स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध 10 lines (Essay On Freedom Fighters in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे
Essay On Freedom Fighters in Hindi – किसी देश की स्वतंत्रता उसके नागरिकों पर निर्भर करती है। अपने देश और देशवासियों को आजाद कराने के लिए निःस्वार्थ अपने प्राणों की आहुति देने वाले व्यक्तियों की पहचान स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में की जाती है। हर देश में कुछ बहादुर दिल होते हैं जो स्वेच्छा से अपने देशवासियों के लिए अपनी जान दे देते हैं। स्वतंत्रता सेनानियों ने न केवल अपने देश के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि हर किसी के लिए जो चुपचाप सहते रहे, अपने परिवार और स्वतंत्रता को खो दिया, और यहां तक कि अपने लिए जीने का अधिकार भी खो दिया। देश के लोग स्वतंत्रता सेनानियों को उनकी देशभक्ति और मातृभूमि के प्रति उनके प्रेम के लिए सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। ये लोग ऐसे उदाहरण प्रदान करते हैं जिनके द्वारा अन्य नागरिक जीने का लक्ष्य रखते हैं।
Essay On Freedom Fighters in Hindi – सामान्य लोगों के लिए अपने प्राणों की आहुति देना बहुत बड़ी बात है लेकिन स्वतंत्रता सेनानी निःस्वार्थ भाव से अपने देश के लिए यह अकल्पनीय बलिदान बिना किसी परिणाम की परवाह किए करते हैं। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्हें जितने दर्द और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। उनके संघर्षों के लिए पूरा देश उनका सदैव ऋणी रहेगा।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines On Freedom Fighters in Hindi)
- स्वतंत्रता सेनानी वे थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
- उनके बलिदानों के कारण आज हम एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक समाज में जी रहे हैं।
- उनके पास भारत को एक स्वतंत्र देश के रूप में देखने और हमारे लोगों को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करने की दृष्टि थी।
- उन्होंने हमारे देश से अंग्रेजों को भगाने के लिए एकजुट होने का फैसला किया।
- महात्मा गांधी , भगत सिंह , सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल , आदि कुछ प्रमुख व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत में लोगों के बीच स्वतंत्रता की आग को प्रज्वलित किया।
- हमारे कुछ स्वतंत्रता सेनानियों की सुंदरता यह थी कि उन्होंने किसी भी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया और विशुद्ध रूप से “अहिंसा” और असहयोग की विचारधारा पर लड़े।
- आजादी का बीज 1857 के आसपास बोया गया था और हमें आजादी लगभग 90 साल बाद यानी 1947 में मिली।
- आज हम जिस स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं, वह उन लोगों का संघर्ष है, जिन्होंने एक स्वतंत्र देश की कल्पना की थी।
- हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को मनाना और उनका सम्मान करना आवश्यक है।
- हमारे स्वतंत्रता सेनानी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं क्योंकि वे देश के लिए प्यार और देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए किए गए बलिदान का मूल्य सिखाते हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Freedom fighters in Hindi)
अपने महान योद्धाओं के नेतृत्व में बहादुर स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने कई संघर्षों, आंदोलनों, लड़ाइयों और उथल-पुथल से लड़ने में योगदान दिया।
बाल गंगाधर तिलक, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ लाल बहादुर शास्त्री, सरदार वल्लभ भाई पटेल और महात्मा गांधी जैसे उत्कृष्ट मुक्ति सेनानियों द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।
स्वतंत्रता सेनानियों ने न केवल अपने देश की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि उन सभी के लिए भी संघर्ष किया, जिन्होंने चुपचाप सहा और अपने परिवार, स्वतंत्रता, या यहां तक कि स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार खो दिया। स्वतंत्रता सेनानियों के लिए देश के लोगों के मन में बहुत सम्मान है।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Freedom fighters in Hindi)
Essay On Freedom Fighters in Hindi – भारत अपनी स्वतंत्रता का श्रेय अपने बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों को देता है। यही कारण है कि हम स्वतंत्रता दिवस मनाने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। वे क्रांतिकारी थे, और उनमें से कुछ ने अंग्रेजों का मुकाबला करने के लिए अहिंसा को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया। स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए प्रयासों के कारण, भारत को अंततः 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
मेरे पसंदीदा स्वतंत्रता सेनानी
महात्मा गांधी, जिन्हें लोकप्रिय रूप से “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है, वे हैं जिन्हें मैं बहुत प्यार करता हूं और मेरे पसंदीदा स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं। उन्होंने अहिंसा का मार्ग चुना और केवल सत्य और शांति का उपयोग करके मुक्ति प्राप्त की, किसी हथियार का नहीं।
एक और महान स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मी बाई थीं, जो एक मजबूत महिला थीं, जिनके पास उदाहरण के तौर पर सिखाने के लिए बहुत कुछ था। इतनी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी। माँ ने अपने बच्चे के लिए अपने देश को कभी नहीं छोड़ा; बल्कि, वह उसे अन्याय के खिलाफ युद्ध की अग्रिम पंक्ति में ले गई।
एक शताब्दी की क्रांति, रक्तपात और युद्धों के बाद, हम अंग्रेजों से अपनी आजादी वापस लेने में सक्षम हुए। हम इन उत्कृष्ट नेताओं के कारण एक लोकतांत्रिक, स्वतंत्र देश में रहते हैं। कई स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश अन्याय, शोषण और क्रूरता से लोगों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। यह देश और इसके लोगों के लिए उनका सरासर प्यार और समर्पण था कि उन्होंने भारत को अंग्रेजों से वापस ले लिया।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay On Freedom fighters in Hindi)
स्वतंत्रता सेनानी वे लोग हैं जो अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हैं। उन्हें ऐसे नायकों के रूप में देखा जाता है जो अपने देश की आजादी के लिए कोई भी बलिदान देने को तैयार थे। देश की आजादी के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने लड़ाई लड़ी। कुछ उल्लेखनीय नामों में महात्मा गांधी, भगत सिंह, रानी लक्ष्मी बाई, सुभाष चंद्र बोस आदि शामिल हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान
स्वतंत्रता सेनानी किसी देश के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ही लोगों के संघर्ष में नेतृत्व करते हैं और उन्हें साहस और दिशा प्रदान करते हैं। स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने देश की आजादी के लिए कई कुर्बानियां दी हैं। स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष में उन्हें कारावास, यातना और कभी-कभी मृत्यु का भी सामना करना पड़ा। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया कि देश स्वतंत्र है।
स्वतंत्रता सेनानियों का महत्व
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भारत के स्वतंत्रता सेनानी एक प्रमुख प्रेरक शक्ति थे। भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे राजनीतिक और अहिंसक तरीकों से लड़े, और उनके प्रयासों से अंततः भारत में ब्रिटिश शासन का अंत हुआ। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी व्यक्तियों का एक विविध समूह थे जो शिक्षित पेशेवरों से लेकर आदिवासी नेताओं तक थे। उन सबका एक ही लक्ष्य था – भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना।
स्वतंत्रता सेनानी बहादुर आत्माएं हैं जो अपने देश की आजादी के लिए लड़ती हैं। वे महान त्याग करते हैं और खतरे का सामना करने में अपार साहस दिखाते हैं। स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत उनकी मृत्यु के बाद भी जीवित रहती है। देश के लोग उनकी बहादुरी और समर्पण के लिए उन्हें याद करते हैं और उनका सम्मान करते हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Freedom fighters in Hindi)
Essay On Freedom Fighters in Hindi – स्वतंत्रता सेनानी वे बहादुर और दुस्साहसी लोग थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन से अपने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उन्होंने अंतहीन बलिदान दिए ताकि हम अपने देश में आज़ादी से रह सकें और खुशहाल जीवन जी सकें। अंग्रेज भारतीयों पर शोषण के कई अन्यायपूर्ण कार्य करते थे, इसलिए ये स्वतंत्रता सेनानी वे लोग थे जो इन ब्रिटिश लोगों का विरोध करने और अपने देश की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उनसे लड़ने का साहस रखते थे। भारत को एक स्वतंत्र और स्वतंत्र देश बनाने के लिए उन्होंने बहुत दर्द और कष्ट सहा।
लोग हमेशा उन्हें उनकी देशभक्ति और अपने देश के लिए प्यार के लिए याद करते हैं। हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां कभी भी उनके बलिदान और कड़ी मेहनत के लिए उन्हें पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकतीं। स्वतंत्रता सेनानी वे लोग हैं जिनकी वजह से हम स्वतंत्रता दिवस मना पा रहे हैं।
अंग्रेजों की क्रूरता से लोगों को बचाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानी युद्ध के लिए गए। भले ही उनके पास लड़ने का कोई प्रशिक्षण नहीं था, फिर भी वे लोगों की रक्षा करने और अपने देश को अन्याय और शोषण से मुक्त करने के लिए लड़े। उनमें से कई की युद्ध के दौरान हत्या कर दी गई थी और इस प्रकार हम महसूस कर सकते हैं कि उन्होंने कितनी बहादुरी से हर परिस्थिति का सामना किया और हमें एक स्वतंत्र नागरिक बनाया।
कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अन्य लोगों को अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया, उन्होंने कई स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया और लोगों को उनके मौलिक अधिकारों और शक्ति के बारे में बताया। तो वे हमारी संप्रभुता और स्वतंत्रता के पीछे कारण हैं। स्वतंत्रता सेनानियों की एक अंतहीन सूची है जिनमें से कुछ ज्ञात हैं जबकि अन्य अज्ञात हैं जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए चुपचाप अपने प्राणों की आहुति दे दी।
महात्मा गांधी, भगत सिंह, उधम सिंह, राजगुरु, सुभाष चंद्र बोस, चंदर शेखर, सुखदेव कुछ प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन अपने देश के लिए लड़ते हुए समर्पित कर दिया।
हालाँकि, हम सांप्रदायिक घृणा को दिन-ब-दिन बढ़ते हुए देख सकते हैं जो काफी शर्मनाक है क्योंकि लोग इन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को बेकार कर रहे हैं। इसलिए हमें एक-दूसरे के खिलाफ खड़े नहीं होना चाहिए और हमेशा शांति से रहने की कोशिश करनी चाहिए ताकि हम अपने राष्ट्र को सफल और समृद्ध बनाने में मदद कर सकें।
स्वतंत्रता सेनानियों पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Freedom fighters in Hindi)
स्वतंत्रता सेनानी वे लोग थे जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए निस्वार्थ रूप से अपने प्राणों की आहुति दे दी। हर देश में स्वतंत्रता सेनानियों की अपनी उचित हिस्सेदारी है। लोग उन्हें देशभक्ति और अपने देश के प्रति प्रेम के संदर्भ में देखते हैं। उन्हें देशभक्त लोगों का प्रतीक माना जाता है।
देश की तो बात ही छोड़िए, स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्रियजनों के लिए ऐसा बलिदान दिया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। जितना दर्द, कठिनाई और विपरीत उन्होंने सहा है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उनके बाद की पीढ़ियां उनके निःस्वार्थ बलिदान और कड़ी मेहनत के लिए हमेशा उनकी ऋणी रहेंगी।
स्वतंत्रता सेनानियों के महत्व पर पर्याप्त जोर नहीं दिया जा सकता है। आखिर उन्हीं की वजह से हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने कितनी छोटी भूमिका निभाई, वे आज भी बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे उस समय में थे। इसके अलावा, उन्होंने देश और इसके लोगों के लिए खड़े होने के लिए उपनिवेशवादियों के खिलाफ विद्रोह किया।
इसके अलावा, अधिकांश स्वतंत्रता सेनानी अपने लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए युद्ध में भी गए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके पास कोई प्रशिक्षण नहीं था; उन्होंने ऐसा अपने देश को स्वतंत्र बनाने के शुद्ध इरादे से किया। स्वतंत्रता संग्राम में अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वतंत्रता सेनानियों ने अन्याय से लड़ने के लिए दूसरों को प्रेरित और प्रेरित किया। वे स्वतंत्रता आंदोलन के पीछे के स्तंभ हैं। उन्होंने लोगों को उनके अधिकारों और उनकी शक्ति के बारे में जागरूक किया। यह सब स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से है कि हम किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादियों या अन्याय से मुक्त एक स्वतंत्र देश में समृद्ध हुए।
भारत ने बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी मातृभूमि के लिए लड़ते देखा है। जबकि मैं उनमें से हर एक का समान रूप से सम्मान करता हूं, मेरे कुछ व्यक्तिगत पसंदीदा हैं जिन्होंने मुझे अपने देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। सबसे पहले, मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पूरी तरह से प्रणाम करता हूं। मैं उन्हें पसंद करता हूं क्योंकि उन्होंने अहिंसा का मार्ग चुना और बिना किसी हथियार के, केवल सत्य और शांति के बिना आजादी हासिल की।
दूसरे, रानी लक्ष्मी बाई एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं। मैंने इस सशक्त महिला से बहुत कुछ सीखा है। इतनी कठिनाइयों के बावजूद वह देश के लिए लड़ीं। एक मां ने अपने बच्चे के लिए कभी देश नहीं छोड़ा, बल्कि अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए उसे जंग के मैदान में ले गई। इसके अलावा, वह कई मायनों में इतनी प्रेरणादायक थी।
इसके बाद मेरी लिस्ट में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम आता है। उन्होंने अंग्रेजों को भारत की शक्ति दिखाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व किया। उनकी प्रसिद्ध पंक्ति ‘तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’
अंत में, पंडित जवाहरलाल नेहरू भी महानतम नेताओं में से एक थे। एक समृद्ध परिवार से होने के बावजूद, उन्होंने आसान जीवन छोड़ दिया और भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया। उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा लेकिन वह उन्हें अन्याय के खिलाफ लड़ने से नहीं रोक पाए। वह कई लोगों के लिए एक महान प्रेरणा थे।
संक्षेप में, स्वतंत्रता सेनानियों ने ही हमारे देश को वह बनाया जो आज है। हालाँकि, हम आजकल देखते हैं कि लोग हर उस चीज़ के लिए लड़ रहे हैं जिसके खिलाफ वे खड़े थे। सांप्रदायिक घृणा को बीच में नहीं आने देने के लिए हमें एक साथ आना चाहिए और इन स्वतंत्रता सेनानियों के भारतीय सपने को पूरा करना चाहिए। तभी हम उनके बलिदान और स्मृति का सम्मान करेंगे।
स्वतंत्रता सेनानियों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q.1 स्वतंत्रता सेनानी क्यों महत्वपूर्ण थे.
