता है। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्हें दी गई इन उपाधियों की तरह ही, देश के लिए उनका बलिदान और उनके सिद्धांतों को वास्तविक बनाने के उनके प्रयास, दुनिया भर के भारतीयों के लिए गर्व की बात है।
गांधी जी का बचपन (Gandhi’s Childhood): महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। वह एक हिंदू घर में पले-बढ़े और मुख्य रूप से शाकाहारी थे। उनके पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वह दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे, जो उन्हें अन्य प्रदर्शनकारियों से अलग करता था। महात्मा गांधी ने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया, जो किसी भी अन्याय से लड़ने का एक अहिंसक तरीका था।
ये भी पढ़ें : हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें
गांधी जी अपने सख्त आदर्शों के लिए जाने जाते थे। वह नैतिकता, सिद्धांतों और अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति थे, जो आज भी दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। वह हमेशा जीवन में आत्म-अनुशासन के मूल्य का प्रचार करते थे। उनका मानना था कि यह बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में बेहद कारगर रहता है, जिसका उपयोग उन्होंने अपने अहिंसा के विचारों को बढ़ावा देने के लिए भी किया। गांधी जी का जीवन इस बात का बेहतरीन उदहारण है कि यदि हम कठोर अनुशासन पर टिके रहते हैं और खुद को उसके लिए प्रतिबद्ध रखते हैं, तो इसकी सहायता से हमें किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है। गांधी जी की इन्हीं विशेषताओं ने उन्हें एक आम व्यक्ति से महान व्यक्ति बनाया, उनकी इन्हीं विशेषताओं की वजह से उन्हें दी गई महात्मा की उपाधि, आज के दौर में भी बिना किसी किन्तु-परंतु के एकदम उचित नजर आती है।
बापू का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान (Contribution To Freedom Struggle)
कई सामाजिक सरोकारों पर महात्मा गांधी के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता।
खादी आंदोलन : महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।
खेती : महात्मा गांधी कृषि के एक प्रमुख समर्थक थे और उन्होंने लोगों को कृषि में काम करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया।
आत्मनिर्भरता : उन्होंने भारतीयों से शारीरिक श्रम में संलग्न होने का आग्रह किया और उन्हें सादा जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए संसाधन जुटाने की सलाह दी। उन्होंने विदेशी वस्तुओं के उपयोग से बचने के लिए चरखे से सूती कपड़े बुनना शुरू किया और भारतीयों के बीच स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया।
छूआछूत : यरवदा जेल में अपनी नजरबंदी के दौरान, जहां उन्होंने समाज में 'अस्पृश्यता' के सदियों पुराने कुप्रथा के खिलाफ उपवास किया, वहीं उन्होंने आधुनिक समय में ऐसे शोषित समुदायों के उत्थान में काफी मदद भी की। इसके अलावा उन्होंने समाज में शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य और समानता को भी बढ़ावा दिया।
धर्मनिरपेक्षता : गांधी ने भारतीय समाज में एक और योगदान दिया, धर्मनिरपेक्षता का योगदान। उनका मानना था कि किसी भी धर्म का सत्य पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए। महात्मा गांधी ने अंतर्धार्मिक मित्रता को बढ़ावा दिया।
इन्हें भी देखें -
सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर
यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट
यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड
आरबीएसई 10वीं का सिलेबस
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, गांधी जी को कई बार अपने समर्थकों के साथ यातना झेलनी पड़ी और उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इस दौरान भी वो टस से मस न हुए और अपने देश के लिए स्वतंत्रता उनकी प्राथमिक इच्छा बनी रही। जेल जाने के बाद भी वे कभी हिंसा के रास्ते पर नहीं लौटे। उन्होंने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया और "भारत छोड़ो आंदोलन" की शुरुआत की। भारत छोड़ो आंदोलन एक बड़ी सफलता थी। ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान था। साल 1930 में, महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। यह एक ऐसा आंदोलन था जो किसी भी दमनकारी निर्देश या नियमों का पालन करने से इंकार करता था। नतीजतन, इस रणनीति और इसके प्रवर्तकों को गंभीर हिंसा और क्रूरता का शिकार होना पड़ा।
महात्मा गांधी की मृत्यु शांति और लोकतंत्र के उद्देश्यों पर सबसे विनाशकारी आघात थी। उनके निधन से देश के मार्गदर्शक का वो स्थान खाली रह गया, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।