A.1 स्वतंत्रता सेनानियों ने हमारे देश को स्वतंत्र कराया। उन्होंने अपने जीवन का त्याग कर दिया ताकि हम उपनिवेशवाद से मुक्त उज्ज्वल भविष्य प्राप्त कर सकें।
Q.2 कुछ भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बताइए।
A.2 भारत के कुछ प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मी बाई, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू थे।
Freedom Fighters in Hindi | भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी
- Post author By Admin
- January 24, 2022
भारत बहुत लम्बे समय तक अंग्रेजो के अधीन था, बहुत लम्बे समय तक अंग्रेजो के अधीन रहने बाद 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को आजादी मिली।
लेकिन क्या हमें आजादी ऐसे ही मिल गयी थी, क्या इतने सालों के जुल्म को खत्म करने के लिए अंग्रेज सरकार ऐसे ही मान गयी थी।
नहीं, अंग्रेज सरकार ने यह माना नहीं था, उन्हें हमें आजाद करने का फैसला मानना पड़ा था, क्यूंकि भारत के कईं शूरवीर लोगो ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था।
हम उन शूरवीरों को अब freedom fighters यानि की आज़ादी के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारी कहते है। आज हम इस freedom fighters in hindi ब्लॉग में उन्ही साहसी लोगो के बारे में बात करेंगे।
जिनके निरंतर प्रयासों और बलिदानो के बाद आज हम अपने देश में आज़ाद है और अपने अनुसार अपनी ज़िन्दगी जी सकते है।
आज़ादी की इस लड़ाई में अलग अलग लोगों ने भाग लिया, किसी ने शांति के साथ अंग्रेजो तक अपनी बात पहुंचाई तो किसी ने अपने अंदर पनपन रहे देश के लिए ज़ज़्बे के साथ अंग्रेजी हकूमत की टस तोड़ी।
इन सब लोगों का तरीका बेशक अलग अलग हो लेकिन सबके मन में एक ही विचार था की हमें हमारे देश को आज़ादी दिलानी है।
आज हम इन्ही लोगो के बारे में बात करेंगे और कोशिश करेंगे की हम इन लोगों से प्रेरणा ले सके और ज़रूरत पड़ने पर देश हित के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर सकें।
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Indian Freedom fighters in Hindi
जैसा की हमनें आपको बताया की भारत को आज़ादी दिलाने में बहुत सारे लोगों ने अपना अपना योगदान दिया, ऐसे बहुत से लोग है,
जिन्होंने इस लड़ाई में अपना योगदान दिया था लेकिन उनका नाम इतिहास के पन्नो में कहीं खो के रह गया है।
भारत के वह शूरवीर इतने है की यह सम्भव ही नहीं है की हम उन सबका नाम अपने इस freedom fighters in hindi ब्लॉग में लिख सकें।
लेकिन हम कोशिश करेंगे की हम अधिक से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में आपको जानकारी दे सकें।
पर जिन जिन फ्रीडम फाइटर्स के नाम हम इस ब्लॉग में नहीं लिख पाए, course mentor की पूरी टीम उनका भी पूरा सम्मान करती है और देश के लिए दिए उनके बलदानों के लिए उनका धन्यवाद भी करती है।
तो चलिए अब हम आपके सामने freedom fighters in Hindi लिस्ट पेश करते है -:
मंगल पाड़े का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर पदेश के बलिया जिले के एक गाँव नगवा में हुआ था। इनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
इनके जन्म को लेकर इंतिहासकारों की अलग अलग राय है, कईं इतिहासकार इनका जन्म फैजाबाद जिले के अकबरपुर तहसील में भी बताते है। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे और माता का नाम अभय रानी था।
इन्होंने भारत की आजादी की पहली लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी, बहुत लोग इन्हें भारत का प्रथम स्वतरंता सेनानी भी मानते है।
वह पहले ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हुए थे, वह सेना में पैदल सेना के सिपाही थे, जिनमें उनका सिपाही नंबर 1446 था।
1857 में जब अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ पहली बार विद्रोह किया गया, उस विद्रोह में मंगल पांडे जी का अहम योगदान था।
1857 में हुआ यह विद्रोह ही भारत की आजादी के जंग में नींव की तरह साबित हुआ, इस विद्रोह के बाद ही भारत में आजादी के लिए लड़ाई की लहर दौड़ गई थी।
मंगल पांडे जी को इस विद्रोह की वजह से ईस्ट इंडिया कंपनी ने गद्दार घोषित कर दिया था और फिर 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई।
Facts about Mangal Pandey
यह है मंगल पांडे जी के बारे में कुछ अहम बातें -:
- इन्होंने ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ पहली जंग शुरू की थी।
- जब वह east इंडिया कंपनी सेना में थे तो उस समय कंपनी ने सेना को गाय और सूअर के मास से बने कारतूस दिए थे, लेकिन भारत के बहुत सारे सैनिकों ने उन्हें इस्तेमाल करने से मना कर दिया था, क्यूंकी कारतूस को मुँह से छीलना पड़ता था, उस समय भारतीय हिन्दू और मुस्लिम सैनिकों ने विद्रोह किया था और मंगल पांडे जी ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया था।
- कहा जाता है की मंगल पांडे जी अंग्रेजी हकूमत के इस फैसले पर इतना गुस्सा थे की उन्होंने अंग्रेजी Lieutenant Baugh पर गोली चला दी, गोली का निशाना तो चूक गया था, लेकिन Lieutenant को वहाँ से जान बचा कर भागना पड़ गया था।
- इनके जीवन पर मंगल पांडे – दी राइज़ींग नाम से मूवी बन चुकी है, जिसमें आमिर खान जी ने मुख्य किरदार निभाया।
महात्मा गाँधी
हमारी इस freedom fighters in Hindi की लिस्ट में अगला नाम है महात्मा गांधी जी का। उनका पूरा नाम था मोहनदास कर्मचंद गांधी।
उनके पिता का नाम कर्मचंद गांधी और माता का पुतलीबाई था। उन्होंने देश को आजाद करवाने में एक बहुत अहम भूमिका निभाई।
वह एक बहुत साफ दिल और साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति थे, वह जो धोती पहनते थे उसके लिए सूत वह खुद चरखा चला कर कातते थे।
देश को आजाद करवाने के लिए उन्होंने कईं आंदोलन किए, वह कहीं पर भी अन्याय होता हुआ नहीं देख पाते थे। साउथ अफ्रीका में अश्वेत लोगो पर हो रहे जुल्म पर भी गांधी जी ने अपनी आवाज उठाई थी।
उनके इन योगदानों और उनके विचारों के वजह से आज केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व उनसे प्रेरणा लेता है। उनके अहम योगदानों की वजह से भारत में उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है।
Facts about Mahatma Gandhi Ji
यह है महात्मा गांधी जी के बारे कुछ facts जो की आपको पता होने चाहिए -:
- उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा Alfred हाईस्कूल, राजकोट से प्राप्त की थी।
- उनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है।
- महात्मा गांधी जी के 2 बड़े भाई और 1 बड़ी बहन थी।
- महात्मा गांधी जी को महात्मा का टाइटल रबिंद्रनाथ टैगोर जी ने दिया था।
- गांधी जी को 5 बार नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया था, पहली बार सन 1937, 1938, 1939, 1947 और उनकी मृत्यु से कुछ दिन पहले यानी की जनवरी 1948 में।
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शहीद सरदार भगत सिंह जी
जब भी freedom fighters in Hindi की बात होती है तो सरदार भगत सिंह जी का नाम जरूर लिया जाता है।
आखिर लिया भी क्या ना जाए देश की आजादी में जो उनके योगदान है, उसके लिए पूरा भारत उनका आभारी है।
भगत सिंह जी का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था और केवल 24 वर्ष की उम्र में 23 मार्च 1931 को वो देश के लिए शहीद हो गए।
उन्हें अंग्रेजी सरकार द्वारा फांसी दे दी गई थी, भगत सिंह जी के विचार बाकी स्वतंत्रता सेनानियों से अलग थे, इसलिए अधिकतर स्वतंत्रता सेनानी उनका खुल के समर्थन नही कर पाते थे।
लेकिन भगत सिंह जी हर एक सेनानी की सोच का मान रखते थे, जिन स्वतंत्रता सेनानियो की सोच उनसे अलग थी, वह उन्हे भी पूरा सम्मान दिया करते थे।
भगत सिंह जी ने देशवासियों के मन में देश की आजादी के चिंगारी जगाने में बहुत अहम योगदान दिया।
Facts about Bhagat Singh Ji -:
यह है सरदार भगत सिंह जी से जुड़ी कुछ बातें -:
- जब भगत सिंह जी के माता पिता उनकी शादी करवाना चाहते थे तो भगत सिंह जी ने यह कह कर घर छोड़ दिया था की अगर देश की आजादी से पहले मेरी शादी होगी तो मेरी दुल्हन केवल मौत होगी।
- उन्होंने और बटुकेश्वर दत्त जी ने मिलकर असेंबली हॉल, दिल्ली में बम फेंके थे और इंकलाब ज़िंदाबाद के नारे लगाए थे। वहां पर बम गिराने के बाद वह भागे नही बल्कि खुद पकड़े गए थे।
- पकड़े जाने पर उन्होंने किसी तरह का डिफेंस नही मांगा और इसे भारत में आजादी की जज्बे को फैलाने के लिए प्रयोग किया।
- उन्हें मौत की सजा 7 अक्टूबर 1930 को सुनाई गई थी। जेल में रहते हुए उन्होंने भारतीय कैदियों और बाहरी कैदियों के बीच हो रहे भेदभाव को देखकर भूख हड़ताल कर दी थी।
- भगत सिंह जी पर बहुत फिल्में बनी है, लेकिन उनमें से The Legend of Bhagat Singh मूवी सबसे अधिक प्रसिद्ध है, इस मूवी में अजय देवगन जी ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
सुभाषचद्र बोस
अगली महान शख्सियत जो की हमारी इस freedom fighters in Hindi लिस्ट में है, वह है सुभाष चंद्र बोस।
सुबास चंद्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 में हुआ था और उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 में देश की आजादी से तकरीबन 2 साल पहले हो गई थी।
सुभाष चंद्र बोस जी को सब लोग नेताजी सुभाष चंद्र बोस कहते है। उन्होंने देशवासियों को आजादी के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।
उन्होंने नारा दिया था “तुम मुझे खून दो, मै तुम्हें आजादी दूंगा”। यह नारा आज भी सभी भारतीयों के दिलो में पत्थर पर लिखें अक्षरों की तरह छपा हुआ है।
सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी की लड़ाई में बहुत अहम योगदान दिया।
Facts about Subhas Chandra Bos
यह है सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी कुछ बातें -:
- सुभाष चंद्र बोस जी स्वामी विवेकानंद जी और श्री रामकृष्ण परमहंसा जी के विचारो से बहुत प्रभावित थे।
- सुभाष चंद्र बोस जी देश की आजादी के लिए लड़ते हुए 11 बार जेल गए।
- नेताजी ने जर्मनी में रहते हुए देश की आजादी के लिए लोगो को बहुत सपोर्ट हासिल की।
- नेताजी की मौत आज भी एक रहस्य है, लेकिन अधिकतर लोगो का कहना है की उनकी मौत ताइवान में हुए प्लेन क्रैश के समय 18 अगस्त 1945 को हो गई थी।
- कईं लोगों का मानना है की उनकी मौत प्लेन क्रैश में हुई थी और यह वहाँ से बचकर, अपनी पहचान छुपा कर रहने लगे थे।
चंद्रशेखर आज़ाद
चंद्रशेखर आजाद जी का जन्म 23 जुलाई 1906 को वर्तमान अलीराजपुर जिले में हुआ था, उनका नाम चंद्र शेखर तिवारी था। उन्हें आजाद और पंडित जी जैसे उपनामों से बुलाया जाता था।
वह शहीद भगत सिंह जी के साथी थे, वह 9 अगस्त 1925 को हुए काकोरी काण्ड में शामिल थे, जिसमें अंग्रेजी सरकार के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए हथियार खरीदने के लिए अंग्रेजी सरकार का ही खजाना लूट लिया गया था।
उन्होंने भगत सिंह जी के साथ मिलकर लाल लाजपत राय जी की मौत बदला लिया। उन्होंने भगत सिंह जी के असेंबली में बम फेंकने में भी सहायता की।
27 फरवरी 1931 को अंग्रेजी सरकार ने इन्हें अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया और इन्हें surrender करने का कहा, लेकिन इन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया और एक पुलिस इंस्पेक्टर को गोली मार दी।
चंद्र शेखर आजाद जी ने 5 गोलियां चलाकर, 5 लोगो की हत्या कर दी, उसके बाद उन्होंने अंतिम बची गोली खुद को मारकर आत्महत्या कर ली, इन्होने देश की आजादी के लिए देशवासियों में एक अलग ही हुंकार भर दी।
यदि कभी freedom fighters in Hindi जैसी किसी लिस्ट को पेश किया जा रहा हो और इनका नाम ना आएं, तो हम उस लिस्ट को कभी पूरा नहीं मानेंगे।
Facts about Chandra Shekhar Azad
यह है चंद्रशेखर आजाद से जुड़ी कुछ बातें -:
- चंद्रशेखर आजाद 1921 में जब वह एक स्कूल स्टूडेंट हुए करते थे, तभी आजादी की जंग में हिस्सा लेने लगे थे।
- इन्होंने गाँधी जी के द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में भाग लिया था, जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, जब उन्हें जज के सामने पेश किया गया तो उन्होंने वहाँ अपना नाम आजाद बातया।
- उन्होंने जब अपने आपको आजाद नाम दिया था, उन्होंने तब यह शपथ ली थी की पुलिस उन्हें कभी जिंदा नहीं पकड़ पाएगी।
- आजाद जी एक लाइन को बहुत बाहर दोहराया करते थे, जो की कुछ इस प्रकार है “दुश्मनों की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही थे और आजाद ही रहेंगे।”
- इनके अपने साथी ने ही अंग्रेजों को बताया था की यह अल्फ्रेड पार्क में मोजूद है और यह वहाँ कितनी देर रहेंगे।
- इनके जीवन पर एक मूवी बनाई गई है, जिसका नाम है शहीद चंद्रशेखर आजाद, इस मूवी में इनकी कहानी को दिखाया गया है।
रानी लक्ष्मी बाई
हमारी इस freedom fighters in Hindi लिस्ट में अब हम एक महिला के बारे में बात करेंगे।
नीचे हमनें महिला freedom fighters in hindi के लिए एक अलग लिस्ट बनाएंगे, लेकिन हम झांसी की रानी जी के हौंसले से इतना प्रेरित है की हम उनका नाम यहां लिखें बिना नही रह पाए।
रानी लक्ष्मी बाई यानी झांसी की रानी, इनके बारे में जो कुछ भी कहा जाए कम है, इनके नाम को सुनकर ही मन में एक अलग प्रकार का होंसला उत्पन्न हो जाता है।
इनपर एक कविता भी लिखी गई है “खूब लड़ी मर्दानी, वो झांसी वाली रानी थी”।
यह कविता को हम जितनी भी बार पढ़ ले, हमारी आंखों में आसूं आ जाते है, रानी लक्ष्मी बाई के हौंसले के बारे में बात करने के हम खुद को लायक भी नहीं समझते।
इनका जन्म 19 नवंबर 1828 को हुआ था, वह झांसी राज्य की रानी थी, उनके पिता का नाम मोरोपन्त ताम्बे और माता का नाम भागीरथी सापरे था, उनका विवाह झांसी नरेश महराज गंगाधर राव नवेलकर से हुआ था।
उन्होंने 29 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ युद्ध किया, वह पूरे साहस के साथ युद्ध में लड़ी, युद्ध के दौरान ही सिर पर तलवार लगने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई, वह 18 जून 1858 को शहीद हुई थी।
Facts about Rani Lakshmi Bai
यह है रानी लक्ष्मी बाई से जुड़ी कुछ बातें -:
- इनको इनके माता पिता ने मणिकर्णिका नाम दिया था और इन्हें प्यार से मनु कह कर बुलाया जाता था, शादी के बाद इनको रानी लक्ष्मी बाई के नाम से जाना जाने लगा।
- उनके पिता ने उन्हीं तीरंदाजी जैसे कईं युद्ध कौशल उनको छोटी उम्र से ही सीखने लगे थे।
- उन्होंने केवल 4 वर्ष की उम्र में ही अपनी माता को खो दिया था, उनकी माता की मृत्यु के बाद उनके पिता जी ने बड़े लाड़ प्यार से उनको पालन पोषण किया।
- जब झांसी के महाराज यानि की उनकी पति की मृत्यु हुई तो 1853 में केवल 18 वर्ष की आयु में उन्होंने झांसी राज्य को संभालना शुरू किया।
लाल बहादुर शास्त्री
हमारी आज की इस freedom fighters in Hindi लिस्ट में जो अगला नाम है, वह है लाल बहादुर शास्त्री जी का।
लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे, उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 में वाराणसी में हुआ था।
उन्होंने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की,शास्त्री जी ने देश की आजादी के संघर्ष में अहम योगदान दिए।
उन्होंने देश के प्रधानमंत्री मंत्री बनने के बाद लगभग 18 महीनो तक देश की सेवा की।
लेकिन फिर 11 जनवरी 1966 को सोवियत संघ रूस में इनकी मृत्यु हो गई।
Facts about Lal Bahadur Shashtri
यह है लाल बहदूर शास्त्री से जुड़ी कुछ बातें -:
- लाल बहादुर शास्त्री जी के पिता की मृत्यु तभी हो गई थी, जब वह केवल डेढ़ साल के थे।
- उनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी माता जी अपने तीन बच्चों के साथ अपने पिता यानि की शास्त्री जी के नाना जी के घर चले गए, शास्त्री जी का पालन पोषण फिर वहीं पर हुआ।
- उन्होंने वाराणसी से हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त की, जहां पर वह नंगे पाँव कईं किलोमीटर दूर अपने स्कूल जाया करते थे।
- यह गाँधी जी के विचारों से बहुत प्रेरित थे और कमाल के इत्तेफाक की बात है की इनका जन्मदिवस भी गाँधी जी के साथ ही आता है।
- इनकी मौत को बहुत लोग रहस्यमयी मानते है, इनकी मौत के स्पष्टीकरण पर सवाल उठाते हुए The Tashkent Files नाम की एक मूवी भी बनी है।
List of Some Other Freedom Fighters in Hindi
हमारे देश को आजाद करवाने में इतने लोगों ने अहम योगदान दिया है की उन सब का नाम यहाँ बता पान बहुत मुश्किल है।
फिर भी हम पूरी कोशिश कर रहे है की आपको अधिक से अधिक लोगों के बारे में बता सकें, तो यह रहीं कुछ ओर freedom fighters in Hindi की लिस्ट -:
Woman Indian Freedom Fighters in Hindi
यह रहीं कुछ महिला freedom fighters in Hindi, जिन्होंने हमारे देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
Essay on Freedom Fighters in Hindi
बहुत सारे लोगो ने हमें आज़ादी दिलाने के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए, हम देश के लिए उनके किये बलिदानो के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।
अधिकतर सेनानी तो ऐसे है जिन्होंने जिस आज़ादी के लिए अपने प्राण भी दे दिए, उन्हें वह आज़ादी देखने के लिए भी नहीं मिली।
उन्होंने हमारे लिए इतना सब कुछ किया है तो यह हमारी ज़िम्मेदारी बनती है की हम उनके आज इस दुनिया में ना होने के बावजूद हमेशा उनको याद रखें।
हमें उन्हें हमारे दिलो में हमेशा के लिए ज़िंदा रखना है, तो ऐसे में सब यह चाहते है की आने वाली पढियाँ भी उन्हें हमेशा याद रखें।
आने वाली भी पढियाँ भी यह समझे की जिस हवा में वह सांस ले रहे है, उस हवा में हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और ज़ज़्बे की महक है।
ताकि आने वाली पढियाँ भी उन्हें याद रखें इसलिए स्कूलो, कॉलेजों में freedom fighters in hindi पर निबंध लिखवाये जाते है।
हम भी इस ब्लॉग में एक निबंध हमारे स्वतंत्रता सेनानियों पर लिख रहे है ताकि आप उनके बलिदानो को और अच्छे से समझ सकें।
Indian Freedom Fighters in Hindi
भारत बहुत सालों तक अंग्रेजो की क्रूरता को सहता रहा और उनके अधीन रहा, लेकिन 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को आज़ादी मिली।
लेकिन यह आज़ादी ऐसे ही नहीं मिली बहुत लोगो बलिदानो के बाद हमें यह आज़ादी मिली, वो लोग जो की देश की आज़ादी के लिए लड़े, वह थे हमारे freedom fighters यानि की स्वतंत्रता सेनानी।
बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों के बाद जा कर हमें यह आज़ादी मिली है, उन लोगों ने लगातार अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ अपनी आवाज़ उठायी।
जिसकी वजह से उनमें से कईं को जेल जाना पड़ा, कई लोगो की हत्या कर दी गयी और कईं लोगो को बुरी तरह से प्रताड़ित किया।
लेकिन इसके बावजूद हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने हार नहीं मानी, उन्होंने उनके सामने आयी हर चुनौती का सामना किया, अंग्रेजी हकूमत के खिलाफ होने के वजह से उनपर कईं तरह के ज़ुल्म भी किये गए।
पकडे जाने पर उन लोगो के साथ जानवरो से भी बुरा सुलूक किया जाता था। लेकिन उन सब के मन में एक ही बात थी की उन्हें अपने देश को आज़ाद कराना है।
इसलिए उन्होंने उन पर हुए हर ज़ुल्म का सामना किया और देश के लिए लड़े, वह भी हमारे जैसे आम नागरिक ही थे, लेकिन उनमें एक ज़ज़्बा था की वह अपने देश के लिए कुछ करेंगे।
उनमें से बहुत लोगो को लड़ना नहीं आता था, लेकिन वह लोग फिर भी जंग में उतरे, उनमें से कहीं शारीरक रूप से ताक़तवर नहीं थे, लेकिन उनके हौसले के आगे शक्तिशाली से शकितशाली व्यक्ति भी हार जाता था।
वह सब लोग एक जैसे नहीं थे, उनमें असमानताएं थी लेकिन एक चीज़ जो समान करती थी, वह थी उनका देश के लिए प्यार और देश को आज़ादी दिलाने का उनका ज़ज़्बा।
वह अपने से ऊपर अपने देश को मानते थे, इसलिए असामनातये होने के बावजूद भी वह लोग एक साथ एक जुट होकर अंग्रेजो के खिलाफ लड़े और उन्होंने हमारे देश को आज़ादी दिलाई।
हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेनी चाहिए और समझना चाहिए की व्यक्ति का सम्प्रदायिकता नहीं समझना चाहिए, इन सब से ऊपर एक चीज़ होती है वह है देश।
देश से ऊपर कोई धर्म नहीं होता और ना ही कोई जात होती है, इसलिए हम सब को एक जुट होकर रहना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए की कैसे हम अपने देश के हित में काम आ सकते है।
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Conclusion about Freedom Fighters in Hindi
तो यह था आज का ब्लॉग “Freedom fighters in Hindi” के बारे में।
हमें उम्मीद है की आपको आज का यह ब्लॉग पसंद आया होगा, इसमें हमें आपको हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानकारी दी।
हमारे देश को आज़ादी के लिए बहुत अधिक लोगो ने अपने बलिदान दिए है, उनकी वजह से ही हम आज इस आज़ाद देश में जी रहे है।
हमें उनके बलिदानों को हमेशा याद रखना चाहिए और हमेशा उन्हीं अपने दिलो में ज़िंदा रखना है।
तो इसी के साथ आज के ब्लॉग में इतना ही, ऐसे ही ओर ब्लॉग्स को पढ़ने के लिए आप course mentor से जुड़ें रहें।
FAQ about Freedom Fighters in Hindi
फ्रीडम फाइटर को हिंदी में क्या बोलते हैं.
फ्रीडम फाइटर को हिंदी में स्वतंत्रता सेनानी कहते है, यानि की ऐसे लोग जिन्होने देश को आज़ादी दिलाने के लिए क्रांति की हो, उन लोगो को फ्रीडम फाइटर कहा जाता है। महात्मा गाँधी जी, भगत सिंह जी जैसे बहुत से लोग हमारे फ्रीडम फाइटर है।
भारत में प्रथम स्वतंत्रता सेनानी कौन है?
भारत का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे जी को कहा जाता है, वह अंग्रेजी सेना में एक सिपाही थे। 1857 में जब अंग्रेजो के खिलाफ भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ था, उस संग्राम में इन्होने बहुत भूमिका निभाई थी।
देश आजाद कराने में कौन कौन थे?
भारत को आज़ाद कराने में किसी एक व्यक्ति का हाथ नहीं था, बहुत सारे लोगो के निरंतर प्रयास के बाद भारत को आज़ादी मिली, लेकिन जिन्होंने इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी उनमें से कुछ लोग इस प्रकार है -: 1. मंगल पांडे 2. सरदार भगत सिंह 3. महात्मा गाँधी जी 4. सुभाषचंद्र बोस 5. चंद्रशेखर आज़ाद।
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भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध- Essay on Freedom Fighters in Hindi
In this article, we are providing information about freedom fighters of india in hindi- Short Essay on Freedom Fighters in Hindi Language. भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध
भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध- Essay on Freedom Fighters in Hindi
किसी भी देश को स्वतंत्र कराने में स्वतंत्रता सैनानी बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं। ये वो व्यक्ति होते हैं जो अपना तन मन धन सबकुछ देश को आजाद कराने में लगा देते हैं। भारत में महात्मा गाँधी, भगत सिंह, महाराणा प्रताप, झाँसी की रानी जैसे बहुत से स्वतंत्रता सैनानी हुए हैं जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को आहुती दे दी थी। देश को आजाद कराने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी व्यक्ति स्वतंत्रता सैनानी कहलाते हैं। कुछ स्वतंत्रता सैनानी गर्म स्वभाव के थे और दोश से भरपूर थे और उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए हिंसा का मार्ग चुना था वहीं दुसरी तरफ बहुत से स्वतंत्रता सैनानी शांत स्वभाव के थे और उन्होंने अहिंसा और सत्य को पथ पर चल कर देश को आजाद करवाया था।
स्वतंत्रता सैनानियों के कारण ही हमारा भारत आजाद है और हम एक आजाद भारत के नागरिक है। इनके विचारों से ही देश में क्रांति की लहर दौड़ी थी और हर व्यक्ति ने अप्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्रता सैनानी की भूमिका निभाई थी। हम सबको इन महान लोगों का दिल से सम्मान करना चाहिए और देश के लिए दी गई इनकी कुर्बानी को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। स्वतंत्रता सैनानियों ने बहुत सी यातनाओं और कठिनाईयों का सामना किया और उनके खुन के बदले हमें यह आजादी प्राप्त हुई है। कुछ स्वतंत्रता सैनानी प्रसिद्ध हो गए तो कुछ के नाम गुमनाम ही रह गए लेकिन वह सब हमें आजादी दिलवा गए जिस वजह से वह मर कर भी बमारे बीत में जिंदा है। उनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है।
स्वतंत्रता सैनानियों में देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी। उन्होंने हम सबको भाईचारे का पाठ पढ़ाया था और मिलकर हिंदुस्तान को आजाद करवाया था। हम सबको उन्हें सम्मानपूर्वक याद करना चाहिए और उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए।
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स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर निबंध
Essay on Indian Freedom Fighters In Hindi: भारत को आजादी दिलाने के लिए और अंग्रेजों के चंगुल से भारत माता को आजाद करने के लिए किस तरह से लाखों-करोड़ों लोगों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
आज भारत आजाद देश है। आज हम जहां चाहे वहां जा सकते हैं, हम अपनी इच्छा के अनुसार रह सकते हैं, अपने आपको व्यक्त कर सकते है। देश को मिली आजादी हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के कारण है। हम सभी देशवासी अपने स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति कृतज्ञ हैं। क्योंकि उन्होंने अपना सर्वस्व अर्पण करके देश की आजादी के लिए खूब संघर्ष किया।
देश को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में जो उनकी भूमिका थी, उनका संघर्ष, उनके द्वारा सहे गए उत्पीड़न, कष्ट को ब्यां कर सके ऐसा कलम आज तक नहीं हुआ। न जाने कितने ही वर्षों तक हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों का सामना किया तब जाकर 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों के शासन से मुक्त हुआ।
देश को आजाद कराने के लिए स्वाधीनता की भावना देश के कोने-कोने में बसे लोगों में थी और यह भावना जाति और संप्रदाय, क्षेत्र और धर्म से परे थे। तभी तो देश के हर कोने से कई स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी की लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
हालांकि इतिहास में कुछ ही स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में स्पष्ट किया जा सका। लेकिन उनके अतिरिक्त भी कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हुए, जिन्होंने निस्वार्थ भावना से अपने दिल में देश की आजादी का एकमात्र लक्ष्य लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
हम यहां पर स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर निबंध (Essay on Freedom Fighters in Hindi) शेयर कर रहे है। इस स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध हिंदी में भारतीय स्वतंत्रता सेनानी के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध | Essay on Indian Freedom Fighters In Hindi
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध (250 शब्द).
हमारे भारत की भूमि को आजादी दिलाने के लिए कुछ महान क्रांतिकारी नेताओं ने अपने त्याग और समर्पण से इस देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाया था। अंग्रेजों ने हमारे देश पर करीब 200 वर्षों तक राज किया था। जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को आजादी दिलाई, उन्होंने अपने वतन को आजाद करवाने के लिए तन, मन, धन, सब कुछ देश के नाम कर दिया था।
भारत में महात्मा गांधी, वीर भगत सिंह, राजगुरू, सहदेव, महाराणा प्रताप, झांसी की रानी, तात्या टोपे जैसे बहुत से स्वतंत्रता सेनानी हुए, जिन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए अपने प्राणों को त्याग दिया था। देश को आजादी दिलवाने के लिए कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले व्यक्ति भी थे, वह भी स्वतंत्रता सेनानी ही कहलाए।
उन स्वतंत्रता सेनानियों के कारण ही आज हमारा देश भारत आजाद हुआ और हम सब आज एक आजाद देश के नागरिक हो गए। यह हमारे लिए एक बहुत ही गर्व का विषय रहा है क्योंकि इन स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से देश के लिए किए गए त्याग, बलिदान और उनका जो देश की आजादी में योगदान रहा, उन सबसे देश मे एक अलग ही क्रांति की लहर सी दौड गयी है।
उन सब महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों को दिल से सभी लोगों को सम्मान करना चाहिए। उनके द्वारा दी गई कुर्बानी को यह देश कभी नहीं भूल पाएगा। क्योंकि हर स्वतंत्रता सेनानी ने बहुत ही कठिनाइयों का सामना मरते दम तक किया था।
उनके खून के बदले ही हमें अपने देश के लिए आजादी प्राप्त हुई थी, उनमें कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के नाम तो प्रसिद्ध हो गए और कुछ सेनानियों के नाम गुमनाम ही रह गए। लेकिन उन सब की वजह से हमें आजादी मिली यह बात हम कभी नही भूल पाएंगे।
स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम सेनानी पर निबंध (500 शब्द)
भारत देश अंग्रेजों के गुलाम था, जिसे सन 1947 में स्वतंत्रता मिली। स्वतंत्रता दिलाने में भारत के कई सेनानियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। भारत को स्वतंत्रता दिलाने में कई ऐसे गुमनाम सेनानी भी शामिल थे, जिनका आज तक किसी भी किताब में जिक्र नहीं किया गया है।
उनका भारत की स्वतंत्रता में मुख्य योगदान रहा था। भारत की स्वतंत्रता का जश्न तो प्रतिवर्ष मनाया जाता है। लेकिन गुमनाम सेनानियों के बारे में कोई जिक्र ही नहीं करता।
गुमनाम सेनानियों की सूची
भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले गुमनाम सेनानियों की सूची एक के बाद एक नीचे निम्नलिखित रुप से दी गई है।
उल्लास्कर दत्ताः इन्होंने भारत की स्वतंत्रता में मुख्य भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही अलीपुर बम मामले में भी इन्होंने अपना जबरदस्त योगदान देश की सेवा में दिया था। भारत की स्वतंत्रता में कई आंदोलनों में भी इन्होंने भाग लिया था। उसके पश्चात अलीगढ़ बम मामले की वजह से इन्हें 2 मई 1908 को गिरफ्तार कर दिया गया था। गिरफ्तार करने की कुछ ही महीनों बाद इनको फांसी की सजा सुना दी गई। लेकिन दया याचिका अपील करने के बाद में इनके फांसी की सजा को डालकर आजीवन कारावास में भेजने की सजा सुनाई। उसके पश्चात इन्हें अंडमान सेल्यूलर जेल में भेज दिया गया था।
ननीबाला देवीः ननी बाला देवी को भारत के बहुत कम लोग जानते हैं। लेकिन ननी बाला देवी भारत की स्वतंत्रता सेनानी थी। इन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने वाले और अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों का बहुत समर्थन किया था।
दुकारी बाला देवी: इन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ खुलेआम लड़ाइयां लड़ी। साथ ही साथ भारत की सशस्त्र स्वतंत्रता सेनानियों की मुखिया भी रह चुकी है, उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजो के खिलाफ कई आंदोलन में भाग लिया है। लेकिन कुख्यात आर्म्स एक्ट के तहत इन को दोषी ठहराते हुए गिरफ्तार कर दिया। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में गिरफ्तार होने वाली पहली फाइटर महिला के रूप में भी इनको जाना जाता है।
सतीश चंद्र सामंतः इनका नाम भी भारत के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की सूची नहीं आता है। इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया। स्वतंत्रता के पश्चात यह 1952 से लेकर 1977 तक लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।