कई ऐसे छात्र होते हैं जिन्हें परीक्षा में या गृह कार्य में महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने के लिए दिया जाता है। ऐसे में हर बार महात्मा गांधी पर निबंध लिखना उनके लिए तभी मुमकिन हो सकता है जब उनके पास महात्मा गांधी के बारे में आधारभूत ज्ञान हो। ऐसे में इस लेख में महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) बिन्दुओं के माध्यम से जोड़ा गया है, जिसे याद रख उन्हें कभी भी महात्मा गांधी निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। निम्नलिखित महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) के माध्यम से महात्मा गांधी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को एक जगह समेटने की कोशिश की गई है। इन बिन्दुओं को याद रखकर छात्र कभी भी महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) लिख सकेंगे।
- महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
- महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वहीं उनके माताजी का नाम पुतलीबाई गांधी था जोकि करमचंद उत्तमचंद गांधी की चौथी व सबसे छोटी पत्नी थी।
- महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे। दुनियाभर में उन्हें भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता है।
- महात्मा गांधी को दुनिया भर में अहिंसा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया था।
- महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।
- महात्मा गांधी के कुछ बेहद चर्चित आंदोलन असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह आदि रहे।
- ब्रिटिश काल के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा मगर उन्होंने अंग्रेजों के सामने कभी भी घुटने नहीं टेके। अंत में उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत को 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली।
- महात्मा गांधी को 'महात्मा' व 'राष्ट्रपिता' की उपाधि से संबोधित किया जाता है। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरुस्कार के विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था।
- महात्मा गांधी के द्वारा लिखी गई उनकी प्रमुख पुस्तकों के नाम हैं - महात्मा गांधी की आत्मकथा – ‘सत्य के प्रयोग’, हिन्द स्वराज, मेरे सपनों का भारत, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, ग्राम स्वराज।
- महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथुराम गोडसे द्वारा गोली मारकर तब कर दी गई थी जब वे हमेशा की तरह वहाँ शाम को प्रार्थना करने जा रहे थे। नाथुराम ने इससे पहले भी कई मौकों पर महात्मा गांधी की हत्या करने के कई असफल प्रयास किए थे।
हम उम्मीद करते हैं कि इस हिंदी में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi hindi) के माध्यम से गांधी जी पर निबंध (essay on Gandhiji in hindi) लिखने संबन्धित आपकी सारी शंकाओं का समाधान हो गया होगा। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Gandhiji in hindi) की ही तरह और भी अन्य निबंध पढ़ने के लिए इस लेख में उपलब्ध लिंक्स पर क्लिक करें।
महत्वपूर्ण लेख -
- बिहार बोर्ड 10वीं टाइमटेबल देखें
- छत्तीसगढ़ बोर्ड 10वीं टाइम टेबल
- एमपी बोर्ड 12वीं टाइमटेबल देखें
- एमपी बोर्ड 10वीं टाइमटेबल देखें
Applications for Admissions are open.
VMC VIQ Scholarship Test
Register for Vidyamandir Intellect Quest. Get Scholarship and Cash Rewards.
Tallentex 2025 - ALLEN's Talent Encouragement Exam
Register for Tallentex '25 - One of The Biggest Talent Encouragement Exam
JEE Main Important Physics formulas
As per latest 2024 syllabus. Physics formulas, equations, & laws of class 11 & 12th chapters
JEE Main Important Chemistry formulas
As per latest 2024 syllabus. Chemistry formulas, equations, & laws of class 11 & 12th chapters
TOEFL ® Registrations 2024
Accepted by more than 11,000 universities in over 150 countries worldwide
Pearson | PTE
Register now for PTE & Unlock 20% OFF : Use promo code: 'C360SPL20'. Limited Period Offer! Trusted by 3,500+ universities globally
Download Careers360 App's
Regular exam updates, QnA, Predictors, College Applications & E-books now on your Mobile
Certifications
We Appeared in
महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)
उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।
महात्मा गांधी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi par Nibandh Hindi mein)
महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).