पुनिल बिहारी दासः पुनील बिहारी दास जो भारत के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ ढाका अनुशीलन समिति के संस्थापक और अध्यक्ष भी रह चुके थे। इन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ भारत के क्रांतिकारी में मुख्य रूप से योगदान दिया और कई आंदोलनों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी।
पीर अली खानः पीर अली खान जो भारत के शुरुआती विद्रोहियों में से एक थे। जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपनी जी जान लगा दी थी और भारत में होने वाले स्वतंत्रता आंदोलनों के मुख्य हिस्सा भी रहे हैं। लेकिन फिर भी इनके बारे में आज तक किसी को भी पता नहीं है। इनको 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में गिरफ्तार करके 14 विद्रोहियों के साथ खुलेआम में फांसी पर लटका दिया गया था।
मातंगिनी हाजराः इन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन में भी मुख्य रूप से भाग लिया था। मातंगिनी हाजरा जो पूरी तरह से गांधीवादी रूप से भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए तत्पर थे और कई आंदोलन में सक्रिय रूप से रूचि भी रखते थे। 1932 में इन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
भारत को स्वतंत्रता दिलाने में हजारों लोगों के नहीं लाखों लोगों की भूमिका रही है। लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में कुछ लोगों के नाम किताबों में अंकित हुए हैं। कई ऐसे गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी भी रहे हैं, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में अपने प्राण त्याग दिए।
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध (800 शब्द)
भारत में स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा अंग्रेजों को बाहर करके देश को आजादी दिलाने के संघर्ष को भारत मे कोई नहीं भूल पाएगा। क्योंकि भारत को अंग्रेजों के अत्याचार शासन से मुक्त कराने के लिए जिन-जिन लोगों ने अपने जीवन का बलिदान कर दिया।
उनका नाम आज हमारे भारत के इतिहास के पन्नों में लिख दिया गया है, क्योंकि आज हम उन स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों को देखें तो उनके द्वारा किए गए कार्य सही आज हम स्वतंत्र हो पाए हैं।
भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों का महत्व
स्वतंत्रता सेनानियों की सबसे महत्वपूर्ण बात, स्वतंत्रता सेनानियों ने दूसरों को अन्याय से लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने लोगों को उनके अधिकारों और उनकी शक्ति के बारे में जागरूक किया तथा वह स्वतंत्रता आंदोलन में एक स्तंभ की तरह खड़े रहे थे। यह स्वतंत्रता सेनानियों के कारण है कि हम किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादियों या अन्याय से मुक्त देश में समृद्ध हुए।
भारत को आजादी दिलाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण योग्यदान
भारत को आजादी दिलाने के लिए जिन-जिन योद्धाओं ने अपना त्याग और बलिदान देकर देश को आजादी दिलाई, उनमें से कुछ नामों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
महात्मा गांधी : भारत को आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी का बहुत महत्वपूर्ण योग्यदान रहा। भारत मे अंग्रेजी शासन काल के सबसे प्रमुख नेता के रूप में महात्मा गांधी रहे।
बाल गंगाधर तिलक: बाल गंगाधर तिलक एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, पत्रकार, समाजसुधारक, वकील और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख कार्यकर्ता रहे। इसके साथ ये भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पहले नेता के रूप में भी जाने जाते थे। ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें “भारतीय अशांति का जनक” कहा।
शहीद भगतसिंह: भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में एक माना गया था। भगत सिंह एक बहुत बड़े समाजवादी थे। लोग आज उनको शहीद भगतसिंह के रूप में जानते हैं। क्योंकि उन्हीने मरते दम तक अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब दिया। उनको 23 वर्ष की आयु में फांसी दे दी गयी थी। उनके इस बलिदान से भारत मे को भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ाई शुरू करने के लिए प्रेरित किया और वे आधुनिक भारत में एक युवा मूर्ति बन गए।
जवाहर लाल नेहरू: भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जवाहर लाल नेहरू ने शपथ ली और 20वीं शताब्दी में भारतीय राजनीति में एक केंद्रीय व्यक्ति जवाहर लाल थे। वह महात्मा गांधी के संरक्षण के तहत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे ऊपर नेता के रूप में उभरे थे और 1947 से उनकी मृत्यु तक एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत पर प्रधानमंत्री के रूप में शासन किया। वो जीवनकाल के दौरान पंडित नेहरू के रूप में लोकप्रिय थे। उनको बच्चे बहुत पसंद थे, इसलिए बच्चे उन्हें प्यार से “चाचा नेहरू” के नाम से जानते थे।
डॉ भीमराव आंबेडकर: भीमराव अंबेडकर एक भारतीय अर्थशास्त्री राजनीतिक और समाज सुधारक के रूप में लोग इन्हें जानते हैं। इन्होंने दलितों, महिलाओं, श्रमिको के खिलाफ समाज मे हो रहे भेदभाव के खिलाफ एक अभियान चलाया। साथ ही भीमराव अंबेडकर ने भारत में न्याय व्यवस्था को भी सही किया। भारत सविधान के नियम भी इन्होंने ही बनाये। अपने शुरुआती कैरियर में वो एक अर्थशास्त्री प्रोफेसर और वकील भी रहे। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन में राजनीतिक गतिविधियों की तरफ ध्यान दिया, वहां उन्होंने दलितों के लिए उनके राजनीतिक अधिकार और सामाजिक स्वतंत्रता के लिए वकालत की। आज इनको बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता हैं।
चन्द्रशेखर आजाद: चंद्रशेखर आजाद आजादी के आंदोलन में सोशलिस्ट आर्मी से भी जुड़े थे। राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 1925 के काकोरी कांड में भी भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर वहां से भाग निकले। इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में उन्होंने समाजवादी क्रांति का आह्वान किया। उनका यह कहना था कि अगर वह ब्रिटिश सरकार के आगे वो कभी घुटने नहीं टेकेगें। 27 फरवरी 1931 को इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने इलाहाबाद के इसी बाग में खुद को गोली मार के अपने प्राण भारत माता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
सुभाष चंद्र बोस: सुभाष चंद्र बोस ने द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उन्हें आज सभी नेताजी के नाम से भी जानते हैं। सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय युवा कांग्रेस के एक बड़े नेता थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद सेना का भी निर्माण भी किया था।
रानी लक्ष्मी बाई: अगर महिला क्रांतिकारियों की बात की जाए तो उसमें सबसे पहले रानी लक्ष्मीबाई का नाम आता है। भारत की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 की क्रांति में में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके साहस और धैर्य की तारीफ तो अंग्रेजों ने भी की थीं। अंग्रेजों से संघर्ष के दौरान ही लक्ष्मीबाई ने एक सेना का संगठन किया, जिसमें उन्होंने महिलाओं को युद्ध प्रशिक्षण में पूर्ण तरह से शिक्षा दी थी।
बहुत से ऐसे स्वतंत्रता सेनानी भी थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए भारतमाता के चरणों में समर्पित कर दिया। इस दौरान उन्हें बहुत बार जेल भी जाना पड़ा और अंग्रेजी सेनाओं के बहुत जुल्म भी सहने पड़े।
इसके दौरान बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों को तो फांसी भी दे दी गई। लेकिन उन सबका एक ही लक्ष्य था – भारत को आजाद कराना और आखिरकार अंत मे वह इसमें सफल हो गए। ऐसे महान सेनानियों को हमारा शत शत प्रणाम।
स्वतंत्रता आंदोलन के अनसुने नायक पर निबंध 800 शब्द (swatantrata andolan ke anjane nayak nibandh)
देशप्रेम की भावना, देश की स्वतंत्रता के लिए अपने आपको अर्पण कर देना यह भावना किसी प्रलोभन से उजागर नहीं होता बल्कि यह व्यक्ति के अंतनिर्मित होता है। स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान का न्योछावर करने वाले हर एक सेनानी का लक्ष्य एकमात्र देश की आजादी थी।
स्वतंत्रता सेनानियों की देशभक्ति की भावना सभी जात-पात, धर्म और क्षेत्र से ऊपर थी। उस समय कोई हिंदू, कोई मुस्लिम, कोई सिख नहीं था। हर एक स्वतंत्रता सेनानी भारत के निवासी थे जो अपने देश को आजाद कराने के लक्ष्य से ही शायद जन्म लिए थे।
विदेशी शासन से देश को मुक्त कराने के लिए देश की जनता ने जो दीर्घकालीन संघर्ष किया था, वह राष्ट्रीय वीरता की एक बेजोड़ गाथा थी। देश को आजादी दिलाने के लिए जो संग्राम छेड़ा गया था, वह राजनीतिक अधिकारों के लिए नहीं था बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में विदेशी शासन का दमन करके मुक्ति पाने का माध्यम था।
स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा देश की आजादी के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान और उनके निस्वार्थ भावना ने इतिहास के पन्नों में अपनी पहचान दर्ज की और इसी पहचान के बलबूते अमर हो गए। आज भी उन्हें बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है और हमेशा किया जाएगा। इतिहास में लिखी गई घटनाओं के माध्यम से ही हम स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों से अवगत हो पाए।
मंगल पांडे, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह जैसे अनेकों स्वतंत्रता सेनानी जिनके बारे में पूरी दुनिया जानती हैं। लेकिन इन सब के अतिरिक्त भी ऐसे कई स्वतंत्रता सेनानी हुए जो स्वतंत्रता आंदोलन में अपने जीवन को न्योछावर कर दिए। परंतु इतिहास के पन्नों में उनका नाम नहीं दर्ज हो पाया। यही कारण है कि आज भी बहुत से लोग उन स्वतंत्रता सेनानियों से अवगत नहीं है।
मनीराम देवन
मनीराम देवन असम के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। इनका जन्म 17 अप्रैल 1806 में असम के रंगपुर गांव में हुआ था। हालांकि आज यह इलाका बांग्लादेश में आता है। मनीराम देवन उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने असम में चाय बागान स्थापित किया था। उन्हीं लोगों के द्वारा अंग्रेजों को असम में चाय उगाए जाने की जानकारी दी थी।
मनीराम देवन सिंगफो समुदाय के लोगों में आते थे। शुरुआत में इन लोगों का अंग्रेजों के साथ संबंध मैत्रीपूर्ण था। क्योंकि अंग्रेजी भी असम में प्राइवेट चाय बागान की स्थापना करने में रुचि रखते थे। लेकिन धीरे-धीरे अंग्रेजों ने वहां पर भी अपना शासन शुरू कर दिया, जिसके बाद मनीराम ने पीयाली बरवा जैसे अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अंग्रेजों को भगाने की योजना बनाई।
लेकिन इस योजना का पता अंग्रेजों को चल गया, जिसके बाद मनीराम को ब्रिटिश विरोधी षड्यंत्र की योजना का दोषी करार करके 26 फरवरी 1858 को जोरहाट जेल में सार्वजनिक तौर पर फांसी दी गई। इन्हीं के साथ पीयाली बरूआ को भी फांसी दी गई।
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा को झारखंड के मुंडा और अन्य जनजातियों का भगवान माना जाता है। ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासी आंदोलन का इन्होंने संचालन और नेतृत्व किया था। इनका जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के रांची जिले के उलीहातू गांव में हुआ था।
3 फरवरी 1900 को इन्हें अंग्रेजों के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था और 3 जून को कारागार में उनकी मृत्यु हो गई थी। बिरसा मुंडा ने भूस्वामी और ब्रिटिश शासकों के दमन एवं शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी। इन्होंने अपने समुदाय के सदस्यों को भी प्रेरित किया था और उन लोगों में देश क्रांति की मशाल जलाई थी।
मोजो रिबा को प्यार से अबोह नईजी के नाम से जाना जाता था। यह परोपकार थे और राष्ट्रभक्ति थे। देश के स्वतंत्रता की लड़ाई में इन्होंने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1947 में जब यह गोपीनाथ बोर्दोलोई के समर्थन में कांग्रेस के लिए अभियान चला रहे थे तब अंग्रेजों के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। मोजो रीबा पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने अरुणाचल प्रदेश के दीपा गांव में 15 अगस्त 1947 को राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
पीर अली खान
देश के स्वतंत्रता आंदोलन के अनसुने नायकों में पीर अली खान का भी नाम है, जिन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुए। अंत में 14 अन्य लोगों के साथ इन्हें भी सक्रिय विरोधी के तौर पर फांसी पर चढ़ा दिया गया।
पिंगली वेंकैया
हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज को निर्मित करने का योगदान पिंगली वेंकैया को ही जाता है। इन्होंने ही भारत के तिरंगे के डिजाइन तैयार की थी और इस झंडे को इन्होंने विजयवाड़ा में राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान प्रस्ताव पेश किया था, जिसके मध्य में चरखा बना हुआ था।
गांधी जी के द्वारा इस ध्वज को पसंद किया गया, जिसके बाद इस ध्वज को राष्ट्रध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। हमारा स्वयं का राष्ट्रध्वज होना चाहिए इसका सुझाव भी सबसे पहले पिंगली वेंकैया ने हीं महात्मा गांधी को दिया था, जिसके बाद महात्मा गांधी ने इनका समर्थन किया था। पिंगली वेंकैया ने कई मोर्चों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इनका जन्म 2 अगस्त 876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के भटलापेनीमारू गांव में हुआ था।
पिंगली वेंकैया ने दक्षिण अफ्रीका के एंग्लो-बोएर युद्धों में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में भी सेवा की थी। उसी दौरान उनका महात्मा गांधी के साथ संपर्क हुआ और वे महात्मा गांधी के विचारधारा से प्रेरित हुए।
इन स्वतंत्रता सेनानियों के अतिरिक्त भी पोटी श्रीरामुलू, सेनापति बापत, मातंगिनी हाजरा, कमला देवी चट्टोपाध्याय, तारा रानी श्रीवास्तव, विजय सिंह पथिक, बेगम हजरत महल, अरुणा आसफ अली, भीकाजी कामा, कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी आदि जैसे कई स्वतंत्रता सेनानी हुए, जो देश के लिए अपने आपको समर्पित करके सदा के लिए अमर हो गए।
देश के आजादी में अपनी जान समर्पित करने वाले तमाम स्वतंत्रता सेनानियों में एक समान देशभक्ति की भावना थी। हालांकि यह बात अलग है कि इतिहास में कुछ स्वतंत्रता सेनानियों का ही नाम दर्ज हो पाया और कुछ अनसुने नायक इतिहास के पन्नों में अपना नाम नहीं दर्ज कर पाए।
देश को आजाद हुए आज 75 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं लेकिन आज भी उन स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। आज की पीढ़ी को भी इन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए ताकि वह भी गर्व से इन्हें याद कर सके और इनके बलिदान की अनुभूति कर सके।
आज के आर्टिकल में हमने स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर निबंध (Essay on Indian Freedom Fighters In Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा लिखा गया यह निबन्ध आपको पसंद आया होगा। इसे आगे शेयर जरूर करें।
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Comments (3)
In my school their was a program of this topic thank you so ooooo much i got 2nd position love you
सर, बहुत ही अच्छा है ये निबंध । धन्यवाद ????
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Essay on freedom fighters in hindi स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध.
Know information about Freedom Fighters in Hindi (स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध). Read essay on Freedom Fighters in Hindi (भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध).
Essay on Freedom Fighters in Hindi 300 Words
भारत में बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानी है जिन्होंने अपने देश की आज़ादी के लिए अपना तन, मन और धन सब कुछ निशावर कर दिआ था। उन्होंने अपने वतन को विदेशी शासन से स्वतंत्र कराने के लिए अपनी जान गँवा दी थी, उन्हीं की वजह से हम आज किसी के अधीन नहीं हैं। स्वतंत्रता सैनानियों के खून के बदले ही हमे आजादी मिली थी। स्वतंत्रता सैनानियों की जन्म तिथि तथा पुन्य तिथि पर देश भर के वासी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है।
भारत के कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में सरदार वल्लभभाई पटेल, मंगल पांडे, झांसी की रानी, तन्तिया टोपे, महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, लाल बहादुर शास्त्री, एनी बेसेंट, बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस, बिपिन चंद्र पाल, भगत सिंह, सुखदेव, उधम सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, सरोजिनी नायडू, गोपाल कृष्ण गोखले, दादाभाई नौरोजी, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, नाना साहिब, सुचेता क्रिप्लानी आदि शामिल हैं।
स्वतंत्रता सैनानियों की सूची तो बहुत लम्बी है। कुछ ऐसे स्वतंत्रता सेनानी भी है जो गुमनाम ही रह गए। कुछ स्वतंत्रता सैनानियों ने अहिंसा तो कुछ स्वतंत्रता सैनानियों ने हिंसा का रास्ता चुना। रास्ते चाहे अलग हो पर मंजिल सबकी एक ही थी “आज़ादी”। सभी के अपने अपने तरीको से अंग्रेज़ो पर चौतरफा वार किया और जमकर विरोध किया। आखिर में अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना ही पड़ा।
इन्ही स्वतंत्रता सैनानियों की वजह से ही आज हमारा भारत आज़ाद है। हमे इनका सच्चे मन से सम्मान करना चाहिए और इन अमर शहीदों की कुर्बानी को याद करना चाहिए क्योकि अगर यह न होते तो हम आज भी अपना जीवन खुलकर न जी सकते और दुसरों के अधीन होते। देश के लिऐ अपना बलिदान देकर स्वतंत्रता सेनानी सदा के लिए अमर हो गए।
अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।
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Essay on Freedom Fighters in Hindi – स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध
Essay on Freedom Fighters in Hindi: दोस्तो आज हमने स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।
500+ Words Essay on Freedom Fighters in Hindi
स्वतंत्रता सेनानी वे लोग थे जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए निस्वार्थ भाव से अपना बलिदान दिया। हर देश में स्वतंत्रता सेनानियों की अपनी उचित हिस्सेदारी है । लोग उन्हें देशभक्ति के संदर्भ में देखते हैं और अपने देश के लिए प्यार करते हैं। उन्हें देशभक्त लोगों का प्रतीक माना जाता है।
स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिए जो कि अपने प्रियजनों के लिए करने की कल्पना भी नहीं कर सकते, अकेले देश छोड़ दें। दर्द, कठिनाई, और इसके विपरीत जो उन्होंने सहन किया है उसे शब्दों में नहीं डाला जा सकता है। उनके बाद की पीढ़ियाँ हमेशा उनके निस्वार्थ बलिदान और कड़ी मेहनत के लिए उनकी ऋणी रहेंगी ।
स्वतंत्रता सेनानियों का महत्व
कोई स्वतंत्रता सेनानियों के महत्व पर पर्याप्त जोर नहीं दे सकता। आखिरकार, वे ही हैं जिनकी वजह से हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने कितनी छोटी भूमिका निभाई, आज वे बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे उस समय में थे। इसके अलावा, उन्होंने उपनिवेशवादियों के खिलाफ विद्रोह किया ताकि देश और उसके लोगों के लिए खड़े हो सकें।
इसके अलावा, अधिकांश स्वतंत्रता सेनानी अपने लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए युद्ध में भी गए थे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ा कि उनके पास कोई प्रशिक्षण नहीं था; उन्होंने इसे अपने देश को स्वतंत्र बनाने के शुद्ध इरादे के लिए किया। अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता के लिए युद्ध में अपना बलिदान दिया।
सबसे महत्वपूर्ण बात, स्वतंत्रता सेनानियों ने दूसरों को अन्याय से लड़ने के लिए प्रेरित और प्रेरित किया। वे स्वतंत्रता आंदोलन के पीछे के स्तंभ हैं। उन्होंने लोगों को उनके अधिकारों और उनकी शक्ति के बारे में जागरूक किया। यह स्वतंत्रता सेनानियों के कारण है कि हम किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादियों या अन्याय से मुक्त देश में समृद्ध हुए।
मेरे पसंदीदा स्वतंत्रता सेनानी
भारत ने अपनी मातृभूमि के लिए बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों को लड़ते देखा है। जबकि मैं उनमें से हर एक का समान रूप से सम्मान करता हूं, मेरे कुछ निजी पसंदीदा हैं जिन्होंने मुझे अपने देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। सबसे पहले, मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पूरी तरह से मानता हूं । मैं उसे पसंद करता हूं क्योंकि उसने अहिंसा का रास्ता चुना और बिना किसी हथियार के केवल सत्य और शांति के साथ स्वतंत्रता हासिल की।
दूसरी बात, रानी लक्ष्मी बाई एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं। मैंने इस सशक्त महिला से बहुत सी बातें सीखी हैं। उसने इतने कष्टों के बावजूद देश के लिए संघर्ष किया। एक माँ ने अपने बच्चे की वजह से अपने देश को कभी नहीं छोड़ा, बल्कि उसे अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए युद्ध के मैदान में ले गई। इसके अलावा, वह कई मायनों में प्रेरणादायक थी।
इसके बाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेरी सूची में आए। उन्होंने ब्रिटिशों को भारत की शक्ति दिखाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व किया । उनकी प्रसिद्ध पंक्ति यह है कि ‘मुझे अपना खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
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अंत में, पंडित जवाहरलाल नेहरू भी सबसे महान नेताओं में से एक थे। एक अमीर परिवार से होने के बावजूद, उन्होंने आसान जीवन त्याग दिया और भारत की आजादी के लिए संघर्ष किया। उसे कई बार जेल में डाला गया लेकिन उसने उसे अन्याय के खिलाफ लड़ने से नहीं रोका। वह कई लोगों के लिए एक महान प्रेरणा थे।
संक्षेप में, स्वतंत्रता सेनानियों ने हमारे देश को क्या बनाया है यह आज है। हालाँकि, हम देखते हैं कि आजकल लोग हर उस चीज़ के लिए लड़ रहे हैं जिसके खिलाफ वे खड़े थे। हमें इन स्वतंत्रता सेनानियों के भारतीय सपने के बीच सांप्रदायिक घृणा को नहीं आने देना चाहिए। तभी हम उनके बलिदान और स्मृति का सम्मान करेंगे।
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भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम, जानकारी सूची Name List of Indian Freedom Fighters in Hindi
इस अनुच्छेद मे हमने प्रमुख भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम, जानकारी सूची Name List of Indian Freedom Fighters in Hindi लिखा है जिसमे हमने उन महान लोगों के नाम और जानकारी विषय मे विस्तार से बताया है। इन महान देशभक्तों मे से कुछ लोगों से शांति तो कुछ लोगों ने उग्र रूप के माध्यम से अपनी भूमिका निभाई। इन्हीं के कोशिशों के कारण आगे चलकर हमारा देश भारत आज़ाद हुआ।
ब्रिटिश हुक़ूमत ने लगभग 200 सालों तक हमारे देश पर राज किया और भारतीयों के ऊपर अत्याचार किया। अंग्रेज़ भारत पर व्यापार करने आये थे पर देखते ही देखते उन्होंने धोखे से यहाँ पर अपनी सत्ता बना ली। उसके बाद धीरे-धीरे सभी जगहों पर कब्ज़ा कर लिया। जलियांवाला बाग मे हजारों लोगों को मार डाला।
इसी प्रकार के क्रूर कार्यों को सहन नया करके कुछ महान लोगों ने स्वतंत्रता की लड़ाई पर भाग लिया। इन्हीं मे कुछ मुख्य क्रांतिकारियों और स्वयंत्रता सेनानियों के नाम और जानकारी हमने इस लेख मे बताया है।
आईए जानते हैं भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम, जानकारी सूची Name and List of Indian Freedom Fighters in Hindi. इसे एक निबंध के रूप मे भी अपनी परीक्षा मे लिख सकते हैं और भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर क्लिक करके उनके विषय मे विस्तार मे जानकारी पढ़ सकते हैं।
Table of Content
1. शहीद उधम सिंह Shaheed Udham Singh
शहीद उधम सिंह का जन्म जुलाई 31, 1899 को संगरूर जिला, पंजाब, भारत मे हुआ था। जनरल डायर के कहने पर जलियाँवाला बाग मे हजारों लोगों को ब्रिटिश पुलिस वालों ने गोली से भून डाला। इसका बदला लेने के लिए शहीद उधम सिंह ने लंदन मे जनरल डायर (माइकल ओ ड्वायर) को मार डाला। इसके कारण उन्हें जुलाई 31, 1940 को फांसी लगा दी गई।
2. लाला लाजपत राय Lala Lajpat Rai
लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को जगराओं भारत मे हुआ था। वह एक महान भारतीय स्वयंत्रता सेनानी थे जिनका स्वतंत्रता की लड़ाई मे बड़ा योगदान रहा। उन्होंने पंजाब केसरी पत्रिका की शुरुवात की जिसके कारण भारतीय हमेशा प्रेरित रहे। उनकी मृत्यु 17 नवंबर 1928 लाहौर मे हुआ था।
3. झांसी की रानी Rani of Jhansi (Laxmi Bai)
झांसी की रानी का जन्म 19 नवंबर 1928 को काशी, भारत मे हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश शासन का जम कर सामना किया और सन 1857 के विद्रोह मे महत्वपूर्ण योगदान दिया। ब्रिटिश शासन का सामना करते हुए रानी लक्ष्मी बाई की ग्वालियर मे 17 जून 1858 मे मृत्यु हो गई।
4. तात्या टोपे Tatya Tope
तात्या टोपे का जन्म नाम रामचन्द्र पांडुरंगा था। उनका जन्म सं 1814 मे एक ब्राह्मण परिवार मे एओला, नासिक मे हुआ था। उन्होंने सन 1857 के विद्रोह मे जनरल के पद पर रह कर असीम भूमिका निभाया। उन्हें 18 अप्रैल 1859 को शिवपुरी मे फांसी लगा दिया गया।
5. महात्मा गांधी Mahatma Gandhi
इनको सभी लोग प्यार से “बापू” कहकर सम्बोधित करते हैं। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। देश को आजाद करवाने में इनका बड़ा योगदान है।
बापू ने भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन , चम्पारण और खेडा सत्याग्रह , खिलाफत आन्दोलन किया हमारे देश को आजाद कराने के लिए। इन्होने “करो या मरो” का नारा दिया। इन्होने अहिंसा के मार्ग पर चलने को कहा।
6. सुभाषचंद्र बोस Subhash Chandra Bose
इनको हम लोग प्यार से “नेताजी” कहकर पुकारते है। आपका जन्म 23 जनवरी 1897 को ओड़िसा के कटक शहर में हुआ था। इन्होने देश को आजाद करने के लिए “आजाद हिन्द फ़ौज” की स्थापना की। इन्होने देश की सेवा करने के लिए ICS जैसी उच्च नौकरी को छोड़ दिया।
आपने अपना प्रसिद्ध नारा दिया “तुम मुझे खून दो! मैं तुम्हे आजादी दूंगा” इन्होने “दिल्ली चलो” का नारा दिया। महात्मा गांधी और सुभाषचंद्र बोस दोनों देश को आजादी दिलवाना चाहते थे पर सुभाष चंद्र बोस “गर्म दल” के सेनानी थे। महात्मा गांधी की “अहिंसा नीति” से वो सहमत नही थे। इस वजह से वो जर्मनी जाकर हिटलर से भी मिले थे।
7. गोपाल कृष्ण गोखले Gopal Krishna Gokhle
गोपाल कृष्ण गोखले, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक भारतीय उदार राजनीतिक नेता और एक समाज सुधारक थे। उनका जन्म 9 मई, 1866 को कोथलुक, रत्नागिरी जिला, महाराष्ट्र, भारत मे हुआ था। गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी के संस्थापक थे।
सोसाइटी के साथ-साथ कांग्रेस और अन्य विधायी निकायों के माध्यम से, उन्होंने गोखले ने भारतीय स्वशासन के लिए और अन्य सामाजिक सुधारों के लिए अभियान चलाया। वह कांग्रेस पार्टी के उदारवादी गुट के नेता थे जिन्होंने मौजूदा सरकारी संस्थानों के साथ काम करके सुधारों की वकालत की। उनकी मृत्यु 19 फरवरी 1915, को मुंबई भारत मे हुआ था।
8. शहीद भगत सिंह Shaheed Bhagat Sing
इनका जन्म 27 सितंबर 1907 को पंजाब में हुआ था। ये बचपन से ही देश के लिए कुछ करना चाहते थे। ये बचपन से ही देशभक्ति की भावना से भरे हुए थे। इन्होने पंजाब के युवाओं को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए कहा।
इन्होने सुखदेव, राजगुरु, के साथ मिलकर “लाहौर षड्यंत्र” किया। 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने विधान सभा में बम फेका। इन्होने किसी को मारने का प्रयास नही किया और खुद ही गिरफ्तारी दे दी। 23 मार्च 1931 को इनको फांसी दे दी गयी।
9. राज गुरु Raj Guru
इनका पूरा नाम शिवराम राज गुरु था। उनका जन्म 24 अगस्त 1908 को महाराष्ट्र मे हुआ था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन मे इनकी मुख्य भूमिका थी। यह महाराष्ट्र के रहने वाले थे। इन्होंने लाहौर 1928 मे एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी को मार डाल था।
उससे एक दिन पहले लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई थी जिसके कारण उन्होंने यह बदला लेते हुए कदम उठाया। उसके बाद वे पकड़े गए और 23 मार्च 1931 को भगत सिंह और सुखदेव के साथ फांसी लगा दी गई।
10. सुखदेव थापर Sukhdev Thapar
शहीद सुखदेव थापर एक भारतीय क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 15 मई 1907, को लुधियाना पंजाब ब्रिटिश भारत मे हुआ था। वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के एक वरिष्ठ सदस्य थे। उन्होंने भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ कई कार्यों में भाग लिया और 23 मार्च 1931 को 23 वर्ष की आयु में ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा उन्हें भगत सिंह और राज गुरु के साथ फांसी दे दी गई।
11. राम प्रसाद बिस्मिल Ram Prasad Bismil
वे एक महान भारतीय क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 11 जून 1897 मे जहाजहांपुर, भारत मे हुआ था। उन्होंने 1918 के मैनपुरी षडयंत्र में भाग लिया, और 1925 के काकोरी षड्यंत्र, और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष किया। स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ, वे एक देशभक्त कवि भी थे और कलम, राम, अयात और बिस्मिल नाम का उपयोग करते हुए हिंदी और उर्दू में लिखे।
लेकिन, वह अंतिम समय में “बिस्मिल” नाम से ही लोकप्रिय हुए। वे आर्य समाज से जुड़े थे जहाँ उन्हें स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा लिखित पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश से प्रेरणा मिली। 19 दिसम्बर 1927 को उन्हें , वह अंतिम समय में “बिस्मिल” नाम से ही लोकप्रिय हुए। वे आर्य समाज से जुड़े थे जहाँ उन्हें स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा लिखित पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश से प्रेरणा मिली। 19 दिसम्बर 1927 को उन्हें गोंडा जैल मे दो दिन पहले ही फांसी लगा दी गई।
12. खुदीराम बोस Khudiram Bose
खुदीराम बोस (खुदीराम बसु) एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत के ब्रिटिश शासन का विरोध किया था। इनका जन्म 3 दिसम्बर 1889 को मिदनापुर, बंगाल मे हुआ था। प्रफुल्ल चाकी के साथ मुजफ्फरपुर षड़यंत्र केस में उनकी भूमिका के लिए, उन्हें मौत की सजा सुनाई गई और बाद में उन्हें फांसी दे दी गई, जिससे वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे कम उम्र के शहीदों में से एक बन गए।
खुदीराम ने प्रफुल्ल चाकी के साथ मिलकर ब्रिटिश न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट डगलस किंग्सफोर्ड की हत्या करने का प्रयास किया, गाड़ी पर बम फें। मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड, एक अलग गाड़ी में बैठा था, बम फेंकनया सफल नहीं हुआ लेकिन इसमें दो ब्रिटिश महिलाओं की मौत हो गई। खुदीराम को दो महिलाओं की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और अंत में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। उन्हें 11 अगस्त 1908 को मुजज़फ़रपुर बंगाल मे फांसी लगा दी गई।
13. अशफाक उल्ला खां Ashfaqulla Khan
इनका जन्म 22 अक्टूबर 1900 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। ये भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख रूप से सक्रिय क्रांतिकारी थे। इन्होने काकोरी काण्ड में मुख्य भूमिका निभाई थी। ब्रिटिश सरकार ने इन पर महाभियोग चलाया और 19 दिसम्बर 1927 को इनको फैजाबाद की जेल में फांसी दे दी गयी। अपनी फाँसी से पहली रात को इन्होने ये कविता लिखी थी-
जाऊँगा खाली हाथ मगर, यह दर्द साथ ही जायेगा;जाने किस दिन हिन्दोस्तान, आजाद वतन कहलायेगा।
बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं, फिर आऊँगा-फिर आऊँगा; ले नया जन्म ऐ भारत माँ! तुझको आजाद कराऊँगा।। जी करता है मैं भी कह दूँ, पर मजहब से बँध जाता हूँ; मैं मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बात नहीं कह पाता हूँ। हाँ, खुदा अगर मिल गया कहीं, अपनी झोली फैला दूँगा; औ’ जन्नत के बदले उससे, यक नया जन्म ही माँगूँगा।।
14. डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद Dr. Rajendra Prasad
इनका जन्म 3 दिसम्बर 1884 को जीरादेई, बिहार में हुआ था। देश के स्वतंत्रता सेनानियों में इनका नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है। इनको भारत का प्रथम राष्ट्रपति बनाया गया था। इन्होने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इनको “देशरत्न” कहकर भी पुकारते है।
15. रानी लक्ष्मी बाई Rani Lakshmi Bai
ये उत्तर प्रदेश के झांसी की रानी थी। इनका जन्म 1828 में उत्तरप्रदेश के बनारस जिले में हुआ था। उस समय भारत का गर्वनर डलहौजी था। इन्होने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। अंग्रेजो ने राज्य हड़प नीति बनाकर इनके राज्य को हड़पने की योजना बनाई। उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र दामोदर राव को राजा बनाने से इंकार कर दिया। 18 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रितानी सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई।
16. लाल बहादुर शास्त्री Lal Bahadur Shastri
इन्होने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया था। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुग़लसराय में हुआ था। देश को आजाद करवाने के लिए इन्होने अनेक आंदोलनों में हिस्सा लिया। 1921 में असहयोग आंदोलन, 1930 में दांडी मार्च, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई।
ये भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। इन्होने 1965 में भारत- पाक युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त थी। ये अपनी सादगी, देशभक्ति, ईमानदारी के लिए जाने जाते है। मरणोपरांत इनको “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
17. मंगल पांडे Mangal Pandey
इन्होने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाई थी। इनका नाम बच्चा बच्चा जानता है। मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को बलिया में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 21 मार्च 1857 को इन्होने लेफ्टिनेंट बाग़ पर हमला कर उसे घायल कर दिया।
8 अप्रैल 1857 को इनको विद्रोह के लिए फाँसी दे दी गयी। मंगल पांडे को फाँसी देने के बाद अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह और बगावत पूरे उत्तर भारत में फ़ैल गया। भारत सरकार ने इनकी याद में 1984 में डाक टिकट जारी किया।
18. जवाहरलाल नेहरु Jawaharlal Nehru
इनका जन्म 14 नवंबर 1889 उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। भारत की आजादी की लड़ाई में इन्होने केन्द्रीय भूमिका निभाई थी। ये बच्चो से बहुत प्यार करते थे। बच्चे इनको प्यार से चाचा नेहरु बुलाते थे। महात्मा गांधी से प्राभावित होकर इन्होने 1929 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया।
पश्चिमी कपड़ो और विदेशी सम्पत्ति का त्याग कर दिया। उन्होंने खादी कुर्ता और टोपी पहनना शुरू कर दिया। 1920-1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया और इस दौरान पहली बार गिरफ्तार किए गए। कुछ महीनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
19. लाला लाजपत राय Lala Lajpat Rai
ये भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहते है। इनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब में हुआ था।। ये भारतीय गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे।
सन 1928 में इन्होने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया। लाठी चार्ज में ये बुरी तरह घायल हो गये। 14 नवंबर 1928 को इनकी मृत्य हो गयी। इन्होने पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना की थी।
20. बाल गंगाधर तिलक Bal Gangadhar Tilak
ये एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और वकील थे। इनका जन्म 23 जुलाई 1856 को रत्नागिरी जिले में हुआ था। ये अंग्रेजी शिक्षा के घोर विरोधी थे। ये मानते थे की अंग्रेजी शिक्षा भारतीय सस्कृति के प्रति अनादर सिखाती है।
इनको “लोकमान्य” की उपाधि दी गई थी। “स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा” ये नारा इन्होने दिया। उन्हें केसरी नामक अखबार में अपने लेखो की वजह कई बार जेल जाना पड़ा।
21. विनायक दामोदर सावरकर Vinayak Damodar Savarkar
विनायक दामोदर सावरकर को मराठी मे स्वातंत्र्यवीर सावरकर के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 28 मई 1883, मे भागूर, बॉम्बे मे हुआ था। वे एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता और राजनेता थे जिन्होंने हिंदू राष्ट्रवादी दर्शन को सूत्रबद्ध किया। साथ ही वह हिंदू महासभा में एक अग्रणी व्यक्ति भी थे। उनके घर बॉम्बे मे ही फरवरी 26, 1966 को उनकी मृत्यु हो गई।
22. चन्द्रशेखर आजाद Chandrashekhar Azad
ये स्वतंत्रता संग्राम में राम प्रसाद बिस्मिल और भगत सिंह के गुट में थे। इनका जन्म 23 जुलाई 1906 में भाबरा गाँव, उन्नाव जिला में हुआ था। ये हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये।
इस संस्था के माध्यम से आजाद ने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इन्होने ब्रिटिश हुकूमत से लाला लाजपत राय की मौत का बदला सांडर्स की हत्या करके लिया। दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।
23. भीमराव अम्बेडकर Bhimrao Ambedkar
ये अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, विधिवेत्ता और समाज सुधारक थे। भारत का संविधान इन्होने ही लिखा है। इनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में हुआ था। इन्होने अछूत (दलितों) को बराबरी का हक देने के लिए अभियान चलाया। उस समय देश में बहुत जातिवाद था। इन्होने 1956 में बौध धर्म अपना लिया। इनको मरणोपरांत भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया।
24. सरदार वल्लभभाई पटेल Sardar Vallabh Bhai Patel
भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने। स्वतंत्रता आन्दोलन में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष भी कहा जाता है इनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 नडीयाद गुजरात में हुआ था। 1928 में इन्होने गुजरात में बारडोली आंदोलन का नेतृत्व किया।
वह गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने। स्वतंत्रता आन्दोलन में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष भी कहा जाता है इनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 नडीयाद गुजरात में हुआ था। 1928 में इन्होंने गुजरात में बारडोली आंदोलन का नेतृत्व किया।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख मे आपने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम, जानकारी विस्तार से पढ़ा। इसके अलावा बेगम हजरत महल, गणेश विद्धार्थी, जय प्रकाश नारायण, बटुकेश्वर दत्त, अशफाक अली, रवीन्द्रनाथ टैगोर , विपिनचंद्र पाल, नाना साहब, चिरंजन दास, राजा राममोहन राय ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाई। आशा करते हैं।
आपको भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम, जानकारी सूची (Name List of Indian Freedom Fighters in Hindi) से इन महान नरम और गरम नेताओं के विषय मे जानकारी मिली होगी।
Featured Image Source – https://www.inmemoryglobal.com/remembrance/2015/08/say-thank-you-to-the-freedom-fighters/
नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।
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Five lines about bharat mata
चन्द्रशेखर आजाद पर निबंध (Chandrashekhar Azad Essay in Hindi)
भारतीय क्रांतिकारियों मे चन्द्रशेखर आजाद एक बहुत प्रसिद्ध नाम है, जिन्होंने अपनी मातृ भूमी की आजादी के लिए अपना सबकुछ बलिदान कर दिया। यहां निचे दिए गए निबन्ध मे हम चन्द्रशेखर आजाद के जीवन के संघर्ष और कई अन्य रोचक तथ्यों के बारे मे चर्चा करेंगे।
चन्द्रशेखर आजाद पर छोटे और बड़े निबन्ध (Short and Long Essays on Chandrashekhar Azad, Chandrashekhar Azad par Nibandh Hindi mein)
चन्द्रशेखर आजाद पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).
चन्द्रशेखर आजाद भारत मे जन्में एक बहादूर और क्रान्तिकारी व्यक्ति थे, जिन्हें उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए हमेशा याद किया जाता है। अपने साहसिक गतिविधियों के कारण वो भारतीय युवाओं मे एक हीरो के रुप मे जाने जाते है। अपने नाम के अनुरुप ही वो अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ की गई कई क्रांतिकारी गतिविधियों के बाद भी ब्रिटिश कभी उन्हें पकड़ नही सके।
उनके क्रांतिकारी गतिविधियों पर एक नजर
चन्द्रशेखर आजाद हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.आर.ए) के साथ जूड़े थे, जिसको 1928 मे बदलकर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.एस.आर.ए.) के नाम से जाना जाने लगा। दोनों ही संगठनों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों मे हिस्सा लिया और उन गतिविधियों मे चन्द्रशेखर आजाद हमेशा ही आगे रहें। चन्द्रशेखर आजाद से जुड़ी कुछ महत्वपुर्ण गतिविधियों को नीचे प्रदर्शित किया गया है –
काकोरी ट्रेन डकैती
ट्रेन डकैती की यह घटना 9 अगस्त 1925 मे लखनऊ के नजदीक काकोरी मे चन्द्रशेखर आजाद और हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.आर.ए.) के अन्य साथियों द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया था। इस घटना का मुख्य उद्देश्य संघ की क्रांतिकारी गतिविधियों को वित्तपोषित करना था।
- वायसराय की ट्रेन को उड़ाया
चन्द्रशेखर आजाद ने 23 दिसंबर 1926 मे वायसराय लार्ड इरविन को ले जाने वाली ट्रेन को बम धमाके मे उड़ाने मे भी शामिल थे। हांलाकि इस घटना मे ट्रेन पटरी से उतर गयी थी और वायसराय अचेत हो गया था।
- सॉन्डर्स की हत्या
चन्द्रशेखर आजाद ने 17 दिसंबर 1928 को भगत सिहं और राजगूरु के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए, परिविक्षाधीन पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या में भी शामिल थे।
जब पुलिस को चन्द्रशेखर आजाद की इलाहाबाद के आजाद पार्क मे छुपे होने की सूचना मिली तो वो उनसे अकेले ही भिड़ गए थे। उन्होने जबाबी कार्यवाही मे पुलिस पर गोलियां चलाई लेकिन अंतिम गोली से उन्होंने खुद को मार लिया, क्योंकि किसी भी हाल मे पुलिस के हाथ पकड़ा जाना उन्हे मंजूर नही था।
वो अपने नाम के अनुसार ‘आजाद’ ही मर गये। उन्होने ब्रिटिश सरकार द्वारा अमानवीय तरीके से कब्जा और लोगों से अनुचित व्यवहार के लिए वो शख्त खिलाफ थे।
इसे यूट्यूब पर देखें : चन्द्रशेखर आजाद
Chandrashekhar Azad par Nibandh – 2 (400 शब्द)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई मे चन्द्रशेखर आजाद के नाम को किसी परिचय की आवश्यकता नही है। भारतीय क्रांतिकारियों की सुची मे यह एक जाना माना और सम्मानित नाम है। उनकी कम उम्र मे साहस और निडरता ने उन्हें भारत के युवाओं मे काफी लोकप्रिय बना दिया था।
आजाद – एक युवा क्रांतिकारी
बहुत कम उम्र मे ही आजाद ब्रिटिश विरोधी आन्दोलनों मे भाग लेने के लिए प्रेरित हुए। जब वह काशी विद्यापीठ वाराणसी मे पढ़ रहे थे तो वह केवल 15 साल के थे, तब उन्होने महात्मा गांधी द्वारा चलाए गये असहयोग आंदोलन मे सक्रिय रुप से भाग लिया था। वह असहयोग आंदोलन मे भाग लेने के लिए जेल मे जाने वाले सबसे कम उम्र के आंदोलनकारी थे।
केवल 15 वर्ष की उम्र मे, आजादी के आंदोलन मे हिस्सा लेने के लिए एक युवा के लिए बहुत कम उम्र है, लेकिन आजाद ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए यह लड़ाई लड़ी। चौरी-चौरा की घटना के बाद जब महात्मा गांधी ने 1922 मे असहयोग आंदोलन को खत्म करने का फैसला किया तो इस फैसले से आजाद खुश नही थे।
एच.आर.ए. और एच.एस.आर.ए. को समर्थन
1922 मे गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन को खत्म करने के बाद, आजाद राम प्रसाद विस्मिल के संपर्क मे आएं, जिन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों मे शामिल हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएसन (एच.आर.ए.) नामक संस्थान की स्थापना की थी।
चन्द्रशेखर आजाद को मोतीलाल नेहरु जैसे बहुत सारे दिग्गज नेताओं का समर्थन प्राप्त था जिन्होने नियमित रुप से एच.आर.ए. के समर्थन के लिए पैसे दिए थे। उन दिनों उन्हें कई कांग्रेस नेताओं का भी समर्थन मिला था, खासतौर से जब वह संयुक्त प्रांत मे, जो इन दिनों उत्तर प्रदेश मे झांसी के निकट है, एक बदली हुई पहचान पंडित हरिशंकर ब्रम्हचारी नाम के साथ जी रहे थे।
चन्द्रशेखर आजाद ने 6 साल के भीतर भगत सिहं, असफाकउल्ला खान, सुखदेव थापर और जगदीश चन्द्र चटर्जी के साथ मिल कर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.एस.आर.ए.) संस्थान का गठन किया था।
9 अगस्त 1925 को काकोरी ट्रेन डकैती की घटना के षणयंत्र को काकोरी और लखनऊ के बीच अंजाम दिया गया था। रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान के साथ मिलकर एच.आर.ए. की गतिविधियों मे निधी देने और संगठन के लिए हथियार खरीदनें के इरादे से यह लुट की गयी थी।
सरकारी खजाने के लिए पैसा ले जाने वाली इस ट्रेन को बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, राजेन्द्र लहीरी और एच.आर.ए. के अन्य सदस्यों ने मिलकर ट्रेन को लूट लिया था। गार्ड के कोच मे मौजूद एक लाख रुपये को उन्होने लूट लिया था।
विश्वासघात और मौत
27 फरवरी 1931 को आजाद जब इलाहाबाद के आजाद पार्क मे छिपे थे। विरभद्र तिवारी नाम का एक पुराना साथी पुलिस का मुखबिर बन गया और आजाद के वहां होने की सुचना पुलिस को दे दिया। पुलिस के साथ भिड़ते हुए आजाद ने अपने कोल्ट पिस्टल से गोलीयां चलायी, लेकिन जब उसमे केवल एक गोली बची थी, तो उन्होने खुद को गोली मार ली।
आजाद अपने साथियों से कहा करते थे कि वो कभी पकड़े नही जाएंगे और हमेशा आजाद ही रहेगें। वास्तव मे वह गिरफ्तार होने की स्थिति मे एक अतिरिक्त गोली अपने साथ रखते थे, ताकि वह खुद को मार सकें।
निबन्ध 3 (600 शब्द) – चन्द्रशेखर आजादः परिवार और क्रांतिकारी गतिविधि
चन्द्रशेखर आजाद या केवल ‘आजाद’ के नाम से जाना जाने वाले ये एक भारतीय क्रांतिकारी थे जो कि अन्य क्रांतिकारियों जैसे सरदार भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और अन्य सभी के समकालीन थे। भारत से ब्रिटिश शासन को बाहर निकालने के लिए उन्होनें बहुत सी क्रांतिकारी गतिविधियों मे भाग लिया।
आजाद – द फ्री
एक छोटी लेकिन बहुत रोचक घटना है, जबकि उनके जन्म का नाम चन्द्रशेखर तिवारी था और उन्होने अपने नाम के आगे ‘आजाद’ नाम को जोड़ लिया और वो चन्द्रशेखर आजाद बन गये।
केवल 15 वर्ष की आयु मे आजाद को असहयोग आंदोलन मे हिस्सा लेने के लिए उन्हें जेल मे ड़ाल दिया गया था। जब एक युवा लड़के को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और उनके बारें मे पुछा गया तो, उन्होने कहा कि मेरा नाम ‘आजाद’ है, उनके पिता का नाम ‘स्वतंत्रत’ (स्वतंत्रता) है और उनका निवास स्थान ‘जेल’ है।
इस घटना के बाद “आजाद” उनके नाम का शीर्षक बन गया और उनका नाम चन्द्रशेखर तिवारी से ‘चन्द्रशेखर आजाद’ नाम से लोकप्रिय हो गये।
परिवार और प्रभाव
आजाद के पूर्वज मूल रुप से बदरका गांव के रहने वाले थे जो कि कानपुर मे स्थित है, और इन दिनों उन्नाव जिले मे रायबरेली रोड़ पर स्थित है। उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के बहरा गांव मे हुआ था। उनकी माता का नाम जगरानी देवी तिवारी था, जो कि सीताराम तिवारी की तीसरी पत्नी थी।
इनका परिवार पहले कानपुर के बदरका गांव मे रहता था लेकिन अपने पहले बच्चे सुखदेव (आजाद के बड़े भाई) के जन्म के बाद इनका परिवार अलीराजपुर चला गया।
चन्द्रशेखर आजाद की मां चाहती थी कि वो संस्कृत के विद्वान बने। इसी कारण उन्होने उन्हे बनारस जो कि वर्तमान समय मे वाराणसी के काशी विद्यापीठ मे भेजा दिया था। सन 1921 मे जब वे वाराणसी मे पढ़ रहे थे, उसी समय गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया और युवाओं से बड़ी संख्या मे इसमें भाग लेने की अपील की।
आजाद इस आंदोलन से काफी प्रभावित थे और उन्होने पूरे जोश और उत्साह के साथ इसमे भाग लिया। सक्रिय रुप से इस आंदोलन मे भाग लेने के लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। जब गांधी जी ने 1922 में चौरी-चौरा घटना के मद्देनजर असहयोग आंदोलन की समाप्ति की घोषणा की तो चन्द्रशेखर आजाद खुश नही थे और वहां से उन्होने क्रांतिकारी दृष्टिकोण को अपनाने का फैसला किया।
क्रांतिकारी गतिविधियां