“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।
महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।
महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान
महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।
बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।
इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh
Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)
देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।
बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?
महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।
महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन
निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-
- असहयोग आंदोलन
जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।
- नमक सत्याग्रह
12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।
- दलित आंदोलन
गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।
- भारत छोड़ो आंदोलन
ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।
- चंपारण सत्याग्रह
ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।
महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)
“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी
गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।
गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा
दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।
बापू की अफ्रीका से भारत वापसी
वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।
गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक
गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।
गाँधीवाद विचार धारा का महत्व
दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।
गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में
भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।
प्रिय बापू का निधन
30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।
आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।
FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।
उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।
उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।
उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।
सम्बंधित जानकारी
महात्मा गाँधी के नारे
संबंधित पोस्ट
मेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)
धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)
समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)
शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)
बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)
महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।
इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।
Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
Get some best Essay On Mahatma Gandhi In Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 students
महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं
और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।
यह भी पढ़ें – स्वच्छ भारत अभियान निबंध Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi
भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।
भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words
महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।
Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।
उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।
महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।
यह भी पढ़ें – स्वतंत्रता दिवस पर निबंध – Swatantrata Diwas Par Nibandh
Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।
उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था
जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।
इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।
उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।
लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।
नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words
प्रस्तावना –
महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।
यह भी पढ़ें – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध – Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi
उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।
प्रारंभिक जीवन –
महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।
जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।
Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।
उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।
अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –
महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।
उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।
राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –
दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।
यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।
भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –
महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।
इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।
इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।
खेड़ा सत्याग्रह –
खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।
गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।
असहयोग आंदोलन –
अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।
महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।
इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।
इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।
नमक सत्याग्रह –
ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।
नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।
इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।
नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।
भारत छोड़ो आंदोलन –
महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।
उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।
द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।
बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।
महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।
उपसंहार –
Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।
उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।
हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।
यह भी पढ़ें –
हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay On Mahatma Gandhi In Hindi आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”
Rohit ji app ne sahi bola
apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे
Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile
Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.
Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h
Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.
Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai
Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.
Leave a Comment Cancel reply
45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today
Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.
Verification Code
An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify
Thanks for your comment !
Our team will review it before it's shown to our readers.
- Mahatma Gandhi Jayanti /
Mahatma Gandhi Essay : छात्रों और बच्चों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी पर निबंध
- Updated on
- सितम्बर 19, 2024
Mahatma Gandhi Essay in Hindi : भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधीजी को ‘बापू’ या ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से भी जाना जाता है और वह भारत के एक महत्वपूर्ण नेता थे। वह सत्य और अहिंसा में विश्वास करते थे और चाहते थे कि हर व्यक्ति खुशी और शांति से एक साथ रहे। गांधी जी ‘सत्याग्रह’ नामक एक विशेष विचार लेकर आए। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया। स्वतंत्रता में योगदान और उनके बारे में बच्चों को जानकारी रहे इसलिए महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) लिखने के लिए स्कूल में दिया जाता है और कई परीक्षाओं में गांधी जी के बारे में पूछा भी जाता है। इसलिए आपकी मदद के लिए इस ब्लॉग में महात्मा गांधी पर निबंध लिखना सीख सकते हैं।
This Blog Includes:
100 शब्दों में महात्मा गांधी पर निबंध, महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में, महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में, गांधी जी के बारे में, महात्मा गाँधी द्वारा किए गए आंदोलन, महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखें, महात्मा गांधी पर निबंध pdf, गाँधी के अनमोल विचार, महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्य.
महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार है –
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे कि वे भी अहिंसा का रास्ता अपनाएं। 1930 दांडी यात्रा करके नमक सत्याग्रह किया था। लोग गांधीजी को प्यार से बापू कहते हैं। गांधीजी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी। बापू हिंसा के खिलाफ थे और अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे। आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया। बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे, वे चरखा चलाकर कर सूत कातते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे।
यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के जीवन की घटनाएं, जो देती हैं आगे बढ़ने का संदेश और प्रेरणा
200 शब्दों में महात्मा गांधी पर निबंध इस प्रकार है –
2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। जिन्हें महात्मा , गांधी जी, महान आत्मा और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता को ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। बचपन से वह सामान्य ही रहे थे और उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।
दूसरी तरफ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष से लेकर आज तक और आगे के लिए भी उनका नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।
500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार है –
महात्मा गांधी, जिन्हें बापू और राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नेताओं में से एक थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।
गांधी जी ने अपनी शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद, वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे नस्लीय भेदभाव का सामना किया और उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ।
दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया और अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिरोध किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और इस संघर्ष के दौरान उनके अंदर एक ऐसा नेतृत्व कौशल विकसित हुआ, जिसने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। 1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और अंग्रेजी शासन के खिलाफ अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन हुए, जिनमें लाखों भारतीयों ने हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। 1920 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें लोगों से अपील की गई कि वे ब्रिटिश सरकार की नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और संस्थानों का बहिष्कार करें। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को हिला कर रख दिया और भारतीयों के मन में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता पैदा की।
1930 में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव को कमजोर कर दिया और यह स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण बना।
गांधी जी का जीवन सादगी, आत्मसंयम, और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था। वे समाज में व्याप्त छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ भी संघर्षरत रहे। उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और समाज में समानता और समरसता की भावना को बढ़ावा दिया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था।
महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को यह संदेश दिया कि भारतीय अब और अधिक समय तक गुलामी में नहीं रह सकते। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा देते हुए इस आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण की शुरुआत की और 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी दुनिया भर में प्रासंगिक हैं। गांधी जी ने हमें सत्य, अहिंसा, और सेवा का मार्ग दिखाया, जो आज भी हमें प्रेरणा देता है। उनकी जीवन यात्रा और उनके द्वारा किए गए संघर्ष, मानवता के इतिहास में एक उज्ज्वल अध्याय के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।
यह भी पढ़ें – नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को क्यों मारा?
महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में
महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में इस प्रकार है –
देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले महात्मा गाँधी को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है। उनके द्वारा अपनाई गई सादगी, आत्मसंयम और संघर्ष की राह ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया को भी अहिंसक संघर्ष के महत्व से अवगत कराया। गांधी जी ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी, जिसमें उन्होंने देश के हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों को एकजुट कर उनके भीतर आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का भाव जागृत किया। उनकी विचारधारा और आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अद्वितीय अध्याय के रूप में दर्ज हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।
महात्मा गांधी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, एक महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और अहिंसा के पुजारी थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई और उन्हें “राष्ट्रपिता” के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।
गांधी जी की शिक्षा इंग्लैंड में हुई, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे भेदभाव का सामना किया और यहीं से उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ। दक्षिण अफ्रीका में 21 साल बिताने के बाद, गांधी जी भारत लौटे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया।
गांधी जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का आयोजन किया गया, जिनमें असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं। उनकी नीतियों में सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, और आत्मनिर्भरता का महत्व था। गांधी जी ने भारतीय समाज को जाति-भेद, छुआछूत, और सामाजिक अन्याय के खिलाफ जागरूक किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नैतिक आधार प्रदान किया।