असहयोग आंदोलन की समाप्ति के बाद चन्द्रशेखर आजाद राम प्रसाद विस्मिल के संपर्क मे आएं, जो कि हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.आर.ए.) के संस्थापक थे, जो कि क्रांतिकारी गतिविधियों मे शामिल थे। आगे चलकर एच.आर.ए. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच.एस.आर.ए.) के नाम मे परिवर्तित हो गया।
चन्द्रशेखर आजाद ब्रिटिश शासन के कई नियमों के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों मे शामिल थे। काकोरी ट्रेन डकैती जिसमें की ब्रिटिश सरकार के खजाने को ले जाया जा रहा था वो इस के मुख्य आरोपी थे। जो कि अंग्रेजो के द्वारा ले जा रहे धन को एच.आर.ए. की क्रांतिकारी गतिविधियों के फंडिंग के लिए लुट लिया गया था।
वह भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन को ले जा रही ट्रेन को बम्ब धमाके मे उड़ाने की कोशिश मे भी शामिल थे, लेकिन ट्रेन पटरी से उतर गयी और वायसराय घायल होकर अचेत हो गया था।
चन्द्रशेखर आजाद ने भगत सिहं और राजगुरु के साथ मिलकर लाहौर जो इन दिनों पाकिस्तान मे है एक परीविक्षाधिन पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या मे भी शामिल थे। पुलिस द्वारा की गई लाला लाजपत राय की हत्या की मौत का बदला लेने के लिए यह साजिश रची गयी थी।
मृत्यु और विरासत
27 फरवरी 1931 को उत्तर प्रदेश के इलहाबाद मे अल्फ्रेड पार्क मे आजाद का निधन हुआ। स्वतंत्रता के बाद इसका नाम बदल कर ‘आजाद पार्क’ कर दिया गया। एक दिन पार्क मे आजाद और उसके एक साथी सुखदेव राज पार्क मे छुपे थे। एक पुराने निपुण साथी ने गद्दारी की और उसने इसकी सूचना पुलिस को दे दी।
आजाद एक पेड़ के पिछे छिपकर पुलिस को अपनी कोल्ट पिस्तौल से जबाबी कार्यवाही करने लगे। उन्होने सुखदेव राज को वहां से भगा दिया। जब उनके पास केवल एक गोली बची, तो आजाद ने खुद को गोली मार ली और शहीद हो गये।
अपने राष्ट्र को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के लिए उन्होने एक राष्ट्र सेवक की तरह जीवन को व्यतीत किया। बहुत कम ऐसे लोग थे जो चन्द्रशेखर आजाद की तरह साहसी और निडर हुए।
FAQs: चन्द्रशेखर आज़ाद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. एक लंबी गोलीबारी के बाद, आज़ाद ने अपनी बंदूक की आखिरी गोली का इस्तेमाल खुद के सिर में गोली मारने के लिए किया। ऐसा उन्होंने हमेशा आज़ाद रहने और कभी भी जीवित न पकड़े जाने के अपने वादे को निभाने के लिए किया।
उत्तर. चन्द्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों और सविनय अवज्ञा कार्यों में भाग लिया। आज़ाद ने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) का गठन किया। उन्होंने काकोरी ट्रेन डकैती और जेपी सॉन्डर्स हत्याकांड में भी भाग लिया था।
उत्तर. चन्द्रशेखर आजाद की शहादत अल्फ्रेड पार्क, प्रयागराज में हुई थी। बाद में इस पार्क को चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क कहा जाने लगा।
उत्तर. गांधीजी के आंदोलन में शामिल होने के कारण चन्द्रशेखर आज़ाद को जेल में डाल दिया गया और सज़ा के तौर पर कोड़ों से पीटा गया। जब उन्हें अदालत में ले जाया गया तो उन्होंने स्वयं को आज़ाद घोषित कर दिया।
उत्तर. चन्द्रशेखर आज़ाद का नारा था: “मैं आजाद हूँ, आजाद रहूँगा और आजाद ही मरूंगा” इसके साथ उनका एक मशहूर नारा यह भी था “दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, हम आजाद हैं और आजाद ही रहेंगे।”।
उत्तर. चन्द्र शेखर आज़ाद का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में चन्द्र शेखर तिवारी के रूप में हुआ था। आजाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के घडखौली गांव के रहने वाले थें।
उत्तर. सदाशिवराव मलकापुरकर, भगवान दास माहौर और विश्वनाथ वैशम्पायन चन्द्रशेखर आज़ाद के घनिष्ठ मित्र थे। उनकी मित्रता तब और बढ़ गई जब वे उनके क्रांतिकारी दल में शामिल हो गए।
उत्तर. चन्द्रशेखर आज़ाद ने खुद को गोली मार ली क्योंकि वह अंग्रेजों के बंदी के रूप में मरना नहीं चाहते थे।
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महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।
2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।
इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-
महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।
भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।
राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।
उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।
महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।
महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।
गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।
महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”
महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।
वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।
महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information
स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।
वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।
गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।
महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career
अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।
इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।
वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:
महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।
उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।
ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।
सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।
वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।
अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।
वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।
महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh
प्रस्तावना-
2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।
महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।
जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था। उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-
चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement
साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।
जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।
साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।
जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।
महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।
महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement
अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।
जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।
गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।
इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan
महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।
गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।
नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।
गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।
महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)
अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।
आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।
इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।
इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।
वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।
- Mahatma Gandhi Slogan
महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।
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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”
Gandhi ji is my favorite
अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा
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रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध
रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध Hindi Essay on Rani Laxmi Bai (Jhasi ki Rani)
प्रस्तावना :- झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई वह भारतिय विरांगना थी। जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए रणभूमि में हँसते-हँसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। भारत स्वतंत्रता के लिए सन 1857 में लड़े गए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास इन्होंने ही अपने रक्त से लिखा था। हम सब के लिए उनका जीवन आदर्श के रूप में है।
लक्ष्मीबाई का जन्म:- लक्ष्मीबाई का वास्तविक नाम मनुबाई था। ये नाना जी पेशवा राव की मुहबोली बहन थी। उन्ही के साथ खेलकूद कर ये बड़ी हुई है। वो इन्हें प्यार से छबीली कह कर पुकारते थे। लक्ष्मीबाई के पिता का नाम मोरोपन्त था। और उनकी माँ का नाम भागीरथी बाई था। ये मूलतः महाराष्ट्र के रहनेवाले थे। लक्ष्मीबाई का जन्म 13 नवम्बर सन 1835 ई.को काशी में हुआ था। और लक्ष्मीबाई का पालन-पोषण बिठूर में हुआ था। जब वो चार-पांच शाल की थी, तब ही इनकी माँ का देहांत हो गया था। बचपन से ही वो पुरुषों के साथ ही खेलना-कूदना, तीर तलवार चलाना , घुड़सवारी करना , आदि करने के कारण उनके चरित्र में भी वीर पुरषों की तरह गुणों का विकास हो गया था। बाजीराव पेशवा ने अपनी स्वतंत्रता की कहानियों से लक्ष्मीबाई के ह्रदय में उनके प्रति बहुत प्रेम उतपन्न कर दिया था।
लक्ष्मीबाई का विवाह:- सन 1842 ई.में मनुबाई का विवाह झाँसी के अंतिम पेशवा राजा गंगाधर राव के साथ हुआ था। विवाह के बाद ये मनुबाई, ओर छबीली से रानी लक्ष्मीबाई कहलाने लगी थी। इस खुशी में राजमहल में आनन्द मनाया गया। घर-घर मे दिया जलाए गए। विवाह के नो वर्ष बाद लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया परन्तु वो जन्म के तीन महीने बाद ही चल बसा। पुत्र वियोग में गंगाधर राव बीमार पड़ गए। तब उन्होंने दामोदर राव को गोद ले लिया। कुछ समय बाद सन 1853 ई.में राजा गंगाधर राव भी स्वर्ग सिधार गए। उनकी मृतु के बाद अंग्रेजों ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को अनाथ ओर असहाय समझ कर उनके दत्तक पुत्र को अवैध घोषित कर दिया। और रानी लक्ष्मीबाई को झांसी छोड़ने को कहने लगे। परन्तु लक्ष्मीबाई ने साफ शब्दों में उनको उत्तर भेज दिया, ओर कहा झांसी मेरी है, ओर में “इसे प्राण रहते इसे नही छोड़ सकती”।
रानी लक्ष्मीबाई की मृतु: – तभी से रानी ने अपना सारा जीवन झाँसी को बचाने के संघर्ष और युधो में ही व्यतीत किया। उन्होंने गुप्त रूप से अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी शक्ति संचय करनी प्रारंभ कर दी। अवसर पाकर एक अंग्रेज सेनापति ने रानी को साधारण स्त्री समझ के झाँसी पर आक्रमण कर दिया परन्तु रानी पूरी तैयारी किये बैठी थी। दोनों में घमासान युद्ध हुआ। उन्होंने अंग्रेजों के दांत खटे कर दिए। अंत मे लक्ष्मीबाई को वहां से भाग जाने के लिए विवश होना पड़ा। झाँसी से निकल कर रानी लक्ष्मीबाई कालपी पोहची ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से डटकर मुकाबला किया परन्तु लड़ते-लड़ते वह भी स्वर्गसिधार गयी।
उपसंहार :- इस प्रकार रानी लक्ष्मीबाई ने एक नारी हो कर पुरुषों की भांति अंग्रेजो से लड़कर उनकी हालात खराब कर दिया था और उन्हें बता दिया कि स्वतंत्रता के लिए तुम अंग्रेजों के लिए एक महिला ही काफी है।वह मर कर भी अमर हो गयी। और स्वतंत्रता की ज्वाला को भी अमर कर गयी । उनके जीवन की एक -एक घटना आज भी भारतीयों में नवस्फूर्ति ओर नवचेतना का संचार कर रही है।
सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा झाँसी की रानी पर लिखी ये कविता में उनके जीवन का पूरा व्रतांत है। और ये कविता विख्यात है।
“सिंहासन हिल उठे राजवंशो ने भुकुटी तानी थी। बूढ़े भारत मे आई फिर से नई जवानी थी। गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी। दूर फिरंगी को करने की सबने मन मे ठानी थी। बुंदेले हर बोलो के मुँह हमने सुनी कहा थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।”
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- 20 Female Freedom Fighters of India in Hindi: भारत की वीरांगनाएँ
Last Updated on May 20, 2019 by Jivansutra
Forgotten Female Freedom Fighters of India in Hindi
Female Freedom Fighters of India in Hindi में आज हम आपको त्याग और वीरता की प्रतिमूर्ति उन देवियों के बारे में बतायेंगे जिन्होंने भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिये एडी-चोटी का जोर लगा दिया, जिन्होंने देश के लिये अपनी जान की बाजी लगा दी थी। आज देशवासी उन कुछ महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में ही जानते हैं जो न केवल अधिक सुशिक्षित और उच्च कुल से संबंधित थीं, बल्कि नेतृत्व क्षमता से भी युक्त थीं।
सतत संघर्ष के साथ आगे बढ़कर नेतृत्व करने के कारण आज उनका नाम इतिहास में अमर हो चुका है, लेकिन उन हजारों अज्ञात वीरांगनाओं (Female Freedom Fighters) का क्या, जो संघर्ष करते-करते ही वीरगति को प्राप्त हो गयी थीं और जिनके बारे में आज कोई कुछ भी इसलिये नहीं जानता, क्योंकि उनका नाम ऐतिहासिक अभिलेखों में दर्ज नहीं है।
बेहद सामान्य पृष्ठभूमि वाली यह वीर स्त्रियाँ इतनी सामान्य थीं कि उनके जाते ही लोग उन्हें भूल गये, लेकिन भारत की स्वतंत्रता में उनका योगदान उतना ही है जितना कि उन विख्यात वीरांगनाओं का। इसके अतिरिक्त उन लाखों माँओं, पत्नियों और बहनों का त्याग भी नहीं भूला जाना चाहिये, जिन्होंने अपनी संतानों, अपने पतियों और अपने भाइयों को आजादी के संघर्ष में खोया।
जिन्होंने उन वीरों के शहीद होने का नहीं, बल्कि उनके सपने पूरे न होने का शोक मनाया और जिनके आँसू भारत माता के उन सच्चे सपूतों के रक्त के साथ मिलकर, उस दुर्दमनीय प्रचण्ड आक्रोश की उत्पत्ति का आधार बने जिसके सामने अंग्रेजों का टिक पाना असंभव था।
भारत की उन सभी अज्ञात वीरांगनाओं (Female Freedom Fighters) के प्रति श्रद्धावनत होते हुए और उनके उस अपूर्व पराक्रम को नमन करते हुए आज हम आपको भारत की उन बीस महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बतायेंगे जिन्होंने अपने साहस, नेतृत्व और कौशल से अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया और देश की आजादी की ध्वजवाहक बनी।
भारत के 100 सबसे महान स्वतंत्रता सेनानीयों पर एक विस्तृत लेख – 100 Freedom Fighters of India in Hindi
1. Durga Bhabhi दुर्गाभाभी
Female Freedom Fighter 1: दुर्गा भाभी के नाम से प्रसिद्ध दुर्गावती देवी (1902-1999) भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख वीरांगना (Female Freedom Fighter) थीं। यह क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा की धर्मपत्नी थीं। दुर्गा भाभी क्रान्तिकारियों की प्रमुख सहयोगी थीं, 18 दिसम्बर 1928 को भगत सिंह ने इन्ही दुर्गा भाभी के साथ वेश बदल कर कलकत्ता-मेल से यात्रा की थी। आजादी की लड़ाई में दुर्गाभाभी का एक अलग ही स्थान है।
क्योंकि इस वीर स्त्री ने उच्च कुल और अमीर परिवार में जन्म लेने के बावजूद देश की आजादी के लिये जितने कष्ट सहे, उतने शायद यहाँ वर्णित वीरांगनाओं में शायद ही किसी ने सहे हों। युवावस्था में ही पति की मृत्यु का असहनीय दुःख और उस पर से पुलिस की बारम्बार प्रताड़ना, घरवालों का त्याग और साथ ही एक अबोध शिशु के पालन-पोषण की भारी जिम्मेदारी, यह सब कुछ दुर्गा भाभी को अकेले ही सहना पड़ा।
पर इन भीषण विपत्तियों के बावजूद दुर्गा भाभी ने कभी हार नहीं मानी। भारत की यह वीरांगना कितनी साहसी थी, इसका पता तब चला जब इन्होने गवर्नर हैली को गोली से मारने का प्रयास किया था, और जब इन्होने मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी गोली मारी, तब तो अंग्रेज इनके पीछे ही पड़ गए थे। क्रांतिकारियों को हथियार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दुर्गा भाभी हिमालय के शौचालय नाम से एक बम बनाने की फैक्टरी भी चलाती थीं।
28 मई 1930 को रावी नदी के तट पर साथियों के साथ बम बनाने के बाद परीक्षण करते समय जब इनके पति शहीद हो गए, तो भी दुर्गा भाभी ने हौंसला नहीं खोया। उनके शहीद होने के बावजूद वह साथी क्रांतिकारियों के साथ सक्रिय रहीं। 14 अक्टूबर 1999 के दिन बेहद सामान्य जिंदगी जीते हुए भारत की इस महान वीरांगना (Female Freedom Fighter) ने गाजियाबाद में अंतिम साँस ली।
क्या जानते हैं आप भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में – National Symbols of India in Hindi
Woman Freedom Fighters Who Changed History
2. matangini hazra मातंगिनी हाजरा.
Female Freedom Fighter 2: मातंगिनी हाजरा (1870-1942) भारत छोड़ो आन्दोलन और असहयोग आन्दोलन की सक्रिय सदस्य थीं। आजादी के प्रति उनका जोश इस बात से सहजता से समझा जा सकता है कि जिस आयु में लोग जीवन से उब जाते हैं और किसी प्रकार से अपने दिन काटते हैं उस आयु में उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
71 वर्ष की आयु में भी देशप्रेम की भावना उनमे इतने उच्च स्तर पर बलवती थी कि जब एक जुलूस के दौरान वह आजादी के प्रतीक भारतीय झंडे को हाथ में लेकर सबसे आगे चल रही थी तो तीन बार गोली मारने के पश्चात भी वह आगे ही बढती रहीं थीं।
अंग्रेजों द्वारा बलपूर्वक झन्डा छीनने का प्रयास करने के बावजूद उन्होंने तब तक ध्वज नहीं छोड़ा जब तक कि उन्होंने अपने प्राण नहीं त्याग दिये। भारत की इस साहसी वीरांगना (Female Freedom Fighter) ने वन्दे मातरम् कहते हुए वीरगति प्राप्त की और आजादी के भीषण महायज्ञ में एक और नायिका की आहुति पड़ी।
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3. Bhogeswari Phukanani भोगेश्वरी फुकनानी
Female Freedom Fighter 3: भोगेश्वरी फुकनानी (1885-1942) असम की प्रखर महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थीं। अंग्रेजों ने इस साहसी वीरांगना (Female Freedom Fighter) की इसलिये निर्ममता से गोली मारकर हत्या कर दी थी, क्योंकि उन्होने भारतीय झंडे का अपमान करने वाले अंग्रेज अधिकारी की डंडे से पिटाई कर दी थी। भोगेश्वरी ने भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान पूर्वोतर राज्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रौढावस्था में भी उनके शौर्य को देखकर असम की जनता के ह्रदय में देशप्रेम की भावना घर करने लगी थी। अंग्रेजों को डर था कि अगर यह आयोजन लम्बे समय तक चलते रहे तो असम में कई खतरनाक क्रांतिकारी पैदा हो सकते हैं। इसी कारण से उन अत्याचारियों ने स्त्री की अस्मिता का ध्यान न करते हुए इतना बर्बरतापूर्ण कार्य किया।
देश और दुनिया से जुड़े यह अविश्वसनीय तथ्य नहीं जानते होंगे आप – 65 Amazing Facts in Hindi
4. Raj Kumari Gupta राजकुमारी गुप्ता
Female Freedom Fighter 4: काकोरी की उस ट्रेन डकैती को आखिर कौन भूल सकता है जिसने अंग्रेजों के मन में दहशत फैला दी थी। पर कम ही लोगों को मालूम होगा कि इस घटना में पुरुष क्रांतिकारियों के साथ-साथ एक वीर भारतीय नारी भी सम्मिलित थी जिनका नाम था राजकुमारी गुप्ता (1902-1963)। यह एक मध्यमवर्गीय वैश्य परिवार की महिला थीं और अपने पति के साथ मिलकर इन्होने महात्मा गाँधी और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान नायकों के साथ काम किया था।
काकोरी ट्रेन डकैती में इनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। क्योंकि हथियारों को क्रांतिकारियों तक लाने ले-जाने का उत्तरदायित्व इनके ही ऊपर था। वह अपने अन्तःवस्त्र (अंडरगारमेंट्) में हथियारों को छुपाकर ले जाती थी और किसी को शक न हो इसीलिये अपने साथ अपने 3 वर्ष के मासूम बच्चे को भी साथ रखती थीं।
पर दुर्भाग्य देखिये, जहाँ यह वीर स्त्री (Female Freedom Fighter) भारत की आजादी के लिये इतना त्याग कर रही थी, वहीँ इनके परिवार ने शर्मनाक कृत्य करते हुए इन्हें उस समय घर से ही निकाल दिया, जब पुलिस ने इन्हें इस घटना में गिरफ्तार कर लिया था।
इन 50 अद्भुत और हैरतंगेज बातों के बारे में आपने कभी नहीं पढ़ा होगा – 50 Interesting Facts in Hindi
Forgotten Woman Warriors of India in Hindi
5. bina daas बीना दास.
Female Freedom Fighter 5: बीना दास (1911-1986) क्रांतिकारियों की जन्मभूमि कहे जाने वाले बंगाल प्रान्त में पैदा हुई थीं। उनके पिता ब्रहम समाज से जुड़े एक प्रखर समाज सुधारक थे। उनकी बड़ी बहन कल्याणी दास भी एक स्वतंत्रता सेनानी थी। बीना दास कोलकाता के स्त्रियों के अर्द्ध क्रांतिकारी संगठन ‘छतरी संघ’ की सदस्य थीं। 6 फरवरी 1932 के दिन उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में बंगाल के गवर्नर स्टेनली जैक्सन को मारने का प्रयास किया था। उन्होंने पाँच गोलियाँ चलाई पर निशाना चूक गयीं।
उन्हें नौ साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गयी थी। 1939 में जेल से छूटने पर वह कांग्रेस में शामिल हो गयीं और भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण फिर से जेल गयी। वह पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्य भी रही थी। अपने पति की मौत के बाद यह वीरांगना (Female Freedom Fighter) ऋषिकेश में अकेली रह रहीं थीं और फिर वहीँ गुमनामी में रहते हुए ही इस लोक को छोड़कर सदा के लिये चली गयी।
अपनी विचित्र सनकों के लिये मशहूर थीं यह रानियाँ – Story of 10 Weird Queens in Hindi
6. Kalpna Dutta कल्पना दत्त
Female Freedom Fighter 6: कल्पना दत्त (1913-1995) भी बंगाल की एक विख्यात महिला क्रांतिकारी थीं जिनका जन्म चिटगांव जिले में हुआ था वह प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्य सेन के उस सशस्त्र स्वतंत्रता आन्दोलन की सदस्य थीं जिसने सन 1930 में चिटगांव शस्त्रशाला लूट की घटना को अंजाम दिया था। कल्पना दत्त भी उसी छतरी संघ की सदस्य थीं जिसमे बीना दास और प्रीतिलता वाद्देदर जैसी स्वतंत्रता सेनानी भी शामिल थीं।
अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष छेड़ने के कारण उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। बाद में यह महिला स्वतंत्रता सेनानी (Female Freedom Fighter) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य बन गयीं। 8 फरवरी 1995 में कलकत्ता में इस वीर भारतीय नारी का देहावसान हो गया।
7. Abadi Bano Begum अबादी बानो बेगम
Female Freedom Fighter 7: 1850 में एक कुलीन मुस्लिम परिवार में जन्मी अबादी बानो बेगम (1850-1924) देश की उन सबसे प्रथम मुस्लिम नारियों (Female Freedom Fighter) में से एक हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। पर्दानशीं होते हुए भी इन्होने एक राजनीतिक सभा को संबोधित किया था और ऐसा करने वाली वह सबसे पहली महिलाओं में से एक थीं।
बेगम न केवल लम्बे समय तक राजनीति में सक्रिय रहीं, बल्कि वह खिलाफत कमिटी का भी हिस्सा थीं। खिलाफत आन्दोलन का समर्थन पाने के लिये उन्होंने पूरे देश का दौरा किया था। मुस्लिम महिलाओं के दिलों में देशभक्ति का जज्बा पैदा करने और उन्हें संगठित करते हुए उनका नेतृत्व करने का जो सराहनीय प्रयास अबादी बानो बेगम ने किया था, उससे आगे चलकर कई मुस्लिम नारियों ने प्रेरणा पायी।
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8. kanaklata barua कनकलता बरुआ.
Female Freedom Fighter 8: कनकलता बरुआ (1924-1942) जिन्हें बीरबाला के नाम से भी जाना जाता है असम की एक अन्य स्वतंत्रता सेनानी थीं सन 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान दुष्ट पुलिसकर्मियों ने इस 17 वर्षीय किशोर वीरांगना को तब गोली मार दी थी जब वह एक जुलूस का नेतृत्व करते समय गर्व से राष्ट्रीय ध्वज को थामे हुई थीं।
लेकिन इस वीर किशोरी ने तब तक झंडे को नहीं छोड़ा जब तक कि उनके प्राणों ने उनका साथ नहीं छोड़ा। कौन जानता है कि शायद ऐसी वीर बालिकाओं (Female Freedom Fighters) के शौर्य के कारण ही अंगेजों को भारत छोड़कर भागना पड़ा हो?
9. Parbati Giri पार्वती गिरी
Female Freedom Fighter 9: कलिंग की वीर भूमि में जन्मी पार्वती गिरी (1926-1955) उडीसा की प्रमुख महिला वीरांगनाओं (Female Freedom Fighters) में गिनी जाती हैं। 16-17 वर्ष की छोटी आयु में भी उन्होंने स्वाधीनता संग्राम की लगभग हर तरह की गतिविधियों में भाग लिया था, विशेषकर भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान तो उन्होंने आगे बढ़कर नेतृत्व किया था। लेकिन 2 साल तक जेल में रखने के बावजूद अंग्रेज उनके किशोर ह्रदय में पनप रही देशप्रेम की भावना को कम नहीं कर सके।
वह निरंतर स्वतंत्रता आंदोलनों में हिस्सा लेती रहीं और देश के आजाद होने के बाद भी सार्वजनिक रूप से लोगों की सेवा करतीं रहीं। उडीसा के दबे-कुचले श्रमिक वर्ग के लिये उन्होंने बहुत कार्य किया था, उनकी इस सेवा भावना के कारण ही वह पश्चिमी उडीसा की मदर टेरेसा के रूप में प्रसिद्ध हैं।
प्रथम विश्व युद्ध से जुडी इन गुप्त बातों के बारे में नहीं जानते होंगे आप – 1st World War Facts in Hindi
10. Tara Rani Srivastava तारा रानी श्रीवास्तव
Female Freedom Fighter 10: तारा रानी श्रीवास्तव बिहार की माटी में जन्मी एक साहसी नारी थी जिन्होंने अपने पति के साथ मिलकर आजादी की मशाल को प्रज्वलित किया। आंदोलनों के उस दौर में जब पुलिस का आक्रमण बर्बरता की सीमा तक पहुँच चुका था तब इस वीर स्त्री (Female Freedom Fighters) ने जो साहसिक कार्य किया उसे कई पुरुष संपन्न करने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। अपने पति के साथ जब वह बिहार के सीवान जिले के एक पुलिस थाने के सामने जुलूस निकाल रही थी तो क्रूर पुलिसकर्मियों ने उनके पति पर सीधे गोली चला दी।
पर इस हिम्मती स्त्री का साहस देखिये, पुलिस के जुलूस रोकने के हठ को ठेंगा दिखाते हुए इस महान भारतीय नारी ने बिना विचलित हुए अपने पति घावों पर पट्टी बाँधी और फिर आगे चल पड़ी। पर जब तक वह लौटकर आती उनके वीर पति शहीद हो चुके थे, लेकिन आतताईयों के सामने झुकने से इंकार करते हुए वह झंडे को मजबूती से थामे हुए संघर्ष करती रहीं।
भारत की Woman Freedom Fighters पर दिया यह लेख Female Freedom Fighters of India in Hindi आपको जरुर पसंद आया होगा। इन 20 वीरांगनाओं के अलावा रानी सरोज गौरिहर और बीबी अजीजुल फातिमा जैसी कई अन्य महिला स्वतंत्रता सेनानी (Female Freedom Fighters) भी थीं जिन्होंने अपने देश को आजाद कराने के लिये अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। भारत की उन सभी अज्ञात वीरांगनाओं को हम बस प्रणाम ही कर सकते हैं।
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- General Knowledge /
Indian Women Freedom Fighter in Hindi: जानिए भारत की उन वीरांगनाओं के बारे में, जिन्होंनें आज़ादी के महासमर में अपना योगदान दिया
- Updated on
- अगस्त 7, 2023
भारत एक ऐसा राष्ट्र रहा है, जिसने प्राचीन काल से ही पुरुषों और नारियों में समानता की बात कही और सभी को समान अवसर प्रदान किए। फिर चाहे सुख हो या दुःख भारत की बेटियों ने भी भारत के पुरुष समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दिया। इसी क्रम में भारत की वो महान वीरांगनाएं भी आती है, जिन्होंनें आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप उन महान वीरांगनाओं के बारे में जानकर उनकी जीवन यात्रा से प्रेरणा ले पाएंगे और देशहित के लिए खुद को समर्पित कर पाएंगे।
This Blog Includes:
टॉप 10 indian women freedom fighter, भारत की आज़ादी में वीरांगनाओं का योगदान, कुछ अन्य वीरांगनाओं के नाम, भारत की आज़ादी में उपरोक्त वीरांगनाओं का योगदान.
आज़ादी के लिए कई वीर-वीरांगनाओं ने अपने प्राणों को मातृभूमि के लिए समर्पित किया, Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आपको भारत की उन वीरांगनाओं के बारे में जानने को मिलेगा, जो कि कुछ इस प्रकार है-
- रानी लक्ष्मी बाई
- कित्तूर चेन्नम्मा
- कस्तूरबा गांधी
- विजय लक्ष्मी पंडित
- सरोजिनी नायडू
- कमला चट्टोपाध्याय
- सुचेता कृपलानी
- सावित्रीबाई फुले
- लक्ष्मी सहगल
भारत की आज़ादी में केवल किसी एक परिवार, एक व्यक्ति या किसी एक विचारधारा ने अपना योगदान नहीं दिया। बल्कि इसके लिए तो अनेकों वीर-वीरांगनाओं ने अपना योगदान दिया है। आज़ादी एक जन आंदोलन था, जिसमें लोगों ने हर बंधनों से मुक्त होकर स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। असंख्य बलिदानों को तो यहाँ लिख पाना संभव नहीं होगा, लेकिन Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप कुछ वीरांगनाओं की शौर्य गाथा और आज़ादी में उनके योगदान के बारे में जान पाएंगे। यह जानकारी कुछ इस प्रकार है-
Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप कुछ ऐसी वीरांगनाओं के बारे में भी जानने को मिलेगा, जिनको इतिहास लिखने वालों ने वो उचित सम्मान नहीं दिया, जो कि उनके तप त्याग को समय रहते मिलना चाहिए था। कुछ अन्य वीरांगनाओं की जानकारी कुछ इस प्रकार है-
- कुंतला कुमारी साबत
- सरला देवी चौधरानी
- अन्नपूर्णा महराना
- उमाबाई कुंडापुर
- राजकुमारी गुप्ता
- नलिनीबाला देवी
- अमल प्रभा दास
- चंद्रप्रवा सैकियानी
- सरला देवी
- कृष्णम्मल जगन्नाथन
- यशोधरा दासप्पा
- मूलमती
- जानकी अथि नहप्पन
- अम्मू स्वामीनाथन
- मातंगिनी हाजरा
- पार्वती गिरि
भारत की आज़ादी में उपरोक्त वीरांगनाओं का योगदान अतुल्नीय है, इन योगदान के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है। Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप उपरोक्त वीरांगनाओं के योगदान से प्रेरणा लेकर भारत की उन्नति में अपना योगदान दे सकते हैं और भारत की नारी शक्ति से परिचित हो सकते हैं-
आशा है कि Indian Women Freedom Fighter in Hindi का यह ब्लॉग आपको देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत लगा होगा, साथ ही इसमें लिखें संदेशों को आप अपने यार-दोस्त के साथ साझा कर पाएंगे। आधुनिक भारत के इतिहास से जुड़े ऐसे ही अन्य टॉपिक पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
मयंक विश्नोई
जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई
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