1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गांधी जी ने सामाजिक समरसता और शांति की दिशा में काम जारी रखा। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनके सिद्धांत और विचारधारा आज भी पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत हैं। गांधी जी का जीवन एक ऐसा मार्गदर्शक है, जो मानवता को सत्य, अहिंसा और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया। उनके नेतृत्व में किए गए विभिन्न आंदोलनों ने न केवल भारत को स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर किया, बल्कि दुनिया को भी अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। महात्मा गांधी द्वारा किए गए ये आंदोलन न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय हैं, बल्कि वे दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत का अहसास भी कराते हैं। गांधी जी के नेतृत्व में किए गए ये आंदोलन भारत की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुए और आज भी उनकी शिक्षाएं और आदर्श मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। यहां महात्मा गांधी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलनों का वर्णन किया गया है:
1. चंपारण सत्याग्रह (1917)
चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा भारत में किया गया पहला बड़ा आंदोलन था। यह बिहार के चंपारण जिले में हुआ, जहां ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से जबरन नील की खेती करा रहे थे। इस अन्याय का सामना करने के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार को नील की खेती के अत्याचार को समाप्त करने पर मजबूर होना पड़ा। यह आंदोलन भारतीय किसानों की पहली बड़ी जीत थी और गांधी जी के नेतृत्व को पूरे देश ने स्वीकारा।
2. असहयोग आंदोलन (1920-1922)
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना और स्वराज की प्राप्ति करना था। गांधी जी ने लोगों से अपील की कि वे सरकारी नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार करें। लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया, जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान हुआ। हालाँकि, चौरी चौरा कांड के बाद गांधी जी ने इस आंदोलन को वापस ले लिया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया।
3. नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च, 1930)
महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया नमक सत्याग्रह , जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दीं और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना।
4. दलित आंदोलन (1932)
महात्मा गांधी ने दलितों के अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था। इसके लिए उन्होंने उपवास और सत्याग्रह का सहारा लिया, जिससे भारतीय समाज में जागरूकता आई और दलितों के उत्थान के लिए कई सुधार किए गए।
5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, जिसका नारा था “करो या मरो”। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल स्वतंत्रता दिलाना था। गांधी जी के इस आह्वान पर पूरे देश में लाखों लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को समझा दिया कि अब भारतीयों को अधिक समय तक गुलाम नहीं रखा जा सकता, और इसके बाद ही स्वतंत्रता के लिए अंतिम चरण की तैयारियां शुरू हुईं।
महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े और भारत को आज़ादी दिलाई।
यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के सत्याग्रह पर निबंध
महात्मा गांधी पर निबंध लिखना एक व्यावहारिक अनुभव हो सकता है क्योंकि इतिहास, राजनीति और दर्शन पर उनका गहरा प्रभाव है। एक अच्छी तरह से संरचित निबंध बनाने के लिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका, अहिंसा (अहिंसा) और सत्य (सत्याग्रह) का उनका दर्शन, दुनिया भर में नागरिक अधिकार आंदोलनों पर उनका प्रभाव, उनका निजी जीवन और आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्य के आधार पर लिख सकते हैं।
महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में PDF Download
गांधी के अनमोल विचार (Gandhi Quotes in Hindi) जिन्हें आप अपने निबंध में शामिल कर सकते हैं –
आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों। -महात्मा गांधी
डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है। -महात्मा गांधी
उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा। -महात्मा गांधी
ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है । -महात्मा गांधी
आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। -महात्मा गांधी
यह भी पढ़ें – महात्मा गाँधी के अनमोल विचार
महात्मा गांधी के बारे में कुछ रोचक तथ्य यहां दिए हैं, जिसके बारे में Mahatma Gandhi Essay in Hindi लिखते समय विचार कर सकते हैं –
- महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
- महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
- महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
- वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
- माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
- महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
- महात्मा गांधी और प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
- महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
- महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
- महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।
यह भी पढ़ें – जानें भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ‘बापू’ से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
सम्बंधित आर्टिकल्स
सादा जीवन, उच्च विचार।
महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।
गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।
गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।
इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।
महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।
महात्मा गांधी
आशा हैं कि आपको इस ब्लाॅग में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध लेखन पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।
प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें
अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।
Contact no. *
very nice ……lots of information…thanks
आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
I am very happy
आपका आभार, ऐसे आप हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
Leaving already?
8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs
Grab this one-time opportunity to download this ebook
Connect With Us
45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..
Resend OTP in
Need help with?
Study abroad.
UK, Canada, US & More
IELTS, GRE, GMAT & More
Scholarship, Loans & Forex
Country Preference
New Zealand
Which English test are you planning to take?
Which academic test are you planning to take.
Not Sure yet
When are you planning to take the exam?
Already booked my exam slot
Within 2 Months
Want to learn about the test
Which Degree do you wish to pursue?
When do you want to start studying abroad.
January 2025
September 2025
What is your budget to study abroad?
How would you describe this article ?
Please rate this article
We would like to hear more.
IMAGES
VIDEO